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'Ek ped maa ke naam'
29/09/2025

'Ek ped maa ke naam'

साहेब के नसों में सिंदूर नहीं व्यापार दौड़ रहा है..
14/09/2025

साहेब के नसों में सिंदूर नहीं व्यापार दौड़ रहा है..

90s के वक्त गाँव की शादी समारोह में न टेंट हाऊस थे और न कैटरिंग, थी तो बस सामाजिकता। गांव में जब कोई शादी ब्याह होते तो ...
14/09/2025

90s के वक्त गाँव की शादी समारोह में न टेंट हाऊस थे और न कैटरिंग, थी तो बस सामाजिकता। गांव में जब कोई शादी ब्याह होते तो घर घर से चारपाई आ जाती थी, हर घर से थरिया, लोटा, कलछुल, कराही इकट्ठा हो जाता था और गाँव की ही महिलाएं एकत्र हो कर खाना बना देती थीं। औरते ही मिलकर दुलहिन तैयार कर देती थीं और हर रसम का गीत गारी वगैरह भी खुद ही गा लिया करती थी।

तब डीजे रमेश - डीजे राजू जैसी चीज नही होती थी और न ही कोई आरकेस्ट्रा वाले फूहड़ गाने। गांव के सभी चौधरी टाइप के लोग पूरे दिन काम करने के लिए इकट्ठे रहते थे। हंसी ठिठोली चलती रहती और समारोह का कामकाज भी। शादी ब्याह मे गांव के लोग बारातियों के खाने से पहले खाना नहीं खाते थे क्योंकि यह घरातियों की इज्ज़त का सवाल होता था। गांव की महिलाएं गीत गाती जाती और अपना काम करती रहती। सच कहु तो उस समय गांव मे सामाजिकता के साथ समरसता होती थी।

खाना परसने के लिए गाँव के लौंडों का गैंग समय पर इज्जत सम्हाल लेते थे। कोई बड़े घर की शादी होती तो टेप बजा देते जिसमे एक कॉमन गाना बजता था-मैं सेहरा बांधके आऊंगा मेरा वादा है और दूल्हे राजा भी उस दिन खुद को किसी युवराज से कम न समझते। दूल्हे के आसपास नाऊ हमेशा रहता, समय समय पर बाल झारते रहता था और समय समय पर काजर-पाउडर भी पोत देता था ताकि दुलहा सुन्नर लगे। फिर द्वारा चार होता फिर शुरू होती पण्डित जी लोगों की महाभारत जो रातभर चलती। फिर कोहबर होता, ये वो रसम है जिसमे दुलहा दुलहिन को अकेले में दो मिनट बतियाने के लिए दिया जाता था लेकिन इत्ते कम समय में कोई क्या खाक बात कर पाता। सबेरे कलेवा में जमके गारी गाई जाती और यही वो रसम है जिसमे दूल्हे राजा जेम्स बांड बन जाते कि ना, हम नही खाएंगे कलेवा। फिर उनको मनाने कन्यापक्ष के सब जगलर टाइप के लोग आते।

अक्सर दुलहा की सेटिंग अपने चाचा या दादा से पहले ही सेट रहती थी और उसी अनुसार आधा घंटा या पौन घंटा रिसियाने का क्रम चलता और उसी से दूल्हे के छोटे भाई सहबाला की भी भौकाल टाइट रहती लगे हाथ वो भी कुछ न कुछ और लहा लेता...फिर एक जय घोष के साथ रसगुल्ले का कण दूल्हे के होठों तक पहुंच जाता और एक विजयी मुस्कान के साथ वर और वधू पक्ष इसका आनंद लेते।
उसके बाद दूल्हे का साक्षात्कार वधू पक्ष की महिलाओं से करवाया जाता और उस दौरान उसे विभिन्न उपहार प्राप्त होते जो नगद और श्रृंगार की वस्तुओं के रूप में होते.. इस प्रकिया में कुछ अनुभवी महिलाओं द्वारा काजल और पाउडर लगे दूल्हे का कौशल परिक्षण भी किया जाता और उसकी समीक्षा परिचर्चा विवाह बाद आहूत होती थी और लड़कियां दूल्हा के जूता चुराती और 21 से 51 में मान जाती। इसे दूल्हा दिखाई कहा जाता था.

फिर गिने चुने बुजुर्गों द्वारा माड़ौ (विवाह के कर्मकांड हेतु निर्मित अस्थायी छप्पर) हिलाने की प्रक्रिया होती वहां हम लोगों के बचपने का सबसे महत्वपूर्ण आनंद उसमें लगे लकड़ी के शुग्गों ( तोता) को उखाड़ कर प्राप्त होता था और विदाई के समय नगद नारायण कड़ी कड़ी 10/20 रूपये की नोट जो कहीं 50 रूपये तक होती थी।
वो स्वार्गिक अनुभूति होती कि कह नहीं सकते हालांकि विवाह में प्राप्त नगद नारायण माता जी द्वारा 2/5 रूपये से बदल दिया जाता था।
आज की पीढ़ी उस वास्तविक आनंद से वंचित हो चुकी है जो आनंद विवाह का हम लोगों ने प्राप्त किया है.
लोग बदलते जा रहे हैं, परंपरा भी बदलते चली जा रही है, आगे चलकर यह सब देखन को मिलेगा की नही अब इ त विधाता जाने लेकिन जो मजा उस समय मे था, वह अब धीरे धीरे बिलुप्त हो रहा है।

