दूनिया के गजब तथ्य

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`साईं पल्लवी` वो नाम है, जो इस चम`कती-दम`कती फिल्म इंड`स्ट्री में बिना मेकअप के ही लाखों दिलों पर राज करती हैं। लेकिन क्...
07/07/2025

`साईं पल्लवी` वो नाम है, जो इस चम`कती-दम`कती फिल्म इंड`स्ट्री में बिना मेकअप के ही लाखों दिलों पर राज करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी पहली फिल्म "Premam" की शूटिंग के दौरान डा`यरेक्टर ने उनसे कहा था, "तुम्हारा चेहरा फि`ल्मी हिरो`इन जैसा नहीं है, पर तुम्हा`री आं`खों में स`च्चाई है।" और वही स`च्चाई आज उनकी पह`चान है। एक और अन`सुनी बात — साईं पल्लवी ने एक बार एक करोड़ रुपये का फेयर`नेस क्रीम का विज्ञा`पन ठुक`रा दिया था, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो खुद कभी ऐसे उत्पा`दों में वि`श्वास नहीं रखतीं.इतना ही नहीं, वे आज भी अपने शूट के बीच खुद अपने खाने का ड`ब्बा पै`क करती हैं और शूट खत्म होने पर टीम के स्पॉट`बॉय को खुद पानी ऑफर करती हैं। साउथ की इस सादगी भरी रानी ने साबित कर दिया कि चेहरे पर च`मक मेक`अप से नहीं, नियत और नीयत से आती है। वो अभिने`त्री नहीं, एक सोच हैं — जो आज के युवाओं को खुद से प्यार करना सिखाती है.

"महा`त्मा गां`धी" जी की परपोती "आ`शीष ल`ता" रामगोबिन को दक्षिण अफ्रीका की एक अदा`लत ने धो`खा`ध`ड़ी और जा`ल`सा`जी के माम`...
26/06/2025

"महा`त्मा गां`धी" जी की परपोती "आ`शीष ल`ता" रामगोबिन को दक्षिण अफ्रीका की एक अदा`लत ने धो`खा`ध`ड़ी और जा`ल`सा`जी के माम`ले में दो`षी पाते हुए 7 सा`ल की स`जा सुनाई है। यह मामला डरबन का है, जहां उन पर कारोबारी दस्तावेज़ों और इनवॉइस में हेर`फेर कर 3.22 करोड़ रुपये (दक्षिण अफ्रीकी रैंड में लगभग 62 लाख) की ठ`गी करने का आ`रोप था। उन्होंने एक कारोबारी को यह विश्वास दिलाया था कि उन्हें बड़ी खे`प में आ`यात किए गए मेडि`क`ल सामा`न के भुगतान के लिए फंड की ज़रूरत है, जिसके बदले में उस कारो`बारी को मुनाफे का हि`स्सा देने का झांसा दिया गया था। यह फैसला का`नू`नी प्रक्रि`या का हिस्सा है और किसी भी व्यक्ति विशेष के सम्मान को ठे`स पहुँचाने का उद्देश्य नहीं है, आप अपने विचार नीचे जरूर देना दोस्तों...

एक टूटी-फूटी झोपड़ी, दीवारों पर रेंगती धू`प, और एक कोने में बैठी वो लड़की—जिसने गरीबी को अपना गुरु बना लिया। यू`पी बोर्ड...
24/06/2025

एक टूटी-फूटी झोपड़ी, दीवारों पर रेंगती धू`प, और एक कोने में बैठी वो लड़की—जिसने गरीबी को अपना गुरु बना लिया। यू`पी बोर्ड की 12वीं परी`क्षा में टॉप करने वाली ये मजदूर की बेटी सिर्फ किताबें नहीं पढ़ती थी, वो हर दिन अपने पिता के पसीने को अपना पाठ समझती थी। बहुत कम लोग जानते हैं कि उसने पढ़ाई के लिए पुराने अखबारों और सब्जी लाने वाले थैलों पर नो`ट्स` बनाए, क्योंकि कॉपियां खरीदने के पैसे नहीं थे। बिजली नहीं थी, तो लालटेन की रोशनी में रातें बिताईं—और तब जाकर वो उजाला कमाया, जो आज पूरे गाँव में मिसाल बन चुका है। उसकी सफलता कोई अखबार की हैड`लाइन नहीं, वो संदेश है कि सपनों की ऊंचाई छत की ऊंचाई से नहीं, जि`द की गहराई से तय होती है```

