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08/07/2025

मुकन्द लाल मामचंद देवबंद आईए पुरी और अच्छा समोसा खाईए

05/07/2025

स्वकर प्रणाली कुछ समय के लिए स्थगित कराने कि मांग को लेकर सभासदों के प्रतिनिधिमण्डल ने सम्पूर्ण समाधान दिवस में दिया ज्ञापन

स्वकर प्रणाली लागू होने से नगर के लोगों को करना पड़ेगा परेशानियों का सामना


नगर कि 70 प्रतिशत आबादी निर्धन जो वर्ष का 50 और 100 रू सालाना टैक्स देने में भी रहते हैं असमर्थ वो कैसे उठा पायेगें स्वकर प्रणाली का भार

स्वकर प्रणाली कुछ समय के लिए स्थगित कराने कि मांग को लेकर आज नगर देवबंद के ब्लॉक सभागार में लगने वाले सम्पूर्ण समाधान दिवस में सभासदों के एक प्रतिनिधिमण्डल ने उपज़िलाधिकारी कि अनुपस्थिति में पुलिस क्षेत्राधिकारी रविकान्त पराशार कों सौंपा ज्ञापन
ज्ञापन में मांग कि गई है कि स्वकर प्रणाली के तहत नगर देवबंद में नगर पालिका द्वारा सर्वे कार्य आरम्भ कराया जा रहा है। टैक्स लागू होने से नगर कि जनता को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। ज्ञापन में बताया गया नगर कि 70 प्रतिशत आबादी निर्धन है जो हर वर्ष 100-और 50 रू वर्ष टैक्स का जमा करने में असमर्थ है वो स्वकर प्रणाली का बोझ कैसे उठा पायेगें। ज्ञापन में मांग कि गई है कि स्वकर प्रणाली को कुछ समय के लिए स्थगित कर दी जाये नगर कि जनता में इस कर प्रणाली को लेकर रोष व्यक्तहै। ज्ञापन देने वालो में सभासद शाहिद हसन, सभासद पति रिज़वान गौड , सभासद औसाफ सिद्दीकी, सभासद वाजिद मलिक, सभासद पति डां असलम अली, सभासद अख्तर अंसारी, सभासद पति वसीम मलिक, सभासद पति शराफत मलिक, सभासद पति आसिफ लियाकत आदि मौजूद रहे।

04/07/2025

दारुल उलूम देवबंद की बुनियाद 1866 में रखी गई थी

दारुल उलूम देवबंद को शक की नजर से क्यों देखा जाता है

मुल्क के लिए हमेशा दारुल उलूम देवबंद ने अमन का पैगाम दिया है

दारुल उलूम देवबंद जो भारत के सबसे महत्वपूर्ण इस्लामी विश्वविद्यालयों में से एक है जिसकी स्थापना 30 मई सन अठ्ठारह सो 66 को हुई थी. इसके संस्थापकों में निम्नलिखित प्रमुख व्यक्ति शामिल थे
मुहम्मद कासिम नानौतवी:
एक प्रमुख इस्लामी विद्वान और देवबंद आंदोलन के संस्थापकों में से एक थे.
रशीद अहमद गंगोही:
एक और प्रमुख इस्लामी विद्वान और देवबंद आंदोलन के संस्थापक थे.
सैय्यद मुहम्मद आबिद:
एक अन्य संस्थापक सदस्य, जिन्होंने मदरसे की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
फजलुर रहमान उस्मानी:
एक और संस्थापक सदस्य, जिन्होंने दारुल उलूम देवबंद की स्थापना में योगदान दिया.
इन सभी विद्वानों ने मिलकर दारुल उलूम देवबंद की नींव रखी, जो आज भी इस्लामी शिक्षा और ज्ञान का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है

