आधार प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड

  • Home
  • India
  • Panchkula
  • आधार प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड

आधार प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड सांस्कृतिक चेतना के जनाधार को समर्पित।

आधार प्रकाशन सन् 1991 में अपनी शुरुआत से लेकर अब तक एक विनम्र, परन्तु संकल्पवान प्रयास की तरह काम करता आ रहा है। बेशक पंख पसारने लायक घोंसला अभी छोटा मालूम पड़ता है-कुल जमा तीन सौ के लगभग किताबें और पल प्रतिपल (त्रैमासिक पत्रिका) के सत्तरेक अंक। परन्तु यहां कम से कम आकाश के एक टुकड़े को मापने के लिए परवाज़ भरने का संकल्प भी हमेशा हमारे साथ रहा है। किताबें छापने के लिए एक दृष्टि हमेशा हमारे लिए कसौ

टी बनी है। सामाजिक रूपांतरण और मनुष्य की मुक्ति के लिए साहित्य भले ही बहुत बड़ी भूमिका निभाता दिखाई दे या न दे, किन्तु हमारे लिए वही चुनाव और हर तरह के फैसलों का 'आधार' है। यही 'आधार प्रकाशन' के होने की वजह है, जो समाज के आधारभूत नींव की ईंटों जैसे मनुष्यों और उनके सामाजिक वर्गों के सरोकारों में हमकदम होने की राह दिखाती है। व्यावसायिक बाजारवादी हालात के बीच इसलिए हमने कई ऐसे फैसले लिए हैं, जो इस लिहाज से 'कामयाब' प्रकाशनों से कुछ अलग हैं। आधार कविता मंच के अंतर्गत नवोदित कवियों के पहले संग्रहों के रूप में 14 पुस्तकें छापने का फैसला ऐसा ही है। उनमें से लगभग सभी पुस्तकें पुरस्कृत और खासी चर्चित रहीं परन्तु कविता का बाजार हमारे लिए भी जद्दोजहद की वजह बना रहा। हमने दिल्ली से इधर के हरियाणा, पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के सभी अहम रचनाकारों से जुडऩे और उनके साथ राष्ट्रीय फलक में शिरकत करने का जो प्रयास किया है, वह 'लोकल' को 'ग्लोबल' बनाने के हमारे इरादे का सूचक है। भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त गुरदयाल सिंह, साहित्य अकादमी विजेता अलका सरावगी, विनोदकुमार शुक्ल, मंगलेश डबराल, व्यास सम्मान प्राप्त परमानन्द श्रीवास्तव आदि के साथ इस अंचल के भगत सिंह, पाश, कुमार विकल, जगदीश चन्द्र, ओमप्रकाश ग्रेवाल, चमन लाल, विनोद शाही, तारा पांचाल, प्रदीप कासनी, रोहिणी अग्रवाल, हरनोट, राजकुमार राकेश और सुन्दर लोहिया जैसे रचनाकार हमारे आंचलिक सरोकारों की गवाही देते हैं। इसे अब हम और गहराने का संकल्प बांधे हैं। वेदों-उपनिषदों की रचनाभूमि कहे जाने वाले इसी अंचल से अब हम भारत की सांस्कृतिक विरासत की पुनव्याख्या में जुटाने और भारतीय नवजागरण के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए 'ज्ञानमीमांसा' सीरीज का आरंभ करने जा रहे हैं जिसके अंतर्गत हमने 'रामकथा : एक पुनर्पाठ', 'बुल्लेशाह : समय और पाठ' एवं 'गांधी का अहिंसक इंकलाब और हिन्द स्वराज' जैसी महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन किया है।

आधार प्रकाशन द्वारा प्रकाशित सुपरिचित कथाकार वीरेंद्र प्रताप यादव के उपन्यास ' नीला कॉर्नफ्लावर ' की वरिष्ठ गांधीवादी वि...
26/09/2025

