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सरहदें कांप उठी जब लहराया तिरंगा,सिंदूर सा लाल था आसमां, दुश्मन था भटका।हिंदुस्तान की सेना चली थी वज्र के जैसे,हर कदम पे...
07/05/2025

सरहदें कांप उठी जब लहराया तिरंगा,
सिंदूर सा लाल था आसमां, दुश्मन था भटका।
हिंदुस्तान की सेना चली थी वज्र के जैसे,
हर कदम पे थी विजय, हर वार था अचूक जैसे।
ना सिर्फ़ ज़मीं, आसमां भी गूंजा जयकारों से,
ऑपरेशन सिंदूर बना गर्व वीर नारों से।🇮🇳

सावधान रहें, लेकिन डरें नहीं...!7 मई को बजेंगे विशेष अलर्ट सायरन - यह है मॉक ड्रिल का हिस्सा !!भारत सरकार के गृह मंत्राल...
07/05/2025

सावधान रहें, लेकिन डरें नहीं...!
7 मई को बजेंगे विशेष अलर्ट सायरन - यह है मॉक ड्रिल का हिस्सा !!

भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा 7 मई को पूरे देश में एक "मॉक ड्रिल" (आपातकालीन अभ्यास) का आयोजन किया जा रहा है, यह अभ्यास हाल ही में हुए पहलगाम हमले और सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है...!

क्या होगा इस ड्रिल में ?

हवाई हमले की चेतावनी देने वाले "जंग वाले" सायरन बजेंगे !

नागरिकों को आपात स्थिति में सुरक्षा उपायों की जानकारी दी जाएगी !

बंकरों और सुरक्षात्मक खाइयों की जांच व सफाई की जाएगी !

इसका उद्देश्य ?
लोगों को किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार करना और सरकारी एजेंसियों की प्रतिक्रिया प्रणाली को परखना !

महत्वपूर्ण: - यह एक मॉक ड्रिल है, असली खतरा नहीं अतः कृपया घबराएँ नहीं, बल्कि सहयोग करें !!

26/02/2025
 #देवराहा_बाबा #भारत के उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद को एक योगी, सिद्ध महापुरुष एवं सन्तपुरुष ने अपने नाम से ख्याति दिला...
22/01/2025

