नई धारा

नई धारा नई धारा एक द्विमासिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। Instagram : https://www.instagram.com/nayidharahindi
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11/10/2025

लेखक और पटकथा लेखक अनुसिंह चौधरी आ रही हैं नई धारा उदयोत्सव में। उन्होंने 'नीला स्कार्फ़' जैसी किताब लिखी तो साथ ही 'ग्रहण' और 'आर्या' जैसी वेबसीरीज़ भी। वे लगातार टीवी, रेडियो और प्रिंट समेत कई माध्यमों को अपने लेखन से सशक्त कर रही हैं। उदयोत्सव में हम विस्तार से सुनेंगे इनकी कहानी इन्हीं की ज़ुबानी। कार्यक्रम का अंश बनने के लिए रजिस्ट्रेशन अवश्य करें। लिंक कमेंट बॉक्स में है।

गरिमा सक्सेना की यह कविता हमें प्रेरित करती है कि हम जीवन में प्रयास करना न छोड़ें। प्रयत्न जीवन का दूसरा नाम है। चाहे पर...
11/10/2025

गरिमा सक्सेना की यह कविता हमें प्रेरित करती है कि हम जीवन में प्रयास करना न छोड़ें। प्रयत्न जीवन का दूसरा नाम है। चाहे परिस्थिति कुछ भी हो हमें बेहतर दिनों के लिए लगातार प्रयासरत रहना चाहिए। यही सच्चे अर्थों में परिवर्तन का कारक है। गरिमा सक्सेना की यह कविता आप नई धारा के वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं। लिंक कमेंट बॉक्स में है।

11/10/2025

प्रसिद्ध कथाकार हरिमोहन की कहानियों का यह संग्रह अपनी काव्यात्मक भाषा और सहज, प्रवाहपूर्ण शिल्प के कारण पाठकों को सहज ही आकर्षित करता है। इनमें व्यक्ति के निजी अस्तित्व की खोज, प्रेम में असंभव को छू लेने की चाह, समकालीन राजनीति की विसंगतियाँ और विडंबनाएँ, साम्प्रदायिक उन्माद का भय, रिश्तों की भावनात्मक गहराई, प्रेम की मधुर और तीव्र अनुभूति, उपभोक्तावादी जीवन की एकाकीता तथा दफ़्तर की बनावटी दुनिया—इन सबके उजले और गहरे रंगों से बुनी एक जीवंत तस्वीर मिलती है। भाषा की ताजगी, विचारों की मौलिकता और विषय के प्रति सजग दृष्टि हरिमोहन की कहानियों को विशिष्ट बनाती है। चिंतनशील कथ्य, प्रवाही भाषा और संवेदनशील अभिव्यक्ति के कारण ये कहानियाँ पाठक को एक रचनात्मक और अनुभूतिपूर्ण संसार में प्रवेश कराती हैं।

11/10/2025

नरेश सक्सेना का यह काव्यपाठ उदयोत्सव का है। यह नई धारा के पेज से बग़ैर अनुमति के सबसे अधिक साझा की जाने वाली कविताओं में से है 🙂। हिन्दी के अनन्य कवियों के काव्यपाठ नई धारा के सोशल मीडिया हैंडल्स और यूट्यूब चैनल पर मौजूद है। आप ये कविताएँ यहाँ भी सुन सकते हैं। ऐसे ही सशक्त कवियों को सुनने के लिए नई धारा उदयोत्सव में आएँ। यह साहित्योत्सव 1 और 2 नवम्बर को त्रिवेणी कला संगम में आयोजित होने वाला है। कार्यक्रम का रजिस्ट्रेशन फ़ॉर्म कमेंट बॉक्स में है।

निर्मल वर्मा की भाषा और दर्शन, आधुनिक हिंदी साहित्य में एक संवेदना और आत्मचिंतन की परंपरा को रचते हैं। उनकी भाषा बेहद सू...
11/10/2025

निर्मल वर्मा की भाषा और दर्शन, आधुनिक हिंदी साहित्य में एक संवेदना और आत्मचिंतन की परंपरा को रचते हैं। उनकी भाषा बेहद सूक्ष्म, आत्मनिष्ठ और प्रतीकात्मक है। वे भाषा को मात्र संप्रेषण का साधन नहीं, बल्कि “अनुभव को आकार देने वाला माध्यम” मानते हैं। उनकी शैली में यूरोपीय आधुनिकता की अंतर्दृष्टि और भारतीय संवेदनशीलता का विलक्षण संगम दिखाई देता है। दर्शन की दृष्टि से, निर्मल वर्मा का लेखन व्यक्ति के अस्तित्व, एकांत, और स्वतंत्रता की खोज से जुड़ा है। वे मानते हैं कि आधुनिक जीवन की त्रासदी यह है कि मनुष्य अपने भीतर और समाज दोनों से कट गया है। उनके कथा-संसार में यह “वियोग” केवल सामाजिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक भी है एक ऐसी बेचैनी जो मनुष्य को स्वयं से मिलने के लिए विवश करती है।

11/10/2025

प्रतिदिन एक कविता पॉडकास्ट में आज सुनिए कृष्णमोहन झा की कविता ‘जहाज़ का पंछी’

10/10/2025

1 और 2 नवम्बर को होने वाले नई धारा 'उदयोत्सव' में कई ऐसे कार्यक्रम हैं, जो हमें साहित्य और कला से जोड़ने का काम करेंगे। हम आमंत्रित रचनाकारों से उनकी रचनाएँ सुन सकेंगे और कलाकारों से उनके गीत-संगीत का आनंद ले सकेंगे। हमें आशा है कि आप भी उदयोत्सव में आकर हमारे प्रयास को सफल बनाएँगे। कर्यक्रम के लिए रजिस्ट्रेशन अवश्य करें। रेजिस्ट्रेशन लिंक कमेंट बॉक्स में है...

