26/09/2025
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बाबा गणिनाथ जी का जन्म विक्रम संवत 1007 में हुआ था, जो कि 11वीं शताब्दी (1001-1100 ईस्वी) के मध्य पड़ता है।
मुख्य बिंदु:
जन्म वर्ष: विक्रम संवत 1007 में उनका जन्म हुआ था।
शताब्दी: यह 11वीं शताब्दी में आता है, जो 1001 से 1100 ईस्वी के बीच का समय है।
जन्म स्थान: उनका जन्म गुरलामान्धता पर्वत पर भाद्रपद बदी अष्टमी शनिवार की सुबह हुआ था, और उनका लालन-पालन और शिक्षा-दीक्षा पूर्व में कांदू वर्तमान में कानू (मध्यदेशीय एवं कनौजिया) वैश्य परिवार के लोगों ने किया था।
अभी 21वी सदी चल रहा है इसका मतलब यह हुआ कि कानू समाज 1100 साल से गणिनाथ जी को पूजते हैं!!
कानू समाज मुख्य रूप से संत शिरोमणि बाबा गणिनाथ जी को कुलदेवता के रूप में पूजता है, हालांकि कुछ क्षेत्रों में बाबा कंगाली और अन्य संतों की भी पूजा की जाती है। समाज में व्यवसाय की शुरुआत और सफलता के लिए इन्हीं कुलदेवताओं का आशीर्वाद लिया जाता है।
मुख्य कुलदेवता
संत शिरोमणि बाबा गणिनाथ जी: कानू समाज के प्रमुख कुलगुरु हैं
वहीं कानू समाज के अन्य पूजे जाने वाले कुलगुरु बाबा कंगाली जी लक्षमण जी पलटूदास जी महराज बनेगोरिया महराज फेंकू महराज जी को पूजा जाता है!
कानू समाज के द्वारा पूजे जाने वाले सभी कुलगुरु का इतिहास साक्ष्य के रूप में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ मंदिर और बनारस के प्रमुख पण्डो के यहां वंशावली के रूप में दर्ज है!!
जिनको साक्ष्य चाहिए वह उत्तर प्रदेश जाकर वहां से देख सकते हैं!
ऊपर दिए गए जितने भी नाम कुरुगुरु के रूप में दर्शाए गए हैं वे सभी कानू समाज के ही कुलगुरु हैं और कानू कल्याण मोर्चा अपने सभी कुलगुरुओ का सम्मान करता है!!
साथ ही यह आपको जानने की जरूरत हैं कि किसी भी कुल में कुल देवता नहीं होता है बल्कि कुलगुरु हैं कानू समाज के युवाओं से विशेष आग्रह हैं कुलगुरुओ पर टिक्का टिपण्णी न करें हमारे सभी कुलगुरु अलग अलग काल खंड में अवतरित हुए थे!!
नोट:- अगर किसी कानू समाज से आने वाले कानू को यह जानना है कि उनका पूर्वज यानी उनके दादा जी के दादा जी के पूर्वज का सैकड़ों वर्ष पहले क्या नाम था और उनके पूर्वज कौन हैं उसका भी रिकॉर्ड ( बनारस कासी ) में दर्ज है!!
आप उसकी जानकारी भी वहां जा कर पण्डो से ले सकते हैं!!
🙏जय कानू समाज 🚩