#देवराहा_बाबा
#भारत के उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद को एक योगी, सिद्ध महापुरुष एवं सन्तपुरुष ने अपने नाम से ख्याति दिलाई। कहा जाता है कि इनके दर्शन मात्र से जीवन सफल हो जाता है। वह अपने चमत्कार से हजारों लोगों को तृप्त करते रहे। उनके आशीर्वाद को आतुर सिर्फ़ आम लोग ही नहीं, बल्कि कई विशिष्ट लोग भी थे।उनके भक्तों में जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री , इंदिरा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद, महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन, जैसी महान विभूतियां रही हैं। अत्यंत सहज, सरल और सुलभ बाबा के सानिध्य में जैसे वृक्ष, वनस्पति भी अपने को आश्वस्त अनुभव करते रहे। कुछ ऐसे ही थे चमत्कारिक, अलौकिक रहस्यमई ‘देवरहा बाबा’।देवरहा बाबा की उम्र आज भी रहस्य है
लोगों का विश्वास है कि वे दो शताब्दी से भी अधिक जिए। बाबा के संपूर्ण जीवन के बारे में अलग-अलग मत है। कुछ लोग उनका जीवन 250 साल तो कुछ लोग 500 साल मानते हैं। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें अपने बचपन में देखा था। उनके अनुसार इस बात के पुख्ता सबूत थे कि बाबा की आयु बहुत अधिक थी।इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक बैरिस्टर के अनुसार उनका परिवार 7 पीढ़ियों से बाबा का आशीर्वाद लेता रहा था। 19 जून, 1990 को योगिनी एकादशी के दिन अपने प्राण त्यागने वाले बाबा के जन्म के बारे में आज तक संशय है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि वह करीब 900 साल तक जिन्दा रहे थे।देवरहा बाबा को खेचरी मुद्रा पर सिद्धि थी, जिस कारण वे अपनी भूख और आयु पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते थे। बाबा का आशीर्वाद देने का ढंग निराला था। मचान पर बैठे-बैठे ही अपना पैर जिसके सिर पर रख दिया, वह धन्य हो गया। श्रद्धालुओं के कथनानुसार बाबा अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से बड़े प्रेम से मिलते थे और सबको कुछ न कुछ प्रसाद अवश्य देते थे।प्रसाद देने के लिए बाबा अपना हाथ ऐसे ही मचान के खाली भाग में रखते थे और उनके हाथ में फल, मेवे या कुछ अन्य खाद्य पदार्थ आ जाते थे, जबकि मचान पर ऐसी कोई भी वस्तु नहीं रहती थी।
श्रद्धालुओं को कौतुहल होता था कि आखिर यह प्रसाद बाबा के हाथ में कहां से और कैसे आता है। जनश्रूति के मुताबिक वह खेचरी मुद्रा की वजह से आवागमन से कहीं भी कभी भी चले जाते थे। उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी। खतरनाक जंगली जानवरों को वह पल भर में काबू कर लेते थे।बाबा की सिद्धियों के बारे में हर तरफ खूब चर्चा होती थी। कहते हैं कि जॉर्ज पंचम जब भारत आए तो उनसे मिले। जॉर्ज को उनके भाई ने देवरहा बाबा के बारे में बताया था कि भारत में सिद्ध योगी पुरुष रहते हैं। उन्होंने जॉर्ज से कहा था कि अगर भारत जाओ तो किसी और से मिलो या न मिलो, देवरिया जिले में दियरा इलाके में, मइल गांव जाकर, देवरहा बाबा से जरूर मिलना।भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को बचपन में जब उनकी मां बाबा के पास ले गईं, तो उन्होंने कह दिया था कि यह बच्चा बहुत ऊंची कुर्सी पर बैठेगा। राष्ट्रपति बनने पर डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बाबा को एक पत्र लिखकर कृतज्ञता प्रकट की थी।कोई 1987 के जून महीने की बात है। देवरहा बाबा का वृंदावन में यमुना पार पर डेरा जमा हुआ था। प्रधानमंत्री राजीव गांधी को बाबा के दर्शन करने के आतुर थे। अधिकारियों में उनकी सुरक्षा को लेकर हलचल मची हुई थी। प्रधानमंत्री के आगमन का ब्लू प्रिंट तैयार हो चुका था। आला अफसरों ने हैलीपैड बनाने के लिए वहां लगे एक बबूल के पेड़ की डाल काटने के निर्देश दिए। यह सुन कर बाबा आग-बबूला हो गये।