आधार प्रकाशन द्वारा प्रकाशित सुपरिचित कथाकार वीरेंद्र प्रताप यादव के उपन्यास ' नीला कॉर्नफ्लावर ' की वरिष्ठ गांधीवादी विचारक प्रोफेसर मनोज कुमार की समीक्षा।

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के डॉक्टर वीरेंद्र की पुस्तक "नीला कॉर्नफ्लावर"बहुत दिन हुए मैंने पढ़ी, शिमला प्रवास में। उपन्यास पढ़ने की मुझे आदत नहीं रही, इसलिए नहीं की अच्छा नहीं लगता था। मुझे लगता था कि यह आत्मा रंजन के लिए ही है। समाज, बदलाव, परिवर्तन से बाहर। "नीला कॉर्नफ्लावर" उपन्यास में पात्र और विषय वस्तु के नाम कठिन हैं,कठिनाई का भी एक विज्ञान है, जो हमारे व्यवहार में नहीं रहता वह कठिन लगता है। कभी-कभी लोग अपनी विद्वता का प्रदर्शन करने के लिए भी, कठिन शब्दों का व्यवहार करते हैं। शब्दों के कठिनाई को समझते हुए लेखक ने फुट नोट में उसे स्पष्ट किया है। इसलिए थोड़ा समाधान हो जाता है।गांधी ने एक बार साहित्यकारों से कहा था कि आपका साहित्य गांव के लिए होना चाहिए। यह उपन्यास गांव की व्याख्या और सभ्यता की कथा के बहाने राष्ट्र,संस्कृति और पर्यावरण की चर्चा करते हुए पूंजीवाद के दंश को उजागर करती है। पूंजी ने सत्ता को और सत्ता ने ज्ञान को अपने अधीन कर लिया है।उपन्यास की साहित्यिक विधा मानव विज्ञान के चासनी में भली भांति लपेटी गई है, इसलिए पाठक इसमें मानव विज्ञान की सहभागी शोध प्रविधि और संचित ज्ञान की सहज अनुभूति ले सकते हैं।" कई बार ज्ञान के मुकाबले अज्ञानता अच्छी होती है" क्यों अच्छी होती है? पुस्तक इस पर विशद चर्चा करता है।राष्ट्रीयता और अंतरराष्ट्रीयता का द्वंद, पर्यावरण संरक्षण की पारंपरिक विधियां, आदिवासी समुदाय की चेतना इन सब को सूक्ष्मता से पुस्तक के 11खंडों में विश्लेषित किया गया है।इसमें से 10 खंड नदियों के नाम पर है,जिसमें अमेजॉन की सहायक नदियां तथा पूर्वी यूरोप और यूरोप की नदियों को रखा गया है। लेखक नदियों से सभ्यता को जुड़ा मानते है। नदी जीवन दायिनी है। आज नदिया संकट में है। पहाड़ सुने हो गए हैं। आधुनिक सभ्यता के दौर में जंगल भी नष्ट कर दिया गया है।अब नदिया बाढ़ लाने लगी है। जीबों के बीच का संतुलन खत्म हो चुका है।पूर्वी यूरोप से बाल्टिक सागर में मिलने वाली नदी नरोबा से पुस्तक शुरू होता है। गांव क्या है? उसकी क्या विशेषता है? "हर इंसान के अंदर उसके गांव की एक खास महक और ध्वनि होती है"। मार्टिन, स्वप्न और यथार्थ में गोते लगा रहा था, उसका बचपन गांव में बिता था। मातृभूमि से प्रेम के कारण, उसके पिता अपनी पत्नी से कहते हैं, जिसके नसीब में अपने देश में सुकून नहीं, उसे पूरी दुनिया में कहीं ठिकाना नहीं मिलता। दुनिया में सबसे सुरक्षित जगह घर होता है।