
01/06/2025
अनुरंजन झा की रिपोर्ट ने खोली आंखें : क्या हिंदू होना अब स्पष्टीकरण मांगता है ?
(ब्रिटेन से निकला सवाल, दुनिया भर में गूंजा)— हिन्दूफोबिया पर रिपोर्ट ने स्कॉटलैंड की संसद को किया विवश, वैश्विक स्तर पर बनी पहचान
✍🏻 विशेष संवाददाता
पटना/लंदन -
बिहार के चम्पारण की धरती, जिसने महात्मा गांधी को सत्याग्रह का पहला मैदान दिया, उसी धरती से निकलने वाले पत्रकार और लेखक अनुरंजन झा ने एक बार फिर अपने कार्य से इतिहास रच दिया है। भारत के जाने-माने खोजी पत्रकार और सामाजिक चेतना से लैस लेखक के रूप में पहचाने जाने वाले अनुरंजन झा अब हिन्दूफोबिया पर केंद्रित अपनी अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के लिए चर्चा में हैं। ब्रिटेन स्थित संस्था "गांधियन पीस सोसायटी" के वे वर्तमान में चेयरमैन और प्रेसीडेंट हैं और हाल ही में स्कॉटलैंड की संसद में उन्होंने जो दस्तावेज़ प्रस्तुत किया, उसने न केवल राजनीतिक हलकों को आंदोलित किया बल्कि वैश्विक मीडिया और नीति निर्माताओं को भी विचार करने पर विवश किया।
📜 रिपोर्ट की पृष्ठभूमि: एक ऐतिहासिक दस्तावेज़
“Hinduphobia in Scotland: Understanding, Addressing, and Overcoming Prejudice” नामक यह रिपोर्ट स्कॉटलैंड में हिंदू समुदाय के प्रति बढ़ते भेदभाव, सामाजिक पूर्वाग्रह, और सांस्कृतिक बहिष्कार पर आधारित है। इस रिपोर्ट को अनुरंजन झा और उनके सहयोगी ध्रुव कुमार ने मिलकर तैयार किया। यह दस्तावेज़ न केवल तथ्यों और आंकड़ों पर आधारित है, बल्कि इसमें स्कॉटलैंड में रह रहे हिंदू नागरिकों के जीवन अनुभवों और चुनौतियों का भी मार्मिक चित्रण है।
रिपोर्ट में उल्लेख है कि वर्ष 2019 से 2021 के बीच स्कॉटलैंड में हिंदुओं के खिलाफ हेट क्राइम्स में 56% की वृद्धि हुई है। कार्यस्थलों पर भेदभाव, मंदिरों के प्रति असहिष्णुता, और हिंदू धार्मिक प्रतीकों का उपहास — ये सभी रिपोर्ट का हिस्सा बने।
🏛️ स्कॉटलैंड की संसद में प्रस्ताव
इस रिपोर्ट के प्रभाव से प्रेरित होकर स्कॉटलैंड की संसद में अप्रैल 2025 में S6M-17089 नामक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ, जिसमें हिंदूफोबिया की निंदा की गई और इसके खिलाफ ठोस कदम उठाने की घोषणा की गई। यह पहला अवसर था जब किसी यूरोपीय संसद ने हिंदू समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए इस प्रकार का कानूनी प्रस्ताव पारित किया।
🌍 वैश्विक स्तर पर प्रभाव
अनुरंजन झा की इस रिपोर्ट ने न केवल स्कॉटलैंड में बल्कि पूरे यूरोप और अमेरिका में हिंदूफोबिया पर चर्चा को नया आयाम दिया है। ANI, PTI, ThePrint, India Today, NDTV, OpIndia, और Eastern Eye जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने इस रिपोर्ट को व्यापक रूप से प्रकाशित किया। टीवी9 भारतवर्ष, Aaj Tak और Zee News जैसे चैनलों ने विशेष कार्यक्रमों के माध्यम से इसे प्रस्तुत किया।
यह रिपोर्ट न केवल हिंदुओं की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करती है बल्कि धार्मिक समानता, सांस्कृतिक सहिष्णुता, और वैश्विक नागरिक अधिकारों की बहस को भी पुनर्जीवित करती है।
🧾 अनुरंजन झा: एक बहुआयामी पत्रकार
अनुरंजन झा का जन्म बिहार के चम्पारण जिले में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (IIMC) से पत्रकारिता की पढ़ाई की। पिछले दो दशकों में उन्होंने India TV, Aaj Tak, Zee News, Cobrapost, India News और CNEB जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभाईं।
उन्होंने भारत का पहला वैवाहिक चैनल Shagun TV लॉन्च किया और Media Sarkar नाम से एक ऑनलाइन खोजी पोर्टल की स्थापना की। 2013 में उनके द्वारा किए गए Aam Aadmi Party के स्टिंग ऑपरेशन ने देशभर में राजनीतिक भूचाल ला दिया था।
📚 लेखक और सामाजिक विचारक के रूप में योगदान
अनुरंजन झा ने "रामलीला मैदान", "गांधी मैदान", और "झूम" जैसी चर्चित पुस्तकों की रचना की है, जो भारत के सामाजिक-राजनीतिक विमर्श में योगदान करती हैं। 2016 में उन्होंने "भोर ट्रस्ट" की स्थापना की, जो ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में कार्य करता है।
🌟 बिहार और चम्पारण के लिए गौरव का क्षण
चम्पारण, जिसे गांधी ने अपना पहला सत्याग्रह स्थल बनाया था, आज उसी भूमि से निकले अनुरंजन झा के माध्यम से फिर से वैश्विक विमर्श का हिस्सा बना है। उन्होंने न केवल एक पत्रकार और लेखक के तौर पर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई, बल्कि वैश्विक स्तर पर हिंदू पहचान और अधिकारों की वकालत कर चम्पारण और बिहार को सम्मान दिलाया।
🔮 भविष्य की दिशा
अनुरंजन झा की यह रिपोर्ट अब ब्रिटेन के विभिन्न स्कूलों और विश्वविद्यालयों में अध्ययन सामग्री के रूप में अपनाई जा रही है। यूरोपीय संसद और अमेरिका के कुछ शहरों में भी ऐसी ही पहलें आरंभ हो चुकी हैं। उनके नेतृत्व में गांधियन पीस सोसाइटी आने वाले महीनों में जर्मनी, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की योजना बना रही है।
निष्कर्षतः, यह कहना अनुचित न होगा कि अनुरंजन झा की यह उपलब्धि न केवल पत्रकारिता का वैश्विक उदाहरण है, बल्कि एक वैचारिक हस्तक्षेप है, जो धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता की रक्षा में मील का पत्थर सिद्ध होगी।
"गांधी को चम्पारण ने वह मंच दिया जिससे उन्होंने भारत को दिशा दी; आज अनुरंजन झा उसी चम्पारण की ओर से दुनिया से संवाद कर रहे हैं।"