Lord Sri Krishna Lila Audio Video Puran & Iscon Mandir of world

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Lord Sri Krishna Lila Audio Video  Puran & Iscon Mandir of world श्री कृष्ण Upasak Parashar Gotra Gyaneshwar Pandey Digital creator.ओम नमो Bhagwatey Vasudeway.

Harye permatmany pranat klesh nasay Govinday namo namah.Achyutay namah Ananatay namah Govinday namah.kling Krishnay namah.Droupadi Krishna.Radhey .Page 12/30.

01/12/2025
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गंगाजी के अत्यन्त पुण्यदायी 108 नाम ॐरुपिणी  गंगा,त्रिपथगा देवी,शम्भुमौलिविहारिणी,जाह्नवी,पापहन्त्री,महापातकनाशिनी,पतितो...
01/12/2025

गंगाजी के अत्यन्त पुण्यदायी 108 नाम
ॐरुपिणी गंगा,
त्रिपथगा देवी,
शम्भुमौलिविहारिणी,
जाह्नवी,
पापहन्त्री,
महापातकनाशिनी,
पतितोद्धारिणी,
स्त्रोतस्वती,
परमवेगिनी,
विष्णुपादाब्जसम्भूता,
विष्णुदेहकृतालया,
स्वर्गाब्धिनिलया,
साध्वी,
स्वर्णदी,
सुरनिम्नगा,
मन्दाकिनी,
महावेगा,
स्वर्णश्रृंगप्रभेदिनी,
देवपूज्यतमा,
दिव्या,
दिव्यस्थाननिवासिनी,
सुचारुनीररुचिरा,
महापर्वतभेदिनी,
भागीरथी,
भगवती,
महामोक्षप्रदायिनी,
सिन्धुसंगगता,
शुद्धा,
रसातलनिवासिनी,
महाभोगा,
भोगवती,
सुभगानन्ददायिनी,
महापापहरा,
पुण्या,
परमाह्लाददायिनी,
पार्वती,
शिवपत्नी,
शिवशीर्षगतालया,
शम्भोर्जटामध्यगता,
निर्मला,
निर्मलानना,
महाकलुषहन्त्री,
जह्नुपुत्री,
जगत्प्रिया,
त्रैलोक्यपावनी,
पूर्णा,
पूर्णब्रह्मस्वरूपिणी,
जगत्पूज्यतमा,
चारुरूपिणी,
जगदम्बिका,
लोकानुग्रहकर्त्री,
सर्वलोकदयापरा
याम्यभीतिहरा,
तारा,
पारा,
संसारतारिणी,
ब्रह्माण्डभेदिनी,
ब्रह्मकमण्डलुकृतालया,
सौभाग्यदायिनी,
पुंसां निर्वाणपददायिनी,
अचिन्त्यचरिता,
चारुरुचिरातिमनोहरा,
मर्त्यस्था,
मृत्युभयहा,
स्वर्गमोक्षप्रदायिनी,
पापापहारिणी,
दूरचारिणी,
वीचिधारिणी,
कारुण्यपूर्णा,
करुणामयी,
दुरितनाशिनी,
गिरिराजसुता,
गौरीभगिनी,
गिरिशप्रिया,
मेनकागर्भसम्भूता,
मैनाकभगिनीप्रिया,
आद्या,
त्रिलोकजननी,
त्रैलोक्यपरिपालिनी,
तीर्थश्रेष्ठतमा,
श्रेष्ठा,
सर्वतीर्थमयी,
शुभा,
चतुर्वेदमयी,
सर्वा,
पितृसंतृप्तिदायिनी,
शिवदा,
शिवसायुज्यदायिनी,
शिववल्लभा,
तेजस्विनी,
त्रिनयना,
त्रिलोचनमनोरमा
सप्तधारा,
शतमुखी,
सगरान्वयतारिणी,
मुनिसेव्या,
मुनिसुता,
जह्नुजानुप्रभेदिनी,
मकरस्था,
सर्वगता,
सर्वाशुभनिवारिणी,
सुदृश्या,
चाक्षुषीतृप्तिदायिनी,
मकरालया,
सदानन्दमयी,
नित्यानन्ददा,
नगपूजिता,
सर्वदेवाधिदेवै: परिपूज्यपदाम्बुजा ।
108 नाम-स्मरण का माहात्म्य
ये नाम समस्त पापों का विनाश करने वाले हैं । जो व्यक्ति प्रात:काल उठकर गंगा के इन परम पुण्य देने वाले 108 नामों को भक्तिपूर्वक पढ़ता है, उसके ब्रह्महत्या जैसे पाप भी नष्ट हो जाते हैं और वह अतुलनीय आरोग्य व सुख प्राप्त करता है, इसमें कोई संदेह नहीं है । जहां कहीं भी स्नान करके मनुष्य यदि इस स्तोत्र का पाठ करे तो उसे वहीं गंगास्नान का फल निश्चित रूप से प्राप्त हो जाता है । जो मनुष्य गंगाजी के इन 108 नामों का या स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करता है, वह अंत में गंगा को प्राप्त होकर परम पद प्राप्त कर लेता है । जो मनुष्य गंगास्नान के समय इन नामों का पाठ करता है, वह हजारों अश्वमेधयज्ञों का फल प्राप्त करता है । पंचमी तिथि को इन नामों का पाठ करने से दस हजार गायों के दान का फल मिलता है । कार्तिक पूर्णिमा को गंगासागर संगम में स्नान करके जो मनुष्य इसका पाठ करता है, वह शिवत्व को प्राप्त हो जाता है, यह सत्य है इसमें कोई संशय नहीं है ।
गंगाजी का अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र
गंगा नाम परं पुण्यं कथितं परमेश्वर ।
नामानि कति शस्तानि गंगाया: प्रणिशंस मे ।।१ ।।
नारदजी ने महादेव से कहा—‘गंगा’ नाम परम पुण्यदायी है । गंगा के और भी कितने नाम हैं, उन्हें मुझे बताइये ।।
नाम्नां सहस्त्रमध्ये तु नामाष्टशतमुत्तमम् ।
जाह्नव्या मुनिशार्दूल तानि मे श्रृणु तत्त्वत: ।। २ ।।
महादेवजी बोले—गंगा के एक हजार नामोंमें एक सौ आठ नाम अति उत्तम हैं । उन नामों को सुनिए—
ॐ गंगा त्रिपथगा देवी शम्भुमौलिविहारिणी ।
जाह्नवी पापहन्त्री च महापातकनाशिनी ।। ३ ।
पतितोद्धारिणी स्त्रोतस्वती परमवेगिनी ।
विष्णुपादाब्जसम्भूता विष्णुदेहकृतालया ।। ४ ।
स्वर्गाब्धिनिलया साध्वी स्वर्णदी सुरनिम्नगा ।
मन्दाकिनी महावेगा स्वर्णश्रृंगप्रभेदिनी ।। ५ ।
देवपूज्यतमा दिव्या दिव्यस्थाननिवासिनी ।
सुचारुनीररुचिरा महापर्वतभेदिनी ।। ६ ।।

