03/11/2025
🌿💫 तुलसी विवाह — प्रेम, समर्पण और शुद्धता की अनन्त गान 💫🌿
कार्तिक मास की शुक्ल एकादशी को जब तुलसी विवाह का पर्व आता है,
पूरा ब्रह्माण्ड भक्ति से भर उठता है।
आज रानी तुलसा का स्वयंवर श्रीहरि विष्णु से होता है।
हर आँगन में मंगल गीत गूँजते हैं —
यह दिन कोई साधारण पर्व नहीं —
यह दिन है प्रेम और भक्ति के मिलन का उत्सव।
जहाँ तुलसी केवल एक पवित्र पौधा नहीं,
बल्कि नारायण के हृदय की सखी, भक्तों की माँ, और शुद्धता की मूर्ति हैं।
> “हाड़ महीने दी चाँदनी तीज,
किसने बीजी तुलसा प्यारी…” 🌿
यह दिन कोई साधारण पर्व नहीं —
यह दिन है प्रेम और भक्ति के मिलन का उत्सव।
जहाँ तुलसी केवल एक पवित्र पौधा नहीं,
बल्कि नारायण के हृदय की सखी, भक्तों की माँ, और शुद्धता की मूर्ति हैं।
माली तुलसी का बीज बोता है,
माता तुलसी फूल बनकर खड़ी होती हैं।
श्रीकृष्ण स्वयं वर बनकर आते हैं,
और तुलसी रानी के साथ सात फेरे लेते हैं।
सखियाँ गाती हैं, दीपक जलते हैं,
गंगा-यमुना, ब्रह्मा-विष्णु सब साक्षी बनते हैं।
इसलिए हर आरती, हर पूजा में तुलसी-दल चढ़ाना
दरअसल हमारे समर्पण का प्रतीक है —
कि हम अपने भीतर के अहंकार को भक्ति में समर्पित कर रहे हैं।
यह विवाह केवल एक रीति नहीं,
बल्कि भक्ति और सेवा के मिलन का प्रतीक है —
जहाँ तुलसी माँ समर्पण हैं,
और श्रीहरि स्वीकार हैं।
प्रेम का चरम स्वरूप 💫
तुलसी विवाह केवल एक वैवाहिक संस्कार नहीं,
यह ईश्वर और आत्मा के मिलन की कथा है।
जैसे तुलसी श्रीहरि के साथ एकाकार हो जाती हैं,
वैसे ही भक्त अपनी आत्मा को ईश्वर में विलीन कर देता है।
सखियाँ मंगल गा रही हैं —
> “ज्यों-ज्यों गंगा लैवे तलंगा,
तुलसा सोवे श्री ठाकुर अंगा…” 💫
अंत में आरती होती है —
> “जो कोई तुलसा दी आरती गावे,
बसे बैकुंठ परम पद पावे…” 🌸
दो नहीं, एक प्राण हैं 🌺
जब तुलसी रानी फेरे लेती हैं,
यह विवाहbसच्चा प्रेम स्वार्थहीन है,
सच्चा समर्पण प्रतिदान नहीं मांगता,
और सच्ची भक्ति वाणी से नहीं, कर्म से गाई जाती है।
तुलसी विवाह हमें याद दिलाता है —
कि ईश्वर हमारे घर तभी आते हैं
जब हमारे भीतर पवित्रता और विनम्रता बसती है।
हर तुलसी के पत्ते में हरि का वास है,
हर भक्त के प्रेम में राधा का स्पर्श है।
तुलसी कहती हैं —
“भक्त वो नहीं जो दीप जलाए,
भक्त वो है जो अपने भीतर का अंधकार बुझाए।” 🌿✨
“तुलसी बिना श्रीहरि पूजन अधूरा,
तुलसी संग श्रीहरि का वास सदा पूरा।” 🌿💖
🌼 अंत में… 🌼
जो भी इस दिन तुलसी विवाह का पूजन करता है,
भक्ति से तुलसी आरती गाता है —
वह अपने जीवन में हरि की कृपा को पाता है।
उसके घर में वैकुण्ठ का वास होता है,
उसके मन में सदा प्रेम का उजास होता है।
> 🌿 “जो कोई तुलसा दी आरती गावे,
बसे बैकुंठ परम पद पावे…” 💫
जय तुलसी वृंदावनी माँ की जय!
जय श्रीहरि गोविन्द, जय श्रीकृष्ण नारायण! 🌸
भक्ति का यह मिलन युगों-युगों तक हर हृदय में गूंजता रहे… 💖
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