Ashu babu-राष्ट्रहित सर्वोपरि

Ashu babu-राष्ट्रहित सर्वोपरि राष्ट्र हित सर्वोपरि

26/08/2025

हरितालिका तीज व्रत ( पूजन सामग्री)

हरितालिका तीज व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं.🌼🙏🏻

26/08/2025

वाराणसी काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव के अर्धनारीश्वर स्वरूप दिव्य अलौकिक आरती दर्शन।

जय शिव पार्वती 🙏

कहानी शुरू होती है... उज्जैन नगरी में। 🌙एक समय की बात है, जब अवंतिका (उज्जैन) में चार भाई रहते थे। वे भोले-भाले और शिवभक...
25/08/2025

कहानी शुरू होती है... उज्जैन नगरी में। 🌙

एक समय की बात है, जब अवंतिका (उज्जैन) में चार भाई रहते थे। वे भोले-भाले और शिवभक्त थे। लेकिन एक दिन, एक भयानक राक्षस ने उन पर हमला कर दिया। कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। उनकी पुकार स्वयं भगवान शिव तक पहुँची...

तभी एक चमत्कार हुआ! ॐ नमः शिवाय की गूँज के बीच, धरती फटी और उसमें से एक प्रकाशपुंज निकला। यह कोई साधारण प्रकाश नहीं, बल्कि स्वयं भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग रूप था! उस ज्योति ने राक्षस का अंत कर दिया और वहाँ स्थापित हो गए। नाम पड़ा - महाकालेश्वर।
एक और कहानी राजा चंद्रसेन की...
उज्जैन के राजा चंद्रसेन महान शिवभक्त थे। एक दिन, शिव की कृपा से उन्हें एक दिव्य रत्न मिला। इससे ईर्ष्या करके अन्य राजाओं ने उज्जैन पर चढ़ाई कर दी। राजा ने शिव से प्रार्थना की। तब एक छोटे से ग्वाले के बालक ने शिव का ध्यान किया।

बालक की भक्ति देखकर भोलेनाथ प्रसन्न हो गए। वे महाकाल के रूप में प्रकट हुए। उनके कोप से सेनाएँ भस्म हो गईं और उज्जैन की रक्षा हुई। महाकाल ने कहा कि वे इसी नगरी में निवास करेंगे। तब से, महाकाल हैं उज्जैन की शान और श्रद्धा का केंद्र।
विशेष बात: दक्षिणमुखी महाकाल
सभी ज्योतिर्लिंगों में केवल महाकाल ही दक्षिणमुखी हैं। यानी उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर है। दक्षिण है यम की दिशा। मान्यता है कि महाकाल अपने भक्तों को मृत्यु के भय से मुक्त करते हैं। वे स्वयं 'काल' के भी स्वामी हैं।

रोज़ सुबह की चमत्कारी घटना: भस्म आरती 🪔
सुबह का समय। अंधेरा छंट रहा है। मंदिर में घंटियों की आवाज़। साधु-संतों के मंत्र। और फिर... शिवलिंग पर चंदन और भस्म का शृंगार। यह है विश्वप्रसिद्ध भस्म आरती। माना जाता है इसके दर्शन मात्र से जीवन के सारे पाप धुल जाते हैं।
कठिन परीक्षा का समय: आक्रमण ⚔️
समय बदला। 13वीं सदी में दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इल्तुतमिश ने उज्जैन पर आक्रमण किया। उसने इस पवित्र मंदिर को तहस-नहस कर दिया। लेकिन आस्था को कोई मिटा नहीं सका। शिवभक्तों ने फिर से मंदिर बनाने का संकल्प लिया।

फिर से जन्म: एक रानी का सपना 👑
सैकड़ों साल बाद, इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर आईं। वह स्वयं एक महान शिवभक्त थीं। उन्होंने इस पवित्र स्थान पर एक भव्य मंदिर बनवाने का फैसला किया। आज जो विशाल और सुंदर मंदिर हम देखते हैं, वह उन्हीं की देन है।
एक और चुनौती: हाल का हमला (28 जून, 2022)
कहानी में अचानक एक विलेन और आ गया। एक दुखद दिन, जब तीन युवक मंदिर में घुसे और पवित्र शिवलिंग पर हाथ डालने की कोशिश की। उन्होंने पवित्र भस्म आरती में भी विघ्न डाला। यह वीडियो आग की तरह फैल गया।