03/07/2025

आगामी कावड़ यात्रा के मद्देनज़र डीएम मनीष बंसल व एसएसपी मनीष तिवारी ने नगर देवबंद के मंगलौर मार्ग का किया निरीक्षण उपजिलाधिकारी युवराज सिंह,पुलिस क्षेत्राधिकारी, और कोतवाली प्रभारी धर्मेन्द्र कुमार सोनकर भी रहे मौजूद। मीडिया से वार्ता करते हुए डीएम मनीष बंसल ने बताया आज देवबंद के मंगलौर रोड़ पर कावड़ मार्ग का निरीक्षण किया गया कावड़ यात्रा को लेकर पिछले एक माह पहले से ही सभी विभागों को निर्देश दिए गए थे। कावड़ यात्रा का एक सप्ताह शेष बचा हुआ है 11 जौलाई से कावड़ यात्रा प्रारंभ होने वाली है। धरातल पर क्या कार्य हुए उसी को देखने के लिए आज हम लोगो द्वारा कावड़ मार्ग का निरीक्षण किया गया है जो अतिरिक्त निर्देश है चाहे वह सुरक्षा कि दृष्टिकोण या श्रद्धालुओं यात्रियों कि सुगमता कि दृष्टिकोण से हो वो दोनो निर्देश दिए जा रहे हैं। उन्होनें बताया मंगलौर चौकी से होते हुए जो रास्ता रामपुर मनिहारान को जाता है उस मार्ग का निरीक्षण किया गया है। कावड़ यात्रा को लेकर हम लोगों ने विभिन्न बैठक करके कावड़ यात्रियो को भी निर्देश दिए हैं अपनी सुरक्षा और निर्देशो का पालन करें। कावड़ के समय डीजे निकलते है ऊनकी हाईट 10 फिट से ज़्यादा न हो कुछ लोग अपने वाहन पर भी बड़े बड़े डीजे बांधकर चलते है उसका भी ख्याल रखें। कावड़ यात्री मादक पदार्थों का प्रयोग न करें अपना पहचान पत्र साथ में लेकर चले। आपको यह खबर कैसी लगी कमेंट करें,

27/06/2025

वो आपातकाल था तो ये क्या है..!!

