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हनुमान और भरत                       ​जब हनुमान संजीवनी बूटी लेकर द्रोणागिरि पर्वत से वापस आ रहे थे, तो वे अयोध्या के ऊपर...
20/09/2025

हनुमान और भरत
​जब हनुमान संजीवनी बूटी लेकर द्रोणागिरि पर्वत से वापस आ रहे थे, तो वे अयोध्या के ऊपर से गुजर रहे थे। भरत को लगा कि कोई राक्षस संजीवनी बूटी को चुराकर ले जा रहा है। अपने भाई लक्ष्मण के जीवन को बचाने के लिए, भरत ने एक बाण चलाया और वह बाण हनुमान को लगा। बाण के लगने से हनुमान मूर्छित हो गए और पर्वत समेत नीचे गिर पड़े।
​जब भरत को पता चला कि उन्होंने राम भक्त हनुमान पर बाण चलाया है, तो उन्हें बहुत दुख हुआ। भरत ने हनुमान को अपनी गोद में उठाया और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी।
​जब हनुमान को होश आया, तो उन्होंने भरत को सारी बात बताई। तब भरत ने हनुमान से कहा कि वे उन्हें अपने बाण पर बिठाकर पलक झपकते ही लंका पहुंचा सकते हैं। लेकिन हनुमान ने यह कहकर मना कर दिया कि भगवान राम ने उन्हें यह कार्य सौंपा है और वे अपनी शक्तियों से ही इसे पूरा करेंगे।

हनुमान और शनि देव​एक बार, शनि देव अपने अहंकार में चूर होकर हनुमान के पास आए और कहने लगे, "मैं आपकी कुंडली में प्रवेश करन...
19/09/2025

हनुमान और शनि देव
​एक बार, शनि देव अपने अहंकार में चूर होकर हनुमान के पास आए और कहने लगे, "मैं आपकी कुंडली में प्रवेश करना चाहता हूं। अगर मैंने प्रवेश कर लिया, तो आपके बुरे दिन शुरू हो जाएंगे।"
​हनुमान ने शनि देव से कहा, "मैं अभी प्रभु राम की सेवा में व्यस्त हूं, आप कृपया बाद में आएं।" लेकिन शनि देव नहीं माने और उन्होंने हनुमान के सिर पर बैठना चाहा। हनुमान ने शनि देव से कहा, "ठीक है, आप मेरे सिर पर बैठ सकते हैं।"
​शनि देव हनुमान के सिर पर बैठ गए। हनुमान ने तब एक विशाल रूप धारण किया और अपनी पूंछ को बढ़ाना शुरू कर दिया। उन्होंने अपनी पूंछ से कई चट्टानें, बड़े-बड़े पेड़ और पहाड़ उठा लिए और उन्हें अपनी पूंछ में लपेटना शुरू कर दिया।
​शनि देव इन चट्टानों के बीच बुरी तरह से दब गए और उन्हें बहुत पीड़ा होने लगी। वे दर्द से कराहने लगे और हनुमान से माफी मांगने लगे। हनुमान ने जब शनि देव को कष्ट में देखा, तो उन्हें उन पर दया आ गई।
​शनि देव ने हनुमान से वादा किया कि वे कभी भी हनुमान के भक्तों को परेशान नहीं करेंगे। तब से, यह माना जाता है कि जो लोग हनुमान जी की पूजा करते हैं, उन पर शनि देव का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।

त्रिशूल और डमरू  ji 🙏🏻               ​शिव का त्रिशूल तीन गुणों - सत, रज, और तम - का प्रतीक है, जो सृष्टि के संचालन के लि...
19/09/2025

त्रिशूल और डमरू ji 🙏🏻
​शिव का त्रिशूल तीन गुणों - सत, रज, और तम - का प्रतीक है, जो सृष्टि के संचालन के लिए आवश्यक हैं। वहीं, डमरू ध्वनि और सृष्टि के जन्म का प्रतीक है। जब शिव डमरू बजाते हैं, तो ब्रह्मांड में ऊर्जा और जीवन का संचार होता है। यह दोनों वस्तुएं शिव के सृजन और संहार दोनों रूपों को दर्शाती हैं।गंगा का अवतरण
​एक बार राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाने का निश्चय किया। गंगा का वेग इतना अधिक था कि अगर वह सीधे पृथ्वी पर आतीं, तो प्रलय आ जाती। इसलिए भागीरथ ने शिव से प्रार्थना की। शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर लिया, जिससे उनका वेग कम हो गया। इसके बाद शिव ने अपनी जटा से गंगा की एक धारा को पृथ्वी पर प्रवाहित किया। इस घटना के कारण शिव को 'गंगाधर' भी कहा जाता है।समुद्र मंथन
​देवताओं और असुरों ने अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन किया। मंथन के दौरान, 'हलाहल' नामक एक भयानक विष निकला, जिसकी ज्वाला से पूरी सृष्टि जलने लगी। सृष्टि को बचाने के लिए शिव ने उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया, इसलिए वे 'नीलकंठ' कहलाए। यह कथा शिव के त्याग और करुणा का प्रतीक है।

