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21/09/2025

अंग्रेजो के कलेक्टर साहब...
पुलिस हिरासत में दिख रही ये महिला विधवा है। साथ में उसकी बेटी भी है। कलेक्टर साहब ने दोनों को गिरफ्तार करके जेल भेजने का आदेश दिया है, इसीलिए महिला पुलिस दोनों को ले जा रही है।

अब इनका गुनाह भी सुन लीजिए। पीड़िता मैनपुरी की है। उसकी जमीन पर किसी ने कब्जा कर लिया। आज संपूर्ण समाधान दिवस था। वो दिन जिसमें पीड़ितों की शिकायतों की सुनवाई सीधे कलेक्टर साहब, एसपी साहब के साथ ही पुलिस प्रशासन के तमाम अधिकारी कर्मचारी करते हैं, तो आज वाला संपूर्ण समाधान दिवस था। मैनपुरी के थाना किशनी में, महिला अपनी बेटी को लेकर पहुंची।

उम्मीद थी साहब लोग सुनेंगे, न्याय मिलेगा, लेकिन यहां तो मामला ही उल्टा हो गया। न्याय मिलने के बजाय खुद ही जेल जाने की नौबत आ गई। दरअसल महिला ने कलेक्टर साहब के सामने जब अपनी शिकायत रखी तो उसकी आवाज थोड़ी ऊंची थी। (हो सकता है थाने से, चौकी से, तहसील से, बार-बार भगाए जाने से परेशान होकर बेचारी चिल्ला पड़ी हो।)

कलेक्टर साहब को उसका ऊंची आवाज में बोलना अच्छा नहीं लगा। दोनों में थोड़ी बहस हुई। माहौल गरमा गया। कलेक्टर साहब ने तुरंत महिला और उसकी बेटी को गिरफ्तार करके जेल में डालने का हुक्म सुना दिया। कलेक्टर साहब का हुक्म सुनते ही वहां मौजूद अफसर सन्न रह गए। फरियादियों के होश फाख्ता हो गए। अब साहब का आदेश था तो मां बेटी को तत्काल गिरफ्तार करके पुलिस जीप में बैठाकर ले जाया गया।

मामला सोशल मीडिया से होते हुए लखनऊ में सत्ता के गलियारों तक पहुंचा तो हड़कंप मच गया। उधर, कलेक्टर साहब को भी लगा, कुछ ज्यादा हो गया। उन्होंने कुछ देर बाद महिला और उसकी बेटी को छोड़ने का आदेश दिया तब जाकर दोनों की सांस लौटकर आई।

20/09/2025
बलिया की होनहार बेटी सुषमा अब नहीं रही…उत्तर प्रदेश के जिला "बलिया" की सुषमा यादव डॉक्टर बनने का सपना लेकर लखनऊ NEET की ...
20/09/2025

बलिया की होनहार बेटी सुषमा अब नहीं रही…

उत्तर प्रदेश के जिला "बलिया" की सुषमा यादव डॉक्टर बनने का सपना लेकर लखनऊ NEET की तैयारी करने आई थी। लेकिन मनचलों की धमकियों से सहमी वह हॉस्टल से निकलना तक कम कर दी थी।

और फिर समिट बिल्डिंग के पास एक तेज़ रफ्तार वाहन ने उसकी बाइक को टक्कर मारी और फरार हो गया। इसे सड़क हादसा बताया जा रहा है, मगर परिवार का मानना है कि यह सुनियोजित साजिश भी हो सकती है।

जिस बच्ची को ज़िंदगियां बचानी थीं, वही मौत का शिकार हो गई। सवाल यही है?
क्या सुषमा का सपना डर और सिस्टम के लापरवाही की भेंट चढ़ गया?

ये गोल घेरे में बोनस का स्टूडेंट हैं। जो एक के साथ एक या दो के साथ एक फ्री स्कूल चला आता हैं। इनके न कोई किताब होती हैं,...
19/09/2025

ये गोल घेरे में बोनस का स्टूडेंट हैं। जो एक के साथ एक या दो के साथ एक फ्री स्कूल चला आता हैं। इनके न कोई किताब होती हैं, न बैग, न अनुशासन, न कक्षा और न ही कोई टाईम टेबल होता हैं! फीस की तो बात ही नहीं बनती ! फिर भी स्कूल में हर किसी की नजर इन्हीं पर टिकी रहती हैं और ये हर शिक्षक से लेकर स्टूडेंट तक के प्यारे और लाड़ले होते हैं।
ये बड़े ही मासूम होते हैं, इस तस्वीर में भी इतने मासूम लगते है तो हकीकत में कितने मासूम होंगे 😊