बाहर से भी ज्यादा सुरक्षित, फिर सवाल वहीं से शुरू होता है, जब घर ही सुरक्षित ना हो, तब दुनिया वीभत्स लगती है। उपन्यास की एक पात्र लक्ष्मी प्रश्न करती है, जिसके पास घर ही ना हो, समाधान देती है, देश नाम की कोई संरचना नहीं, हर व्यक्ति का एक देश होता है। मेरे लिए देश जो मुझे पहचान दे,जिससे पेट चले, दरअसल कोई भी किसी देश का नागरिक नहीं होता। मानवता पुरानी है, जब की राष्ट्र एवं नागरिकता नई अवधारणा। लक्ष्मी का जन्म नीदरलैंड में हुआ। उसके बाबा भारतीय थे। वेस्टइंडीज में मजदूर बनकर रोजी रोजगार के लिए आए थे। डचों ने इन्हें गुलाम बनाया था। वे इनका शोषण करते थे। यहां डच के खिलाफ जन आंदोलन हुआ, परिणाम स्वरूप कॉलोनी स्वतंत्र हो गई। दक्षिण अफ्रीका में भारतीय गिरमिटिया के अधिकार के लिए लड़े गए, स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास के समरूप इसे खड़ा किया जा सकता है। साम्राज्यवाद के बाद लोकतंत्र की हवा दुनिया में चली और लगभग सभी देश स्वतंत्र हो गए। नव साम्राज्यवाद औद्योगिक या आर्थिक साम्राज्यवाद दुनिया पर हावी होता जा रहा है। तीसरी दुनिया को गरीबी में धकेल कर राष्ट्रवाद की घुट्टी पिलाई जा रही है। शस्त्रीकरण की होड़ नाहक पैदा की जा रही है। हम अपने विनाश का इतिहास लिखने वाले हैं ।पूंजी ने सत्ता को अपना गुलाम बना लिया है।स्वतंत्रता की अभिलाषा मृत्यु से अधिक शक्तिशाली होती है। निष्कर्ष यह निकलता है की राष्ट्र भूखंड नहीं है, यह जीवन है, ऐसा जीवन जो मृत्यु से परे है, अमर है।
सोमत्र पर पूर्व और पश्चिम दोनों तरफ से खतरा महसूस किया जा रहा था। गुलाम बनाने वाली औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ मन में विद्रोह है, इसका आक्रमण पूरब और पश्चिम दोनों ही तरफ से है। जिस तरह द्वितीय विश्व युद्ध के समय, एक तरफ साम्राज्यवादी देश थे दूसरी तरफ जापान का खतरा, भारतीय उपमहाद्वीप पर बना हुआ था। हमारे लिए साम्राज्यवाद और हिटलर शाही दोनों ही समान शोषणकारी व्यवस्था को,गांधी ने चुनौती दी थी।