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#गाँव #यादें



#शादीसमारोह

दोस्तों अपने विचार ज़रूर दें।
09/09/2025

दोस्तों अपने विचार ज़रूर दें।

Asia Cup
09/09/2025

Asia Cup

यह छोटी-सी बच्ची आधी रात को एक बाइकर बार में दाख़िल हुई और वहाँ बैठे सबसे डरावने आदमी से जाकर बोली — क्या वो उसकी माँ को...
04/09/2025

यह छोटी-सी बच्ची आधी रात को एक बाइकर बार में दाख़िल हुई और वहाँ बैठे सबसे डरावने आदमी से जाकर बोली — क्या वो उसकी माँ को ढूँढने में मदद करेगा।

धुएँ से भरे उस कमरे में लेदर जैकेट पहने हर बाइकर एकदम चुप हो गया। दरवाज़े पर खड़ी उस नन्ही-सी बच्ची ने, जिसकी पाजामे पर डिज़्नी की प्रिंसेस बनी थीं, रोते-रोते अपनी आखिरी उम्मीद के तौर पर वहाँ मौजूद तीस खुरदरे आदमियों की तरफ देखा। ज्यूकबॉक्स पर बजता जॉनी कैश का गाना जैसे अटक गया। पूल टेबल पर चलती क्यू भी रुक गई।

वो सीधी चली गई स्नेक के पास — आयरन वुल्व्स एमसी का छह फुट चार इंच लंबा प्रेसिडेंट, जिसके चेहरे पर गहरी चोटों के निशान थे और बाहें पेड़ों के तनों जैसी मोटी। बच्ची ने उसकी लेदर जैकेट खींची और वो शब्द कहे जिन्होंने पूरी मोटरसाइकिल क्लब को हिला दिया और हमारे कस्बे का सबसे अँधेरा राज़ खोल दिया।

“बुरे आदमी ने मम्मी को बेसमेंट में बंद कर दिया है और वो उठ नहीं रही हैं,” उसने फुसफुसाकर कहा। “उसने कहा अगर मैंने किसी को बताया तो वो मेरे छोटे भाई को चोट पहुँचाएगा। लेकिन मम्मी ने कहा था कि बाइकर लोगों की हिफ़ाज़त करते हैं।”

न पुलिस। न पड़ोसी। न ही कस्बे के “सभ्य” लोग। उस बच्ची की माँ ने उसे सिखाया था कि अगर कभी सच्ची मदद की ज़रूरत हो तो बाइकर ढूँढना।

स्नेक उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया। उसका विशाल शरीर बच्ची को और भी नन्हा दिखा रहा था। पूरा बार साँस रोके खड़ा था।

“तुम्हारा नाम क्या है, प्रिंसेस?” उसने गहरी लेकिन बेहद नरम आवाज़ में पूछा।

“एम्मा,” बच्ची ने कहा और फिर कुछ ऐसा जो सबको झकझोर गया: “बुरा आदमी एक पुलिसवाला है। इसी लिए मम्मी ने कहा था सिर्फ बाइकर ढूँढना।”

कमरे की हवा बिजली-सी कांपी। एक पुलिसवाला। अब सब समझ आया। एक पुलिसवाला औरत और बच्चों को ग़ायब कर सकता था और पूरा सिस्टम उसे बचाता — जबकि बाइकरों को हमेशा विलेन दिखाया जाता।

बिना सोचे, स्नेक ने एम्मा को अपनी बाँहों में उठा लिया जैसे वो रुई से भी हल्की हो। उसका चेहरा पत्थर-सा सख़्त था।

“ब्रदर्स,” उसकी भारी आवाज़ पूरे कमरे में गूँजी। “हम निकल रहे हैं। हॉक, तुम कम्युनिकेशन सँभालो और लोकेशन लो। पैच, इस नन्ही गुड़िया को चॉकलेट मिल्क दो और उसका एड्रेस पूछो, धीरे से। रेज़र और डीज़ल, दस मिनट में टाउन के नॉर्थ साइड पर हलचल करो — तेज़, लेकिन साफ। बाक़ी सब गियर अप। हम सिर्फ उसकी माँ को ढूँढने नहीं जा रहे। हम इस परिवार को घर वापस ला रहे हैं।”

ना कोई बहस। ना देर। बस कुर्सियों के खिसकने की आवाज़ें, चाबियों की झंकार और मिशन पर निकलते लोगों के क़दम।

पैच, जो बच्चों को सँभालने में माहिर था, एम्मा के साथ बैठ गया। उसने मैप पर अपना घर दिखा दिया। वो घर था ऑफ़िसर फ्रैंक मिलर का — एक सजी-धजी छवि वाला लेकिन ग़ुस्सैल आदमी।