19/09/2025

ये तस्वीर याद रखिएगा... जब भी क्रांति की बात चले तो देश की बड़ी क्रांतियों में इसे भी गिनिएगा। गाँधी और भगत सिंह के देश में क्रांति और सत्याग्रह, दोनों की अनूठी मिसाल है यह घटना।

यह तस्वीर अरुणाचल प्रदेश से है। वहाँ के एक सुदूर इलाके के कस्तूरबा गाँधी स्कूल में शिक्षकों की कमी थी जिसके कारण पढ़ाई बाधित हो रही थी। बार-बार कहने के बाद भी बहाली नहीं हो रही थी। एक दिन स्कूल की 90 लड़कियाँ school uniform में निकल पड़ीं और पूरी रात चलती हुई सुबह ज़िला मुख्यालय पहुँचीं और अपनी मांग रखी। यह यात्रा पूरे 65 किलोमीटर की थी!!

नतीजा - भूगोल और राजनीति शास्त्र के शिक्षकों की बहाली हो गई।

प्रेम जी 'प्रेम' जी की एक कविता की पंक्तियाँ हैं - "सूरज तिजोरियों में बंद है अगर, तो तोड़िये तिजोरियाँ निकाल लाइए।" शैलेन्द्र याद आते हैं - "हर ज़ोर ज़ुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है!" मुज़फ्फर वारसी याद आते हैं - "वतन की रेत ज़रा एड़ियाँ रागड़ने दे, मुझे यकीं है कि पानी यहीं से निकलेगा!" इस एक तस्वीर ने बीसियों शेर दिमाग़ में ज़िन्दा कर दिए जिसके अंत में मुझे अपना शेर याद आता है कि "ये जिन हाथों में परचम देखते हो, इन्हीं हाथों में कल बेसन लगा था!"

इन पंक्तियों को चरितार्थ करती इस भगिनी-दल को प्रणाम!!

पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच सैन्य समझौता हो गया है कि इनमें से किसी पर हमला दोनों पर हमला माना जाएगा।मतलब-जो पाकिस्तान ...
18/09/2025

पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच सैन्य समझौता हो गया है कि इनमें से किसी पर हमला दोनों पर हमला माना जाएगा।

मतलब-जो पाकिस्तान से युद्ध करेगा सऊदी अरब भी दुश्मन बताकर उसपर हथियार चलाएगा।

सवाल है कि हमारी वैश्विक रणनीति क्या है?

EVM बैलेट पेपर पर अब उम्मीदवारों के रंगीन फोटो होंगे। इसके अलावा प्रत्याशियों की नंबरिंग और उनका फॉन्ट साइज भी बड़ा होगा...
18/09/2025

EVM बैलेट पेपर पर अब उम्मीदवारों के रंगीन फोटो होंगे। इसके अलावा प्रत्याशियों की नंबरिंग और उनका फॉन्ट साइज भी बड़ा होगा, जिससे वोटर वोट डालने के पहले उसे अच्छे से पढ़ और देख सकें।

चुनाव आयोग (ECI) इसकी शुरुआत बिहार विधानसभा चुनाव से करेगा। इसके लिए EC ने एक गाइडलाइन जारी की है।

नेपाल का भविष्य........नेपाल के बारे में कई भ्रामक खबरें भारत के कुछ समाचार चैनलों ने प्रसारित की हैं, हालांकि बाद में उ...
11/09/2025

नेपाल का भविष्य........

नेपाल के बारे में कई भ्रामक खबरें भारत के कुछ समाचार चैनलों ने प्रसारित की हैं, हालांकि बाद में उन्होंने उसे हटा लिया। उदाहरण के लिए, पशुपतिनाथ मंदिर में तोड़फोड़ की न कोई घटना हुई और न ही वायरल वीडियो का संबंध मौजूदा घटनाक्रम से है।

नेपाल न सूचित किया है कि वीडियो तीन साल पुराना है, एक उत्सव का है, जिसमें मंदिर का गेट बंद हो जाने पर उसे खोलने के प्रयास में कुछ उत्साही भक्त उस पर चढ़ गए हैं। लेकिन इसी वीडियो को वायरल कर बताया जा रहा है कि मंदिर में तोड़-फोड़ की कोशिश हुई है। नितांत गलत और झूठी खबर है।