पूर्वी यूरोप की गजा नदी शीर्षक में मार्टिन की पढ़ाई का जिक्र आता है। मार्टिन को पढ़ाई के लिए, नीदरलैंड भेज दिया जाता है। वह वहां की संस्कृति से भी परिचित होता है। पहले ही कक्षा में लक्ष्मी से उसका परिचय होता है। वहीं पर कक्षा में प्रोफेसर टीस संस्कृति पर चर्चा कर रहे हैं। संवाद यह है कि, कोई भी संस्कृति किसी भी दूसरी संस्कृति से कमतर नहीं होती। आदिम समाज को सभ्य बनाने के नाम पर गोरे लोगों ने अफ्रीका और एशिया के सीधे-साधे लोगों को गुलाम बनाया और अमेरिका के मूल निवासियों को कत्ल कर समाप्त ही कर दिया।अश्वेतों ही नहीं पूर्वी यूरोप के कई देशों को कब्रगाह बना दिया। डच संस्कृति लोगों को सभ्य बनाने के नाम पर यह सब करती रही आखिर प्रोफेसर ने समाधान दिया, संस्कृति एक व्यापक अवधारणा है, सिर्फ रहन-सहन और परंपराएं नहीं, बल्कि जो उन्हें पुराने पीढ़ी से प्राप्त होता है और अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करता है, वह सब संस्कृति है, मानव द्वारा निर्मित भौतिक और अभौतिक।प्रकृति, विकृति और संस्कृति; मेहनत करके खाना प्रकृति है और दूसरों का शोषण करना विकृति, विकृति संस्कृति नहीं हो सकती। श्री अरविंद संस्कृतियों के संगम से परिपक्व फल निर्मित करते हैं।विनोबा महात्मा गांधी को दो संस्कृतियों का संगम कहते हैं। हर समाज की अपनी विशिष्ट संस्कृति होती है। वह जब दूसरे संस्कृति को, हे दृष्टि से देखता है, मानव विज्ञान में इसे नृजातीय केंद्रीयता कहते हैं। हवा, परिंदे ,जीव सीमाओं को नहीं मानती। डॉक्टर लोहिया कहा करते थे, पानी ढलान की ओर जाता है इसलिए देश की सीमा नदिया बनती है ।
कोई भी जीव अपने जाति के जीबो को नहीं खाता। इस जाति के छोटे-छोटे पौधे पेड़ के नीचे पनप रहे थे। सूरज की रोशनी के लिए प्रतिस्पर्धा करता हुआ पेड़, आगे बढ़ रहा था। प्रतिस्पर्धा में ताकत वाला पेड़, दूसरे पेड़ों को बढ़ने नहीं देता।लेकिन अपने जाति को जिंदा रखना है, फिर मानव नरभक्षी कैसे हो सकता है? हर पेड़ पौधा पूर्वजों की आत्मा कही जाती है।वर्षावन का हर जीव, हर पौधा, मिट्टी, नदी सभी पूर्वजों की आत्मा है। यह सिर्फ प्रश्न नहीं है, बल्कि उस समय की स्थिति को दर्शाता है। यही कथा है, इन्हीं दंत कथाओं में प्रकृति के साथ सहजीवन का स्पष्ट संकेत मिलता है। इसी कारण नुआ, जीवो के प्रजनन काल के समय, इसका शिकार नहीं करते। हमारे यहां अश्विन के महीने में मछली मारने की मनाही रहती है।वे मादा और छोटे बच्चों को अपना शिकार नहीं बनाते थे। यह मातृबंशी परिवार है। यहां स्त्री पुरुष प्रेम संबंध बनाने के लिए स्वतंत्र थे।
स्वर्ण को ये शापित वस्तु मानते हैं, इसकी रक्षा करते हैं। पृथ्वी की हर वस्तु सबकी है, सबकी साझी संपत्ति है। जिस दिन नुआ ऐसी संस्कृति,जिन्हें हम अब तक जंगली औरअसभ्य मानते रहे हैं, जब समाप्त हो जाएगी, तो पृथ्वी नष्ट हो जाएगी।
