10/11/2025
*गुरुवाणी और सनातन वैदिक साहित्य परंपरानुसार मंदिर हमारी प्राण ऊर्जा है, प्रेरक प्रेरणा शक्ति है, आत्मा व परमात्मा के मिलन का संगम है।*
गुरुवाणी के गीता ज्ञान स्वरूप और सनातन वैदिक साहित्यों में मंदिर और शरीर हमारा चेतन स्वरूप है, मंदिर हमारा सगुण भक्ति का जागृत स्वरूप है जहां पर अपने आराध्य के समक्ष एकाकार भाव से जुड़ा जाता है, मंदिर हमारी आस्था का केंद्र बिंदु है, मंदिर हमारे प्राणनाथ प्रभु का निवास स्थल है, मंदिर में प्रभु की प्राण प्रतिष्ठा कर उत्पन्न स्पंदित ऊर्जा स्रोत की ज्वलंत जागृत सकारात्मक ऊर्जा स्रोत है।
मंदिर और हृदय स्थल जीव और आत्मा के एकाकार का संगम स्थल है, मंदिर आध्यात्मिकता उन्नयन का ऊर्जा केंद्र के साथ साथ सामाजिक समरसता और आर्थिक सशक्तिकरण का मजबूत केंद्र है जहां पर आध्यात्मिकता और आधुनिकता के विकासवाद की गूंज की घंटाध्वनी हमें सदैव गुंजायमान करती रहती है।
मंदिर हमें आद्यशक्ति के स्वरूप मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, मां काली के तीनों स्वरूपों से संपूर्ण जगत के भौतिक, दैहिक और दैविक कार्यों की स्पंदन शक्ति सामर्थ्य को स्थापित करने की प्रेरणा स्त्रोत का केंद्र बिंदु है जहां पर मानव मात्र को बिंदु से सिंधु तक की जीवन यात्रा का अनुभव करने का आध्यात्मिक संकेत शक्ति प्राप्ति का शक्ति स्थल है।
हमारे मंदिर ही हमें संस्कारवान शैक्षणिक होने की संस्कारित शक्ति भक्ति प्रदान कर हमें आध्यात्मिक, दार्शनिक, सामाजिक, परमार्थिक, राजनैतिक, समसामयिक, पुरातात्विक, आर्थिक और पारलौकिक कार्यों को संपन्न करने की प्रेरणा के प्रेरण केंद्र बिंदु है।
हमारे मंदिर हमें संपूर्ण सृष्टि के रचित इस ब्रह्मांडीय भूभाग जम्बूद्वीप के आर्यावर्त के भारतवर्ष के सनातन धर्म के सात्विक वैदिक सांस्कृतिक परंपरागत रीति रिवाजों को पोषण और सरंक्षण का संदेश देकर सगुण भक्ति मार्ग में ईश्वर के साक्षात्कार करने का अद्भुद और अलौकिक आध्यात्मिक स्वरूप युक्त ओंकार ध्वनि को जनकृत और जागृत करने का परम पवित्र आत्म उद्धारक स्थल है।
सभी कर्मयोगी, ज्ञानयोगी, भक्तियोगी और संख्यायोगी तत्वदर्शन प्राप्त मानव समुदाय पर गुरु महाराज श्री राजेश्वर भगवान और श्री ठाकुर जी महाराज की असीम कृपा बनी रहे। जय गुरुदेव।
।ॐ तत् सत्। ॐ तत् सत्।
।ॐ। ॐ। ॐ।ॐ।ॐ।ॐ।
जय श्री राजेश्वर भगवान