दूसरा मुद्दा जाति को लेकर आया है। नेपाल के एक छात्र उनका कहना है कि कम्युनिस्ट नेता यदि जाति मानते होते तो इतनी दुर्गति के शिकार नेपाल में नहीं होते। जाति को न मानने के कारण ही उन्हें बचाने कोई भी नेपाल में सामने नहीं आया। असलियत यही है कि नेपाल का कोई भी भला आदमी किसी कम्युनिस्ट को ब्राह्मण मानता ही नहीं है, और कम्युनिस्ट तो हैं ही इस बात के लिए बदनाम कि धर्म और जाति सब उनके लिए अफीम के सिवाय कुछ नहीं। यही तो वामपंथ की ट्रेनिंग है।

भारत में कुछ लोगों ने कम्युनिस्ट नेताओं को वैसे ही ब्राह्मण बताना शुरु किया है, जैसे ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारों को लगता है कि रशिया का सारा पेट्रोल ब्राह्मण गटक जा रहे हैं। खैर, सबको बोलने की आजादी है।

तीसरा मुद्दा कि नेपाल का भविष्य क्या है? इस पर महाराजा कर्ण सिंह ने नेपाल की राजशाही और तत्कालीन पीएम गिरजा प्रसाद कोइराला से बातचीत कर साल 2007 में एक रास्ता निकाला था कि राजा ज्ञानेंद्र पद छोड़ दें और उनके उस समय 5 साल के शिशु पौत्र ह्रदयेंद्र बीर बिक्रम शाह देव को सेरेमोनियल राष्ट्रप्रमुख के पद पर आसीन किया जाए। शेष, ब्रिटेन की तरह लोकतंत्र फले-फुले, चुनाव से प्रधानमंत्री और संसद का गठन हो।
लेकिन उस समय होनी को यह मंजूर नहीं था। प्रचंड समेत तमाम कम्युनिस्ट नेताओं ने इस प्रस्ताव को मानने से इन्कार कर दिया। बात वहीं पर खत्म हो गई। बाद में नेपाल के संविधान में बदलाव कर सदा के लिए राजशाही का रास्ता भी बंद किया गया।

लेकिन अब वह सूत्र पुनः बड़ी खामोशी से नेपाल के जन-मन में आगे बढ़ता दिख रहा है। राजा ज्ञानेंद्र के पौत्र ह्रदयेंद्र बीर बिक्रम शाह देव नेपाल में चुपचाप अनेक सामाजिक सेवा कार्यों से जुड़कर अपनी उपस्थित जनता के बीच दर्ज कराते रहे हैं।

ह्रदयेंद्र की लोकप्रियता नेपाल के कम्युनिस्ट नेताओं को चुभती रही है। केपी ओली ने तो एक बार यहां तक धमकी दी थी कि ह्रदयेंद्र राजा बनने का सपना देखना छोड़ दें। उन्हें जनता के बीच जाने की कोई जरूरत नहीं है। ह्रदयेंद्र के नाम से कम्युनिस्ट नेताओं की छाती में दर्द बार बार उठते रहने का एक और कारण है। कारण है ह्रदयेंद्र की मां का राजस्थान के शेखावत वंश से संबंधित होना। कम्युनिस्ट नेताओं ने चीन के अपने वैचारिक आकाओं के संकेत पर ह्रदयेंद्र को तब नेपाल का नायक बनने से रोक दिया था।

यह तानाशाही भी नेपाल के लोगों को अखरने लगी थी। सूत्र ने बताया है कि ह्रदयेंद्र सुशील और विनम्र हैं। ह्रदयेंद्र का जन्म महाराजा बीर बीरेंद्र की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या के ठीक एक वर्ष बाद जुलाई 2002 में हुआ था। तब अनेक पंडितों ने उनकी जन्मकुंडली देखकर भविष्यवाणी भी की थी कि नेपाल के महाराजा वापस आ गए हैं। जाहिर तौर पर, आज की परिस्थिति में यदि वह आगे बढ़कर नेपाल की बागडोर संभालते हैं तो महाराजा कर्ण सिंह का 2007 में दिया गया सुझाव और स्वप्न साकार हो सकता है। और जिस जेन-जी के सर पर नेपाल में बदलाव का मुकुट पहनाया जा रहा है, उस जेन-जी की जरूरतों को समझने वाले उनके बीच के नायक की कमी भी पूरी हो सकेगी। क्योंकि सदियों तक नेपाल में राजा को ही ईश्वर के प्रतीक स्वरूप में देखकर विकेंद्रित प्रणाली से स्वराज और स्वशासन चलाने की व्यवस्था चलती रही है।
देखना लाजिमी है कि नेपाल का भविष्य आखिर किस करवट बैठता है।