बहुत मेहनत से मार्टिन ने अध्ययन किया, मोनोग्राफ लिखा, उसे अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ एंथ्रोपोलॉजी में प्रस्तुत किया। उसका उपयोग या कहिए दुरुपयोग, यानी ज्ञान का दुरुपयोग, पूंजीवादी सभ्य कहीं जाने वाली जातियों ने वर्षा वन को उजाड़ कर, बर्बाद कर किया है। सदाबहार पेड़ ठूठ में बदल गए हैं, बस्तियां राख में तब्दील हो गई है। इस तबाही के लिए कौन जिम्मेदार है?
एक साथ कई संदेश यह पुस्तक दे जाती है, क्या आज भी साहित्य संचार की सर्वोत्तम विधा है? मेरे कहने का अर्थ कविता, कहानी और उपन्यास से है। मानव मस्तिष्क को सर्वाधिक उद्वेलित साहित्यिक विधा ही करती है। यही समवाय की पद्धति है, जिसको अंग्रेजी में को- रिलेशन कहते हैं। गांधी ने बुनियादी तालीम में इन्हीं पद्धतियों की सिफारिश की थी। लेकिन इसके लिए लेखक को दोनों ही विद्या में निष्णात होना चाहिए। उपन्यासकार या लेखक जो भी कह लीजिए, उसने एक तरफ पश्चात परंपराओं को भारतीय परंपरा या औद्योगिक सभ्यता के दुष्परिणाम को प्रदर्शित करने के लिए इस्तेमाल किया है। बहुत दिन पहले मैंने अवकाश का उपयोग कर शिमला जाने और वहां पर ठहरने की अवधि में इस पुस्तक को समझने की कोशिश की। आज जब भागलपुर जिला के पीरपैंती प्रखंड में खेती की अच्छी जमीन जिस पर 10 लाख पेड़ लगे हैं। आम की उत्तम खेती होती है। इसी से तो भागलपुर का नाम है। इसे अदानी समूह को₹1 प्रति डिसमिल यानी मुफ्त कहिए दे दी गई है। इस त्रासदी को मैं इस उपन्यास के संकेत से जोड़ने की कोशिश की। सोचा यह क्या नया हो रहा है। संस्कृति को नष्ट कर दिए बिना पूंजीबाद पनप नहीं सकता। वही सब यहां भी होगा। यह अंग क्षेत्र है बंधु, अपवित्र स्थल यहां विकास के नाम पर विनाश के बीज बोए जा रहे हैं। हम तो वही चाहते हैं, कहानी लंबी होगी इसलिए रुकना होगा। लेकिन भारतीय परिस्थिति में, क्षेत्रीय परंपरा, इतिहास में क्षेत्रीय मानसिक धरोहर को वैज्ञानिकता के आवरण में सजाकर परोसने वाली अकादमिक जगत में सकारात्मक पहल की कोई हवा चलेगी?
प्रश्न रह जाता है, प्रश्न रहेगा, जवाब मेरे पास नहीं, वीरेंद्र के पास भी नहीं है, जवाब तो संस्कृति की परिभाषा करने वाले उस प्रोफेसर के पास है। हारा हुआ वह शोधार्थी या विद्यार्थी अपने शोध का दुरुपयोग देखकर बरसों के मेहनत को जला देता है। ज्ञान का पूंजीवादी इस्तेमाल भी हमारे दुर्दशा का कारण है। बहुत कुछ आप सोचिए?

