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 # # **रहस्यमयी हवेली का राज**शहर से कई किलोमीटर दूर, घने जंगलों और ऊँचे-ऊँचे पेड़ों के बीच एक पुरानी हवेली खड़ी थी। हवे...
20/09/2025

# # **रहस्यमयी हवेली का राज**
शहर से कई किलोमीटर दूर, घने जंगलों और ऊँचे-ऊँचे पेड़ों के बीच एक पुरानी हवेली खड़ी थी। हवेली इतनी विशाल थी कि उसकी टूटी हुई दीवारें और ऊँचे गुम्बद दूर से ही नज़र आ जाते। गाँव वाले कहते थे कि वहाँ अजीब घटनाएँ होती हैं—रात के सन्नाटे में चीखने की आवाज़ें, खिड़कियों से दिखती रहस्यमयी परछाइयाँ और अपने-आप बजने वाली घंटियाँ।
किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो सूरज ढलने के बाद हवेली के आस-पास भी जाए। लोग बच्चों को डराने के लिए कहते—“अगर शरारत करोगे तो हवेली का भूत पकड़ ले जाएगा।”
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# # **राहुल की जिज्ञासा**
राहुल बीस साल का एक जिज्ञासु लड़का था। उसे बचपन से ही रहस्यमयी कहानियों में दिलचस्पी थी। जब भी कोई हवेली की डरावनी बात करता, उसके अंदर रोमांच भर जाता। उसके दोस्त चेतन, पायल और समीर अक्सर उसे समझाते, “पागल मत बन, वहाँ कोई जाता नहीं। जो गया, वो लौटकर नहीं आया।”
लेकिन राहुल का मन मानने वाला कहाँ था। उसने ठान लिया कि वह हवेली के रहस्य से पर्दा उठाकर रहेगा।
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# # **आधी रात की यात्रा**
एक रात, जब सब सो रहे थे, राहुल चुपचाप घर से निकला। उसके पास सिर्फ एक टॉर्च, एक मोबाइल और जेब में पेन-नोटबुक थी। अँधेरी रात में झींगुरों की आवाज़ और पेड़ों से आती ठंडी हवा उसे और भी बेचैन कर रही थी।
जंगल का रास्ता लंबा था। पत्तियों की सरसराहट और अचानक टूटती डालियाँ सुनकर कई बार उसका दिल जोर से धड़का। पर उसने कदम नहीं रोके। लगभग आधे घंटे की पैदल यात्रा के बाद वह हवेली के दरवाज़े तक पहुँच गया।
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# # **हवेली के भीतर**
हवेली का दरवाज़ा आधा टूटा हुआ था। राहुल ने हल्का धक्का दिया तो दरवाज़ा अपने-आप चरमराता हुआ खुल गया। अंदर घुप्प अंधेरा और सीलन की गंध थी। उसने टॉर्च जलाकर देखा—चारों तरफ पुरानी पेंटिंग्स, टूटे फर्नीचर और मकड़ी के जाले।
फर्श पर कदम रखते ही उसकी आवाज़ पूरे हॉल में गूँज गई। तभी अचानक उसे सीढ़ियों से ऊपर भागती हुई परछाई दिखी। राहुल का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, पर उसका डर उसकी जिज्ञासा से छोटा था।
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# # **कमरों का रहस्य**
वह सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर पहुँचा। पहला कमरा खोला तो उसमें एक टूटी हुई चारपाई और बिखरे हुए बर्तन पड़े थे। दूसरे कमरे में दीवार पर एक विशाल पेंटिंग थी—राजा विक्रम सिंह और उनका परिवार। पेंटिंग के नीचे लिखा था, *“सत्य छिपा है भीतर।”*