अंसारी परिवार के लिए लंबे समय के बाद कोई खुशी देने वाली खबर आई है..अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता बहाल कर दी गई है. इ...
09/09/2025

अंसारी परिवार के लिए लंबे समय के बाद कोई खुशी देने वाली खबर आई है..

अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता बहाल कर दी गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हेट स्पीच मामले में अब्बास की सजा पर रोक लगा दी थी जिसके बाद आज विधानसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता बहाल करने का आदेश जारी कर दिया है.

अब्बास को एमपी-एमएलए कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई थी जिसके चलते उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म कर दी गई थी. हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब उनकी सदस्यता बहाल हो गई है और मऊ सदर सीट पर उपचुनाव की जरूरत नहीं है.

अब्बास अंसारी ने वर्ष 2022 में सपा के सहयोगी दल रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर मऊ सीट से चुनाव लड़ा था. चुनाव प्रचार के दौरान अब्बास अंसारी ने मंच से जीतने के बाद अफसरों से हिसाब-किताब करने वाला बयान दिया था जिस पर उनके खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का केस दर्ज हुआ था.

अब अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता बहाल हो गई है तो ये सवाल भी उठेगा कि वो किस तरफ रहेंगे!! समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ चुके सुभासपा की तरफ या सपा मुखिया अखिलेश यादव की तरफ..

पंचायत चुनाव के दौरान अब्बास के फैसले पर भाजपा, सुभासपा, सपा समेत सभी दलों की नजर रहेगी..
जाहिर है मुख्तार अंसारी के बेटे का मैदान में आना पूर्वांचल में भाजपा के समीकरण गड़बड़ा सकता है..

07/09/2025

पत्रकार :- सर 2027 की क्या तैयारी है? अखिलेश जी :- हमारा सर्वे हो चुका है, और वह बहुत रोचक है! पत्रकार :- सर क्या आया सर्वे में? अखिलेश जी :- वही जो आपका दिल कह रहा है, बताइये आपका दिल क्या कह रहा है? पत्रकार :- सर बदलाव होगा इस बार? अखिलेश जी :- बिल्कुल बदलाव होगा, जनता पूरा मन बना चुकी है!

अमेरिका के साथ चल रहे टैरिफ विवाद के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो लगातार भारत विरोधी बयानबाजी कर र...
05/09/2025

अमेरिका के साथ चल रहे टैरिफ विवाद के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो लगातार भारत विरोधी बयानबाजी कर रहे हैं. अपने ताजा बयान में नवारो ने आरोप लगाया कि रूस के साथ तेल की खरीद से भारत के ब्राह्मण मुनाफा कमा रहे हैं. देश में नवारो की इस बयान की जमकर आलोचना हो रही है और इसे विभाजनकारी बताया गया है. लेकिन कांग्रेस के नेता उदित राज ने पीटर नवारो के बयान का समर्थन किया है.

उदित राज ने कहा कि उन्होंने (नवारो) जो कहा वह तथ्यात्मक रूप से सही है. पूर्व कांग्रेस सांसद और दलित नेता उदित राज ने आरोप लगाया कि देश में सिर्फ उच्च जाति के कारोबारी ही रूसी तेल खरीद से फायदा उठा रहे हैं.

पूरी ख़बर: https://tinyurl.com/ys8zjcna

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भयानक खोज: 2011 में लापता हुआ कोलोराडो कपल आठ साल बाद एक सुनसान यूटा की खदान में बैठा हुआ मिलाएक ऐसा मामला जिसने वर्षों ...
04/09/2025

भयानक खोज: 2011 में लापता हुआ कोलोराडो कपल आठ साल बाद एक सुनसान यूटा की खदान में बैठा हुआ मिला

एक ऐसा मामला जिसने वर्षों तक दोनों परिवारों को परेशान किया और अधिकारियों को हैरान, उसके जवाब आठ साल बाद मिले। दो कोलोराडो पर्यटकों — सारा बेनेट (26) और एंड्रयू मिलर (28) — के अवशेष 2019 में दक्षिणी यूटा की एक बंद यूरेनियम खदान में पाए गए। वे 2011 में रहस्यमय तरीके से लापता हो गए थे।