वह जो दिखाई देता है, उसकी जड़ों को खोजना हो, तो नीचे की ज़मीन के अंधेरे में उतरना पड़ता है। - विनोद शाहीसुप्रसिद्ध कथाका...
26/09/2025

वह जो दिखाई देता है, उसकी जड़ों को खोजना हो, तो नीचे की ज़मीन के अंधेरे में उतरना पड़ता है। - विनोद शाही

सुप्रसिद्ध कथाकार एवं गद्यकार जयशंकर की गद्य त्रयी

गोधूलि की इबारतें
कुछ दरवाज़े, कुछ दस्तकें
पूर्व राग

पुस्तक से बड़ा कोई उपहार नहीं। यह उपहार किसी के जीवन को बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है, इसलिए किसी त्यौहार के दिन का इंतज़ार मत कीजिए। अपने किसी भी प्रियजन को दिया गया यह उपहार उनके जीवन को समृद्ध बनाने में मदद करेगा।

आप 9417267004 पर हम से संपर्क कर सकते हैं।

साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवि एवं प्रख्यात चित्रकार स्वर्णजीत सवी की पहचान नौवें दशक के उस चर्चित युवा कवि की है जिसने ...
25/09/2025

साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवि एवं प्रख्यात चित्रकार स्वर्णजीत सवी की पहचान नौवें दशक के उस चर्चित युवा कवि की है जिसने 'देहीनाद' जैसी उत्तरआधुनिक कविता लिख कर पंजाबी कविता को एक नयी दिशा दी। यह उनकी कविता की विशेषता है जो पाठकों को प्रेरित करती है और उन्हें नई सोच की ओर ले जाती है। हालांकि उनका पहला कविता संग्रह 1985 में प्रकाशित हुआ और 'देहीनाद' 1994 में। इन दस बरसों में स्वर्णजीत सवी अपने चार प्रकाशित चर्चित कविता संग्रहों से एक पुख्ता पहचान बना चुके थे। हमें उल्लेख करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि 1994 में उनके इस चर्चित कविता संग्रह 'देहीनाद' को आधार प्रकाशन द्वारा पंजाबी - हिंदी (द्विभाषी संस्करण) में प्रकाशित किया गया तो वह संग्रह हिंदी और पंजाबी पाठकों के बीच समान रूप से खूब चर्चा में रहा और जल्द ही उसका पूरा संस्करण बिक भी गया। आज जब स्वर्णजीत सवी के दर्जन भर से अधिक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं तो उनके प्रतिनिधि कविता संग्रह की मांग युवा कवियों और पाठकों के बीच बराबर रही है। पिछले माह हमने पंजाबी के सुप्रसिद्ध आलोचक प्रो योगराज जी से अनुरोध किया कि वे स्वर्णजीत सवी की प्रतिनिधि कविताओं का एक चयन आधार प्रकाशन के लिए तैयार कर दें तो उन्होंने सहर्ष हमारे प्रस्ताव को स्वीकार किया और कहा कि हिंदी में किसी अच्छे अनुवादक से ही अनुवाद करवायें। आज वह सुखद अवसर था जब स्वर्णजीत सवी ने आधार प्रकाशन के साथ तीन भाषाओँ (पंजाबी, हिंदी और अंग्रेजी) के लिए एक साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किये। आधार के लिए यह पहली किताब है जिसे हम एक साथ तीन भाषाओँ में प्रकाशित करेंगे। अच्छा साहित्य भाषा की सरहदों को तोड़कर कब दूर दूर तक फैलने लगता है पता ही नहीं चलता। यह मामला वैसा ही है जैसे किसी फूल के खिलते ही दूर दूर तक उसकी सुगंध से पता चल जाता है कि कहीं कुछ जरूर खिला है। उम्मीद है पंजाबी की कविता हिंदी और अंग्रेजी की मार्फ़त उन तमाम अदृश्य पाठकों को खोज लेगी जो इस तरह की कविताओं की उम्मीद में बैठे चुपचाप प्रतीक्षा कर रहे होते हैं। आधार इस आयोजन का हेतु बन रहा है इसकी प्रसन्नता भी है और गर्व भी। 🎉📚💫

सुप्रसिद्ध कथाकार हरि भटनागर आधार प्रकाशन के साथ गहरे जुड़ाव वाले संबंधों का एक जीवंत उदाहरण हैं। उनकी तीन महत्वपूर्ण कह...
24/09/2025

सुप्रसिद्ध कथाकार हरि भटनागर आधार प्रकाशन के साथ गहरे जुड़ाव वाले संबंधों का एक जीवंत उदाहरण हैं। उनकी तीन महत्वपूर्ण कहानी संग्रह आधार प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुए और साहित्यिक जगत में खासी चर्चा में रहीं। मध्यप्रदेश साहित्य परिषद् भोपाल द्वारा प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका साक्षात्कार के लंबे समय तक संपादक पद पर आसीन रहे और उपनिदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने 'रचना समय' जैसी महत्वपूर्ण पत्रिका की शुरुआत की और उनके कुशल संपादन में कई यादगार अंक प्रकाशित हुए। हाल ही में उनका उपन्यास भी प्रकाशित हुआ है। हमें यह बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि हरि भटनागर जी अब आधार प्रकाशन के साथ संपादक के रूप में जुड़ गए हैं। आधार प्रकाशन परिवार उनका हार्दिक स्वागत करता है। साहित्य और संपादन में उनके व्यापक अनुभव आधार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। हमारे प्रस्ताव को स्वीकार कर उन्होंने आधार की टीम को मजबूत बनाने में भी सहयोग दिया है। 🎉📚💕

