07/04/2023
इतिहास को हटाना कितनी मूर्खतापूर्ण बातें है। अगर मुगलकाल हट जायेगा तो महाराणा प्रताप को किस तरह दुनिया में पेश करेंगे?शिवाजी महाराज का क्या इतिहास बताएंगे? किस तरह बताएंगे कि स्वतन्त्रता दिवस पर ये तिरंगा झंडा लगा रहे है ये लाल किले को प्रचार मुगलों की देन है? किस तरह बताएंगे कि 1857 की क्रांति का नेतृत्व अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर ने किया था? क्या इतिहास बदला जाएगा?? इतिहास ने कही रूप धारण किए है, आज की परिपाटी पर रखकर तत्कालीन इतिहास को पढ़ोगे तो निश्चित ही वो अस्वीकार्य होगा लेकिन स्वीकारना पड़ेगा। इतिहास सिर्फ राजा महाराजा का नही रहा ,इतिहास में आदिवासी,दलित, नाई,खाती,लुहार,सुनार, कुमार, सुथार,चमार, माली,राव बाहरठ,धोबी सभी जातियों सभी वर्गो का इतिहास रहा है लेकिन लिखने वाले नही रहे सिर्फ राजाओं का यश लिखा गया, फिर कभी यह वर्ग तो नही कहते की हमारा भी इतिहास नही है तो हम किसी इतिहास को नहीं पढ़ेंगे। हरबर्ट स्पेंसर ने सिद्धांत दिया है " योगतम की उत्र्जीविता" अर्थात जो योग्य है वो ही जीवित रहेगा, बड़ी मछली हमेशा छोटी मछली को खायेगी और बाद में छोटी छोटी मछलियां एक साथ मिलकर बड़ी मछली को खाती है। इतिहास ऐसा ही रहा है, योद्धा योद्धा हुआ है, जान किसी ने भी गवाई लेकिन उसके शोर्य की चर्चा दुनिया में रही ,उनके बलिदानों को हमेशा याद करना चाहिए। वर्तमान में कोई किसी के लिए अपने अंग का छोटा सा हिस्सा नहीं दे सकते ,लोग अपनी भूमि के लिए और अपनी भूमी विस्तार के लिए हमेशा अपनी जान को हथेली में रखा करते थे इसलिए गौरवशाली इतिहास को हमेशा याद किया जाना चाहिए