21/06/2025
आज लखीसराय जिले के बालू घाट संवेदकों द्वारा किए जा रहे बालू कालाबाजारी की शिकायत दर्ज कराए हैं
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सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री,
बिहार सरकार, पटना।
प्रतिलिपि:
1. माननीय राज्यपाल, बिहार
2. माननीय प्रमुख सचिव, खनन एवं भूविज्ञान विभाग, बिहार सरकार, पटना
3. माननीय सचिव, वाणिज्य कर विभाग, बिहार सरकार, पटना
4. माननीय सचिव, वाणिज्य कर विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली
5. जिलाधिकारी, लखीसराय
6. जिला खनन पदाधिकारी, लखीसराय
7. आर्थिक अपराध इकाई
विषय:
लखीसराय जिले के बालू घाटों पर संवेदकों द्वारा खनन चालान दर से कई गुना अधिक राशि वसूल कर की जा रही कालाबाजारी, सरकारी राजस्व का महा घोटाला तथा आम नागरिकों के आर्थिक शोषण की ओर ध्यानाकर्षण।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं राज्य का एक सजग नागरिक एवं ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा एक ट्रक स्वामी हूं। साथ ही, राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी संगठन में बिहार सह प्रभारी के रूप में सक्रिय सेवा में हूं। मैं आपका ध्यान लखीसराय जिले के बालू घाटों पर चल रही एक अत्यंत गम्भीर, संगठित एवं बहुस्तरीय आर्थिक अनियमितता की ओर आकृष्ट करना चाहता हूं, जो राज्य की आर्थिक संरचना, राजस्व प्रणाली एवं जनहितकारी योजनाओं को क्षति पहुँचा रही है।
🌧 पृष्ठभूमि एवं वर्तमान स्थिति (अद्यतन, आकर्षक शैली में):
भारत के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग संवैधानिक मर्यादाओं और पर्यावरणीय संतुलन के साथ होना अनिवार्य है। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने मानसून के दौरान नदियों से बालू खनन पर सख्त प्रतिबंध लगा रखा है। यह निर्णय न केवल पारिस्थितिकी सुरक्षा हेतु है, बल्कि अवैध खनन की प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने हेतु भी आवश्यक है।
इस निर्देश के अनुसार, मानसून में केवल पूर्व-भंडारित स्टॉक से ही बालू की आपूर्ति अनुमेय है, और वह भी सरकारी तौर पर तय दर — ₹350 प्रति टन पर। परंतु लखीसराय जिले में यह व्यवस्था पूरी तरह विफल हो चुकी है।
यहाँ सरकारी निर्देशों और NGT आदेशों का सार्वजनिक एवं सरेआम उल्लंघन हो रहा है — संवेदकों द्वारा ट्रक मालिकों से ₹1000 प्रति टन तक की जबरन वसूली की जा रही है, जबकि चालान पर मात्र ₹350 प्रति टन अंकित होता है। यह विसंगति न केवल कानून और व्यवस्था का अपमान है, बल्कि राजस्व की संगठित लूट और जनता के अधिकारों का घोर हनन है।
वर्तमान स्थिति यह है कि बालू का मूल्य कृत्रिम रूप से बढ़ाकर एक नकली संकट (Artificial Crisis) पैदा कर दिया गया है, जिससे:
ट्रक मालिकों पर आर्थिक बोझ कई गुना बढ़ गया है,
निर्माण कार्य की लागत असहनीय हो गई है,
ग्रामीण इलाकों में भवन, पुल, सड़क और स्कूलों का निर्माण रुक गया है,
प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाएं ठप पड़ गई हैं।
इस पृष्ठभूमि में यह स्पष्ट है कि पूरे जिले में बालू आपूर्ति तंत्र एक अवैध, अनियंत्रित और संगठित गिरोह के कब्जे में है, जिसकी जड़ें अब प्रशासनिक तंत्र तक फैली प्रतीत होती हैं।
1️⃣ आम नागरिकों एवं ट्रांसपोर्ट व्यवसाय का शोषण (विस्तृत विवरण):
