नई धारा

नई धारा नई धारा एक द्विमासिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। Instagram : https://www.instagram.com/nayidharahindi
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21/07/2025

प्रस्तुत है उदय प्रकाश की पहली कविता। नई धारा 'संवाद' में उन्होंने पहली कविता के विषय में रोचक बातें की हैं। यह साक्षात्कार आप यूट्यूब चैनल पर सुन सकते हैं। लिंक कमेंट बॉक्स में है।

शहरयार आधुनिक उर्दू कविता के अग्रणी शायरों में रहे। उन्होंने अपनी शायरी में आधुनिक समय की त्रासदियों और संवेदनाओं के जटि...
21/07/2025

शहरयार आधुनिक उर्दू कविता के अग्रणी शायरों में रहे। उन्होंने अपनी शायरी में आधुनिक समय की त्रासदियों और संवेदनाओं के जटिलताओं को हमारे बीच लाकर रखा। उमराव जान और गमन जैसी फ़िल्मों में उनकी ग़ज़लों का प्रयोग इन फ़िल्मों को और अर्थपूर्ण बनाती है। ग़ज़लों के साथ-साथ उन्होंने नज़्में भी लिखीं जो आज भी पाठकों को प्रभावित करती हैं।

अर्नेस्ट हेमिंग्वे 20वीं सदी के बहुचर्चित अमेरिकी उपन्यासकार और कहानीकार थे। उनकी विशेषता उनकी सरल और प्रभावशाली लेखन शै...
21/07/2025

अर्नेस्ट हेमिंग्वे 20वीं सदी के बहुचर्चित अमेरिकी उपन्यासकार और कहानीकार थे। उनकी विशेषता उनकी सरल और प्रभावशाली लेखन शैली रही। युद्ध, अकेलापन और अस्तित्व की चुनौतियों को उन्होंने अपना विषय बनाया। ‘द ओल्ड मैन एंड द सी’, ‘ए फेयरवेल टू आर्म्स’ और ‘फॉर व्हॉम द बेल टोल्स’ जैसी कृतियों के लिए हम उनके आभारी हैं। उन्हें 1954 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आज उनके जयंती पर उन्हें नमन!

नई कहानी आन्दोलन के सशक्त हस्ताक्षर मोहन राकेश ने अपना पूरा जीवन लेखन को समर्पित कर दिया। उन्हें अपने स्वभाव की वजह से क...
21/07/2025

नई कहानी आन्दोलन के सशक्त हस्ताक्षर मोहन राकेश ने अपना पूरा जीवन लेखन को समर्पित कर दिया। उन्हें अपने स्वभाव की वजह से कष्ट भी उठाने पड़े लेकिन लेखन का सिलसिला कभी नहीं रुका। अपने जीवन काल में उन्होंने ऐसी कृतियों की रचना की है, जो हिन्दी साहित्य के संसार में सदैव अपनी पहचान रखेंगी। उपन्यास, कहानी, या नाटक- हर विधा में मोहन राकेश ने कमाल कर दिखाया। प्रस्तुत है उनकी डायरी से लिया गया उनका एक उद्धरण :

21/07/2025

श्रीप्रकाश शुक्ल के कवि रूप से हम सभी भिज्ञ हैं। किन्तु इनका यात्रा संस्मरण ‘देस देस परदेस’ भी अत्यंत पठनीय है। किसी भी यात्रा-संस्मरण में लेखक द्वारा किए गए यात्राओं के विवरण के साथ-साथ उनके जीवन की यात्रा के अनुभव का भी दख़्ल हो तो वो और अधिक रोचक हो जाता है। यह पुस्तक हमारे जीवन की एकरसता और एकतानता को तोड़ती हुई हमें अनजान परिवेश, सन्दर्भ और व्यक्तियों से जोड़ती है। भिन्न भूदृश्यों, भिन्न संस्कृतियों और भिन्न समाजों से रूबरू कराती है।

21/07/2025

प्रतिदिन एक कविता पॉडकास्ट में आज सुनिए शुभा की कविता ‘अकलमंदी और मूर्खता’

20/07/2025

गुरुदत्त के सौ साल पूरे हुए। प्रस्तुत है उनके जीवन की एक छोटी सी झलक,जिसमें उनकी सिनेमा के योगदान को समझा जा सकता है। आपको गुरुदत्त की कौन सी फ़िल्म सर्वाधिक प्रिय है?

