27/09/2025
एविशन की दुनिया में नीरजा भनोट एक ऐसा नाम है, जिसकी चर्चा हमेशा होती रहती है. नीरजा भनोट एक ऐसी फ्लाइट पर्सर यानी सीनियर एयर होस्टेस थीं, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए किए 1986 में हुए एक विमान अपहरण की घटना में 360 लोगों की जान बचाई थी. कराची के जिन्ना हवाई अड्डे पर मुंबई से उड़ान भरने वाले विमान का हाइजैक फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने कर लिया था. नीरजा भनोट ने बेमिसाल काम किया था और शहीद हुई थीं.
बचपन और परिवार
नीरजा का बचपन चंडीगढ़ में बीता। पिता हरीश भनोट जाने-माने पत्रकार थे। बेटी को वे प्यार से "लाडो" बुलाते थे। कुछ समय बाद उनका परिवार मुंबई आ गया। पढ़ाई के बाद उन्होंने मॉडलिंग शुरू की और फिर एयरलाइंस जॉइन किया। वहीं उन्होंने एंटी-हाईजैकिंग कोर्स भी पूरा किया, जिसने आगे चलकर उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा अध्याय लिखा।
अधूरी शादी, नई शुरुआत
सिर्फ 21 साल की उम्र में नीरजा की शादी खाड़ी देश के एक बिजनेसमैन से हुई। लेकिन जब ससुरालवालों ने दहेज की मांग की, तो उन्होंने दो महीने के भीतर ही रिश्ता तोड़ दिया और मुंबई लौट आईं। यहां उन्होंने अपने करियर को नई दिशा दी और पैन एम एयरलाइंस में बतौर एयर होस्टेस जॉइन किया।
5 सितंबर 1986 वह दिन जिसने इतिहास लिखा
पैन एम फ्लाइट 73 मुंबई से न्यूयॉर्क जा रही थी, कराची एयरपोर्ट पर इसका स्टॉपओवर था। यहीं चार हथियारबंद आतंकियों ने विमान को हाईजैक कर लिया। नीरजा ने तुरंत पायलट को खबर दी, जिससे वे कॉकपिट से सुरक्षित निकल पाए। आतंकियों की योजना फ्लाइट को साइप्रस ले जाकर अपने बंदी साथियों को छुड़ाने की थी, लेकिन नीरजा की सूझबूझ से उनका प्लान विफल हो गया।
17 घंटे तक यात्री दहशत में रहे। आतंकियों ने फायरिंग शुरू की और ग्रेनेड फेंके। नीरजा ने हिम्मत दिखाते हए यात्रियों को डमरजेंसी गेट से बाहर निकालना शुरू किया। जब वे तीन बच्चों को सुरक्षित बाहर ले जा रही थीं, तभी आतंकियों ने उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया। 23 साल की उम्र में उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए, लेकिन 360 लोगों की जान बचा ली।
आखिरी संदेश और आंखें नम कर देने वाला पल
मृत्यु से पहले नीरजा ने अपनी मां को आखिरी संदेश भेजा था। कहा जाता है कि उन्होंने राजेश खन्ना की फिल्म का डायलॉग दोहराया था "पुष्पा, आई हेट टीयर्स।" यह संदेश सुनकर हर किसी की आंखें नम हो गईं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान
नीरजा की वीरता को दुनिया ने सलाम किया।
भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र दिया यह सम्मान पाने वाली वह सबसे कम उम्र की महिला बनीं।
पाकिस्तान सरकार ने उन्हें तमगा-ए-इंसानियत दिया।
अमेरिका ने स्पेशल करेज अवॉर्ड और फ्लाइट सेफ्टी फाउंडेशन ने हीरोइज्म अवॉर्ड दिया।
2004 में भारत सरकार ने उनके नाम से डाक टिकट जारी किया।
2016 में उनकी जिंदगी पर फिल्म "नीरजा" बनी, जिसने नई पीढ़ी को उनकी कहानी से जोड़ा।
नीरजा की विरासत
नीरजा भनोट ने साबित किया कि सच्चा साहस सिर्फ युद्धभूमि पर नहीं, बल्कि किसी भी परिस्थिति में दिखाया जा सकता है। उन्होंने अपने लिए सुरक्षित रास्ता होने के बावजूद बच्चों और यात्रियों को बचाने का चुनाव किया। यही उन्हें अमर बनाता है। नीरजा ने दिखाया कि एक इंसान की हिम्मत सैकड़ों जिंदगियों को बचा सकती है।