शिव और रावण​रावण भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त था। एक बार उसने अपनी भक्ति से शिव को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत को उठा ...
19/09/2025

शिव और रावण
​रावण भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त था। एक बार उसने अपनी भक्ति से शिव को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत को उठा कर ले जाने का प्रयास किया। जब रावण कैलाश पर्वत उठा रहा था, तो पर्वत हिलने लगा। यह देखकर माता पार्वती भयभीत हो गईं।
​तब शिव जी ने अपने पैर के अंगूठे से कैलाश पर्वत पर हल्का सा दबाव डाला। रावण इतना भारी दबाव सहन नहीं कर पाया और उसके हाथ पर्वत के नीचे दब गए। दर्द से व्याकुल होकर रावण जोर-जोर से रोने लगा। उसकी दहाड़ से तीनों लोक कांप उठे। रावण ने अपनी पीड़ा को शांत करने के लिए शिव स्तुति करना शुरू किया। रावण की भक्ति और स्तुति सुनकर शिव जी प्रसन्न हुए और उसे दर्द से मुक्ति दिलाई। रावण की चीख से ही शिव का एक नाम 'महादेव' और रावण का नाम 'रावण' पड़ा, जिसका अर्थ है 'जो दहाड़ता है'।शिव और नंदी
​नंदी, जो शिव के प्रिय वाहन हैं, उनकी कथा शिव जी की करुणा और भक्ति का प्रतीक है। नंदी का जन्म ऋषि शिलाद की कठोर तपस्या के बाद हुआ था। ऋषि शिलाद ने शिव से अमर और तेजस्वी पुत्र का वरदान मांगा था। शिव जी ने प्रसन्न होकर उन्हें नंदी के रूप में पुत्र दिया।
​नंदी ने अपने जीवन का हर क्षण शिव की सेवा में समर्पित कर दिया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने नंदी को अपना सबसे प्रिय गण और वाहन बना लिया। नंदी को यह वरदान भी मिला कि जो कोई भी उनके कान में अपनी मनोकामना कहेगा, शिव उसे अवश्य पूरा करेंगे। इसलिए आज भी भक्त मंदिरों में नंदी के कान में अपनी इच्छाएं बोलते हैं।शिव और गणेश
​एक बार माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से गणेश जी की रचना की और उन्हें अपने कक्ष के द्वार पर पहरा देने के लिए कहा। जब शिव जी वापस लौटे, तो गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। शिव जी ने बहुत समझाया, लेकिन गणेश नहीं माने। इस बात पर शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया।
​जब पार्वती जी को यह बात पता चली, तो वे बहुत दुखी हुईं। उनका दुःख देखकर शिव जी ने गणेश को पुनर्जीवित करने का वचन दिया। उन्होंने अपने गणों से कहा कि वे जिस भी दिशा में जाएं, उन्हें पहला जो भी जीवित प्राणी मिले, उसका सिर ले आएं। गणों को एक हाथी का बच्चा मिला, जिसका सिर लाकर उन्होंने शिव को दिया। शिव ने हाथी का सिर गणेश जी के धड़ पर लगा दिया और उन्हें एक नया जीवन दिया। इस तरह गणेश जी गजानन कहलाए। यह कथा शिव के प्रेम और करुणा को दर्शाती है।अर्धनारीश्वर
​एक बार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना का कार्य शिव जी को सौंपना चाहा, लेकिन शिव ने मना कर दिया। तब ब्रह्मा ने स्वयं सृष्टि की रचना की। उन्होंने सभी जीवों को जन्म दिया, पर वे अपनी संख्या नहीं बढ़ा पा रहे थे। तब ब्रह्मा जी ने शिव से मदद मांगी। शिव जी ने तुरंत ही अपनी शक्ति पार्वती जी को अपने भीतर समाहित कर लिया और अर्धनारीश्वर का रूप धारण किया। इस रूप में शिव का आधा शरीर पुरुष का था और आधा स्त्री का।
​यह रूप दर्शा रहा था कि सृष्टि को बढ़ाने के लिए स्त्री और पुरुष दोनों का मिलन आवश्यक है। यह देखकर ब्रह्मा जी ने अपनी तपस्या से पुरुष और स्त्री, दोनों की रचना की और उनसे सृष्टि का विस्तार हुआ। यह कथा बताती है कि शिव और शक्ति एक ही हैं और दोनों के बिना सृष्टि अधूरी है।त्रिशूल और डमरू
​शिव का त्रिशूल तीन गुणों - सत, रज, और तम - का प्रतीक है, जो सृष्टि के संचालन के लिए आवश्यक हैं। वहीं, डमरू ध्वनि और सृष्टि के जन्म का प्रतीक है। जब शिव डमरू बजाते हैं, तो ब्रह्मांड में ऊर्जा और जीवन का संचार होता है। यह दोनों वस्तुएं शिव के सृजन और संहार दोनों रूपों को दर्शाती हैं।गंगा का अवतरण
​एक बार राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाने का निश्चय किया। गंगा का वेग इतना अधिक था कि अगर वह सीधे पृथ्वी पर आतीं, तो प्रलय आ जाती। इसलिए भागीरथ ने शिव से प्रार्थना की। शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर लिया, जिससे उनका वेग कम हो गया। इसके बाद शिव ने अपनी जटा से गंगा की एक धारा को पृथ्वी पर प्रवाहित किया। इस घटना के कारण शिव को 'गंगाधर' भी कहा जाता है। ji