अगर आप सजग न रहे तो सत्ता और मीडिया का खतरनाक गठजोड़ आपको नफरती बना देगा..!! मीडिया आपमें शोषक के प्रति ही सहानुभूति पैदा कर देगा और जिसका शोषण हो रहा है, उसे अपराधी करार देगा..!! 2014 के बाद से भारत के मेन स्ट्रीम मीडिया ने सत्ता के साथ गलबहियां करके यही किया है।‌मीडिया ने अघोषित आपातकाल, अन्याय, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी और शर्म जैसे विषयों को गौरव का विषय बना दिया..!! और तुर्रा ये कि मीडिया आपको 1975 के उस आपातकाल की ओर ले गया, जिसका समर्थन ऐसे लोगों ने किया था, जो आज फर्जी राष्ट्रवाद का सिंदूर लगा कर टहल रहे हैं।
जनता के प्रति जवाबदेह न होना..11 सालों में एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस न करना...उत्तर प्रदेश और बिहार में नौकरियां मांगने व रिक्त पदों को भरने की मांग को लेकर धरना दे रहे और प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं पर बर्बर लाठीचार्ज कर देना... इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रदर्शनकारी छात्रों को उनके किराये के मकानों में घुसकर पीटना, वरिष्ठ नागरिकों से रेल की सुविधा छीन लेना, पुरानी पेंशन व्यवस्था को समाप्त कर देना...किसी भी आम आदमी की पीड़ा को पूरी तरह से नजर अंदाज कर देना...इसे संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन माना जाना चाहिए या नहीं। अखबारों और चैनलों के मालिकों को खरीद लेना.. जनता के सरोकारों के विषयों/खबरों को पूरी तरह से न्यूज़ चैनलों से गायब कर देना इसे इमरजेंसी की किस श्रेणी में रखा जाए..!! या ये चर्चा केवल 1975 वाली दो साल की इमरजेंसी पर ही होगी या 11 सालों से अघोषित इमरजेंसी पर होगी? अपने ही देश के नागरिकों को सत्ता के लिए आपस में लड़ाकर रखना। हेट स्पीच पर केवल एक पक्षीय कार्रवाई को अघोषित इमरजेंसी माना जाए या न माना जाए?
न्यायिक व्यवस्था और उसकी न्यायिक परिभाषा को धूलधूसरित कर देना, रिटायर्ड जजों को लालच या धमकी देना और फिर पद से नवाजा जाना...यह किस तरह की इमरजेंसी के तहत आएगा?
निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता वर्तमान में शून्य हो चुकी है...एक पूरी की पूरी संवैधानिक संस्था को ही लगभग खिलौना बनाकर रख देना...इसे क्या नाम दिया जाए? बार-बार वोटर लिस्ट में व्यापक गड़बड़ियां करके अपने पक्ष में खेल खिलवाना...क्या माना जाए? पहले हर विदेशी दौरों पर मीडिया साथ जाता था और उस दौरे से देश को क्या लाभ होंगे, किन-किन विषयों पर बात हुई...उसकी जानकारी साझा होती थी...यह सब 11 सालों से बंद क्यों हुआ? सिर्फ गाना-बजाना.. ढोल-मंजीरा लेकर नचनिया बने पत्रकारों के झुंडों को प्रश्रय देना...इसे इमरजेंसी के खांचे में फिट किया जा सकता है कि‌ नहीं?
यूट्यूब चैनलों पर जो पत्रकार खबरों और विश्लेषणों को आम जनता से साझा कर रहे हैं...उन्हें ब्लाक क्यों किया जा रहा है? ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स जैसी एजेंसियां भ्रष्टाचार रोकने के अपने मूल उद्देश्य से भटक कर सत्ता बनायें रखने में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगीं, इसे कौन सा आपातकाल माना जाए?
विकास के नाम पर जंगलों को एक तरफा काट देना... लोगों की जमीनों का बल पूर्वक अधिग्रहण कर लेना..... लोगों की झुग्गी-बस्तियों को बुल्डोजरों तले चंगेज खान की तरह रौंद देना ... पीड़ितों पर ही FIr करा कर जेल भेज देना...आदिवासियों की सैकड़ों की संख्या में हत्या और मीडिया की आश्चर्यजनक व रहस्यमय चुप्पी को किस आपातकाल के संदर्भ में देखा जाए? कुछ रोज पहले सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई कि लाखों बेकसूर जेलों में हैं, जो कि भयावह है!! यह क्या है?
एक उदाहरण पेश है-एनडीटीवी के मालिक प्रवण राय पर सरकार के इशारे पर दर्ज केस हुआ और छापा पड़ा। फिर जांच शुरू हुई। मीडिया का एक दूसरा वर्ग जो घुटने टेक कर टेकचंद बन चुका था, अब बारी एनडीटीवी की थी..क्योंकि अघोषित आपातकाल में ऊंची आवाजें और सवाल पसंद नहीं किये जाते..!!!लगा कि एनडीटीवी ने मालिकान ने बहुत बड़ा आर्थिक घोटाला किया है...प्रणव राय ने आखिरकार हार मान ली और एनडीटीवी एकमेव राष्ट्रीय उद्योगपति ने टेकओवर कर लिया। धीरे-धीरे सारे असल पत्रकार वहां से भगा दिए गए या खुद ही छोड़कर चले गये।...यहां तक भी ठीक था... लेकिन एकमेव राष्ट्रीय उद्योगपति के चैनल खरीदते ही प्रणव राय के केस में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल हो गई। केस खत्म हो गया..असल सवाल वहीं का वहीं खड़ा है कि
अगर प्रणव राय दोषी थे तो छूटे क्यों ? अगर दोषी नहीं थे तो यह सब हुआ हुआ क्यों ? 2014 के बाद आपको ऐसे दर्जनों केस मिल जायेंगे...अगर आप खिलाफ थे और विपक्ष में थे तो ईडी थी, सीबीआई थी, इनकम टैक्स था... लेकिन फिर वे सारे के सारे भ्रष्टाचारी अचानक उधर से इधर आ जाते हैं...और फिर सब कुछ समाप्त....!!! ऐसा भारत के इतिहास में कब होता था? इसे कौन सा आपातकाल माना जाए?
दरअसल, 1975 वाली घोषित इमरजेंसी से सबसे ज्यादा नाराज कौन था? घोषित इमरजेंसी से सबसे ज्यादा तकलीफ़ किसको थी? आम आदमी को तो कोई दिक्कत नहीं थी..ट्रेनें एकदम राइट टाइम चलने लगी थीं, सरकारी कार्यालयों में लोग बिलकुल राइट टाइम आने लगे थे, घूस मांगने की हिम्मत जवाब दे गई थी...अनाज में मिलावट और घटतौली बंद हो गई थी...फिर परेशान कौन था?
परेशान थे जमींदार..!! परेशान थे सामंतवादी..!! जमींदारों और भूस्वामियों की संपत्तियों पर आंच आई और उनका प्रभाव कम हुआ...तमाम जमीनें भूमि विहीन किसानों/खेतिहरों को मिलीं...निजी बैंक खोल कर जनता का पैसा हड़पने वाले परेशान हुए क्योंकि 1969 में 14 प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था (1980 में 6 और बैंकों का राष्ट्रीय करण हुआ) इससे बैंकों के दिवालिया होने का खतरा खत्म हुआ छोटे किसानों को भी कृषि, छोटे उद्योगों और ग्रामीण क्षेत्रों को ऋण प्राथमिकता से मिलने लगे और साहूकारों की दुकान बंद हुई। अब इससे नाराज कौन था? निजी बैंकर और उद्योगपतियों ने अपना नियंत्रण बैंकों पर से खो दिया और इसे सरकारी हस्तक्षेप माना। रूढ़िवादी अर्थशास्त्री परेशान थे उनका मानना था कि इससे नौकरशाही का प्रभाल बढ़ेगा।
जबकि गरीब, किसान और समाजवादी विचारधारा वाले लोग इसे समानता और आर्थिक न्याय की दिशा में कदम मानते थे। पूर्व राजघरानों को मिलने वाले प्रिवी पर्स (विशेष भत्ते) को समाप्त कर दिया गया जो स्वतंत्रता के समय राजाओं के साथ हुए समझौते का हिस्सा था...इससे नाराज कौन था? अंतिम और अकाट्य सत्य यह है कि होमी जहांगीर भाभा की हत्या में अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA की जो भूमिका थी, वह भयावह थी। CIA की पूरी योजना ही इस आजाद देश को तबाह करने की थी और समय रहते ही रूस द्वारा इनपुट्स मिले और आपातकाल लगा...!! बाद में उसके लिए माफी भी मांग ली गई और आम जनता ने बाद में बंपर वोटों से वापस आपातकाल लगाने वालों को सत्ता सौंप दी।
फिलहाल उपरोक्त अनेक सुधारों से भारत के गरीबों के बीच से एक बहुत बड़ा वर्ग उभरा, वह था मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग..जो आज 1975 को गालियां बकता हुआ वहीं पहुंच चुका है जहां से वह मध्यम वर्ग के सुख तक आया था..!! अब तय आपको करना है कि घोषित आपातकाल सही था या अघोषित आपातकाल..!!! 500 रूपए और चार पूड़ी लेकर अगर आप बिना सोचे-समझे भीड़ के साथ नाच-गा रहे हैं तो फिर इसी में मस्त रहिए..!! क्योंकि "कुछ" लोगों को घी हजम नहीं हुआ करता,..!!