20/07/2025

महज़ 39 वर्ष की आयु में कोई युवक इतना कुछ कैसे कर सकता है कि उसकी शताब्दी मनाई जाए। गुरुदत्त ने सिनेमा की दुनिया में वो कर दिखाया कि उन्हें आने वाले सौ और वर्षों तक याद किया जाएगा।उनकी शताब्दी चल रही है। इस अवसर प्रस्तुत है उनके कुछ प्रतिनिधि कार्य जिसने हिन्दुस्तानी सिनेमा को एक नया आयाम दिया।

कभी कभी ऐसा लगता है जैसे साहिर लुघियानवी की सारी शायरी गुरुदत्त के जीवन और उनकी सिनेमा के लिए ही की गई है। प्रेम, प्रतिर...
20/07/2025

कभी कभी ऐसा लगता है जैसे साहिर लुघियानवी की सारी शायरी गुरुदत्त के जीवन और उनकी सिनेमा के लिए ही की गई है। प्रेम, प्रतिरोध और प्रगतिशीलता के हामी गुरुदत्त ने साहिर की लिखी ग़ज़लों और नज़्मों को इस तरह इस्तेमाल किया कि अन्यत्र इसकी दूसरी मिसाल नहीं मिलती। प्रस्तुत शेर साहिर का ही है और 'प्यासा' के एक मार्मिक दृश्य में इसका प्रयोग हुआ है। गुरुदत्त के सौ वर्ष पूरे होने पर हम उन्हें पूरी श्रद्धा से याद कर रहे हैं।

20/07/2025

इस पुस्तक को पढ़ते हुए हमें गुरुदत्त की ज़िन्दगी और उनके सिनेमा के प्रति लगाव को समझने का अवसर मिलता है। इस पुस्तक के अनुवाद के विषय में कहा गया है-"इस पुस्तक के नये संस्करण में अरुण खोपकर ने अपनी सिने-कलाशास्त्र की समग्र साधना को दाँव पर लगा दिया है और इसे आमूलाग्र नया रूपाकार और अधिक परिपूर्ण अन्तर्वस्तु से प्रस्तुत किया है। विश्व सिनेमा का गहन अध्ययन, सिनेकला और तकनीक की अन्तरंग जानकारी, सिने निर्माण का सीधा अनुभव और समझ के साथ ही साहित्य और ललित कलाओं के सौन्दर्यशास्त्र की पुख़्ता ज़मीन पर उन्होंने गुरुदत्त के सिनेमा को जिस तरह अभिजात शैली से समझा दिया है, वह पाठकों और दर्शकों की सिने- समझ के आयामों को अनायास विस्तार दे ही जाता है। संवेदनात्मक प्रगतिशील दृष्टिकोण उनके आभिजात्य को अभिनव बना देता है। गुरुदत्त के सिनेमा में भाषा, गीत और संगीत को लेकर बदलता नज़रिया इस लोचना की विशेषता है।"

20/07/2025

प्रतिदिन एक कविता पॉडकास्ट में आज सुनिए श्रद्धा उपाध्याय की कविता ‘भूल-भूलैया’

19/07/2025

कुमार अम्बुज हिन्दी कविता के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनकी कविता ‘किवाड़’ के लिए उन्हें भारतभूषण अग्रवाल कविता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विष्णु खरे के शब्दों में- ‘‘...कुमार अम्बुज की कविताओं में इस देश की राजनीति, समाज और उसके करोड़ों मज़लूम नागरिकों के संकटग्रस्त अस्तित्व की अभिव्यक्ति है। वे सच्चे अर्थों में जनपक्ष, जनवाद और जन-प्रतिबद्धता की रचनाएँ हैं।”

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नई धारा एक द्विमासिक पत्रिका है, जिसका प्रकाशन अप्रैल, 1950 से निरंतर हो रहा है। नई धारा अपने समय और संस्कृति की प्रगतिशील चेतना से रचनात्मक संवाद का साहित्यिक दस्तावेज़ है, जिसकी विकास यात्रा भारत की साहित्यिक पत्रकारिता के समानान्तर रही और जिसके प्रेरणास्रोत राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह, रामवृक्ष बेनीपुरी, आचार्य शिवपूजन सहाय, उदयराज सिंह आदि रहे।

नई धारा अब एक डिजिटल स्वरुप में भी प्रस्तुत है। एक उत्तम व सरल ऑनलाइन प्लेटफार्म के रूप में नई धारा वेबसाइट साहित्य प्रेमियों को हिंदी की उत्कृष्ट रचनाओं और उनके लेखकों से जोड़ने का काम करेगी। इसके अलावा नई धारा सभी प्रमुख सोशल मीडिया मंचों पर भी उपलब्ध है और विभिन्न प्रकार की मल्टीमीडिया प्रस्तुतियों द्वारा हिंदी साहित्य के सौंदर्य को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करेगी।