अर्धनारीश्वर​एक बार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना का कार्य शिव जी को सौंपना चाहा, लेकिन शिव ने मना कर दिया। तब ब्रह्मा ने...
19/09/2025

अर्धनारीश्वर
​एक बार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना का कार्य शिव जी को सौंपना चाहा, लेकिन शिव ने मना कर दिया। तब ब्रह्मा ने स्वयं सृष्टि की रचना की। उन्होंने सभी जीवों को जन्म दिया, पर वे अपनी संख्या नहीं बढ़ा पा रहे थे। तब ब्रह्मा जी ने शिव से मदद मांगी। शिव जी ने तुरंत ही अपनी शक्ति पार्वती जी को अपने भीतर समाहित कर लिया और अर्धनारीश्वर का रूप धारण किया। इस रूप में शिव का आधा शरीर पुरुष का था और आधा स्त्री का।
​यह रूप दर्शा रहा था कि सृष्टि को बढ़ाने के लिए स्त्री और पुरुष दोनों का मिलन आवश्यक है। यह देखकर ब्रह्मा जी ने अपनी तपस्या से पुरुष और स्त्री, दोनों की रचना की और उनसे सृष्टि का विस्तार हुआ। यह कथा बताती है कि शिव और शक्ति एक ही हैं और दोनों के बिना सृष्टि अधूरी है। ji 🙏🏻

शिव और रावण​रावण भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त था। एक बार उसने अपनी भक्ति से शिव को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत को उठा ...
19/09/2025

शिव और रावण
​रावण भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त था। एक बार उसने अपनी भक्ति से शिव को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत को उठा कर ले जाने का प्रयास किया। जब रावण कैलाश पर्वत उठा रहा था, तो पर्वत हिलने लगा। यह देखकर माता पार्वती भयभीत हो गईं।
​तब शिव जी ने अपने पैर के अंगूठे से कैलाश पर्वत पर हल्का सा दबाव डाला। रावण इतना भारी दबाव सहन नहीं कर पाया और उसके हाथ पर्वत के नीचे दब गए। दर्द से व्याकुल होकर रावण जोर-जोर से रोने लगा। उसकी दहाड़ से तीनों लोक कांप उठे। रावण ने अपनी पीड़ा को शांत करने के लिए शिव स्तुति करना शुरू किया। रावण की भक्ति और स्तुति सुनकर शिव जी प्रसन्न हुए और उसे दर्द से मुक्ति दिलाई। रावण की चीख से ही शिव का एक नाम 'महादेव' और रावण का नाम 'रावण' पड़ा, जिसका अर्थ है 'जो दहाड़ता है'। ji 🙏🏻

शिव और नंदी  ji 🙏🏻               ​नंदी, जो शिव के प्रिय वाहन हैं, उनकी कथा शिव जी की करुणा और भक्ति का प्रतीक है। नंदी क...
19/09/2025