भागीरथी भगवती महामोक्षप्रदायिनी ।
सिन्धुसंगगता शुद्धा रसातलनिवासिनी ।। ७ ।।

महाभोगा भोगवती सुभगानन्ददायिनी
महापापहरा पुण्या परमाह्लाददायिनी ।। ८ ।।

पार्वती शिवपत्नी च शिवशीर्षगतालया ।
शम्भोर्जटामध्यगता निर्मला निर्मलानना ।। ९ ।

महाकलुषहन्त्री च जह्नुपुत्री जगत्प्रिया ।
त्रैलोक्यपावनी पूर्णा पूर्णब्रह्मस्वरूपिणी ।। १० ।।

जगत्पूज्यतमा चारुरूपिणी जगदम्बिका ।
लोकानुग्रहकर्त्री च सर्वलोकदयापरा ।। ११ ।।

याम्यभीतिहरा तारा पारा संसारतारिणी ।
ब्रह्माण्डभेदिनी ब्रह्मकमण्डलुकृतालया ।। १२ ।।

सौभाग्यदायिनी पुंसां निर्वाणपददायिनी ।
अचिन्त्यचरिता चारुरुचिरातिमनोहरा ।। १३ ।।

मर्त्यस्था मृत्युभयहा स्वर्गमोक्षप्रदायिनी ।
पापापहारिणी दूरचारिणी वीचिधारिणी ।। १४ ।।

कारुण्यपूर्णा करुणामयी दुरितनाशिनी ।
गिरिराजसुता गौरीभगिनी गिरिशप्रिया ।। १५ ।।

मेनकागर्भसम्भूता मैनाकभगिनीप्रिया ।
आद्या त्रिलोकजननी त्रैलोक्यपरिपालिनी ।। १६ ।।

तीर्थश्रेष्ठतमा श्रेष्ठा सर्वतीर्थमयी शुभा ।
चतुर्वेदमयी सर्वा पितृसंतृप्तिदायिनी ।। १७ ।।

शिवदा शिवसायुज्यदायिनी शिववल्लभा ।
तेजस्विनी त्रिनयना त्रिलोचनमनोरमा ।। १८ ।।

सप्तधारा शतमुखी सगरान्वयतारिणी ।
मुनिसेव्या मुनिसुता जह्नुजानुप्रभेदिनी ।। १९ ।।

मकरस्था सर्वगता सर्वाशुभनिवारिणी ।
सुदृश्या चाक्षुषीतृप्तिदायिनी मकरालया ।। २० ।।

सदानन्दमयी नित्यानन्ददा नगपूजिता ।
सर्वदेवाधिदेवैश्च परिपूज्यपदाम्बुजा ।। २१ ।।

एतानि मुनिशार्दूल नामानि कथितानि ते ।
शस्तानि जाह्नवीदेव्या: सर्वपापहराणि च ।। २२ ।।

य इदं पठते भक्तया प्रातरुत्थाय नारद ।
गंगाया: परमं पुण्यं नामाष्टशतमेव हि ।। २३ ।।

तस्य पापानि नश्यन्ति ब्रह्महत्यादिकान्यपि ।
आरोग्यमतुलं सौख्यं लभते नात्र संशय: ।। २४ ।।

यत्र कुत्रापि संस्नायात्पठेत्स्तोत्रमनुत्तमम् ।
तत्रैव गंगास्नानस्य फलं प्राप्नोति निश्चितम् ।। २५ ।।

प्रत्यहं प्रपठेदेतद् गंगानामशताष्टकम् ।
सोऽन्ते गंगामनुप्राप्य प्रयाति परमं पदम् ।। २६ ।।

गंगायां स्नानसमये य: पठेद्भक्तिसंयुत: ।
सोऽश्वमेधसहस्त्राणां फलमाप्नोति मानव: ।। २७ ।।
गवामयुतदानस्य यत्फलं समुदीरितम् ।
तत्फलं समवाप्नोति पंचम्यां प्रपठन्नर: ।। २८ ।।
कार्तिक्यां पौर्णमास्यां तु स्नात्वा सागरसंगमे ।
य: पठेत्स महेशत्वं याति सत्यं न संशय: ।। २९
इति श्रीमहाभागवते महापुराणे श्रीगंगादेव्या अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
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🚩चरन कमल बंदउँ तिन्ह केरे। पुरवहुँ सकल मनोरथ मेरे॥कलि के कबिन्ह करउँ परनामा। जिन्ह बरने रघुपति गुन ग्रामा॥🚩भावार्थ:-मैं ...
01/12/2025