सुप्रसिद्ध कथाकार सुदर्शन वशिष्ठ का आज जन्मदिन है । आधार प्रकाशन परिवार की ओर से उन्हें ढेरों  शुभकामनायें। हम उनकी सफल-...
24/09/2025

सुप्रसिद्ध कथाकार सुदर्शन वशिष्ठ का आज जन्मदिन है । आधार प्रकाशन परिवार की ओर से उन्हें ढेरों शुभकामनायें। हम उनकी सफल- सुखद एवं यशस्वी जीवन की कामना करते हैं। उल्लेखनीय है कि गतवर्ष आधार चयन सीरीज के अंतर्गत सुदर्शन वशिष्ठ जी की कहानियों का एक चयन आधार प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। आगामी सेट में उनकी महत्वपूर्ण गद्य पुस्तक ' किन्नर कैलास से मणिमहेश ' किया जा रहा है। 🎉🎂🎁

हिंदी के प्रतिभाशाली कथाकार तरुण भटनागर का आज जन्मदिन है । आधार प्रकाशन परिवार की ओर से उन्हें ढेरों  शुभकामनायें। हम उन...
24/09/2025

हिंदी के प्रतिभाशाली कथाकार तरुण भटनागर का आज जन्मदिन है । आधार प्रकाशन परिवार की ओर से उन्हें ढेरों शुभकामनायें। हम उनकी सफल- सुखद एवं यशस्वी जीवन की कामना करते हैं। उल्लेखनीय है कि आधार प्रकाशन से प्रकाशित तरुण जी का उपन्यास 'लौटती नहीं जो हंसी' और कहानी संग्रह 'जंगल में दर्पण' बहुचर्चित व पुरस्कृत रहे हैं। आदिवासी जनजीवन पर केन्द्रित उनका उपन्यास 'राजा, जंगल और काला चाँद' को पांच वर्ष पहले उज्जैन पुस्तक मेला में जारी किया गया था। जो पाठकों व आलोचकों द्वारा खूब सराहा गया । हाल ही में यह उपन्यास अंग्रेज़ी में भी प्रकाशित हुआ है। जिसकी वजह से यह उपन्यास फिर से चर्चा के केंद्र में है। दो वर्ष पहले प्रकाशित उनका नया कहानी संग्रह 'प्रलय में नाव' भी खूब चर्चा में रहा है और यह पिछले वर्ष की बेस्टसेलर किताब भी रही है। उल्लेखनीय है कि पल प्रतिपल 90 उपन्यास अंक में एक पूरा खंड तरुण भटनागर जी पर एकाग्र है। इन दिनों वे अगले महत्वपूर्ण उपन्यास पर काम कर रहे हैं । जिस उपन्यास का एक अंश भी पल प्रतिपल के इस विशेषांक में प्रकाशित किया गया था। 🎉🎂🎁

23/09/2025

#चर्चित_किताब

नीला कॉर्नफ्लॉवर ( उपन्यास )/ वीरेन्द्र प्रताप यादव
https://www.amazon.in/dp/B0CWLBKLHN

 #चर्चित_किताब नीला कॉर्नफ्लॉवर ( उपन्यास )/ वीरेन्द्र प्रताप यादव
23/09/2025

#चर्चित_किताब

नीला कॉर्नफ्लॉवर ( उपन्यास )/ वीरेन्द्र प्रताप यादव

Novel

  पुरोगामी / राकेश वानखेड़े मराठी से अनुवाद : उषा बेरागकर आठले  ISBN : 978-93-92635-93-8 मूल्य : 495 रूपये https://aadha...
22/09/2025