योजना सटीक थी। रेज़र और डीज़ल की हार्ले शहर के दूसरी ओर गड़गड़ाने लगीं, पुलिस का ध्यान वहीं खिंच गया। इस बीच चार बाइक, जिनमें स्नेक भी था, पीछे की गलियों से चुपके से मिलर के घर पहुँचे।

एम्मा ने बताया खिड़की से वो निकली थी। अंदर सब अजीब सन्नाटा था। ऊपर बच्चे के रोने की कमजोर आवाज़ आई। एक बाइकर ने नन्हे बच्चे को उठाया और सुरक्षित बाहर ले गया।

बेसमेंट में स्नेक खुद उतरा। अंधेरे में टॉर्च की रोशनी में उसने उसे देखा — एम्मा की माँ, सारा, ज़मीन पर बेहोश पड़ी थीं, चोटों से भरी लेकिन साँस ले रही थीं। ग़ुस्से की लहर उमड़ी मगर उसने खुद को सँभाला। उसे गोद में उठाया और बाहर साफ़ हवा में ले आया।

इसी बीच हॉक ने आख़िरी दांव चला दिया। उसने मिलर को कॉल किया, आवाज़ बदलकर। “सुना है मिलर, वो छोटी लड़की आयरन वुल्व्स के पास पहुँच गई है।”

फ़ोन के दूसरी ओर मिलर की बौखलाहट रिकॉर्ड हो गई — “उस चुड़ैल को चेतावनी दी थी… ट्रैफ़िक स्टॉप ख़त्म होते ही वापस जाकर सब निपटा दूँगा।”

यही चाहिए था। रिकॉर्डिंग तुरंत स्टेट ट्रूपर्स और पड़ोसी काउंटी के न्यूज़ स्टेशन को भेज दी गई। अब कोई ढक नहीं सकता था।

जब तक मिलर घर लौटा, वहाँ कुछ न था। उसके पिंजरे के पंछी उड़ चुके थे।

क्लबहाउस में, आर्मी का एक पूर्व डॉक्टर सारा का इलाज कर रहा था। एम्मा और उसका छोटा भाई लियो शांति से सो रहे थे, चारों ओर बाइकरों का पहरा था।

कुछ हफ़्तों बाद, मिलर संघीय हिरासत में था। उसके गिरफ़्तारी से पुलिस विभाग की गंदगी खुलकर सामने आ गई। आयरन वुल्व्स को हीरो कहा जाने लगा, हालाँकि उन्हें ये उपाधि भारी लगती थी।

एक शाम, सारा स्नेक के साथ बरामदे में बैठी थी। सामने एम्मा जुगनू पकड़ रही थी।

“मुझे पता था कोई नहीं मानेगा,” उसने धीमे से कहा। “एक सिंगल माँ, उलझे हुए अतीत के साथ, बनाम एक सज्जन पुलिसवाला। लेकिन मेरी दादी कहती थीं — रक्षक दो तरह के होते हैं। कुछ वर्दी पहनते हैं, कुछ लेदर। मैंने एम्मा से कहा अगर कुछ हो तो बाइकर ढूँढना, क्योंकि मुझे पता था तुम मेरे अतीत को नहीं, सिर्फ मेरे बच्चों को देखोगे।”

स्नेक ने देखा — विशाल बाइकर ग्रिज़ली जुगनू पकड़ने के लिए रुक गया था ताकि एम्मा उसकी बूट से उसे उठा ले।

“हम हीरो नहीं हैं, मैडम,” स्नेक ने उसी गहरी आवाज़ में कहा। “हम तो बस वो दरिंदे हैं जिनसे दूसरे दरिंदे डरते हैं।” फिर उसने एम्मा की तरफ देखा और उसके होंठों पर हल्की मुस्कान आई। “और तुम्हारी वो छोटी-सी बच्ची… अँधेरों में चली आई और सही दरिंदे ढूँढ लिए। बहादुर तो वही है।”

ढलती रोशनी में, मोटरसाइकिलों की गड़गड़ाहट और पाइन की खुशबू के बीच, एक टूटा हुआ परिवार अपने रखवाले पा चुका था। उन्हें सिर्फ बचाया ही नहीं गया था, उन्हें एक ऐसे झुंड में जगह मिल गई थी जो उम्रभर उनकी हिफ़ाज़त करेगा।

Kuchh to locha hai🤣🤣
24/08/2025

Kuchh to locha hai🤣🤣

कैसे कैसे बहाने बनाते है CEC , चोर भी यही कह रहा है ज्वेलरी वाले से  CCTV मत लगाओ इसमे महिलाओ के विडियो रिकोर्ड हो jaate...
19/08/2025

कैसे कैसे बहाने बनाते है CEC , चोर भी यही कह रहा है ज्वेलरी वाले से CCTV मत लगाओ इसमे महिलाओ के विडियो रिकोर्ड हो jaate hai
😱😱😁
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19/08/2025
मेरा तो सिर घूम गया 😱😱🤣
17/08/2025

मेरा तो सिर घूम गया 😱😱🤣

स्वतंत्रता दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं🙏🙏❤️❤️
15/08/2025

स्वतंत्रता दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं🙏🙏❤️❤️

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