मई 2011 में दोनों एक शांतिपूर्ण वीकेंड कैंपिंग ट्रिप पर निकले थे। फोटोग्राफी और प्रकृति प्रेमी इस कपल ने तीन दिन का एक छोटा ब्रेक लिया था ताकि वे San Rafael Swell नाम की वीरान और रहस्यमयी रेगिस्तानी जगह की सुंदरता देख सकें — एक ऐसी जगह जो पुराने यूरेनियम खदानों और पथरीले कैन्यनों से भरी हुई है।

"वे साहसी नहीं थे," सारा की बहन एमिली बेनेट ने The Denver Post को 2020 में बताया। "वे बस शांति ढूंढ रहे थे... काम और जिंदगी की हलचल से दूर कुछ वक्त।"

लेकिन सारा और एंड्रयू कभी वापस नहीं लौटे।

उनकी आख़िरी जानकारी गैस स्टेशन की थी — Green River, Utah में — जहाँ उन्होंने अपनी Subaru Outback में पेट्रोल भरवाया और Emery County का एक नक्शा खरीदा। इसके बाद जैसे वो दोनों गायब हो गए।
हेलीकॉप्टर्स, वॉलंटियर्स, डॉग स्क्वॉड, और ड्रोन के साथ किए गए बड़े सर्च ऑपरेशन के बावजूद कुछ नहीं मिला। ऐसा लगा जैसे रेगिस्तान ने उन्हें निगल लिया हो।

साल गुजरते गए। अफवाहें उड़ीं — हत्या, ड्रग कार्टेल, यहां तक कि एलियन की कहानियां — लेकिन कोई ठोस सुराग नहीं मिला।

फिर अगस्त 2019 में, University of Utah के कुछ भूगर्भशास्त्र के छात्रों ने Temple Mountain के पास एक पुरानी यूरेनियम खदान की खोज करते समय एक भयावह चीज़ देखी।

लगभग 300 फीट अंदर उन्हें दो कंकाल पूरी तरह कपड़े पहने, जंग लगे फोल्डिंग कुर्सियों पर बैठे मिले। उनके पास एक टूटा हुआ लालटेन, एक जंग लगा थर्मस और एक पुराना Nikon कैमरा पड़ा था।

खदान का अंदरूनी हिस्सा धँस चुका था, जिससे वह जगह एक तरह का "प्राकृतिक समाधि स्थल" बन गई थी, जिसने उस दृश्य को वैसा ही संरक्षित रखा।

डेंटल रिकॉर्ड्स से पुष्टि हुई — वे सारा और एंड्रयू ही थे।

मौत का सटीक कारण अब भी “अनिर्धारित” है, लेकिन जांचकर्ताओं का मानना है कि दोनों शायद खदान में भीतर चले गए और किसी आंशिक ढहाव के बाद फँस गए। जहरीली गैस की मौजूदगी भी एक संभावित वजह मानी जा रही है।

शायद सबसे भयावह बात यह थी: उनका कैमरा अब भी सही सलामत था, जिसमें खदान के अंदर की कुछ अनडेवलप्ड तस्वीरें मिलीं — जिनमें से एक पर टाइमस्टैम्प उस समय का था जब वे गैस स्टेशन पर देखे जाने के एक घंटे बाद की थी।

"वे खुद अंदर गए थे," जांच की अगुवाई करने वाली डिटेक्टिव लॉरा मार्टिनेज ने कहा। "वे किसी से भाग नहीं रहे थे। ऐसा लग रहा है जैसे वे बस बैठ गए और इंतज़ार करने लगे।"

आज भी यह केस दुख और रहस्य का विषय बना हुआ है। खदान के प्रवेश द्वार पर अब एक स्मारक बना है — एक साधारण पत्थर की पट्टी जिस पर उनके नाम खुदे हैं, और आसपास सिर्फ सन्नाटा और रेगिस्तान की हवा।

"सारा और एंड्रयू शांति की तलाश में निकले थे," एमिली बेनेट ने 2021 की 10वीं वर्षगांठ पर आंसुओं के साथ कहा। "मैं उम्मीद करती हूं, जहां भी वे हों, उन्हें वह शांति मिल गई हो।"

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