शिव और नंदी ji 🙏🏻
​नंदी, जो शिव के प्रिय वाहन हैं, उनकी कथा शिव जी की करुणा और भक्ति का प्रतीक है। नंदी का जन्म ऋषि शिलाद की कठोर तपस्या के बाद हुआ था। ऋषि शिलाद ने शिव से अमर और तेजस्वी पुत्र का वरदान मांगा था। शिव जी ने प्रसन्न होकर उन्हें नंदी के रूप में पुत्र दिया।
​नंदी ने अपने जीवन का हर क्षण शिव की सेवा में समर्पित कर दिया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने नंदी को अपना सबसे प्रिय गण और वाहन बना लिया। नंदी को यह वरदान भी मिला कि जो कोई भी उनके कान में अपनी मनोकामना कहेगा, शिव उसे अवश्य पूरा करेंगे। इसलिए आज भी भक्त मंदिरों में नंदी के कान में अपनी इच्छाएं बोलते हैं।

शिव और गणेश   ji 🙏🏻               ​एक बार माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से गणेश जी की रचना की और उन्हें अपने कक्ष के ...
19/09/2025

शिव और गणेश ji 🙏🏻
​एक बार माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से गणेश जी की रचना की और उन्हें अपने कक्ष के द्वार पर पहरा देने के लिए कहा। जब शिव जी वापस लौटे, तो गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। शिव जी ने बहुत समझाया, लेकिन गणेश नहीं माने। इस बात पर शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया।
​जब पार्वती जी को यह बात पता चली, तो वे बहुत दुखी हुईं। उनका दुःख देखकर शिव जी ने गणेश को पुनर्जीवित करने का वचन दिया। उन्होंने अपने गणों से कहा कि वे जिस भी दिशा में जाएं, उन्हें पहला जो भी जीवित प्राणी मिले, उसका सिर ले आएं। गणों को एक हाथी का बच्चा मिला, जिसका सिर लाकर उन्होंने शिव को दिया। शिव ने हाथी का सिर गणेश जी के धड़ पर लगा दिया और उन्हें एक नया जीवन दिया। इस तरह गणेश जी गजानन कहलाए। यह कथा शिव के प्रेम और करुणा को दर्शाती है।

एक और कहानी: "बूढ़े पेड़ की सीख"digitalcreator               एक छोटे से गाँव में एक बहुत पुराना और विशाल पेड़ था। उस पेड...
18/09/2025

एक और कहानी: "बूढ़े पेड़ की सीख"
digitalcreator
एक छोटे से गाँव में एक बहुत पुराना और विशाल पेड़ था। उस पेड़ के नीचे लोग बैठते थे, बच्चे खेलते थे, और राहगीर आराम करते थे। एक दिन, गाँव के कुछ लोग उस पेड़ को काटना चाहते थे ताकि वे वहां एक नई इमारत बना सकें।

लेकिन एक बूढ़े व्यक्ति ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा, "यह पेड़ हमारे गाँव की धरोहर है। यह हमें छाया देता है, पक्षियों को घर देता है, और हमें प्रकृति की याद दिलाता है।"

गाँव के लोगों ने बूढ़े व्यक्ति की बात मानी और पेड़ को बचाने का फैसला किया। पेड़ वहीं रहा, और गाँव के लोग उसकी छाया में बैठकर बातें करते रहे।

कहानी का संदेश
प्रकृति और पुरानी चीजों का सम्मान करना बहुत जरूरी है। वे हमारे जीवन में बहुत महत्व रखते हैं।

एक और कहानी: "गांव की छोटी सी दुकान"एक छोटे से गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति था जिसका नाम किशन था। किशन ने अपने गाँव में एक ...
18/09/2025

एक और कहानी: "गांव की छोटी सी दुकान"
एक छोटे से गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति था जिसका नाम किशन था। किशन ने अपने गाँव में एक छोटी सी दुकान खोली थी जहां वह खाने-पीने की चीजें बेचता था। उसकी दुकान गाँव के लोगों के लिए एक मिलन बिंदु थी। लोग वहां आते थे, बातें करते थे, और अपनी जरूरत की चीजें खरीदते थे।

किशन की दुकान बहुत साधारण थी, लेकिन उसका व्यवहार और मुस्कान लोगों को आकर्षित करती थी। एक दिन, गाँव में एक बड़ा तूफान आया और किशन की दुकान को नुकसान पहुंचा। किशन के पास ज्यादा पैसे नहीं थे कि वह दुकान को फिर से ठीक करा सके।

