
26/09/2025
किसानों की आय बढ़ाने में सरसों की खेती बनेगी आधार: डॉ. विजय वीर सिंह
[उड़ीसा के किसानों ने सीखी सरसों उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीकें]
भरतपुर (राजस्थान), जय हिन्द Newz
रिपोर्ट : डॉ प्रशांत यादव
26 सितम्बर 2025 : खाद्य तेल उत्पादन में कमी और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच कृषि विविधी करण ही किसानों की आय बढ़ाने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का महत्वपूर्ण उपाय है। सरसों जैसी फसल कम समय, सीमित जल और न्यूनतम लागत में उच्च तेल उत्पादन के साथ स्थिर आय का बेहतर विकल्प प्रदान करती है। यह विचार भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान, भरतपुर के निदेशक डॉ. विजय वीर सिंह ने 22 से 26 सितम्बर तक उड़ीसा के किसानों के लिए आयोजित एक्सपोज़र विजिट एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में व्यक्त किए।
डॉ. सिंह ने कहा कि उत्तर-पूर्वी राज्यों, विशेषकर उड़ीसा में धान की कटाई के बाद प्रायः खेत खाली पड़े रहते हैं। यदि किसान धान के बाद सरसों की खेती को अपनाएं तो देश को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा सकता है। उन्होंने सरसों को किसानों के लिए आर्थिक सुरक्षा कवच बताते हुए आग्रह किया कि इसे केवल पारंपरिक फसल न मानकर वैज्ञानिक तकनीकों और आधुनिक किस्मों के साथ उगाया जाए, ताकि उत्पादन और गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सके।
कार्यक्रम के प्रशिक्षण समन्वयक एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों को सरसों उत्पादन की वैज्ञानिक पद्धतियों, नई किस्मों, जैविक खाद के उपयोग तथा कीट–रोग प्रबंधन जैसी उन्नत तकनीकों से अवगत कराना है। उन्होंने कहा कि धान के बाद सरसों की खेती किसानों की आय को दोगुना करने में सहायक सिद्ध हो सकती है। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को उन्नत शस्य क्रियाएं, राई-सरसों की विभिन्न किस्में, मिट्टी परीक्षण, एकीकृत कीट एवं खरपतवार प्रबंधन, जैविक खाद और एकीकृत कृषि प्रणाली से संबंधित विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।
यह कार्यक्रम मुख्य जिला कृषि अधिकारी, सुंदरगढ़ (उड़ीसा) सरकार द्वारा मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना के फसल विविधीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत यूथ काउंसिल फॉर डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स, बौंसुनी, बोउध और लोक कला विकास केंद्र, सरसरा, बोउध के सहयोग से आयोजित किया गया। इसमें क्लस्टर-5 (बोउध) और क्लस्टर-6 (हराभंगा) के कुल 48 किसानों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण अवधि में किसानों ने संस्थान की विभिन्न इकाइयों, कृषि मशीनरी, तेल एवं बीज प्रसंस्करण इकाई, संग्राहालय और प्रक्षेत्र फार्म का अवलोकन किया। समापन सत्र में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए और कार्यक्रम का औपचारिक समापन डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने किया।