2001 में सिंगापुर जनरल हॉ`स्पिटल के ऑ`रे`शन थिएटर में इतिहास तब लिखा गया, जब 20 डॉक्टरों की टीम ने लगातार 103 घंटे तक बि...
24/06/2025

2001 में सिंगापुर जनरल हॉ`स्पिटल के ऑ`रे`शन थिएटर में इतिहास तब लिखा गया, जब 20 डॉक्टरों की टीम ने लगातार 103 घंटे तक बिना थके काम करते हुए नेपाल की 11 महीने की जुड़वा बहनों—गंगा और जमुना श्रेस्था—को सफ`ल`तापूर्वक अलग किया। ये सिर्फ स`र्जरी नहीं, बल्कि इंसानी धैर्य, विज्ञान और दया की परीक्षा थी। बहुत कम लोग जानते हैं कि इस सर्जरी से पहले डॉ`क्टरों ने 3D प्लास्टिक मॉडलों और कम्प्यूटर सिमुलेशन से छह महीने तक अभ्यास किया था, ताकि एक भी नस या रक्त`वहिनी गल`त न कटे। दोनों बच्चि`याँ सिर से जु`ड़ी हुई थीं—जिसे क्रैनियो`पै`गस ट्वि`न्स कहा जाता है, और उस समय ऐसी स`र्जरी की सफलता की संभावना मात्र 20% थी। ये ऑप`रेश`न विज्ञान की दुनिया का वो चमत्कार था जिसमें सैक`ड़ों बार ना`ड़ी रु`कने, ऑ`क्सी`जन गिरने और ब्ल`ड` लॉ`स होने के बा`वजूद इंसा`नियत जीत गई``

`फू:लन देवी` की कहानी सिर्फ एक बा:गी महिला की नहीं, बल्कि उस सामाजिक अ:न्याय की गूंज है जिसे एक द:लि:त लड़की ने गो:लि:यो...
24/06/2025

`फू:लन देवी` की कहानी सिर्फ एक बा:गी महिला की नहीं, बल्कि उस सामाजिक अ:न्याय की गूंज है जिसे एक द:लि:त लड़की ने गो:लि:यों से नहीं, अपने अस्तित्व से चु:नौती दी। बहुत कम लोग जानते हैं कि बं:doo:क उठाने से पहले फूलन देवी को मि:ट्टी से गहरे लगाव था—वो बचपन में हर दिन नदी किनारे मिट्टी से शिवलिंग बनाकर पूजा करती थीं और सपना देखती थीं कि एक दिन स्कूल की टीचर बनेंगी। लेकिन बा:ल विवा:ह, अ:त्या:चा:र और अ:प:मा:न ने उनके हाथ में किताब की जगह बं:doo:क थमा दी। चंब:ल की घाटियों में ड:र का नाम बनी इस महिला ने नारी शो:ष:ण और जा:ती:य उ:त्पी:ड़:न के खि:लाफ जो यु:'द्ध छेड़ा, वो का:नू:न के दायरे से परे था, लेकिन न्या:'य की प्यास से भरा था। बाद में संसद पहुंचकर उन्होंने लोकतंत्र की ताकत से ये साबित किया कि ब:दला"व की शु:रुआ:त बं:doo:क से हो सकती है, लेकिन उसका अंजा:म कलम से भी लिखा जा सकता है...