उन्होंने साफ शब्दों में अधिकारियों को बोला,“तुम यहां अपने पीएम को लाओगे, उनकी प्रशंसा पाओगे। पीएम का नाम भी होगा कि वह साधु-संतों के पास जाता है, लेकिन इसका दंड तो बेचारे पेड़ को भुगतना पड़ेगा वह मुझसे इस बारे में पूछेगा तो मैं उसे क्या जवाब दूंगा? यह पेड़ होगा तुम्हारी निगाह में, मेरा तो यह सबसे पुराना साथी है। दिन-रात मुझसे बतियाता है। यह पेड़ नहीं काटा जाएगा।”अफसरों ने अपनी दुविधा प्रकट की बाबा ने ही उन्हें सांत्वना दी और कहा कि फिक्र मत करो, अब तुम्हारे प्रधानमंत्री का कार्यक्रम टल जाएगा। तुम्हारे पीएम का कार्यक्रम मैं कैन्सिल करा देता हूं। दो घंटे बाद ही पीएम ऑफिस से रेडियोग्राम आ गया कि प्रोग्राम स्थगित हो गया है। कुछ हफ्तों बाद राजीव गांधी वहां स्वयं बाबा के दर्शन करने के लिए आए, लेकिन पेड़ नहीं कटा। इसे क्या कहेंगे चमत्कार या संयोग?देवरहा बाबा से ही प्रभावित होकर इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा निर्धारित किया।आपातकाल के बाद हुए चुनावों में जब इंदिरा गांधी को पराजय का सामना करना पड़ा, तो वह भी देवरहा बाबा के चरणों में आईं। ऐसा लोग कहते हैं कि देवरहा बाबा ने अपने हाथ के पंजे से उन्हें आशीर्वाद दिया। उसी के बाद से इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा निर्धारित कर दिया। इसके बाद 1980 में इंदिरा के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत प्राप्त किया और वह देश की प्रधानमंत्री बनीं।राम नाम नित उर पे मारो ब्रह्म दिखे संशय न जानो,देवरहा बाबा भगवान राम के परम भक्त थे। देवरहा बाबा के मुख में सदा राम नाम का वास था। वह भक्तों को राम मंत्र की दीक्षा दिया करते थे। वह सदा सरयू के किनारे रहा करते थे। उनका कहना थाः एक लकड़ी ह्रदय को मानो दूसर राम नाम हिचानो।राम नाम नित उर पे मारो ब्रह्म दिखे संशय न जानो। देवरहा बाबा जनसेवा तथा गोसेवा को सर्वोपरि-धर्म मानते थे। प्रत्येक दर्शनार्थी को लोगों की सेवा, गोमाता की रक्षा करने तथा भगवान की भक्ति में रत रहने की प्रेरणा देते थे। देवरहा बाबा श्री राम और श्री कृष्ण को एक मानते थे और भक्तों को कष्ट से मुक्ति के लिए कृष्ण मंत्र भी देते थे।बाबा देवरहा 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे। उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी। खतरनाक जंगली जानवरों को वह पल भर में काबू कर लेते थे। उनके भक्त उन्हें दया का महासमुंदर बताते हैं। जो भी आया, बाबा की भरपूर दया लेकर गया। वर्षाजल की भांति बाबा का आशीर्वाद सब पर बरसा और खूब बरसा।मान्यता थी कि बाबा का आशीर्वाद हर मर्ज की दवाई है। कहा जाता है कि बाबा देखते ही समझ जाते थे कि सामने वाले का सवाल क्या है। दिव्यदृष्ठि के साथ तेज नजर, कड़क आवाज, दिल खोल कर हंसना, खूब बतियाना बाबा की आदत थी। याददाश्त इतनी कि दशकों बाद भी मिले व्यक्ति को पहचान लेते और उसके दादा-परदादा तक का नाम व इतिहास तक बता देते।पंद्रह जून 1990 में योगिनी एकादशी का दिन और घनघोर बादल छाए थे। मौसम अचानक तेज आंधी- तूफान ले आई। यमुना नदी जैसे समुंदर को मात करने पर उतावली थी। लहरों का उछाल बाबा की मचान तक पहुंचने लगा और इन्हीं सबके बीच शाम चार बजे बाबा का शरीर स्पंदनरहित हो गया।
बाबा ब्रह्मलीन हो गए। उन्हें मचान के पास ही यमुना की पवित्र धारा में जल समाधि दी गई। जन स्वास्‍थ्य के लिए प्रेरित उनकी योगिक क्रियाएं, आध्यात्मिक उन्नति को समर्पित उनकी तपस्या और ध्यान अनंतकाल तक सबके लिए प्रेरणा बना रहेगा, ऐसे सिद्ध संतों का सभी को आर्शीवाद मिलता रहे!