भक्तों का हृदय दुखी हो गया। सोशल मीडिया पर एक रोष फैल गया। लेकिन कहानी का अंत अच्छा हुआ। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और उन युवकों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना ने मंदिर की सुरक्षा को और मजबूत करने का रास्ता दिखाया।महाकाल का वर्तमान: जहाँ आस्था की गूँज है 🛕
आज, महाकालेश्वर मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। महाशिवरात्रि और कुंभ का मेला यहाँ की रौनक को कई गुना बढ़ा देता है।

कहानी का सार:
महाकाल की कहानी सिर्फ एक मंदिर की कहानी नहीं है। यह आस्था, धैर्य और विजय की कहानी है। यह कहती है कि कोई भी तूफान, आस्था के दीप को नहीं बुझा सकता। भक्ति हमेशा बची रहती है।जय महाकाल! 🔱🙏
उज्जैन नगरी में महाकाल का वास है। वे सिर्फ एक देवता नहीं, बल्कि भक्तों की शक्ति, आशा और विश्वास हैं। अगर कभी उज्जैन जाएँ, तो भस्म आरती का दर्शन ज़रूर करें। एक अलौकिक अनुभव होगा।

लेकिन महाकाल की कहानी अमर है।
आपको यह कहानी कैसी लगी? कमेंट में ज़रूर बताएँ। करके इस कहानी को और लोगों तक पहुँचाएँ। 🙏

चलिए, चलते हैं आंध्र प्रदेश के पवित्र 'मल्लिकार्जुन मंदिर' की पावन यात्रा पर...  यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि भगवान शिव...
23/08/2025

चलिए, चलते हैं आंध्र प्रदेश के पवित्र 'मल्लिकार्जुन मंदिर' की पावन यात्रा पर...



यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और एक अतुल्य आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है, जिसे 'दक्षिण का कैलाश' कहा जाता है।

कहानी की शुरुआत: एक भाई-भाई की होड़
पौराणिक मान्यता है कि एक बार भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्रों - कार्तिकेय और गणेश में यह विवाद हो गया कि उनमें से श्रेष्ठ कौन है।

समाधान निकालने के लिए एक प्रतियोगिता रखी गई: जो पहले पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटेगा, वही विजेता होगा। कार्तिकेय तुरंत अपने मोर पर सवार होकर निकल पड़े पृथ्वी का चक्कर लगाने।लेकिन गणेश जी, जिनका वाहन एक छोटा सा चूहा था, उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता दिखाई। उन्होंने शिव और पार्वती को ही संपूर्ण ब्रह्मांड मानते हुए उनकी सात परिक्रमा की और विजय का वरदान पाया।

जब कार्तिकेय पूरी यात्रा करके लौटे, तो वह हार से क्रोधित और आहत हो गए। उन्होंने संन्यास ले लिया और तपस्या के लिए क्रौंच पर्वत (आज का श्रीशैलम) छोड़कर चले गए।

माँ-बाप का हृदय टूटा...
अपने पुत्र के इस निर्णय से दुखी शिव-पार्वती उन्हें मनाने पहुँचे। लेकिन कार्तिकेय ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया।
तब, माता-पिता का प्रेम सामने आया। भगवान शिव और माता पार्वती उसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ के रूप में प्रकट हुए ताकि वे हमेशा अपने पुत्र के निकट रह सकें। यही स्थान मल्लिकार्जुन मंदिर कहलाया।

कब आरंभ हुआ? इतिहास क्या है?
मान्यता तो सतयुग की है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से, इस मंदिर का उल्लेख 2री शताब्दी के ग्रंथों में मिलता है। यह स्थान सदियों से आस्था का केंद्र रहा है।