इतने में अचानक कमरे का झूला अपने-आप हिलने लगा। राहुल के हाथ-पाँव ठंडे पड़ गए। उसने टॉर्च उस ओर घुमाई तो झूला रुक गया।
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# # **गुप्त दरवाज़ा**
राहुल की नज़र अलमारी पर पड़ी। उसने ज़ोर लगाया तो अलमारी हिली और पीछे से एक गुप्त दरवाज़ा दिखाई दिया। राहुल ने दरवाज़ा खोला और नीचे उतरने लगा। सीढ़ियाँ तहखाने की ओर जाती थीं।
नीचे पहुँचते ही उसे पुराने कागज़, नक्शे और एक धूल भरी डायरी मिली। डायरी खोलते ही पहला वाक्य चमका:
*“यदि कोई यह पढ़ रहा है, तो सावधान! यह हवेली सिर्फ एक महल नहीं, बल्कि एक रहस्य की क़ैदगाह है।”*
डायरी के पन्नों में लिखा था कि राजा विक्रम सिंह के पास *नवरत्न मणि* नामक हीरा था, जो जिसे भी मिलता, उसकी किस्मत बदल देता। पर उस हीरे के पीछे कई चोर और दुश्मन पड़े थे। एक रात वह हीरा गायब हो गया और उसी के बाद राजा रहस्यमय तरीके से लापता हो गए।
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# # **डरावनी मुलाक़ात**
अचानक तहखाने का दरवाज़ा ज़ोर की आवाज़ से बंद हो गया। राहुल घबरा गया। तभी पीछे से धीमी आवाज़ आई—“यहाँ आकर तूने बड़ी गलती की है।”
उसने टॉर्च घुमाई तो सामने एक परछाई खड़ी थी। परछाई धीरे-धीरे पास आई और अब साफ़ दिखा—वह कोई भूत नहीं बल्कि एक बूढ़ा आदमी था।
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# # **बूढ़े चौकीदार का सच**
बूढ़े आदमी ने कहा, “मैं इस हवेली का चौकीदार हूँ। सालों पहले राजा ने हीरे को यहाँ छिपाया था। चोरों ने हमला किया, राजा ने बचाने की कोशिश की पर वे खुद इसी तहखाने में क़ैद हो गए। लोग सोचते हैं कि यह हवेली भूतहा है, पर असल में ये सिर्फ अफवाहें थीं ताकि कोई हीरे तक न पहुँचे।”
फिर उसने दीवार के कोने में छिपी तिजोरी दिखाई। चाबी निकालकर तिजोरी खोली तो उसमें छोटा-सा डिब्बा था। जब डिब्बा खोला, तो उसमें से चमकदार *नवरत्न मणि* निकला।
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# # **सच्चाई सामने**
“यह हीरा अब किसे मिलेगा?” राहुल ने पूछा।
बूढ़ा बोला, “इसे सही हाथों में जाना चाहिए। लालच ने ही इस हवेली को सुनसान बना दिया। अब यह जनता की अमानत है।”
राहुल ने अगली सुबह पुलिस को सूचना दी। सरकार ने उस हीरे को संग्रहालय में सुरक्षित रख लिया।
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# # **अंतिम संदेश**
राहुल जब हवेली से निकला तो उसने पीछे मुड़कर देखा। हवेली अब भी खंडहर थी, पर अब उसके लिए वह डरावनी नहीं, बल्कि इतिहास और साहस की गवाही थी।
राहुल ने सबको साबित कर दिया कि—
**डर अक्सर हमारे दिमाग़ का वहम होता है, और सच्चाई को जानने के लिए हिम्मत चाहिए।**

