30/10/2024
सभी पाठकों को प्रणाम , राम राम 🙏🚩
अभी समय हो रहा है 3:36 am , दिनांक 31 अक्टूबर 2024 , 30 अक्टूबर को कुछ ऐसा हुआ मेरे साथ जो रुला देने वाला दृश्य था , मयूर विहार फेस 1 मेट्रो स्टेशन ब्लू लाइन प्लेटफार्म में लिफ्ट से नीचे जाने के लिये पिंक लाइन य एग्जिट लेने के लिये एक युवा और एक युवती एक बुजुर्ग 80 + वर्षीय होंगे उनसे बहस व उनको सुना रहे थे !
उम्र में इतने बड़े होने के बावजूद उनसे ऐसे गुस्से में बात करना बहुत निंदनीय व तकलीफ देने वाली घटना थी, मैंने जब ये देखा तो थोड़ा आगे देखकर परिस्थिति को समझने की कोशिश करी पर तब तक देर हो चुकी थी , वो अंकल गुस्से से बाहर लिफ्ट से निकलकर ये बोलकर चले गए कि 80+ का हूँ , आज भी चल सकता हूँ , आप लोग जाओ लिफ्ट से , मुझसे ज्यादा शायद आपको जरूरत है इसकी ये आह भरे दुःखी मन से वे निकल गए वहां से, पर मैं बहुत व्यथित और आहत था , मैने कहा उनकी तरफ से मैं माफी मांगता हूं , माफ कर दीजिये आप प्लीज, उनको मैंने "लिफ्ट में अंदर आ जाये" ऐसा कहा पर उन्होंने मेरा हाथ छिड़कते हुए बोला कि अरे छोड़ यार , मुझसे ज्यादा इन्हें लिफ्ट की जरूरत है और ये एक लांछन उन युवक युवतियों पर बदतिमीजी करने का लग गया था !
आज एक बुजुर्ग व्यक्ति से गलत हुआ, मेरी चाहने से भी वे नही रुके !! इस बात का बड़ा अफसोस रहा , उनकी आंखें मैं पढ़ रहा था मानों मेरे जाने के बाद इस देश का कैसा रहेगा भविष्य !
मैंने अगले ही पल जैसे इस युवक से पूछा कि भाई ऐसे कैसे तुमने अंकल से बात करी तो अकड़कर कहता है कि तेरे कुछ लग रहे थे का, ये गुर्जर,जाट स्टाइल में बोलकर थोड़ा मुझे भयभीत कर रहा था पर ज्यों ही मैंने आवाज की धार व तीव्रता बढ़ाई तो उसकी हालत खराब , वो गाली देना चाह ही रहा था, मुंह से निकाल ही रह था कि उसका भय उसे रोकने पर मजबूर कर दिया , फिर ये सोचकर बड़ा बुरा भी लगा कि अकेला मैं उसे कर्तव्य,संस्कार और इस तरह के दुर्व्यवहार का भय दिखाकर उसे डांट रहा हूँ बाकि सब मौन दर्शन करते मात्र दिख रहे है !
सबको मालूम है कि कुछ गलत हुआ है पर कोई कुछ बोलता नही न प्रश्न करता है !! मेरे तेज आवाज में डांटने से वो युवती कहने लगी कि अपने उस परिचित युवक को कि आज भी लड़ना है क्या यहां, चलो सीढ़ियों से चल लो , ये फुसफुसा कर,मन ही मन मुझे अभद्र कहकर वहां से दोनो चल पड़े फिर बाद में वहां मौजूद एक व्यक्ति कह रहा था कि मैं उसे मारता पर सच तो ये है कि भागमभाग भरे व्यस्यत जीवन मे सब इतने व्यस्त है कि सब क्षतिपूर्ति य झूठी व्यवहारिकता का ढोंग उदाहरण ही पेश करते है, यदि सच मे किसीको बुरा लगता तो वहीं पर कोई टोकता,बोलता पर सब आज मौन रहने में सहूलियत य बेहतर समझते है , मेरे हृदय से मुझे एक गजब का समर्थन व प्रशंसा सुनने को मिला कि व्यस्तम जीवन में मैंने उन दोनों को अच्छे से सुनाया व गलती का बोध कराया , लोगो के नजर में मैं हीरो य न जाने क्या था पर आत्मा के नजर में मुझे फक्र व गर्व था कि मैं बेबस भरकर मौन तो एकदम न रहा !!
मन तो कर रहा था काफी मारूं उसे चट चट पर नही चाहता था दीवाली होने से पहले बम फोड़ दूँ , क्रोध को पी गया,धैर्य रखा और फिर अपने गन्तव्य के लिये मैं रोहिणी निकल गया !
शिक्षा : कृपया मेट्रो य कभी भी सफर में अपने से बड़े य छोटे किसी भी तरह से वाद विवाद य झगड़े का मौका न बनने दे , ऐसे घोर दुर्भाग्यपूर्ण घटना में आत्मबल के धनी आत्मविश्वास से युक्त होकर ऐसे दुष्टों को अच्छा सबक सिखाना चाहिये ताकि आगे से किसी भी तरह से वे ऐसे बेहूदे बहस किसी से भी न करे !!
उम्मीद है सच्ची घटना पर आधारित ये अनुभव आपको पसंद आया हो पर मैं ये लेख सिर्फ शिक्षाप्रद व जागरूकता के लिये लिख रहा हूँ ताकि आगामी जीवन में आप ऐसे घटना से अवगत हो और ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे ! चुप रहेंगे य विरोध करेंगे !!
शब्दो को विराम देता हूँ !
समय 4:10 am 31 अक्टूबर 2024 को अंतिम शब्द लिखे !
Saransh Sagar Saransh Sagar Delhi Police