क्या-क्या दिक्कतें आईं?
इस मंदिर के लंबे इतिहास में कई उतार-चढ़ाव आए। मुगल आक्रमणकारियों, खासकर औरंगजेब के सेनापतियों ने मंदिर को काफी नुकसान पहुँचाने की कोशिश की।
लेकिन भक्तों की अटल आस्था और विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेवराय जैसे शासकों ने मंदिर के पुनर्निर्माण और विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया। उन्होंने मंदिर के भव्य गोपुरम और मंडपों का निर्माण करवाया।

क्या मान्यता है? क्यों जाना चाहिए?
ऐसी मान्यता है कि जो भक्त मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसे 'कैलाश यात्रा' के समान पुण्यदायी माना जाता है।

श्री जगन्नाथ रथ यात्रा में देव रथ का परिचय..!!◆ बलभद्र जी के रथ का संक्षिप्त परिचय...1. रथ का नाम - तालध्वज रथ2. कुल काष...
07/07/2024

श्री जगन्नाथ रथ यात्रा में देव रथ का परिचय..!!

◆ बलभद्र जी के रथ का संक्षिप्त परिचय...

1. रथ का नाम - तालध्वज रथ
2. कुल काष्ठ खंडो की संख्या -763
3. कुल चक्के -14
4. रथ की ऊंचाई- 44 फीट
5. रथ की लंबाई चौड़ाई - 33 फ़ीट
6. रथ के सारथि का नाम - मातली
7. रथ के रक्षक का नाम-वासुदेव
8. रथ में लगे रस्से का नाम- वासुकि नाग
9. पताके का रंग- उन्नानी
10. रथ के घोड़ो के नाम - तीव्र ,घोर, दीर्घाश्रम, स्वर्ण

◆ भगवान् जगन्नाथ जी के रथ का संक्षिप्त परिचय

1. रथ का नाम - नंदीघोष रथ
2. कुल काष्ठ खंडो की संख्या - 832
3. कुल चक्के - 16
4. रथ की ऊंचाई - 45 फीट
5. रथ की लंबाई चौड़ाई - 34 फ़ीट 6 इंच
6. रथ के सारथि का नाम - दारुक
7. रथ के रक्षक का नाम- गरुड़
8. रथ में लगे रस्से का नाम - शंखचूड़ नागुनी
9. पताके का रंग - त्रैलोक्य मोहिनी
10. रथ के घोड़ो के नाम ................
वराह, गोवर्धन, कृष्णा, गोपीकृष्णा, नृसिंह, राम, नारायण, त्रिविक्रम, हनुमान, रूद्र।

◆ सुभद्रा जी के रथ का संक्षिप्त परिचय..

1. रथ का नाम - देवदलन रथ
2. कुल काष्ठ खंडो की संख्या - 593
3. कुल चक्के - 12
4. रथ की ऊंचाई - 43 फीट
5. रथ की लंबाई चौड़ाई - 31 फ़ीट 6 इंच
6. रथ के सारथि का नाम - अर्जुन
7. रथ के रक्षक नाम - जयदुर्गा
8. रथ में लगे रस्से का नाम - स्वर्णचूड़ नागुनी
9. पताके का रंग - नदंबिका
10. रथ के घोड़ो के नाम -रुचिका, मोचिका, जीत, अपराजिता ।।
जय जगन्नाथ महाप्रभु,🚩⭕❗⭕🙏

नरपि!शाच बख्तियार खिलजी ने  #नालंदा_विश्वविद्यालय को क्यों तबाह किया ???तुर्की का सैन्य कमांडर  #बख्तियार खिलजी गंभीर रू...
22/06/2024

नरपि!शाच बख्तियार खिलजी ने #नालंदा_विश्वविद्यालय को क्यों तबाह किया ???

तुर्की का सैन्य कमांडर #बख्तियार खिलजी गंभीर रूप से बीमार पड़ गया। सारे हकीम हार गए परंतु बीमारी का पता नहीं चल पाया। खिलजी दिनों दिन कमजोर पड़ता गया और उसने बिस्तर पकड़ लिया। उसे लगा कि अब उसके आखिरी दिन आ गए हैं।

एक दिन उससे मिलने आए एक बुज़ुर्ग ने सलाह दी कि दूर भारत के मगध साम्राज्य में अवस्थित नालंदा महाविद्यालय के एक ज्ञानी शीलभद्र को एक बार दिखा लें, वे आपको ठीक कर देंगे। खिलजी तैयार नहीं हुआ। उसने कहा कि मैं किसी काफ़िर के हाथ की दवा नहीं ले सकता हूँ, चाहे मर क्यों न जाऊं!!