महाराष्ट्र की 14 वर्षीय `कार्तिका` उस समाज के लिए करारा जवाब है जो मानता है कि लड़कियाँ सिर्फ किताबों या रसोई तक सीमित ह...
24/06/2025

महाराष्ट्र की 14 वर्षीय `कार्तिका` उस समाज के लिए करारा जवाब है जो मानता है कि लड़कियाँ सिर्फ किताबों या रसोई तक सीमित होती हैं। स्कूल की छुट्टी के बाद जब बच्चे खेल में लग जाते हैं, `कार्तिका` `अपने पिता के साथ गैरेज में ग्रीस और औजारों के बीच गाड़ियों की मरम्मत करती है—कभी स्कूटर का इंजन खोलती है, तो कभी पंचर बनाती है। बहुत कम लोग जानते हैं कि कार्तिका ने यूट्यूब पर पुराने ऑटोमेकैनिक वीडियोज़ देखकर खुद इंजन की बेसिक टेक्नोलॉजी सीखी है। परिवार की आर्थिक तंगी ने उसे मजबूर नहीं, बल्कि मजबूत बनाया—वो कहती है, "अगर पापा दिन-रात मेरे लिए पसीना बहा सकते हैं, तो मैं भी उनके कंधे से कंधा मिलाकर काम करूंगी।" कार्तिका का हाथों का ग्रीस उसकी मेहनत का ताज है—और उसकी मुस्कान बताती है कि आत्मनि`र्भरता की उम्र नहीं होती``

`शिल्पी सोनी` की कहानी उन लड़कियों के लिए मशाल है जो सपनों को पैसों से नहीं, हौसले से तौलती हैं। राजस्थान के एक छोटे गां...
24/06/2025

`शिल्पी सोनी` की कहानी उन लड़कियों के लिए मशाल है जो सपनों को पैसों से नहीं, हौसले से तौलती हैं। राजस्थान के एक छोटे गांव की रहने वाली शिल्पी हर दिन 8 किलोमीटर साइकिल चलाकर कोचिंग जाती थीं—ना धूप की परवाह, ना थकान की शिकायत। परिवार की आर्थिक हालत ऐसी थी कि पढ़ाई के लिए कर्ज लेना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाय उस कर्ज को अपनी जिम्मेदारी बना लिया। बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने कई बार बिना ट्यूशन फीस के पढ़ने की गुज़ारिश की, और बदले में खुद बच्चों को पढ़ाकर अपना रास्ता बनाया। आज जब वो ISRO की टीम का हिस्सा बनी हैं, तो वो सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि लाखों बेटियों के सपनों की उड़ान बन चुकी हैं—यह साबित करते हुए कि अगर इरादा मज़बूत हो, तो साइकिल से निकली राह सीधा अंतरिक्ष तक जाती है"

झारखंड के गुमला ज़िले में एक चमत्कार सच्चाई बन गया, जब करीब 300 सेवानिवृत्त बुजुर्गों ने अपनी मेहनत की पेंशन से साढ़े ती...
24/06/2025

झारखंड के गुमला ज़िले में एक चमत्कार सच्चाई बन गया, जब करीब 300 सेवानिवृत्त बुजुर्गों ने अपनी मेहनत की पेंशन से साढ़े तीन करोड़ रुपये इकट्ठा कर एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण कराया—बिना किसी सरकारी मदद या चंदे के। यह मंदिर सिर्फ आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि उस पीढ़ी की जीवन भर की कमाई को धर्म, संस्कार और सेवा में बदलने की मिसाल है। इन बुजुर्गों ने अपने खर्चों में कटौती कर, त्योहारों और आराम की जगह ईंट-पत्थरों को भगवान भोलेनाथ के घर में ढाल दिया। खास बात ये है कि मंदिर निर्माण में एक भी पेशेवर ठेकेदार नहीं लगाया गया—हर निर्णय से लेकर हर ईंट की नींव तक, सब कुछ इन बुजुर्गों ने मिलकर किया। ये सिर्फ शिव का मंदिर नहीं, त`प, त्या`ग और सामूहिक चेतना की सबसे पवित्र मूर्ति है''

बिना हा`थों के जन्मे `विवेक कुमार` अटल ने जो किया वो सिर्फ परीक्षा पास करना नहीं, ज़िंदगी को नई परिभाषा देना था। बिहार क...
24/06/2025