10/10/2025

कवि विश्वनाथ प्रसाद तिवारी हिन्दी के महत्वपूर्ण कवि है। वे गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष रहे और साथ ही साथ साहित्य-साधना की। उनकी किताबें कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्हें 2023 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

10/10/2025

आर. के. नारायण की यह कहानी एक बालक की मनोवृत्ति, भय और मासूमियत को अत्यंत रोचक ढंग से प्रस्तुत करती है। कहानी में स्वामी नाम का एक स्कूली छात्र है, जिसे गणित का एक कठिन सवाल परेशान कर देता है। वह अपनी कॉपी में उस सवाल को हल नहीं कर पाता और इस कारण से चिंतित रहता है। डर और बेचैनी के कारण वह तरह-तरह के बहाने बनाता है ताकि उसे सज़ा न मिले। किन्तु इन बहाने-बाज़ियों के बीच कुछ ऐसे प्रश्न भी सामने आते हैं, जिससे समाज और मनुष्य अक्सर बचा करते हैं। यह कहानी आप स्टोरीजैम पर सुन सकते हैं। लिंक कमेंट बॉक्स में है।

छाया सिन्हा की यह कहानी भारतीय परिवार में स्त्रियों की दशा को बख़ूबी दर्शाती है। 'दिदिया' के दैनिक जीवन के विषय में पढ़ते ...
10/10/2025

छाया सिन्हा की यह कहानी भारतीय परिवार में स्त्रियों की दशा को बख़ूबी दर्शाती है। 'दिदिया' के दैनिक जीवन के विषय में पढ़ते हुए हमें यह नज़र आता है कि उन्होंने अपनी इच्छाएँ त्याग दी हैं। उनकी बातें, उनकी ख़ामोशी सब हमारे मन को स्पर्श करती हैं। पढ़िए यह कहानी नई धारा के वेबसाइट पर.. लिंक कमेंट बॉक्स में है।

रामविलास शर्मा हिंदी साहित्य के अत्यंत प्रतिष्ठित आलोचक, विचारक, भाषाविद्, कवि और साहित्य इतिहासकार थे। उन्होंने साहित्य...
10/10/2025

रामविलास शर्मा हिंदी साहित्य के अत्यंत प्रतिष्ठित आलोचक, विचारक, भाषाविद्, कवि और साहित्य इतिहासकार थे। उन्होंने साहित्य को समाज, इतिहास और राजनीति के व्यापक संदर्भ में देखने की दृष्टि विकसित की। वे प्रगतिवादी आलोचना के प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। रामविलास शर्मा की प्रमुख कृतियों में ‘निराला की साहित्य साधना’, ‘मार्क्स और पिछड़े हुए समाज’, ‘भाषा और समाज’ और ‘भारतेंदु युग’ जैसी पुस्तकें शामिल हैं। उनकी आलोचना दृष्टि में मार्क्सवादी विचारधारा का गहरा प्रभाव था, परंतु वे अंधानुकरण के पक्षधर नहीं थे।

10/10/2025

बाँग्लादेश के प्रसिद्ध लेखक हुमायूँ अहमद का यह उपन्यास ग्लोबल दौर में एक ऐसी लोकल कथा कहती है जिसमें टूटते-बिखरते समाज की छवियाँ हैं। रेशमा नामक एक विक्षिप्त लड़की की कहानी के माध्यम से लेखक ने अभाव में जीते एक समाज की जातीय कथा का ताना-बाना बुना है। अभावों में जीता वह समाज जिसके चारोंटूटे सपने हैं, छोटी छोटी आकांक्षाएँ हैं, लेकिन जिसकी परिणति दुःस्वप्न अँधेरे में होती है। एक अभिशप्त परिवार की यह कहानी हेमिंग्वे की उस कथा-प्रविधि की याद दिलाती है जिसमें यथार्थवाद के उजाले नहीं जीवन के धुंधलके हैं। आत्मकथात्मक शैली में लिखे गए इस उपन्यास की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह किसी विराट सत्य के उदघाटन का ताना बाना नहीं बुनता, न ही इसमें किसी विचारधारा का घटाटोप है। छोटे-छोटे प्रसंगों और बिंबों के माध्यम से एक ऐसी कथा का उपक्रम है जिसमें न कोई नायक है, न ही खलनायक बल्कि परिवेशीयताओं अपने आप में महत्वपूर्ण हैं।

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नई धारा एक द्विमासिक पत्रिका है, जिसका प्रकाशन अप्रैल, 1950 से निरंतर हो रहा है। नई धारा अपने समय और संस्कृति की प्रगतिशील चेतना से रचनात्मक संवाद का साहित्यिक दस्तावेज़ है, जिसकी विकास यात्रा भारत की साहित्यिक पत्रकारिता के समानान्तर रही और जिसके प्रेरणास्रोत राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह, रामवृक्ष बेनीपुरी, आचार्य शिवपूजन सहाय, उदयराज सिंह आदि रहे।

नई धारा अब एक डिजिटल स्वरुप में भी प्रस्तुत है। एक उत्तम व सरल ऑनलाइन प्लेटफार्म के रूप में नई धारा वेबसाइट साहित्य प्रेमियों को हिंदी की उत्कृष्ट रचनाओं और उनके लेखकों से जोड़ने का काम करेगी। इसके अलावा नई धारा सभी प्रमुख सोशल मीडिया मंचों पर भी उपलब्ध है और विभिन्न प्रकार की मल्टीमीडिया प्रस्तुतियों द्वारा हिंदी साहित्य के सौंदर्य को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करेगी।