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मैं आपको एक रहस्यमय कहानी सुनाती हूँ।एक शांत, गुमनाम गाँव के बीच में एक पुराना, खंडहर हो चुका घर था। लोग कहते थे कि उस घ...
12/09/2025

मैं आपको एक रहस्यमय कहानी सुनाती हूँ।
एक शांत, गुमनाम गाँव के बीच में एक पुराना, खंडहर हो चुका घर था। लोग कहते थे कि उस घर में एक अजीब तरह का रहस्य छुपा हुआ है। कोई भी उस घर के पास जाने की हिम्मत नहीं करता था, क्योंकि रात में वहाँ से अजीबोगरीब आवाजें आती थीं, जैसे कोई फुसफुसा रहा हो या धीमी-धीमी धुन बज रही हो।
गाँव में एक जवान लड़का था, जिसका नाम आदित्य था। आदित्य को इन कहानियों पर यकीन नहीं था और वह बहुत उत्सुक था। एक दिन उसने ठान लिया कि वह उस घर के रहस्य का पता लगाएगा। अँधेरी रात में, जब चाँद बादलों के पीछे छिप गया था, आदित्य टॉर्च लेकर उस घर की तरफ चल पड़ा।
जैसे ही वह घर के पास पहुँचा, उसे एक अजीब सी ठंडक महसूस हुई, जबकि मौसम सामान्य था। उसने धीरे से दरवाज़ा खोला, जो एक कर्कश आवाज़ के साथ खुला। अंदर चारों तरफ धूल और मकड़ी के जाले थे। उसने अपनी टॉर्च जलाई और कमरे का जायज़ा लिया। तभी उसकी नज़र एक पुरानी अल्मारी पर पड़ी। अल्मारी पर एक अजीब तरह का निशान बना हुआ था, जो उसने पहले कभी नहीं देखा था।
आदित्य ने अल्मारी खोलने की कोशिश की, लेकिन वह बहुत भारी थी और हिल नहीं रही थी। अचानक, उसे अल्मारी के पीछे से एक हल्की-सी चमक दिखाई दी। उसने मुश्किल से अल्मारी को एक तरफ धकेला और देखा कि वहाँ एक छिपा हुआ दरवाजा था। उस दरवाजे पर भी वही अजीब निशान बना हुआ था।
डर और उत्सुकता के बीच, आदित्य ने धीरे से उस दरवाजे को खोला। अंदर एक संकरी, अँधेरी सुरंग थी। वह टॉर्च की रोशनी में आगे बढ़ा। सुरंग के आखिर में एक बड़ा कमरा था। कमरे के बीच में एक पुराना बक्सा रखा हुआ था। आदित्य ने काँपते हाथों से बक्सा खोला।
बक्से के अंदर कोई खजाना नहीं था, बल्कि एक पुरानी डायरी और एक अजीब सा यंत्र था। डायरी में कुछ ऐसे सूत्र लिखे थे जो उसे समझ नहीं आ रहे थे। लेकिन जैसे ही उसने उस यंत्र को छुआ, कमरे की हवा अचानक गर्म हो गई और दीवारों पर लगे चित्रों से अजीब आकृतियाँ हिलने लगीं। ऐसा लगा जैसे वो चित्र जीवित हो गए हों।
अचानक, उसे अपने पीछे किसी के होने का एहसास हुआ। उसने मुड़कर देखा तो वहाँ कोई नहीं था, लेकिन उसे एक धीमी, काँपती हुई आवाज़ सुनाई दी, "इसे बंद करो... नहीं तो..."। आदित्य घबरा गया। वह यंत्र को वापस बक्से में रखने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वह उसके हाथ से चिपक गया था।
तभी उसे याद आया कि डायरी में एक आखिरी लाइन लिखी थी, "रहस्य तब तक रहस्य है, जब तक तुम उसे खुद न ढूँढो।" आदित्य ने हिम्मत करके यंत्र को एक तेज झटके से दूर फेंका। जैसे ही यंत्र दीवार से टकराया, एक तेज रोशनी निकली और पूरा कमरा और वहाँ का दृश्य गायब हो गया।
जब आदित्य की आँख खुली, तो वह उसी गाँव के बीचोबीच लेटा हुआ था। उसके हाथ में न डायरी थी और न ही वह यंत्र। वह घर भी वहाँ से गायब हो चुका था, जैसे वह कभी था ही नहीं। गाँव वाले अब भी उस घर के बारे में बात करते थे, लेकिन आदित्य को पता था कि उस घर का रहस्य सिर्फ एक याद बनकर रह गया था, जिसका कोई सबूत नहीं था। वह आज भी यह सोचकर परेशान हो जाता है कि आखिर उस घर का रहस्य क्या था और उसके साथ क्या हुआ था।

एक लड़की जब 16 से 20 वर्ष के बीच होती है, तो उसका मन किस प्रकार से बहलता है और शिकारी उसका शिकार कर लेते हैं। उन्हीं लड़...
11/09/2025

एक लड़की जब 16 से 20 वर्ष के बीच होती है, तो उसका मन किस प्रकार से बहलता है और शिकारी उसका शिकार कर लेते हैं। उन्हीं लड़कियों की तरह एक लड़की को शिकारी के चंगुल से बचा लिया गया है। जो इस पोस्ट में दर्शाया गया है।