मगर बीबी बच्चों की जिद के आगे झुक गया शीलभद्र जी तुर्की आए। खिलजी ने उनसे कहा कि दूर से ही देखो मुझे छूना मत क्योंकि तुम काफिर हो और दवा मैं लूंगा नहीं। शीलभद्र जी ने उसका चेहरा देखा, शरीर का मुआयना किया, बलगम से भरे बर्तन को देखा, सांसों के उतार चढ़ाव का अध्ययन किया और बाहर चले गए।

फिर लौटे और पूछा कि कुरान पढ़ते हैं?

खिलजी ने कहा दिन रात पढ़ते हैं!

पन्ने कैसे पलटते हैं?

उंगलियों से जीभ को छूकर सफे पलटते हैं!!

शीलभद्र जी ने खिलजी को एक कुरान भेंट किया और कहा कि आज से आप इसे पढ़ें और शीलभद्र जी वापस भारत लौट आए।

उधर दूसरे दिन से ही खिलजी की तबीयत ठीक होने लगी और एक हफ्ते में वह भला चंगा हो गया। दरअसल शीलभद्र जी ने कुरान के पन्नों पर दवा लगा दी थी जिसे उंगलियों से जीभ तक पढ़ने के दौरान पहुंचाने का अनोखा तरीका अपनाया गया था।

खिलजी अचंभित था मगर उससे भी ज्यादा ईर्ष्या और जलन से मरा जा रहा था कि आखिर एक काफिर ईमानवालों से ज्यादा काबिल कैसे हो गया?

अगले ही साल 1192 में मोहम्मद गोरी उसने सेना तैयार की और जा पहुंचा नालंदा महाविद्यालय मगध क्षेत्र। पूरी दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञान और विज्ञान का केंद्र। जहां 10000 छात्र और 1000 शिक्षक एक बड़े परिसर में रहते थे। जहां एक तीन मंजिला इमारत में विशालकाय पुस्तकालय था, जिसमें एक करोड़ पुस्तकें, पांडुलिपियां एवं ग्रंथ थे।

खिलजी जब वहां पहूँचा तो शिक्षक और छात्र उसके स्वागत में बाहर आए, क्योंकि उन्हें लगा कि वह कृतज्ञता व्यक्त करने आया है।

खिलजी ने उन्हें देखा और मुस्कुराया और तलवार से भिक्षु श्रेष्ठ की गर्दन का!ट दी (क्योंकि वह पूरी तैयारी के साथ आया था)। फिर हजारों छात्र और शिक्षक गाजर मूली की तरह का!ट डाले गए (क्योंकि कि वह सब अचानक हुए हमले से अनभिज्ञ थे)। खिलजी ने फिर ज्ञान विज्ञान के केंद्र पुस्तकालय में आग लगा दी। कहा जाता है कि पूरे तीन महीने तक पुस्तकें जलती रहीं।

खिलजी चिल्ला चिल्ला कर कह रहा था कि तुम काफिरों की हिम्मत कैसे हुई इतनी पुस्तकें पांडुलिपियां इकट्ठा करने की? बस एक दीन रहेगा धरती पर बाकी सब को नष्ट कर दूंगा।

पूरे नालंदा को तहस नहस कर जब वह लौटा तो रास्ते में विक्रम शिला विश्वविद्यालय को भी जलाते हुए लौटा। मगध क्षेत्र के बाहर बंगाल में वह रूक गया और वहां खिलजी साम्राज्य की स्थापना की।

जब वह लद्दाख क्षेत्र होते हुए तिब्बत पर आक्रमण करने की योजना बना रहा था तभी एक रात उसके एक कमांडर ने उसकी निद्रा में ह!त्या कर दी। आज भी बंगाल के पश्चिमी दिनाजपुर में उसकी कब्र है जहां उसे दफनाया गया था।

और सबसे हैरत की बात है कि उसी दुर्दांत ह!त्यारे के नाम पर बिहार में बख्तियारपुर नामक जगह है जहां रेलवे जंक्शन भी है जहां से नालंदा की ट्रेन जाती है।

यह थी एक भारतीय बौद्ध भिक्षु शीलभद्र की शीलता, जिन्होंने तुर्की तक जाकर तथा दुत्कारे जाने के पश्चात भी एक शत्रु की प्राण रक्षा अपने चिकित्सकीय ज्ञान व बुद्धि कौशल से की।

बदले में क्या मिला?