लेकिन किशन ने हार नहीं मानी। उसने गाँव के लोगों की मदद से अपनी दुकान को फिर से ठीक किया। लोगों ने उसकी मदद की और जल्द ही दुकान फिर से खुल गई। किशन ने कहा कि गाँव के लोगों की एकता और सहयोग ने उसकी दुकान को बचा लिया।

किशन की दुकान फिर से गाँव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई। लोग वहां आते थे और किशन की कहानी सुनाते थे कि कैसे उसने मुश्किल समय में हिम्मत नहीं हारी।

कहानी का संदेश
मुश्किल समय में भी अगर हमें सहयोग और एकता मिले तो हम बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

digitalcreator #कृष्ण

एक कहानी : "सपने और मेहनत की कहानी"एक छोटे से गाँव में एक लड़की थी जिसका नाम प्रिया था। प्रिया को चित्रकला बहुत पसंद थी।...
18/09/2025

एक कहानी
: "सपने और मेहनत की कहानी"

एक छोटे से गाँव में एक लड़की थी जिसका नाम प्रिया था। प्रिया को चित्रकला बहुत पसंद थी। वह हमेशा सपने देखती थी कि एक दिन वह एक बड़ी चित्रकार बनेगी। लेकिन गाँव में कोई कला का स्कूल नहीं था, और उसके माता-पिता के पास ज्यादा पैसे नहीं थे। प्रिया के सपने बड़े थे, लेकिन परिस्थितियां छोटी थीं।digitalcreator

प्रिया ने हार नहीं मानी। उसने अपने गाँव में ही चित्र बनाना सीखा, और अपने खाली समय में अभ्यास किया। वह सुबह जल्दी उठकर अपने बगीचे में जाती और वहां प्रकृति को देखकर चित्र बनाती। वह पेड़ों की शाखाओं, फूलों की सुंदरता, और पक्षियों की उड़ान को अपने कागज पर उतारती। प्रिया के चित्रों में एक अलग ही दुनिया बसती थी, जहां रंगों का खेल और भावनाओं का मिश्रण होता था।

प्रिया ने अपने चित्रों को गाँव के मेले में दिखाया, और लोग उसके काम को पसंद करने लगे। मेले में आए लोगों ने उसकी कला की प्रशंसा की और कहा कि उसमें एक अनोखा हुनर है। धीरे-धीरे, प्रिया की कला की चर्चा शहर तक पहुंची। शहर के अखबारों में उसके चित्रों की तस्वीरें छपीं, और लोग उसकी कला के बारे में बात करने लगे।

एक दिन, शहर से एक कला का शिक्षक प्रिया के गाँव आया और उसकी कला देखकर बहुत प्रभावित हुआ। उन्होंने प्रिया को शहर में एक कला स्कूल में पढ़ने का मौका दिया। प्रिया के लिए यह एक बड़ा अवसर था। उसके माता-पिता भी खुश थे कि उनकी बेटी को इतना बड़ा मौका मिल रहा है।

प्रिया ने शहर में जाकर कला स्कूल में दाखिला लिया। वहां उसने नए तरीके सीखे, नए कलाकारों से मिली, और अपनी कला को और निखारा। उसने दिन-रात मेहनत की और अपने हुनर को बढ़ाया। प्रिया के शिक्षकों ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसे विशेष परियोजनाओं में काम करने का मौका दिया।

कुछ सालों बाद, प्रिया की कला की प्रदर्शनी शहर के एक बड़े गैलरी में हुई। वहां शहर के बड़े-बड़े लोग आए, और प्रिया के चित्रों को खरीदने के लिए होड़ लग गई। प्रिया की कला ने सबको मोहित कर लिया। लोगों ने उसकी कला की सराहना की और कहा कि उसमें एक अनोखी भावना और सुंदरता है।

आज प्रिया एक प्रसिद्ध चित्रकार है। उसकी कला दुनिया भर में पसंद की जाती है। वह अपने गाँव वापस आती है और वहां के बच्चों को कला सिखाती है। प्रिया कहती है कि उसके सपने और मेहनत ने उसे यहां तक पहुंचाया है। वह लोगों को बताती है कि अगर हम अपने सपनों पर विश्वास करें और मेहनत करें, तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं।

कहानी का संदेश
सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत और लगन बहुत जरूरी है। अगर हम अपने सपनों पर विश्वास करें और मेहनत करें, तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं।

18/09/2025

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Tarachak
Patna
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Website

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