🚩चरन कमल बंदउँ तिन्ह केरे। पुरवहुँ सकल मनोरथ मेरे॥
कलि के कबिन्ह करउँ परनामा। जिन्ह बरने रघुपति गुन ग्रामा॥🚩

भावार्थ:-मैं उन सब (श्रेष्ठ कवियों) के चरणकमलों में प्रणाम करता हूँ, वे मेरे सब मनोरथों को पूरा करें। कलियुग के भी उन कवियों को मैं प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने श्री रघुनाथजी के गुण समूहों का वर्णन किया है॥

#जयश्रीराम
#सीताराम
#अयोध्याधाम
#अंतर्यत्रा



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🙏  #कलियुग_में_अष्ट_चिरंजीवी (आठ अमर व्यक्ति) हैं: अश्वत्थामा, राजा बलि, ऋषि व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम औ...
01/12/2025

🙏 #कलियुग_में_अष्ट_चिरंजीवी (आठ अमर व्यक्ति) हैं: अश्वत्थामा, राजा बलि, ऋषि व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और ऋषि मार्कण्डेय। ये सभी विभिन्न वरदानों या श्रापों के कारण अजर-अमर माने जाते हैं और माना जाता है कि वे आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं।
🙏अश्वत्थामा: गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र, जिन्हें श्रीकृष्ण ने कल्प के अंत तक जीवित रहने का श्राप दिया था।
🙏राजा बलि: दानवीर राजा, जिन्हें वामन अवतार के बाद पाताल लोक भेजा गया था और वे चिरंजीवी हैं।
🙏ऋषि व्यास: वेदों के संकलनकर्ता और महाभारत के रचयिता, जिन्हें ब्रह्मा से अमरता का वरदान मिला।
🙏हनुमान: भगवान राम के अनन्य भक्त, जिन्हें सीता ने अजर-अमर होने का आशीर्वाद दिया।
🙏विभीषण: रावण के छोटे भाई, जिन्होंने श्रीराम का साथ दिया और श्रीराम ने उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान दिया।
🙏कृपाचार्य: कौरवों और पांडवों के कुलगुरु, जिन्हें चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है।
🙏परशुराम: भगवान विष्णु के छठे अवतार, जो कलियुग में भी विद्यमान हैं और कल्कि के युद्ध गुरु के रूप में पुनः प्रकट होंगे।
🙏ऋषि मार्कण्डेय: शिव के परम भक्त, जिन्होंने शिव की भक्ति से यमराज से अकाल मृत्यु से बचकर अमरता प्राप्त की।
🙏 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः 🚩🚩🚩🚩
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 #मार्गशीर्ष_शुक्लपक्षकी_मोक्षा_एकादशीका_माहात्म्य                     🌼 ्रीपरमात्मने_नमः🌼            युधिष्ठिर बोले— दे...
01/12/2025

#मार्गशीर्ष_शुक्लपक्षकी_मोक्षा_एकादशीका_माहात्म्य

🌼 ्रीपरमात्मने_नमः🌼

युधिष्ठिर बोले— देवदेवेश्वर ! मैं पूछता हूँ— मार्गशीर्षमासके शुक्लपक्षमें जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है ? कौन-सी विधि है तथा उसमें किस देवताका पूजन किया जाता है ? स्वामिन् ! यह सब यथार्थरूपसे बताइये ।

श्रीकृष्णने कहा— नृपश्रेष्ठ ! मार्गशीर्षमासके कृष्णपक्षमें 'उत्पत्ति' ( उत्पन्ना ) नामकी एकादशी होती है, जिसका वर्णन मैंने तुम्हारे समक्ष कर दिया है। अब शुक्लपक्षकी एकादशीका वर्णन करूँगा, जिसके श्रवणमात्रसे वाजपेय-यज्ञका फल मिलता है। उसका नाम है— 'मोक्षा' एकादशी, जो सब पापोंका अपहरण करनेवाली है। राजन् ! उस दिन यत्नपूर्वक तुलसीकी मञ्जरी तथा धूप-दीपादिसे भगवान् दामोदरका पूजन करना चाहिये। पूर्वोक्त विधिसे ही दशमी और एकादशीके नियमका पालन करना उचित है। 'मोक्षा' एकादशी बड़े-बड़े पातकोंका नाश करनेवाली है। उस दिन रात्रिमें मेरी प्रसन्नताके लिये नृत्य, गीत और स्तुतिके द्वारा जागरण करना चाहिये। जिसके पितर पापवश नीच योनिमें पड़े हों, वे इसका पुण्य-दान करनेसे मोक्षको प्राप्त होते हैं। इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। पूर्वकालकी बात है, वैष्णवोंसे विभूषित परम रमणीय चम्पक नगरमें वैखानस नामक राजा रहते थे। वे अपनी प्रजाका पुत्रकी भाँति पालन करते थे। इस प्रकार राज्य करते हुए राजाने एक दिन रातको स्वप्नमें अपने पितरोंको नीच योनिमें पड़ा हुआ देखा। उन सबको इस अवस्थामें देखकर राजाके मनमें बड़ा विस्मय हुआ और प्रातःकाल ब्राह्मणोंसे उन्होंने उस स्वप्नका सारा हाल कह सुनाया।

राजा बोले— ब्राह्मणो ! मैंने अपने पितरोंको नरकमें गिरा देखा है। वे बारम्बार रोते हुए मुझसे यों कह रहे थे कि 'तुम हमारे तनुज हो, इसलिये इस नरक-समुद्रसे हमलोगोंका उद्धार करो।' द्विजवरों ! इस रूपमें मुझे पितरोंके दर्शन हुए हैं। इससे मुझे चैन नहीं मिलता। क्या करूँ, कहाँ जाऊँ ? मेरा हृदय रुँधा जा रहा है। द्विजोत्तमों ! वह व्रत, वह तप और वह योग, जिससे मेरे पूर्वज तत्काल नरकसे छुटकारा पा जायँ, बतानेकी कृपा करें। मुझ बलवान् एवं साहसी पुत्रके जीते-जी मेरे माता-पिता घोर नरकमें पड़े हुए हैं ! अतः ऐसे पुत्रसे क्या लाभ है।