शांतिप्रिय समुदाय की एहसान फरामोशी, प्राण, समाज व संस्कृति पर घात!

दुर्भाग्यवश तबसे अब तक कुछ नहीं बदला। हम आज भी उस क्रूर विदेशी आक्रांता के नाम पर बसाये गये शहर का नाम तक नहीं बदल सके।

क्योंकि देश में सुशासन और तृप्तिकरण का राज है!!

"राष्ट्रहित सर्वोपरि"
#नालंदा_विश्वविद्यालय

इन आयुर्वेदिक उपाय से करे अपने शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की सफाई...1. लिवर की सफाई के लिए :-  20 ग्राम काली किशमिस और 1 ग...
16/04/2024

इन आयुर्वेदिक उपाय से करे अपने शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की सफाई...

1. लिवर की सफाई के लिए :- 20 ग्राम काली किशमिस और 1 ग्लास पानी लेकर मिक्सर मे ज्युस बनाकर सुबह खाली पेट 15 दिनों तक सेवन करने से लिवर की सफाई होती है |

2. किडनी की सफाई के लिए :- हरा धनिया 40 ग्राम +1 ग्लास पानी मिक्स करके मिक्सर मे पिस करके सुबह खाली पेट लिजिए यह 10 दिनों तक करने से किडनी की सफ़ाई होती है। और हमारी किडनी स्वस्थ रहती है।

3. हार्ट की सफाई के लिए :- 60 ग्राम अलसी को मिक्सर मे पीस लिजिए फिर सुबह शाम खालीपेट 10-10 ग्राम की मात्रा मे सेवन से हमारा हार्ट (हृदय) स्वस्थ रहता है यह उपाय 1 महिने तक करनां है।

4. दिमाग की सफाई के लिए :- बादाम 8 और अखरोट 2 नग लेकर रात को 1 ग्लास पानी मे भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें। यह पूरे 2 महिनों तक करने से दिमाग को पूरी तरह से जहरमुक्त किया जा सकता है।

5. फेंफडो की सफाई के लिए :- 2 चम्मच शहद + 1 चम्मच नींबू का रस + 1 चम्मच अदरक का रस सभी चीजो को मिक्स करके सुबह खाली पेट सेवन करने से बिड़ी, सिगरेट, गुटखा या तंबाकु से जो नुकसान हमारे फेंफडो को हुआ है उन्हे सुधार होगा और हमारे फेंफडे पुरी तरह से स्वस्थ हो जाते है। यह प्रयोग करीब 20 दिनों तक करनां है।

प्राकृतिक उपचारओं के माध्यम से शरीर को निरोगी बना सकते हैं!

राष्ट्रहित का गला दबा कर, छेद न करना थाली मेंमिट्टी वाले दिए जलाना, अबकी बार दीवाली
10/11/2023

राष्ट्रहित का गला दबा कर, छेद न करना थाली में
मिट्टी वाले दिए जलाना, अबकी बार दीवाली

एक सुन्दर महिला ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं। उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के ब...
14/10/2023

एक सुन्दर महिला ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं। उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के बगल में है। जिसके दोनों ही हाथ नहीं है। महिला को उस अपाहिज व्यक्ति के पास बैठने में झिझक हुई। वह 'सुंदर' महिला, एयरहोस्टेस से बोली " मै इस सीट पर सुविधापूर्वक यात्रा नहीं कर पाऊँगी। क्योंकि साथ की सीट पर जो व्यक्ति बैठा हुआ है उसके दोनों हाथ नहीं हैं।" उस सुन्दर महिला ने एयरहोस्टेस से सीट बदलने हेतु आग्रह किया। असहज हुई एयरहोस्टेस ने पूछा, "मैम क्या मुझे कारण बता सकती है..?"

