27/11/2025
"ज़िंदादिल शौकत हर पल मर रहा है: आप ही हैं आसमीन की मोहब्बत की आख़िरी उम्मीद, एक शेयर से बच सकती है जान।"
दर्द और तकलीफ़ से लबालब इस कहानी को सुनने के लिए आपको सबसे पहले हिम्मत चाहिए। आगे जो हम बताने वाले हैं उसे पढ़कर यकीनन आप अपनी आँखों से बहने वाले अश्रु चाहकर भी संभाल नहीं पाएँगे, सच है, बेकाबू आँसुओं पर आप काबू नहीं कर पाएँगे।
इस कहानी में वैसे सब कुछ शामिल है—गरीबी, लाचारी, बेबसी, मजबूरी, और मोहब्बत का मज़बूत होने से लेकर हिम्मत का टूटना तक । ये दर्द है उस शौकत अली का जो पिछले 4 सालों से कभी न थमने वाले दर्द के साथ जीने को मजबूर है।
अपने शौहर की हालत देखकर 26 साल की आसमीन रो-रोकर पत्थर हो गई। अपने पति के पाँव के पास बैठकर सिर्फ़ तकलीफ़ में बिना सिसक के तड़पने के उसके पास कोई रास्ता नहीं बचा है।
रूह तक कंपा देने वाली ये कहानी है उस शौकत अली की जो बस इस उम्मीद के सहारे ज़िंदा है कि कोई तो उसकी जान बचाएगा।
ज़िंदादिल शौकत अली हर पल मर रहा है, बस साँसें शरीर का साथ नहीं छोड़ रही हैं। हालत देखिए, तकलीफ़ जीने नहीं दे रही है और बेग़म की बेइंतहा मोहब्बत उसे मरने नहीं दे रही है।
कई सालों से आसमीन अपने शौहर की सेवा करने में लगी हुई है।
शौकत अली भी कभी आपकी और हमारी तरह था। पूरे परिवार का ज़िम्मा उसके मज़बूत कंधों पर था, घर वालों की हर ख़्वाहिश शौकत अली पूरी कर रहा था।
वक़्त की नज़ाकत देखिए, जिस वक़्त उसकी खेलने-कूदने की उम्र थी, हालत ने उसके हाथों में उस वक़्त ट्रैक्टर का स्टीयरिंग थमा दिया।
सब कुछ ठीक चल रहा था, अभी निकाह यानी शादी किए कुछ ही साल हुए थे कि मोटरसाइकिल और कार हादसे में उसकी टाँग बुरी तरह टूट गई।
सब कुछ दाँव पर लगाकर पाँव का इलाज करवाया। कुछ ही दिनों के बाद फिर से अपने घर की हालत देखकर ट्रैक्टर चलाने लगा। टाँग के अंदर जो रॉड पड़ी थी, वह पाँव के अंदर ही टूट गई।
उसी दर्द और तकलीफ़ में शौकत काम पर लगा रहा। किसी तरह हरबर्टपुर के लेहमन अस्पताल में दो सालों तक इलाज चला। जान तो बच गई लेकिन टाँग की हालत हर दिन ख़राब होती जा रही थी।
इसी बीच शौकत के इलाज के लिए स्टिंगबाज़ टीम ने शौकत की मेडिकल हिस्ट्री को खंगाला। लेहमन अस्पताल की डॉक्टर टीम से बात की। इसके बाद मोहाली के मैक्स हॉस्पिटल के अनुभवी डॉक्टरों ने पहले ऑपरेशन में जो शिकंजा शौकत के पाँव में लगा था उसे हटाया। आगे कई चरणों में ऑपरेशन होने थे।
शौकत के इलाज के लिए क़रीब 50,000 रुपये की क्राउडफ़ंडिंग हो पाई जिसमें 'बेहला सरदार' नाम से जाने जाने वाले, पूरे हिमाचल प्रदेश की तकलीफ़ समझने वाले समाजसेवी सरबजीत सिंह बॉबी, पांवटा साहिब टोका के 'ख़ुदा का नेक बंदा' समाजसेवी ताहिर हुसैन बिट्टू, रिटायर्ड शिक्षिका समाजसेवी वाना रैना, पांवटा साहिब में 'काम का बंदा कामा भाई' नाम से जाने जाने वाले लंबू क्रेन सर्विस वाले समाजसेवी जसविंद्र सिंह कामा ने सहयोग किया, जिससे शुरुआती इलाज मुमकिन हो पाया।
आगे का इलाज लाखों में होना है, वहीं शौकत अली की टाँग सड़ने लगी है। अगर समय रहते शौकत का इलाज नहीं हो पाया तो टाँग तो काटनी ही पड़ेगी, ज़िंदगी भी दाँव पर लग सकती है। आप सबसे गुज़ारिश है, आप जो भी सहयोग कर पाएँ शौकत को बचाने के लिए कीजिए। आपकी छोटी सी मदद भी शौकत को बचाने में अपनी बड़ी भूमिका निभाएगी।
हो सके तो आप इस पोस्ट को बिना समय गँवाए शेयर कर दीजिए। आपके इस नेक काम से शौकत को बचाने की ये मुहिम हर दानी तक पहुँच पाएगी। आसमीन की मोहब्बत ज़िंदा रहेगी।