एक दिन की बात है जब एक काम से मुझे 16 सितंबर को दिल्ली जाना पड़ा तो मैंने तत्काल स्लीपर टिकट लिया और कैफियत ट्रेन से रवाना हो गया और मेरे बैठने के ठीक तीन घंटे बाद एक सलवार सूट पहने हुए गोरी सी लड़की एक बैग लिए हुए मेरी सीट पर एक किनारे बैठ गई। और मैं हाथ में लिए हुए एक मैगजीन पढ़ रहा था और वह लड़की बार बार इधर उधर देख रही थी। वह बार बार मुझे भी देखें जा रही थी। शायद वह सोच रही थी कि कहीं मैं उसे अपनी सीट से उतार न दूं।

मैंने मैगजीन रखते हुए पूछा-- कहा जाना है? लड़की:— दिल्ली! लड़की:— आप कहा तक जाएंगे ? मैंने कहा:— मुझे भी दिल्ली जाना है, और आपकी सीट कहा है? मेरे पास जनरल टिकट है। मैंने कहा:— तो अभी टीटी आएगा तो टिकट बनवा लेना, शायद सीट भी कही दें दें। लड़की:— जी ठीक है मैं बनवा लुंगी लेकिन तब तक आप हमें बैठने दीजिए।:— मैंने कहा कोई बात नहीं बैठी रहो।

टीटी आया और स्लीपर का टिकट तो बना दिया किन्तु सीट नहीं दिया, बोला कोई सीट खाली नहीं है।

मैंने कहा आप करती क्या हो? लड़की:— कुछ नहीं। मैंने कहा:— मेरा मतलब पढ़ाई से है । जी मै ग्यारहवीं क्लास में पढ़ती हूं। मैंने:— अच्छा! और आपके घर में कितने लोग हैं। लड़की:— मम्मी पापा भाई बहन सब है।

थोड़ी देर बाद वह मोबाइल निकाली और उसमें सिमकार्ड लगाई और किसी से बात की। उधर से कौन था और क्या बात किया यह तो मुझे नहीं पता लेकिन यह लड़की अपना लोकेशन दें दिया।

मैंने कहा:— पापा से बात कर रही थी स्टेशन से रिसीव करने के लिए। लड़की:— जी नहीं पापा तो गांव में है। मैंने:— फिर भैया रहे होंगे। लड़की:— नहीं ओ.. मेरे..ओ.. थै । मैंने:— ओ थे मतलब! मुझे तो नहीं लगता कि अभी आपकी शादी हुई है। लड़की:— जी अभी तो नहीं हुई है, लेकिन दो तीन दिन में हों जाएगी। मैंने:— ओ अब समझा इसका मतलब प्रेम विवाह करने वाली हो। लड़की:— जी ! मुस्कुराने लगी। मैंने:— लड़का क्या करता है? लड़की:— दिल्ली में नौकरी करता है और बोल रहा था कि मुझे भी नौकरी दिला देगा, फिर हम दोनों लोग मौज से रहेंगे। मैंने कहा:— काफी स्मार्ट लड़का होगा । लड़की:— जी बहुत स्मार्ट है और बहुत अच्छे स्वभाव का है ।

मैंने कहा:— मैं भी प्रेम विवाह किया हूं। लड़की:— ( बड़ी उत्सुकता से) आप भी भाग कर शादी किए थे। मैंने:— नहीं! मै जिस लड़की को पसंद करता था वह लड़की भी मुझे भाग कर शादी करने के लिए कह रही थी लेकिन मैंने उससे कहा नहीं हम तुमसे प्रेम तो करते हैं किन्तु इसका मतलब यह तो नहीं कि जो मां हमें अपने गर्भ में रखा और हमारा बाथरूम साफ किया, जिस पिता ने हमें अंगुली पकड़कर चलना सिखाया, बाजार के सारे खिलौने दिए उसके प्यार को ठुकरा दूं। जो सम्मान बनाने में इतनी उमर गवा दिए, उनकी इज्जत को रौंद दूं। उनका सर समाज में हमेशा के लिए झुका दूं। मै शादी तो तुम्हीं से करूंगा लेकिन मां बाप को मना कर और फिर एक दिन माता पिता मान गए और हम दोनों की शादी हो गई।