'सुंदर' महिला ने जवाब दिया "मैं ऐसे लोगों को पसंद नहीं करती। मैं ऐसे व्यक्ति के पास बैठकर यात्रा नहीं कर पाउंगी।"दिखने में पढी लिखी और विनम्र प्रतीत होने वाली महिला की यह बात सुनकर एयरहोस्टेस अचंभित हो गई।

महिला ने एक बार फिर एयरहोस्टेस से जोर देकर कहा कि "मैं उस सीट पर नहीं बैठ सकती। अतः मुझे कोई दूसरी सीट दे दी जाए।"एयरहोस्टेस ने खाली सीट की तलाश में चारों ओर नजर घुमाई, पर कोई भी सीट खाली नहीं दिखी।

एयरहोस्टेस ने महिला से कहा कि "मैडम इस इकोनोमी क्लास में कोई सीट खाली नहीं है, किन्तु यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखना हमारा दायित्व है। अतः मैं विमान के कप्तान से बात करती हूँ। कृपया तब तक थोड़ा धैर्य रखें।" ऐसा कहकर होस्टेस कप्तान से बात करने चली गई।

कुछ समय बाद लोटने के बाद उसने महिला को बताया, "मैडम! आपको जो असुविधा हुई, उसके लिए बहुत खेद है | इस पूरे विमान में, केवल एक सीट खाली है और वह प्रथम श्रेणी में है। मैंने हमारी टीम से बात की और हमने एक असाधारण निर्णय लिया। एक यात्री को इकोनॉमी क्लास से प्रथम श्रेणी में भेजने का कार्य हमारी कंपनी के इतिहास में पहली बार हो रहा है।"

'सुंदर' महिला अत्यंत प्रसन्न हो गई, किन्तु इसके पहले कि वह अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती और एक शब्द भी बोल पाती। एयरहोस्टेस उस अपाहिज और दोनों हाथ विहीन व्यक्ति की ओर बढ़ गई और विनम्रता पूर्वक उनसे पूछा "सर, क्या आप प्रथम श्रेणी में जा सकेंगे..? क्योंकि हम नहीं चाहते कि आप एक अशिष्ट यात्री के साथ यात्रा कर के परेशान हों। यह बात सुनकर सभी यात्रियों ने ताली बजाकर इस निर्णय का स्वागत किया। वह अति सुन्दर दिखने वाली महिला तो अब शर्म से नजरें ही नहीं उठा पा रही थी।

तब उस अपाहिज व्यक्ति ने खड़े होकर कहा, "मैं एक भूतपूर्व सैनिक हूँ। और मैंने एक ऑपरेशन के दौरान कश्मीर सीमा पर हुए बम विस्फोट में अपने दोनों हाथ खोये थे। सबसे पहले, जब मैंने इन देवी जी की चर्चा सुनी, तब मैं सोच रहा था। की मैंने भी किन लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली और अपने हाथ खोये..?लेकिन जब आप सभी की प्रतिक्रिया देखी तो अब अपने आप पर गर्व महसूस हो रहा है कि मैंने अपने देश और देशवासियों की खातिर अपने दोनों हाथ खोये।"और इतना कह कर, वह प्रथम श्रेणी में चले गए।

'सुंदर' महिला पूरी तरह से शर्मिंदा होकर सर झुकाए सीट पर बैठ गई।
अगर विचारों में उदारता नहीं है तो ऐसी सुंदरता का कोई मूल्य नहीं है ।

इस समय डेंगू का प्रकोप काफी हद तक बढ़ा हुआ है, बारिश के बाद मौसम परिवर्तन के कारन बहुत सी बीमारियां फैलती हैं उन्ही में ...
07/10/2023

इस समय डेंगू का प्रकोप काफी हद तक बढ़ा हुआ है, बारिश के बाद मौसम परिवर्तन के कारन बहुत सी बीमारियां फैलती हैं उन्ही में से एक है डेंगू बुखार

खतरनाक ड़ेंगू के निम्न लक्षणों पर ध्यान दे,
1. बाथरूम जाते समय आँखों के आगे अंधेरा होने,
2.बार बार उल्टी होना,
3.पेट दर्द
4.अत्यधिक कमजोरी महसूस होना,
5.खड़े होने चलने में दिक्कत होना इत्यादि,
6.यूरिन कम होना
इन संकेतों को नद्रन्दाज न करे, तुरंत चिकित्सक से सलाह ले

डेंगू रोग से पीड़ित मरीज के प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं

▪️ प्लेटलेट्स क्या है ?