🚩पटना के मशहूर टीचर गुरु रहमान ने BPSC को लेकर अपने खून से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिखा है!    #बिहार
22/01/2025

🚩पटना के मशहूर टीचर गुरु रहमान ने BPSC को लेकर अपने खून से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिखा है!

#बिहार

राजेंद्र पुल के समानांतर बन रहे नए डबल ट्रैक रेल पुल का तेजी से हो रहा निर्माण कार्य.. उम्मीद है कि आने वाले साल 2026 मे...
20/01/2025

राजेंद्र पुल के समानांतर बन रहे नए डबल ट्रैक रेल पुल का तेजी से हो रहा निर्माण कार्य.. उम्मीद है कि आने वाले साल 2026 में पूरा होगा ।

#राजेंद्रपुल #रेलपुल #सिमरिया #मोकामा #हाथीदह #बेगूसराय #रेलवे #रेलवेपुल #रेलवेब्रिज #इंडियनरेलवे #न्यूज़ #समाचार #अपडेट #ताजासमाचार #लेटेस्टन्यूज़ #वायरल #ट्रेंडिंग

इंदौर की रहने वाली मोनालिशा जो सिर्फ 16 साल की है इंटरनेट पर इस समय इनकी आंखों की बजह से भयंकर वायरल है आपने भी सोसल मीड...
20/01/2025

इंदौर की रहने वाली मोनालिशा जो सिर्फ 16 साल की है इंटरनेट पर इस समय इनकी आंखों की बजह से भयंकर वायरल है आपने भी सोसल मीडिया में इनकी रील वीडियो जरूर देखी होगी।
आज के दौर में इंटरनेट की बजह से कितने लोग रातो रात स्टार बन जाते है ऐसा कुछ मोनालिशा के साथ भी हो रहा है।।

ढलता हुआ सूरज हो, मचलती हुई शाम हो,, ! सुकूं की तलाश क्या, जब गांव में अपना धाम हो,, !!😊❤️
20/01/2025

ढलता हुआ सूरज हो, मचलती हुई शाम हो,, !
सुकूं की तलाश क्या, जब गांव में अपना धाम हो,, !!😊❤️

सारे मठाधीश धरे रह गए…💯एक मलंग आया और महफ़िल लूट गया 😊कुंभ में जो आईआईटीयन बाबा वायरल हुए हैं वो व्यक्ति यही है इनका नाम...
19/01/2025

सारे मठाधीश धरे रह गए…💯
एक मलंग आया और महफ़िल लूट गया 😊
कुंभ में जो आईआईटीयन बाबा वायरल हुए हैं वो व्यक्ति यही है इनका नाम हैं अभय सिंह..!!

ये मुंबई IIT 2008 बैच के एयरोस्पेस इंजीनियर थे.....सुख सुविधा और भविष्य में आगे बढ़ने और बेहतर करियर बनाने, विदेश जाने के सभी अवसर इनके पास थे.....
इन्होंने बोइंग कंपनी में कुछ वर्ष काम भी किया

फिर पता नहीं कैसे ये एक दिन सब कुछ त्याग कर साधु बन गए.…..

इनके सहपाठी आज पता नहीं किस किस फील्ड में पूरी दुनिया में कहां कहां होंगे.....

जिस उद्देश्य के लिए ये सन्यासी बने वह पूरा हुआ या नहीं.... ये तो यहीं जानते होंगे..... कुंभ मेले और नागा साधुओं को एक विदेशी पत्रकार ने दूसरी दुनिया के व्यक्ति बताया था.....अभी तो महाकुंभ की शुरुआत हुई है......अंत होते होते न जाने कितने और रहस्य प्रकट होंगे.....!!

बिहार के गया शहर के प्रमोद कुमार भदानी ने सिर्फ 2500 रुपये से शुरू किए गए ठेले पर लड्डू बेचने के कारोबार को 50 करोड़ रुप...
17/01/2025

बिहार के गया शहर के प्रमोद कुमार भदानी ने सिर्फ 2500 रुपये से शुरू किए गए ठेले पर लड्डू बेचने के कारोबार को 50 करोड़ रुपये के सालाना टर्नओवर तक पहुंचा दिया है। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें हल्दीराम और बिकानो जैसे बड़े ब्रांड्स का मुकाबला करने वाला 'लड्डू किंग' बना दिया।

प्रमोद ने न सिर्फ बिहार और झारखंड बल्कि आसपास के राज्यों में भी अपने मिठाई के बिजनेस का विस्तार किया है। उनकी सफलता की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा है कि कैसे छोटे प्रयासों से बड़े सपने साकार किए जा सकते हैं।

बिहार के खानपान पकवान लोक संस्कृति लोक संगीत को समर्पित हमारे इस पेज को फॉलो करके सपोर्ट करें https://www.facebook.com/a...
16/01/2025