17/06/2025

"राजनीति के हर पहलू पर सीधी बात...
नेताओं के वादों से लेकर जनता के सवालों तक...
"जहां बात होगी मुद्दों की, ना कि दिखावे की!"
आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव के मुद्दो पर भी होगी चर्चा ।

आज कि बात नेताओं के साथ, देखें सिर्फ दा खबर इन्डिया पर!"
सप्ताह में तीन बार शाम साडे सात बजे - -तसलीम कुरैशी और आसिफ सागर के साथ ।
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04/06/2025

मुस्लिम समाज के आगामी त्यौहार ईदुल अज़हा को लेकर नगरपालिका तय्यारी को लेकर नगरपालिका अधिशासी अधिकारी डां धिरेन्द्र कुमार राय ने दा खबर इंडिया संवाददाता से बातचीत करते हुए बताया त्यौहार पर ये चुनौति हमारे सामने होती है कि कुर्बानी को कोई भी अवशेष सड़को और किसे कि घर के सामने न मिले उन्होने बताया साफ साफ के लिए नगरपालिका द्वारा 30 गाड़िये बंद बाडी कि लगाई जायेगी ताकि अवशेष ले जाते समय सड़को पर न गिर सके और 5 गाड़ियां रिजर्व में लगाई गई है! मुस्लिम आबादी के 16 से 17 वार्डों में 21 सफाई नायक इसे मोनिटर करेगें उन्होने बताया ईदु अज़हा के तीनो दिन हमारी गाड़ियां सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक राऊड पर रहेगी उन्होने मुस्लिम समाज से अपील करते हुए कहा साफ सफाई का विशेष ध्यान रंखे अगर कही गंदगी दिखे तो नगरपालिका को तुरंत उसकी सूचना दे और कुर्बानी 3 बजे तक करे ताकि जानवरो के अवशेष समय पर गाड़ी उठाकर ले जा सके उन्होने कहा त्यौहार पर पानी कि समस्या बिल्कुल भी नहीं आने दी जायेगी लाईट जाने पर जनरेटर कि व्यवस्था कि गई है।

01/06/2025

मदरसों को बंद करने का अभियान मुसलमानों के संवैधानिक, धार्मिक आज़ादी और संवैधानिक अधिकारों पर एक गंभीर हमला है। मदरसे मुसलमानों की जीवन-रेखा हैं, अब हमारी इसी जीवन-रेखा को काट देने की साज़िश हो रही है। असंवैधानिक घोषित कर के मदरसों के खिलाफ़ कार्रवाई का नवीनतम अभियान सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अपमान है। मदरसों की सुरक्षा दीन की सुरक्षा है। हम लोकतांत्र, संविधान की सर्वाेच्चता और मदरसों की सुरक्षा के लिए क़ानूनी और लोकतांत्रिक संघर्ष जारी रखेंगे: मौलाना अरशद मदनी अध्यक्ष जमीयत उलेमा-ए-हिंद