यह रक्त का एक भाग है जो खून का थक्का बनाने में सहायक हैं। कोई चोट लगने पर होने वाले रक्तस्त्राव को ये रोकती हैं। शरीर में इनकी पर्याप्त संख्या होनी चाहिए। शरीर में इनकी संख्या बहुत कम होने पर मौत भी हो सकती है।

▪️ कितनी प्लेटलेट्स होनी चाहिए ?

स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डेढ़ से चार लाख प्लेटलेट्स होती हैं। किसी कारण से यदि ये 50 हजार से कम हो जाएं तो चिंता की बात नहीं। लेकिन इससे भी कम होने पर रक्तस्त्राव होता है। यदि 10-20 हजार की संख्या रहे तो यह स्थिति इमरजेंसी की है।

▪️ किन रोगों में इनकी संख्या कम हो जाती हैं ?

डेंगू, मलेरिया, स्क्रब टायफस, टायफॉइड जैसे रोगों में और दर्दनिवारक दवाएं नियमित लेने से भी ये घटने लगती हैं।

▪️ इस स्थिति में क्या करना चाहिए ?

अस्पताल में भर्ती कर रोगी से मिलते ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति के रक्त से जरूरत अनुसार प्लेटलेट्स निकालकर उसे चढ़ाते हैं।

▪️ प्लेटलेट्स कम होने का मतलब ?
प्लेटलेट्स छोटी रक्त कोशिकाएं होती हैं, जो खासतौर पर बोनमैरो में पाई जाती हैं। प्लेटलेट्स की कमी इस बात की निशानी है कि खून में बीमारियों से लड़ने की ताकत कम हो रही है। प्लेटलेट्स कम होने की इस स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति में सामान्य प्लेटलेट काउंट 150 हजार से 450 हजार प्रति माइक्रोलीटर होता है। जब यह काउंट 150 हजार प्रति माइक्रोलीटर से नीचे चला जाये तो इसे लो प्लेटलेट माना जाता है।

कुछ दवाओं के सेवन, आनुवंशिक रोगों, कुछ प्रकार के कैंसर, कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट व बुखार जैसे डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया के होने पर भी ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है।

▪️ एंटीऑक्सीडेंट वाला चुकंदर
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए सबसे पहले चुकंदर को तरह-तरह से अपने खाने में शामिल कीजिए। फिर चाहे उसकी सब्जी बनाइए या जूस पीजिए।

▪️ नियमित खाएं आंवला
आंवले को प्लेटलेट्स बढ़ाने के बेहद पुराने उपचारों में गिना जाता है। डॉ. भारती के अनुसार, ‘यह आयुर्वेदिक उपचार है। आंवले में मौजूद विटामिन-सी शरीर में प्लेटलेट्स का उत्पादन तो बढ़ाता ही है, इससे शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता भी बढ़ती है। पर हां, इसका नियमित सेवन करना बेहद जरूरी है। नियमित रूप से हर सुबह खाली पेट 3 से 4 आंवला खाएं। आंवला इस तरह से नहीं खा पा रही हैं तो दो चम्मच आंवले के जूस में शहद मिलाकर पिएं। इससे भी प्लेटलेट्स बढ़ाने में मदद मिलेगी।’

▪️ इन्हें भी अपनाएं
प्लेटलेट्स बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों को पका कर खाने की जगह कच्चा ही खाएं।
कीवी भी प्लेटलेट्स बढ़ाने में मदद करती है।
गाजर का नियमित सेवन करें।
इलेक्ट्रोलाइट्स और मिनरल्स प्लेटलेट्स बढ़ाने में बेहद मददगार होते हैं।
नारियल पानी में यह दोनों ही तत्व प्रचुर मात्रा में होता है।
बकरी का दूध भी प्लेटलेट्स बढ़ाता है।