ब्राह्मण बोले— राजन् ! यहाँसे निकट ही पर्वत मुनिका महान् आश्रम है। वे भूत और भविष्यके भी ज्ञाता हैं। नृपश्रेष्ठ ! आप उन्हींके पास चले जाइये।

ब्राह्मणोंकी बात सुनकर महाराज वैखानस शीघ्र ही पर्वत मुनिके आश्रमपर गये और वहाँ उन मुनिश्रेष्ठको देखकर उन्होंने दण्डवत्-प्रणाम करके मुनिके चरणोंका स्पर्श किया। मुनिने भी राजासे राज्यके सातों * अङ्गोंकी कुशल पूछी।

राजा बोले— स्वामिन् ! आपकी कृपासे मेरे राज्यके सातों अङ्ग सकुशल हैं। किन्तु मैंने स्वप्नमें देखा है कि मेरे पितर नरकमें पड़े हैं; अतः बताइये किस पुण्यके प्रभावसे उनका वहाँसे छुटकारा होगा ? राजाकी यह बात सुनकर मुनिश्रेष्ठ पर्वत एक मुहूर्ततक ध्यानस्थ रहे। इसके बाद वे राजासे बोले— 'महाराज ! मार्गशीर्षमासके शुक्लपक्षमें जो 'मोक्षा' नामकी एकादशी होती है, तुम सब लोग उसका व्रत करो और उसका पुण्य पितरोंको दे डालो। उस पुण्यके प्रभावसे उनका नरकसे उद्धार हो जायगा।'

भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं— युधिष्ठिर ! मुनिकी यह बात सुनकर राजा पुनः अपने घर लौट आये। जब उत्तम मार्गशीर्षमास आया, तब राजा वैखानसने मुनिके कथनानुसार 'मोक्षा' एकादशीका व्रत करके उसका पुण्य समस्त पितरोंसहित पिताको दे दिया। पुण्य देते ही क्षणभरमें आकाशसे फूलोंकी वर्षा होने लगी। वैखानसके पिता पितरोंसहित नरकसे छुटकारा पा गये और आकाशमें आकर राजाके प्रति यह पवित्र वचन बोले— 'बेटा ! तुम्हारा कल्याण हो।' यह कहकर वे स्वर्गमें चले गये। राजन् ! जो इस प्रकार कल्याणमयी 'मोक्षा' एकादशीका व्रत करता है, उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और मरनेके बाद वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है। यह मोक्ष देनेवाली 'मोक्षा' एकादशी मनुष्योंके लिये चिन्तामणिके समान समस्त कामनाओंको पूर्ण करनेवाली है। इस माहात्म्यके पढ़ने और सुननेसे वाजपेय-यज्ञका फल मिलता है।

👉 * राजा, मन्त्री, राष्ट्र, किला, खजाना, सेना और मित्रवर्ग— ये ही परस्पर उपकार करनेवाले राज्यके सात अङ्ग हैं ।

ो_नारायणाय_________ॐ_नमो_भगवते_वासुदेवाय
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यस्यावतारगुणकर्मविडम्बनानि
नामानि येऽसुविगमे विवशा गृणन्ति ।
ते नैकजन्मशमलं सहसैव हित्वा
संयान्त्यपावृतमृतं तमजं प्रपद्ये 💞🙏💞

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‼️ १ दिसम्बर २०२५ ‼️

📜🏵️ #पञ्चाङ्गम् 🏵️📜

🔯 #रेवती रा. ७|४९ यावद् तदुपरि—
🔯 #अश्विनी रा. ७|४९ उ. ⏩ |
🌝 #मीनराशिः रा. ७|४९ यावद् तदुपरि—
🌝 #मेषराशिः रा. ७|४९ उ. ⏩ |
💥 #भद्रा दि. २|२१ या. |
🕉️ #मोक्षदा_११_एकादशी_व्रतं_सर्वेषाम् |
🎊 #गीताजयन्ती_११ |
🔥 #पञ्चकनिवृत्तिः रा. ७|४९ |
🪩 #दिसम्बर_१२ |
■ यायिजययोगः दि. २|२१ या. |
🌅 #सूर्योदयः प्रा. ६|४३ वादने |
🌄 #सूर्यास्तः सा. ५|१७ वादने | ------------------------------------------------------------------------

🌞 #विविधमुहूर्त्ताः🌞

🌳 ❈ ति. ११ सोमे रेवत्यां व्यतिपातदोषो विष्टिश्च ।

🌀 ❈ ति. ११ सोम को रेवती में व्यतिपातदोष तथा भद्रा है ।
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🔴 #मूलविचार 🔴

#ज्येष्ठा/ #मूल — ति. १ शुक्रे दि. १|२३ उ. — ति. ३ रवौ सा. ६|५ या. |

#रेवती/ #अश्विनी — ति. १० रवौ रा. २|४६ उ. — ति. १२ भौमे सा. ६|२३ या. |
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💥II पञ्चक विचार II💥

ति. ९ गुरौ रा. २|४६ उ. — ति. १४ भौमे दि. ११|४९ या. I
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💗 #मार्गशीर्षमासकृत्यम्💗

मार्गशीर्षे तु यो मासमेक भक्तेन संक्षिपेत् ।
भोजयेत्तु द्विजान्भाक्तया सर्वपापैः प्रमुच्यते ।
कृषिभागी बहुधान्यञ्चजायते ॥
— भारते

