05/06/2025
प्राइवेट होते हुए भी मानव सेवा की मिसाल बना परमानंदपुर का शहीद प्रभु नारायण अस्पताल
15 जून 2025 तक गरीब मरीजों के लिए मुफ्त इलाज, दवा, जांच और भोजन की व्यवस्था
डॉ. एस. विवेकानंद के नेतृत्व में अस्पताल कर रहा है समाज सेवा का कार्य
खगड़िया (बिहार):शिवम् कुमार शान्ति की रिपोर्ट
बदलते दौर में जब चिकित्सा सेवा एक महँगे व्यापार में तब्दील होती जा रही है, ऐसे समय में बिहार के खगड़िया ज़िले के परमानंदपुर स्थित शहीद प्रभु नारायण अस्पताल ने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है जो पूरे प्रदेश ही नहीं, देश के लिए प्रेरणा बन सकता है।
यह अस्पताल पूरी तरह से निजी (प्राइवेट) है, फिर भी यहां पर गरीब और जरूरतमंद मरीजों का 15 जून 2025 तक पूरी तरह निशुल्क इलाज किया जा रहा है।
एक प्राइवेट अस्पताल, लेकिन सोच सार्वजनिक सेवा की
अस्पताल अधीक्षक डॉ. एस. विवेकानंद, इस पूरे अभियान के केंद्र में हैं। उनका मानना है कि अस्पताल का उद्देश्य केवल मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगी बचाना होना चाहिए।
डॉ. विवेकानंद कहते हैं:
“मेरे लिए अस्पताल एक सेवा स्थल है। मैं मानता हूँ कि अगर कोई गरीब इलाज के बिना मर जाए, तो यह पूरे समाज की असफलता है। हम जो कर सकते हैं, वह हमें ज़रूर करना चाहिए।”
उन्होंने खुद इस सेवा अभियान की रूपरेखा तैयार की, स्टाफ को प्रेरित किया, संसाधन जुटाए और यह सुनिश्चित किया कि किसी गरीब मरीज को न दवा के लिए भटकना पड़े, न जांच के लिए इंतज़ार करना पड़े, और न ही पेट भरने के लिए सोचना पड़े।
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अभियान में क्या-क्या मिल रहा है मरीजों को?
👉 निशुल्क इलाज:
किसी भी प्रकार का परामर्श शुल्क नहीं लिया जा रहा है। अनुभवी डॉक्टर मरीजों को जांच कर उचित उपचार दे रहे हैं।
👉 फ्री दवाइयां:
डॉक्टर द्वारा लिखी गई आवश्यक सभी दवाइयाँ अस्पताल के फार्मेसी काउंटर से मुफ्त दी जा रही हैं। किसी को बाहर से कुछ भी लाने की ज़रूरत नहीं।
👉 मुफ्त जांच सुविधाएं:
ब्लड टेस्ट, एक्स-रे, यूरिन टेस्ट, शुगर, ईसीजी, अल्ट्रासाउंड जैसी सभी जरूरी जांचें बिना किसी शुल्क के की जा रही हैं।
👉 स्वस्थ भोजन:
अस्पताल प्रशासन द्वारा मरीजों और उनके साथ आए परिजनों के लिए दो समय पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई है। खाने में संतुलित आहार, स्वच्छता और समय का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
👉 काउंसलिंग व मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं:
मरीजों को तनाव, बीमारी के डर और परिवार से जुड़ी चिंता को दूर करने के लिए परामर्श सेवा भी प्रदान की जा रही है।
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प्रतिक्रिया: लोग कर रहे हैं सराहना, आंखें हो रहीं नम
परमानंदपुर और आसपास के सैकड़ों गांवों से लोग इस सेवा का लाभ लेने के लिए अस्पताल पहुँच रहे हैं।
मरीजों और उनके परिजनों की आँखों में राहत और कृतज्ञता साफ देखी जा सकती है।
40 वर्षीय महिला, जो अपने बेटे का इलाज कराने आई थीं, कहती हैं:
“हमारे पास एक रुपया नहीं था। हमने सोचा था भगवान ही मालिक है। लेकिन यहाँ आकर लगा जैसे भगवान ने डॉक्टर साहब के रूप में भेजा है। सबकुछ फ्री में मिल रहा है — दवा, खाना, टेस्ट — ये सपना जैसा है।”
एक युवा मजदूर ने बताया:
“सरकारी अस्पताल में तारीख़ पर तारीख़ मिलती थी। यहां बिना पर्ची शुल्क के डॉक्टर ने जांच की, दवा दी और कहा चिंता मत करो। अब तक सोचा था प्राइवेट अस्पताल मतलब अमीरों का ठिकाना — अब लगा, इंसानियत भी ज़िंदा है।”