इसके अलावा डॉक्टर के परामर्श से दवाई सबसे पहले ले बाजार में प्लेट्स बढ़ाने में सहायक दवाईयां उपलब्ध हैं।

▪️ पपीते के पत्तों का फायदा : - पपीते के पत्ते का जूस पीने के फायदे

1. डेंगू में बहुत ज़्यादा फायदेमंद :- डेंगू से लड़ने में पपीते की पत्तिया बहुत ही ज़्यादा फायदेमंद मानी जाती हैं। यह ब्लड में तेज़ी के साथ गिर रहे प्लेट्स को फिर से बढ़ाने, खून के थक्के जमने को रोकते हैं। लिवर को डैमेज होने से बचाते हैं, क्योंकि डेंगू वाइरस की वजह से इन सभी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। इसलिए पपीते के पत्तो का रस डेंगू के इलाज के लिए कारगर माना जाता हैं।

2. भूख बढ़ाता हैं :- अगर आपको भूख ना लगने की परेशानी हो गयी हो तो पपीते के पत्ते की चाय बना कर पिए, इससे आपकी खोई हुई भूख दुबारा से वापिस लौट आती हैं।

3. शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाए :- इन चमत्कारी पत्तियो में शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने वाले गुण पाए जाते हैं। इन पत्तियो में सर्दी-जुकाम से लड़ने की क्षमता होती हैं। यह ब्लड में वाइट सेल्स और प्लेट्स को बढ़ाने करने में सहायता करते हैं।

4. ब्लड प्लेट्स बढ़ाने में कारगर :- पपीते के पत्तो का जूस पीने से खून में प्लेट्स की कमी को पूरा किया जा सकता हैं। इस चमत्कारी पत्तो में खून में ब्लड प्लेट्स को बढ़ाने वाले गुण पाए जाते हैं। इसके लिए पपीते के पत्तो का रस रोजाना 2 चम्मच कुछ दिनों तक पीना चाहिए।

5. पीरियड्स के दर्द में राहत दिलाए :- पीरियड के दर्द से राहत पाने के लिए एक काढ़ा बनाए जिसमे 1 पपीते की पत्ती को इमली, नमक और 1 ग्लास पानी के साथ मिक्स करे। फिर इसे उबाले और काढ़ा बना कर ठंडा करके पिए। इससे आपको पीरियड के दर्द से काफ़ी आराम मिलेगा।

6. पिंपल्स ख़त्म करे :- अगर आप पिंपल्स की प्रॉब्लम्स से परेशान हैं तो पपीते की सुखी पत्तियो को लेकर पानी के साथ मिक्स करके पेस्ट बना ले। फिर इस पेस्ट को चेहरे पर लगा कर सूखा ले और फिर पानी से चेहरे को धो ले। इससे कुछ ही दीनो में आपके पिंपल्स दूर हो जाएँगे।

7. कैंसर होने से बचाए :- पपीते के पत्तो में कैंसर को रोकने वाले तत्व होते हैं। यह इम्यूनिटी को बढ़ाता हैं और सर्वाइकल कॅन्सर, ब्रेस्ट ब्रेस्ट, लिवर कैंसर, फेफड़ो के कैंसर होने से रोकने में मदद करता हैं।

8. मलेरिया में भी लाभकारी :- पपीते के पत्ते मलेरिया से भी लड़ने में क्षक्ष्म होते हैं। पपीते के पत्तियो का रस मलेरिया को बढ़ने से रोकता हैं। मलेरिया और डेंगू दोनो ही मच्छरों के काटने से होता हैं। पपीते के पत्ते का जूस दोनो रोगो में बहुत ही फायदेमंद होता हैं।

9. परिजीवियो को ख़त्म करे :- पपीते की पत्तियो में 50 एक्टिव सामग्री होती हैं जो की बैक्टीरिया, फंगस, परजीवी, वाइरस और कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकती हैं।

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