खरोष्ट्रा श्वग जागावः शकटादिअजादिकम् ।
दातव्यं केशवप्रीत्यै मासि मार्गशिरे नरैः॥
— वामनपुराणे

मार्गशीर्ष मास में जो व्यक्ति स्वयं एक बार भोजन कर भक्ति पूर्वक ब्राह्मणों को भोजन कराता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर उत्तम कृषक तथा धन-धान्य से परिपूर्ण होता है।
— महाभारत
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🎊🏵️🕉️ #व्रत_पर्व_एवं_त्योहार 🕉️🏵️🎊

👉 पक्षान्त में पर्णिमा तिथि का क्षय हो जाने के कारण यह पक्ष १४ दिन का ही है। ज्येष्ठा नक्षत्र वृश्चिक राशि का चन्द्रदर्शन मुहूर्त १५ दैनिक उपभोग में आने वाली वस्तुओं जैसे दूध छेना पनीर मिष्ठान्न इत्यादि के भाव चढ़ जाएंगे । शुक्ल पक्ष में तिथि का घटना अच्छा नहीं माना जाता।

🎊🏵️🎊▪️ विवाह पंचमी के नाम से प्रचलित श्रीराम एवं माता जानकी का विवाहोत्सव २५ नवम्बर मंगलवार को मनाया जायेगा। मिथिलांचलमें इसे हर्ष उल्लास एवं अपनी परम्परा के अनुसार विशेष रूप से पर्व रूप में मनाया जाता है। साथ ही पूरे देश में इसको मनाया जाता है।

🎊🏵️🎊▪️ चम्पा षष्ठी-स्कन्द षष्ठी २६ नवम्बर बुध को होगी । पश्चिमी प्रदेशों विशेषकर महाराष्ट्र में इसका विशेष महात्म्य है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आज के ही दिन स्वामी कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था और आज के ही दिन उनका राज्याभिष राज्याभिषेक भी हुआ था ।

🎊🏵️🎊▪️विष्णु सप्तमी एवं मित्र सप्तमी २७ नवम्बर गुरुवार को होगी ।

🎊🏵️🎊▪️मोक्षदा एकादशी व्रत का मान सबके लिये १ दिसम्बर सोमवार को होगा। नवम्बर बुधवार को होगी । आज ही जैन जगत की मौन एकादशी तथा सुप्रसिद्ध गीता जयन्ती भी मनाई जायेगी। ३६ भाषाओं में अनुवादित तथा सन्तो महापुरुषों के विशिष्ट टीका-व्याख्यान-विवेचन से परिष्कृत एवं महिमा मण्डित-विस्तरित गीता का ज्ञान सम्पूर्ण विश्व में भारतीय मनीषा की गौरव पूर्ण गाथा को मुखरित करेगा श्रीमद्भगवत गीता मात्र एक धार्मिक ग्रन्थ नहीं हैं, अपितु अपार ज्ञानकोष है तथा हम सनातन धर्मियों की आचार संहिता एवं जीवन के आधारभूत मूल्यों का मार्गदर्शन है।

🎊🏵️🎊▪️ऋण से छुटकारा पाने के लिए भौम प्रदोष का व्रत २ दिसम्बर मंगलवार को किया जायेगा।

🎊🏵️🎊▪️आनंद त्रयोदशी ३ दिसंबर बुधवार को होगी।

🎊🏵️🎊▪️ काशी के पिशाच मोचन में अतृप्त आत्माओं की शान्ति के लिए श्राद्ध कर्म ३ दिसम्बर बुधवार को किया जायेगा।काशी की अन्तर्गृही परिक्रमा की जायेगी।

🎊🏵️🎊▪️स्नान-दान एवं व्रत सहित छयवती पूर्णिमा का मान ४ दिसंबर गुरुवार को होगा । आज ही श्री दत्त जयंती दत्तात्रेय भगवान का अवतरणोत्सव मनाया जाएगा एवं नगर परिक्रमा की जाएगी

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📜 #श्रीशुभ_पिङ्गल_संवत्_२०८१_मार्गशीर्षशुक्लपक्षःI
#याम्यायनं_याम्यगोलःl #हेमन्तर्त्तुः #सोमवारl
#एकादशी दिन २|२१ यावत् तदुपरि— #द्वादशीl
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❀༺꧁||🙏जय माँ🙏||꧂༻❀
Gyaneshwar Pandey Patna India 🇮🇳

 #भगवद्गीताका_अद्भुत_माहात्म्य           नर्मदाके तटपर माहिष्मती नामकी एक नगरी है। वहाँ माधव नामके एक ब्राह्मण रहते थे। ...
01/12/2025

#भगवद्गीताका_अद्भुत_माहात्म्य

नर्मदाके तटपर माहिष्मती नामकी एक नगरी है। वहाँ माधव नामके एक ब्राह्मण रहते थे। उन्होंने अपनी विद्याके प्रभावसे बड़ा धन कमाया और एक विशाल यज्ञका आयोजन किया। उस यज्ञमें बलि देनेके लिये एक बकरा मँगाया गया। जब उसके शरीरकी पूजा हो गयी, तब बकरेने हँसकर कहा— 'ब्रह्मन् ! इन यज्ञोंसे क्या लाभ है। इनका फल विनाशी तथा जन्म-मरणप्रद ही है। मैं भी पूर्वजन्ममें एक ब्राह्मण था। मैंने समस्त यज्ञोंका अनुष्ठान किया था और वेदविद्यामें बड़ा प्रवीण था। एक दिन मेरी स्त्रीने बाल-रोगकी शान्तिके लिये एक बकरेकी मुझसे बलि दिलायी। जब चण्डिकाके मन्दिरमें वह बकरा मारा जाने लगा, तब उसकी माताने मुझे शाप दिया— 'ओ पापी ! तू मेरे बच्चेका वध करना चाहता है, अतएव तू भी बकरेकी योनिमें जन्म लेगा।' ब्राह्मणो ! तदनन्तर मैं भी मरकर बकरा हुआ। यद्यपि मैं पशु-योनिमें हूँ, तथापि मुझे पूर्व-जन्मोंका स्मरण बना है। अतएव इन सभी वैतानिक क्रियाजालसे भगवदाराधन आदि शुभ कर्म ही अधिक दिव्य हैं। अध्यात्ममार्गपरायण होकर हिंसारहित पूजा, पाठ एवं गीतादि सच्छास्त्रोंका अनुशीलन ही संसृति-चक्रसे छूटनेकी एकमात्र औषध है। इस सम्बन्धमें मैं आपको एक और आदर्शकी बात बताता हूँ।'