बिना हा`थों के जन्मे `विवेक कुमार` अटल ने जो किया वो सिर्फ परीक्षा पास करना नहीं, ज़िंदगी को नई परिभाषा देना था। बिहार के औ`रंगाबाद ज़िले के इस होनहार बच्चे ने अपने पैरों से पेन पकड़`कर 10वीं की बोर्ड परीक्षा दी और 74.33% अंक हासिल कर यह साबित कर दिया कि हौसलों के आ`गे श`रीर की सी`माएँ हार मान लेती हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि विवेक ने कभी किसी स्पे`शल टूल या राइटर की मदद नहीं ली—हर अक्ष`र उसने अपने पैर की उंग`लियों से लिखा, वो भी पूरे अनुशासन और आत्मस`म्मान के साथ। उसकी माँ खेतों में काम करती हैं, और पिता मजदूरी—लेकिन विवेक का सपना है IAS अफसर बनना, ताकि वो औरों की तक़दीर बदल सके। ये कहानी सिर्फ एक छात्र की नहीं, उन लाखों युवाओं की उम्मीद है जो हर मुश्किल को पैरों तले कुचलकर आगे बढ़ना चाहते हैं``

`उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में कच्चे तेल का एक विशाल भंडार मिलने से पूरे देश में उत्साह की लहर है। यह खोज भारत की ऊर्ज...
23/06/2025

`उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में कच्चे तेल का एक विशाल भंडार मिलने से पूरे देश में उत्साह की लहर है। यह खोज भारत की ऊर्जा आत्मनि`र्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है, जो आने वाले समय में न केवल राज्य की आर्थि`क `स्थिति को मज़बूत करेगी, बल्कि रोज़गार के नए अवसर भी पैदा करेगी। पूर्वांचल की ज़मीन अब सोना उगलने को तैयार है``

भारत में एक नया एक्स`प्रेसवे रेगिस्तान के बीचों-बीच तेज़ी से बनाया जा रहा है, जो राजस्था`न के शुष्क और दुर्गम इलाकों को ...
23/06/2025

भारत में एक नया एक्स`प्रेसवे रेगिस्तान के बीचों-बीच तेज़ी से बनाया जा रहा है, जो राजस्था`न के शुष्क और दुर्गम इलाकों को आधुनिक इंफ्रास्ट्र`क्चर से जोड़ने का ऐति`हासिक काम करेगा। यह एक्स`प्रेसवे न सिर्फ सेना की आवाजा`ही को आ`सान बनाएगा, बल्कि टूरिज़्म, व्या`पार और स्थानीय लोगों की ज़िंदगी को भी रफ्तार देगा। तपते रेगिस्तान में दौड़ती ये सड़क विकास की नई कहानी लिख रही है...

अ:हमदाबाद का चंदोला तालाब, जो कभी शहर की पारं:परिक जलसं:रचना की पहचान हुआ करता था, अब 'मिनी बां:ग्लादेश' कहे जाने की वजह...
23/06/2025

अ:हमदाबाद का चंदोला तालाब, जो कभी शहर की पारं:परिक जलसं:रचना की पहचान हुआ करता था, अब 'मिनी बां:ग्लादेश' कहे जाने की वजह बना है—जहां वर्षों से अ:वै:ध बां:ग्लादेशी घु:सपै;ठियों की रिहा;इश और निर्मा;णों ने हा;;लात को वि:स्फ:टक बना दिया। पहले चरण में प्रशा;सन ने जब बुल;डोज़र चलाया, तो सिर्फ ढां;चे नहीं, कई संग;ठनों की नीं;दें भी टू;टीं। अब दूसरे चरण का एक्शन शुरू हो चुका है, और यह केवल अति;क्रम;ण नहीं, एक राज;नीति;क, सामा;जिक और सु;र;क्षा संतु;ल;न की ल;ड़ा;ई बन गया है। जो बात सामने कम आती है, वो ये कि इस इ;ला;के में कई फ;र्जी आ;धा;र, रा;श;न का;र्ड और बैं;क खा;तों का ने;ट;वर्क भी तै;या;र हो चुका था—जि;से ह;टा;ना अब सिर्फ बु;लडो;ज़र से नहीं, नी;ति और निग;रानी दो;नों से मु;मकि;न होगा;;

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