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संरक्षक - श्री जे. एन. त्रिवेदी

श्री जे.एन. त्रिवेदी बिहार के एक जानेमाने समाजसेवी और राजनेता हैं. सीमेंट उद्योग को बिहार में एक मुकाम पर पहुंचाने के बाद सामाजिक सरोकार के मुद्दों को लेकर संघर्ष करनेवाले श्री त्रिवेदी बिहार के लाखों लोगों के चहेते हैं. इनकी एक पहचान सीमेंट उद्योग लिए बहुत मजबूत वितरण नेटवर्क विकसित करनेवाले सफल प्रोफेशनल के रूप में है तो दूसरी पहचान एक सामाजिक कार्यकर्त्ता की है. सामाजिक कार्यों से जुड़े तो राजनीतिक दलों की नजर भी इनके ऊपर पडी. सबसे पहले ये बी.एस.पी. से जुड़े फिर जेडीयू में लाये गए. जेडीयू छोड़ने के बाद श्री त्रिवेदी ने अपने समाज के खोये हुए मान-सम्मान को वापस स्थापित करने के लिए काम करना शुरू किया है.

श्री त्रिवेदी को इस बात का बहुत दुःख है कि ब्राह्मण समाज, जिसने दुनिया को सभ्यता संस्कृति और धर्म-अधर्म का पाठ पढ़ाया, आज वही सबके निशाने पर है. ब्राहमणों के देश निर्माण और समाज निर्माण में जो अहम् भूमिका है, जो योगदान है, उसे फिर से लोगों के सामने लाने के लिए श्री त्रिवेदी पिछले कई सालों से काम कर रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी के सवर्ण भाईचारा के प्रदेश अध्यक्ष (बिहार) बनाए जाने के साथ ही वो लोगों की नजर में उभरकर आ गए. इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने एस. के. मेमोरियल हॉल, पटना में सवर्ण भाईचारा समिति के बैनर के तहत “सवर्ण भाईचारा बनाओ कार्यक्रम” का आयोजन किया. फिर जनता दल (युनाइटेड) के उपाध्यक्ष बने और उन्हें व्यापार प्रकोष्ठ के प्रभारी की जिम्मेवारी दी गई. लेकिन यहाँ भी ज्यादा दिन नहीं टिके. बदलाव की प्रबल इच्छा ने उन्हें उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी आर.एल.एस.पी से जोड़ दिया. उन्होंने इस दौरान ब्राह्मण समाज को एकजुट करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किये. देश भर के ब्राहमण विद्वानों का पटना में सम्मलेन करवाया.

श्री त्रिवेदी ने "क्या भारतीय संविधान के तहत आरक्षण की समीक्षा की जा सकती है?" विषय पर (होटल मौर्य, पटना) में एक संगोष्ठी का आयोजन किया था। पटना से कई सेवानिवृत्त न्यायाधीश, प्रो. इम्तियाज अहमद, प्रो. शिव जतन ठाकुर और कई अन्य उच्च पदस्थ लोग इस सेमिनार में शामिल हुए थे।

जब श्री त्रिवेदी को लगा कि राजनीतिक दलों के साथ जुड़कर वो अपने ब्राहमण समाज को उसका खोया हुआ मान-सम्मान नहीं दिला सकते, इन्होने ब्रह्मजन एकता परिषद का गठन किया. ब्रह्मजन एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से ब्राहमण –भूमिहार समाज की एकता और उसके खोये हुए मान-सम्मान को फिर से प्रतिष्ठित करने के लिए श्री त्रिवेदी दिन रात जुटे हुए हैं. जे.एन. त्रिवेदी की अगली योजना देश दुनिया के ब्राहमण विद्वानों का पटना में एक अंतराष्ट्रीय सम्मलेन कराना है. इस सम्मलेन में जुटे विद्वान् देश-दुनिया को बताएगें कि ब्राहमण समाज का देश और समाज के निर्माण में, धर्म-संस्कृति और परंपरा को बचाने में क्या योगदान रहा है.