'एक बार सूर्यग्रहणके अवसरपर कुरुक्षेत्रके राजा चन्द्रशर्माने बड़ी श्रद्धाके साथ कालपुरुषका दान करनेकी तैयारी की। उन्होंने वेद-वेदाङ्गोंके पारगामी एक विद्वान् ब्राह्मणको बुलवाया और सपुरोहित स्नान करने चले। स्नानादिके उपरान्त यथोचित विधिसे उस ब्राह्मणको कालपुरुषका दान किया।'

'तब कालपुरुषका हृदय चीरकर उसमेंसे एक पापात्मा चाण्डाल और निन्दात्मा एक चाण्डाली निकली। चाण्डालोंकी वह जोड़ी आँखें लाल किये ब्राह्मणके शरीरमें हठात् प्रवेश करने लगी। ब्राह्मणने मन-ही-मन गीताके नवम अध्यायका जप आरम्भ किया और राजा यह सब कौतुक चुपचाप देख रहा था। गीताके अक्षरोंसे समुद्भूत विष्णुदूतोंने चाण्डाल जोड़ीको ब्राह्मणके शरीरमें प्रवेश करते देख वे झट दौड़े और उनका उद्योग निष्फल कर दिया। इस घटनाको देख राजा चकित हो गया और उस ब्राह्मणसे इसका रहस्य पूछा। तब ब्राह्मणने सारी बात बतलायी। अब राजा उस ब्राह्मणका शिष्य हो गया और उससे उसने गीताका अध्ययन — अभ्यास किया।'

इस कथाको बकरेके मुँहसे सुनकर ब्राह्मण बड़ा प्रभावित हुआ और बकरेको मुक्तकर गीतापरायण हो गया।
— #पद्मपुराण_उत्तरखण्ड_अध्याय_१७९

#वन्दे_कृष्णं_जगत्_गुरुम्______________जय_श्री_कृष्ण
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यत्र योगेश्वरः कृष्णो
यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूति-
र्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ॥💞🙏💞

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‼️ १ दिसम्बर २०२५ ‼️

📜🏵️ #पञ्चाङ्गम् 🏵️📜

🔯 #रेवती रा. ७|४९ यावद् तदुपरि—
🔯 #अश्विनी रा. ७|४९ उ. ⏩ |
🌝 #मीनराशिः रा. ७|४९ यावद् तदुपरि—
🌝 #मेषराशिः रा. ७|४९ उ. ⏩ |
💥 #भद्रा दि. २|२१ या. |
🕉️ #मोक्षदा_११_एकादशी_व्रतं_सर्वेषाम् |
🎊 #गीताजयन्ती_११ |
🔥 #पञ्चकनिवृत्तिः रा. ७|४९ |
🪩 #दिसम्बर_१२ |
■ यायिजययोगः दि. २|२१ या. |
🌅 #सूर्योदयः प्रा. ६|४३ वादने |
🌄 #सूर्यास्तः सा. ५|१७ वादने | ------------------------------------------------------------------------

🌞 #विविधमुहूर्त्ताः🌞

🌳 ❈ ति. ११ सोमे रेवत्यां व्यतिपातदोषो विष्टिश्च ।

🌀 ❈ ति. ११ सोम को रेवती में व्यतिपातदोष तथा भद्रा है ।
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🔴 #मूलविचार 🔴

#ज्येष्ठा/ #मूल — ति. १ शुक्रे दि. १|२३ उ. — ति. ३ रवौ सा. ६|५ या. |

#रेवती/ #अश्विनी — ति. १० रवौ रा. २|४६ उ. — ति. १२ भौमे सा. ६|२३ या. |
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💥II पञ्चक विचार II💥

ति. ९ गुरौ रा. २|४६ उ. — ति. १४ भौमे दि. ११|४९ या. I
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💗 #मार्गशीर्षमासकृत्यम्💗

मार्गशीर्षे तु यो मासमेक भक्तेन संक्षिपेत् ।
भोजयेत्तु द्विजान्भाक्तया सर्वपापैः प्रमुच्यते ।
कृषिभागी बहुधान्यञ्चजायते ॥
— भारते

खरोष्ट्रा श्वग जागावः शकटादिअजादिकम् ।
दातव्यं केशवप्रीत्यै मासि मार्गशिरे नरैः॥
— वामनपुराणे

मार्गशीर्ष मास में जो व्यक्ति स्वयं एक बार भोजन कर भक्ति पूर्वक ब्राह्मणों को भोजन कराता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर उत्तम कृषक तथा धन-धान्य से परिपूर्ण होता है।
— महाभारत
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🎊🏵️🕉️ #व्रत_पर्व_एवं_त्योहार 🕉️🏵️🎊

👉 पक्षान्त में पर्णिमा तिथि का क्षय हो जाने के कारण यह पक्ष १४ दिन का ही है। ज्येष्ठा नक्षत्र वृश्चिक राशि का चन्द्रदर्शन मुहूर्त १५ दैनिक उपभोग में आने वाली वस्तुओं जैसे दूध छेना पनीर मिष्ठान्न इत्यादि के भाव चढ़ जाएंगे । शुक्ल पक्ष में तिथि का घटना अच्छा नहीं माना जाता।