01/06/2025

आगामी त्यौहार ईदु उल अज़हा को लेकर नगर कि ईदगाह कमेटी और मस्जिदों के ज़िम्मेवारो के साथ प्रशासन द्वारा कि गई थी मीटिंग

सरकार कि गाईड लाईन का पालन करने कि भी कि गई अपील

आपको बता दिन गत दिनो पूर्व नगर कि खानकाह चौकी में एक मीटिंग का आयोजन कर ईदगाह कमेटी और नगर कि जिन मस्जिदों में ईद उल अज़हा कि नमाज़ अदा कि जायेगी मस्जिदों के उन ज़िम्मेवारो के साथ प्रशासन द्वारा एक मीटिंग का आयोजन किया गया था मीटिंग के बारे में जानकारी देते हुए ईदगाह कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर अनवर सईद ने बताया आगामी त्यौहार इद उल अज़हा को लेकर खानकाह चौकी में पुलिस क्षेत्राधिकारी के नेतृत्व में एक मिटिंग का आयोजन किया गया था कोतवाली प्रभारी और चौकी प्रभारी भी रहे थे मौजूद उन्होंने बताया ईदगाह का सदर होने के नाते मुझको भी उक्त मीटिंग में बुलाया गया था! जिन मस्जिदों में ईद कि नमाज़ अदा कि जायेगी उन सभी ज़िम्मेवारो से नमाज़ मस्जिदो के अंदर ही अदा कराये जाने कि अपील कि गई थी उन्होने कहा होना भी ऐसे ही चाहिए एक अच्छे नागरिक होने का हमे परिचय देना चाहिए ईदगाह कि बाउन्ड्री के अंदर नमाज़ होती है तो उसी के अंदर नमाज़ अदा करें और जिन मस्जिदों में ईद उल अज़हा कि नमाज़ होगी तो सभी मुस्लिम भाई मस्जिद के अंदर ही नमाज़ अदा करें उन्होने नगर वासियों से अपील करते हुए कहा कि ईद उल अज़हा पर जो कुरबानी कि जाए इस तरीके से कि जाए किसी को कोई दिक्कत न हो साफ सफाई का विशेष ध्यान रंखे कुर्बानी खुले में न करे।

30/05/2025

देवबंद में हिन्दी पत्रकारिता दिवस के मोके पर एक प्रोग्राम का किया गया आयोजन

नगर के पत्रकार और गणमान्य लोग रहे मोजूद
प्रोग्राम संयोजक आसिफ सागर बलबीर सैनी ने प्रोग्राम में पहुंचे सभी अतिथियों और पत्रकारो का किया धन्यवाद
नगर देवबंद के वी आईपी गेस्ट हाऊस में हिन्दी पत्रकारिता दिवस के मौके पर एक प्रोग्राम का आयोजन किया गया
प्रोग्राम में मुख्य अतिथि रहे।
विश्वविख्यात शायर डॉक्टर नवाज़ देवबंदी ने पत्रकारो को हिन्दी पत्रकारिता दिवस कि शुभकामनाएं देते हुए कहा पत्रकार कि ज़िम्मेदारी अधिक होती है। उसका एक फर्जी और नकारात्मक समाचार सर्वसमाज को प्रभावित कर सकता है। उन्होने कहा पत्रकार को सटीक आकलन के साथ समाचार को प्रकाशित करना चाहिए प्रोग्राम में मुख्य अतिथि रहे आई एफ एस कि परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले आमिर नौशाद ने कहा पत्रकार समाज का चौथा स्तम्भ होता है वह कड़ी महनत कर देश में जो भी घटना घटित होती है उसकी सच्चाई से हमें अवगत कराते है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार मास्टर मुम्ताज ने कहा पत्रकारो को ईमानदारी से अपना समाचार प्रकाशित या प्रसारित करने चाहिए और निस्वार्थ पत्रकारिता करनी चाहिए।
प्रोग्राम के अंत में पत्रकार बलबीर सैनी और आसिफ सागर ने सभी अतिथियों और पत्रकारो का आभार व्यक्त किया इस मौके पर।

29/05/2025

#गाजियाबाद में मुस्लिम महिला निदा खान हिंदू धर्म अपनाया

हिंदू संगठन की मदद से महिला ने घर वापसी कर वैदिका बन गई। उसके पति द्वारा उत्पीड़न किया जा रहा था।

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