जब ट्रक मालिकों से ₹350 के बजाय ₹1000 प्रति टन की दर वसूली होती है, तो प्रति ट्रक ₹18,000 से ₹20,000 की अतिरिक्त राशि देनी पड़ती है।
यह अतिरिक्त बोझ अंततः उपभोक्ताओं पर पड़ता है।
आम नागरिकों को अत्यधिक दर पर बालू खरीदनी पड़ रही है, जिससे गरीब और मध्यमवर्ग के लिए आवास निर्माण असंभव हो गया है।
इससे प्रधानमंत्री आवास योजना, आंगनबाड़ी, पंचायत भवन, सड़क आदि जैसी योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
2️⃣ सरकारी राजस्व का महा घोटाला एवं कर चोरी:
प्रतिदिन लगभग 1,000 ट्रक × 24 टन = 24,000 टन बालू लोड होती है।
प्रति टन अवैध वसूली = ₹1000 – ₹350 = ₹650
दैनिक अवैध वसूली = ₹15.6 करोड़
10 घाटों से मासिक कुल अनियमितता = ₹15.6 करोड़ × 30 दिन = ₹468 करोड़
➡ यह सिर्फ राजस्व चोरी नहीं, बल्कि एक राजकीय राजस्व का सुनियोजित महा घोटाला है।
➡ इसमें खनन शुल्क, व्यवसाय कर और GST की बड़े पैमाने पर चोरी हो रही है।
3️⃣ प्रशासनिक उदासीनता एवं संदिग्ध भूमिका:
ट्रक मालिकों द्वारा माननीय मंत्री, खान एवं भूविज्ञान विभाग को टेलीफोन पर शिकायत की गई।
जिला खनन पदाधिकारी को लिखित व मौखिक शिकायत दी गई।
बावजूद इसके आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
➡ इससे यह प्रतीत होता है कि यह पूरा तंत्र प्रशासनिक संरक्षण में फल-फूल रहा है।
➡ निष्क्रियता नहीं, यह संभावित मिलीभगत का गंभीर संकेत है, जिसकी जांच आवश्यक है।
4️⃣ साक्ष्य एवं गवाहों की उपलब्धता:
चालान प्रति और भुगतान रसीदें
डिजिटल भुगतान स्क्रीनशॉट्स
ट्रक मालिकों के संयुक्त बयान
दर्जनों ट्रक चालक और मालिक जांच एजेंसी के समक्ष साक्ष्य देने एवं बयान दर्ज कराने को तैयार हैं।
5️⃣ संवेदकों की सांठगांठ, कृत्रिम मूल्य निर्धारण एवं कानून का खुला उल्लंघन:
सभी संवेदकों द्वारा मूल्य एकरूपता बना ली गई है।
बाजार में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं बची — एक प्रकार का संगठित आर्थिक एकाधिकार।
यह प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 और मूल्य नियंत्रण आदेश, 1955 का उल्लंघन है।
विरोध करने वाले ट्रक मालिकों को जान-बूझकर बालू लोडिंग से वंचित किया जाता है।
➡ यह एक संगठित आपराधिक गठजोड़ है, जो शासन की साख और लोकहित दोनों के लिए संकट बन चुका है।
🙏 निवेदन है कि निम्न त्वरित कार्रवाई की जाए:
1. CBI/ED/EOU से स्वतंत्र जांच
2. दोषी संवेदकों के अनुबंध तत्काल रद्द
3. फॉरेंसिक ऑडिट कर कर चोरी वसूलना
4. खनन/वाणिज्य कर विभाग द्वारा विशेष राज्य स्तरीय जांच
5. बालू दरों को पोर्टल पर सार्वजनिक करना और हेल्पलाइन स्थापित करना
6. PMAY लाभार्थियों को रियायती दर पर बालू उपलब्ध कराना
7. संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय करना
संलग्नक:
1. चालान और भुगतान विवरण का एक प्रमाण ( अन्य अतिरिक्त प्रमाण जांच टीम के सामने प्रस्तुत करने को तैयार हैं ) संलग्न कर रहा हूं
भवदीय,
निशांत कुमार सिंह
बिहार सह प्रभारी
राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी संगठन
📧 [email protected]
📅 दिनांक: 21/06/2025
VIJAY KUMAR SINHA Mines & Geology Department, Government of Bihar GST - Goods & Services Tax, India Nitish Kumar LiveCities BIHAR Lakhisarai Live