🎊🏵️🎊▪️ विवाह पंचमी के नाम से प्रचलित श्रीराम एवं माता जानकी का विवाहोत्सव २५ नवम्बर मंगलवार को मनाया जायेगा। मिथिलांचलमें इसे हर्ष उल्लास एवं अपनी परम्परा के अनुसार विशेष रूप से पर्व रूप में मनाया जाता है। साथ ही पूरे देश में इसको मनाया जाता है।

🎊🏵️🎊▪️ चम्पा षष्ठी-स्कन्द षष्ठी २६ नवम्बर बुध को होगी । पश्चिमी प्रदेशों विशेषकर महाराष्ट्र में इसका विशेष महात्म्य है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आज के ही दिन स्वामी कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था और आज के ही दिन उनका राज्याभिष राज्याभिषेक भी हुआ था ।

🎊🏵️🎊▪️विष्णु सप्तमी एवं मित्र सप्तमी २७ नवम्बर गुरुवार को होगी ।

🎊🏵️🎊▪️मोक्षदा एकादशी व्रत का मान सबके लिये १ दिसम्बर सोमवार को होगा। नवम्बर बुधवार को होगी । आज ही जैन जगत की मौन एकादशी तथा सुप्रसिद्ध गीता जयन्ती भी मनाई जायेगी। ३६ भाषाओं में अनुवादित तथा सन्तो महापुरुषों के विशिष्ट टीका-व्याख्यान-विवेचन से परिष्कृत एवं महिमा मण्डित-विस्तरित गीता का ज्ञान सम्पूर्ण विश्व में भारतीय मनीषा की गौरव पूर्ण गाथा को मुखरित करेगा श्रीमद्भगवत गीता मात्र एक धार्मिक ग्रन्थ नहीं हैं, अपितु अपार ज्ञानकोष है तथा हम सनातन धर्मियों की आचार संहिता एवं जीवन के आधारभूत मूल्यों का मार्गदर्शन है।

🎊🏵️🎊▪️ऋण से छुटकारा पाने के लिए भौम प्रदोष का व्रत २ दिसम्बर मंगलवार को किया जायेगा।

🎊🏵️🎊▪️आनंद त्रयोदशी ३ दिसंबर बुधवार को होगी।

🎊🏵️🎊▪️ काशी के पिशाच मोचन में अतृप्त आत्माओं की शान्ति के लिए श्राद्ध कर्म ३ दिसम्बर बुधवार को किया जायेगा।काशी की अन्तर्गृही परिक्रमा की जायेगी।

🎊🏵️🎊▪️स्नान-दान एवं व्रत सहित छयवती पूर्णिमा का मान ४ दिसंबर गुरुवार को होगा । आज ही श्री दत्त जयंती दत्तात्रेय भगवान का अवतरणोत्सव मनाया जाएगा एवं नगर परिक्रमा की जाएगी

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📜 #श्रीशुभ_पिङ्गल_संवत्_२०८१_मार्गशीर्षशुक्लपक्षःI
#याम्यायनं_याम्यगोलःl #हेमन्तर्त्तुः #सोमवारl
#एकादशी दिन २|२१ यावत् तदुपरि— #द्वादशीl
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❀༺꧁||🙏जय माँ🙏||꧂༻❀
Gyaneshwar Pandey Patna India 🇮🇳

हिन्दू देवियों के नाम और परिचय〰️〰️🌼〰️🌼〰️🌼〰️〰️1.माता सरस्वती (विद्या की देवी ब्रह्मा की पत्नी)।2.माता सरस्वती (ब्रह्मा-सा...
01/12/2025

हिन्दू देवियों के नाम और परिचय
〰️〰️🌼〰️🌼〰️🌼〰️〰️
1.माता सरस्वती (विद्या की देवी ब्रह्मा की पत्नी)।

2.माता सरस्वती (ब्रह्मा-सावित्री की पुत्री)।

3.सावित्री (ब्रह्मा की पत्नी)।

4.गायत्री (ब्रह्मा की पत्नी)।

5.श्रद्धा (ब्रह्मा की पत्नी)।

6.मेधा (ब्रह्मा की पत्नी)।

7. शतरूपा (स्वायंभुव मनु की पत्नी)।

8.अदिति (कश्यप की पत्नी और देवताओं की माता)।

9.श्रद्धा (अंगिरा की पत्नी और बृहस्पति मां)।

10.उषा (द्यौ की पुत्री)।

11.माता लक्ष्मी (भगवान विष्णु की पत्नी)।

12. देवी तुलसी (वृंदा देवी विष्णु का अंश)।

13.विंध्यवासिनी देवी योगमाया (यशोदा की पुत्री एकानंशा, श्रीकृष्ण की बहन)।

14.यमुना देवी (यमराज की बहन कालिंदी)।

15. शचि (इंद्र की पत्नी इंद्राणील ज्वालादेवी की उपासक)।

16. देवी आर्याणि- (पितरों के अधिपति अर्यमा की बहन, अदिति की पुत्री, सूर्यपुत्र रेवंतस की पत्नी हैं)।

17.अम्बिका : (त्रिदेव जननी जगदम्बे, दुर्गा, कैटभा, महामाया और चामुंडा)।

18.सती : (दक्ष प्रजापति की पुत्री, भगवान शंकर की पत्नी)।

19.पार्वती : (राज हिमवान और रानी मैनावती की पुत्री, भगवान शंकर की पत्नी, पु?त्र कार्तिकेय, गणेश और पुत्री अशोक सुंदरी की माता)।