पुरोगामी / राकेश वानखेड़े
मराठी से अनुवाद : उषा बेरागकर आठले

ISBN : 978-93-92635-93-8 मूल्य : 495 रूपये
https://aadharprakashan.com/booksList/book-detail?bookId=110737&languageShortName=&listType=&listId=&publishersPage=true&categoryShortName=&requestOriginatedCountry=India

किताबें जो ज़िंदगी को बेहतर बनाएं।
https://aadharprakashan.com

अमेज़न पर भी उपलब्ध

 सुप्रसिद्ध आलोचक एवं कवि उमा शंकर चौधरी की आधार प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पांच महत्वपूर्ण पुस्तकें -' अंधेरा कोना ' (उपन्...
22/09/2025



सुप्रसिद्ध आलोचक एवं कवि उमा शंकर चौधरी की आधार प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पांच महत्वपूर्ण पुस्तकें -' अंधेरा कोना ' (उपन्यास), ' कट टू दिल्ली ' ( कहानी संग्रह ), ' वे तुम से पूछेंगे डर का रंग ' ( कविता संग्रह), विमर्श में कबीर और दलित विमर्श ।

अंधेरा कोना

https://aadharprakashan.com/booksList/book-detail?bookId=110118&languageShortName=&listType=&listId=&publishersPage=true&categoryShortName=&requestOriginatedCountry=India

कट टू दिल्ली

किताबें जो ज़िंदगी को बेहतर बनाएं।
https://aadharprakashan.com

अमेज़न पर भी उपलब्ध@

आज से शुरू हो रहे सप्ताह के लिए, आधार प्रकाशन अपने पाठकों के लिए एक विशेष अवसर लेकर आया है, जिसमें Author of the Week और...
22/09/2025

आज से शुरू हो रहे सप्ताह के लिए, आधार प्रकाशन अपने पाठकों के लिए एक विशेष अवसर लेकर आया है, जिसमें Author of the Week और Book of the Week की घोषणा के साथ-साथ पाठकों को अपनी वेबसाइट से जुड़ने का मौका मिलेगा। इस सप्ताह के Author of the Week, सुप्रसिद्ध कथाकार एवं कवि उमाशंकर चौधरी की पांच महत्वपूर्ण पुस्तकें ' अंधेरा कौना ' ( उपन्यास ), ' कट टू दिल्ली ' ( कहानी संग्रह ), ' वे तुमसे पूछेंगे डर का रंग ' ( कविता संग्रह), और विमर्श में कबीर एवं दलित विमर्श ' ( विमर्श ) पाठकों के लिए विशेष रूप से प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अलावा, Book of the Week के रूप में प्रख्यात मराठी उपन्यासकार राकेश वानखेड़े के सद्य: प्रकाशित उपन्यास 'पुरोगामी' पर पूरा फोकस केंद्रित किया जाएगा। पाठकों को ऑनलाइन बातचीत, समीक्षाएं, लेखक से संवाद और पाठकों की प्रतिक्रियाओं के माध्यम से इन किताबों के बारे में विस्तार से जानने का अवसर मिलेगा। विशेष रूप से, पाठक इन किताबों को विशेष छूट के साथ 25% और फ्री पोस्टेज के साथ प्राप्त कर सकते हैं। यह विशेष छूट केवल इस सप्ताह में मिले आदेशों पर मिलेगी। आज से शुरू हो रहे सप्ताह, 22 सितंबर से 28 सितंबर 2025 के लिए Author of the Week और Book of the Week की घोषणा करते हुए हमें खुशी हो रही है। 🎉📚💫🎈

Address

S C F 267 Sector 16
Panchkula
134113

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when आधार प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to आधार प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड:

Share

Category