मैंने कहा:— वैसे आप जिससे प्रेम करती है उसे आपके घर वाले जानते हैं। लड़की:— जी नहीं, कोई नहीं जानता। मैंने:— आप उसका घर देखी है और उसके घर वाले आपको जानते है। लड़की:— नहीं । मैंने कहा:— फ्राड ! तुम्हारे साथ फ्राड होने वाला है। लड़की:— नहीं वह ऐसा वैसा लड़का नहीं है। वह मुझसे बहुत प्यार करता है। मैंने:— एक बात बताऊं, जो प्यार करता है तो सिर्फ करता है ज्यादा जताने की कोशिश नहीं करता है और किसी अनुचित पर रोकता और डांटता भी है। और यह तुम्हारे धन, तुम्हारी सुन्दरता से प्रेम करता है। लड़की:— नहीं यह ग़लत बात है वह ऐसा नहीं कर सकता। मैंने कहा:— ठीक है मर्जी तुम्हारी पर मेरे पास एक उपाय है परीक्षा लेना चाहोगी ! लड़की:— क्या ? मैंने कहा:— उसे फोन करो और बोलो कि मेरे मम्मी पापा मान गए है मैरी शादी तुमसे करने के लिए और वो भी आने के लिए कह रहे है और वही दिल्ली में ही मेरे मामा मामी भी है वे भी आ जाएंगे और वो बोले है आखिर एक दिन शादी करनी ही है तो अभी तुम्हारे पसंद का ही कर देते हैं ताकि हम लोगों का मान सम्मान भी रह जाय और तुम लोगों की खुशी भी। इसलिए तुम अपने मम्मी पापा को भी बुला लो।

लड़की ने वैसा ही किया, फोन लगाईं और लड़का इसकी सब बातें सुनकर आगबबूला हो गया, और बोला। तेरी जैसी कितनी लड़कियां आई और चली गई और तुम मुझे बेवकूफ बनाने आई हो।पागल समझ रखा है। डांटते हुए फोन काट दिया।

लड़की:— फिर से फोन लगाईं, स्विच ऑफ बताने लगा। मैंने कहा:— अब उसका फोन कभी नहीं लगेगा क्योंकि ऐसे लड़के अलग अलग लड़कियों के लिए अलग अलग सिमकार्ड का उपयोग करते हैं।

अब सोचो घर से भागने का मतलब घर जा नहीं सकती। उनको अपनी परेशानी बता नहीं सकती और तुम्हारा उसके सिवा और कोई रहता नहीं। इसलिए वह तुम्हारे साथ अगर कोई बर्बरता करता तो तुम क्या करती या फिर एक दिन छोड़कर चला जाता,भाग जाता तो ऐसे में क्या करती। जानती हो ऐसे में लड़कियां आत्महत्या कर लेती है जो घर वालों को पता तक नहीं चल पाता।

लड़की रोने लगती है मैंने कहा:— ओ..हो.. रोना नहीं अभी तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगड़ा है।अब एक काम करो अपने घर फोन लगाओ। लड़की फोन लगाती है। हैलो, हां पापा! लड़की रोने लगती है, पापा:— बिटिया कहा हों ? हम सभी लोग बिना खाए पिए तुम्हें ही खोज रहे है। लड़की:— पापा बस थोड़ा सा बहक गई थी पर अब ठीक हूं, कल तक घर आ जाउंगी। और मुझे धन्यवाद देते हुए अगले स्टेशन पर उतर कर दूसरी ट्रेन से घर के लिए रवाना हो गई।

दोस्तों,, इसलिए कहा जाता है औलाद को इतनी मोहब्बत दो दो कि हर बात बताये छुपाये नही
कुछ लड़कियाँ घर से भाग जाती हैं जो कि गलत है और कोई ना कोई वजह से भागती हैं इसलिए उसकी बात सुने क्या चाहती है जबर्दस्ती उसपे अपना फैसला नहीं थोपना चाहिए हरेक माँ बाप को ये बात समझना चाहिए

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