20.उमा : (भूमि की देवी उमा भी भगवान शंकर की पत्नी)।

21..गंगा देवी : (पार्वती की बहन, हिमवान की पुत्री)।

22.भद्रकाली : (मां महाकाली के अनेक रुप हैं, इन्हें श्यामा, दक्षिणा कालिका (दक्षिण काली) गुह्म काली, कालरात्री, भद्रकाली, महाकाली, श्मसान कली आदि)।

23.वनदुर्गा- षठप्रहरिणी असुरमर्दिनी माता दुर्गा का एक रूप है वनदुर्गा, वनों की पीड़ा सुनकर उनमें आश्रय लेने वाले दानवोंका वध करने और वनों की रक्षा करने वनदुर्गा के रूप में अवतरित हुई एक शक्ति है।

24.वारुणी (वरुण देवी की पत्नी देवी वरुण या वरुणानी) वाराणसी में वरुणी पंचकोसी यात्रा होती है।

२5.नर्मदा देवी (शिव या राजा मैखल की पुत्री, सोनभद्र की पत्नी)।

नवदुर्गा
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1.शैलपुत्री (पार्वती देवी)
2.ब्रह्मचारिणी (पार्वती देवी)
3. चन्द्रघंटा : (पार्वती देवी)
4.कूष्मांडा : (पार्वती देवी)
5.स्कंदमाता : (पार्वती देवी)
6. कात्यायनी (ऋषि कात्यायन की पुत्री, महिषासुरमर्दिनी, तुलजा भवानी)
7.कालरात्रि : (पार्वती देवी)
8.महागौरी : (पार्वती देवी)
9.सिद्धिदात्री : (पार्वती देवी) पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण उन्हें शैलपुत्री भी कहा जाता है।

दुर्गा सप्तशती के अनुसार अन्य रूप
ब्राह्मणी, महेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, नरसिंही, ऐन्द्री, शिवदूती, भीमादेवी, भ्रामरी, शाकम्भरी, आदिशक्ति और रक्तदन्तिका।

दस महाविद्याएं
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1.काली : (भगवान शंकर की पत्नीं, असुर रक्तबीज का वध करने वाली अम्बा माता की बेटी, पार्वती की सखी)।

2.तारा : (प्रजापति दक्ष पुत्री, सती की बहन)।

3.छिन्नमस्ता : (देवी पार्वती का एक रूप है, सहचरणीं जया व विजया)।

4.त्रिपुरसुंदरी : (ललिता, राज राजेश्वरी, त्रिपुरा-भैरवी, त्रिपुरा और त्रिपुर सुंदरी जगदम्बा ही त्रिपुरा हैं)।

5.भुवनेश्वरी : (महालक्ष्मी स्वरूपा, शाकम्भरी और दुर्गा नाम से भी प्रसिद्ध, काली और भुवनेशी प्रकारांतर से अभेद है काली का लाल वर्ण स्वरूप ही भुवनेश्वरी हैं)।

6.त्रिपुरभैरवी : (नारद-पाञ्चरात्र के अनुसार यह माता काली का ही स्वरूप है), महिषासुर नामक दैत्य के वध से सम्बंधित हैं।

सभी योगिनिया-
1.त्रिपुर भैरवी
2.कौलेश भैरवी,
3.रूद्र भैरवी,
4.चैतन्य भैरवी,
5.नित्य भैरवी,
6.भद्र भैरवी,
7.श्मशान भैरवी,
8.सकल सिद्धि भैरवी
9.संपत प्रदा भैरवी
10. कामेश्वरी भैरवी इत्यादि. देवी त्रिपुर भैरवी का घनिष्ठ संबंध 'काल भैरव' से है.
7.धूमावती : (सातवीं महाविद्या धूमावती को पार्वती का ही स्वरूप माना गया).
8.बगलामुखी : मां बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है जो श्रीविद्या से उत्पन्न हुई है, इन्हें वैष्णवी भी कहा जाता है।

9. देवी मातंगी : (मतंग मुनि की पुत्री, मातागिरी नाम से प्रसिद्ध)।

10. देवी कमला : (देवी कमला, भगवान विष्णु से संबंधित, समुद्र मंथन से उत्पन्न). दीपावली के दिन शैव लोग काली की और वैष्णव लोग कमला की पूजा करते हैं. कमला को ही महालक्ष्मी कहा गया है।

चौंसठ योगिनियों के नाम में सभी प्रमुख देवियां
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1.बहुरूप, 3.तारा, 3.नर्मदा, 4.यमुना, 5.शांति, 6.वारुणी 7.क्षेमंकरी, 8.ऐन्द्री, 9.वाराही, 10.रणवीरा, 11.वानर-मुखी, 12.वैष्णवी, 13.कालरात्रि, 14.वैद्यरूपा, 15.चर्चिका, 16.बेतली, 17.छिन्नमस्तिका, 18.वृषवाहन, 19.ज्वाला कामिनी, 20.घटवार, 21.कराकाली, 22.सरस्वती, 23.बिरूपा, 24.कौवेरी, 25.भलुका, 26.नारसिंही, 27.बिरजा, 28.विकतांना, 29.महालक्ष्मी, 30.कौमारी, 31.महामाया, 32.रति, 33.करकरी, 34.सर्पश्या, 35.यक्षिणी, 36.विनायकी, 37.विंध्यवासिनी, 38. वीर कुमारी, 39. माहेश्वरी, 40.अम्बिका, 41.कामिनी, 42.घटाबरी, 43.स्तुती, 44.काली, 45.उमा, 46.नारायणी, 47.समुद्र, 48.ब्रह्मिनी, 49.ज्वाला मुखी, 50.आग्नेयी, 51.अदिति, 51.चन्द्रकान्ति, 53.वायुवेगा, 54.चामुण्डा, 55.मूरति, 56.गंगा, 57.धूमावती, 58.गांधार, 59.सर्व मंगला, 60.अजिता, 61.सूर्यपुत्री 62.वायु वीणा, 63.अघोर और 64. भद्रकाली।
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