
21/07/2025
👉 👉 माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 125 यूनिट मुफ्त बिजली की घोषणा का बिहार विधानसभा चुनाव पर प्रभाव कई दृष्टियों से देखा जा सकता है..
1. चुनावी रणनीति के रूप में फ्रीबीज पॉलिसी
● यह घोषणा अक्टूबर–नवंबर 2025 के चुनावों से लगभग 3‑4 महीने पहले की गई है — स्पष्ट रूप से एक चुनावी रणनीति ।
● इस स्कीम से लगभग 1.67 करोड़ घरेलू परिवारों को फायदा होगा, यानी कुल 90% से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को राहत ।
● यह फ्रीबीज डायरेक्टली गरीब और मध्यम वर्ग को टार्गेट करती है, जिनकी दैनिक जीवन पर बिजली बिल का असर अधिक होता है।
● यह रणनीति उनके व्यापक पूर्वानुमानी वादों, जैसे 1 करोड़ नौकरियाँ और 35% महिला आरक्षण के साथ, भाजपा/एनडीए गठबंधन की जनकल्याणॅक थ्री‑प्रोंग्ड चुनावी अभियान का हिस्सा है ।
2. विपक्ष की आलोचनाएं
● RJD‑led महागठबंधन द्वारा इसे “नेताजी का नक़ल” (copycat CM) बताया गया है, क्योंकि तेजस्वी यादव ने पहले ही 200 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा किया था ।
● CPI समेत अन्य विपक्षी दलों ने इसे केवल चुनावी “फ्रीबीज़ पॉलिटिक्स” करार दिया है, और कहा कि राज्य में बुनियादी बिजली आपूर्ति भी खराब है, इसलिए मुफ्त देने का महत्व शून्य है ।
● U.P. राज्य मंत्री ने भी व्यंग करते हुए कहा, “जैसे बिजली नहीं होगी, बिल भी नहीं आएगा” — यह योजना के व्यवहारिक पहलुओं पर सवाल उठाता है।
3. वित्तीय-सततता और दीर्घकालिक प्रभाव
● सरकार को इस पहल की वजह से इस वित्तीय वर्ष में लगभग ₹3,797 करोड़ का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा; वार्षिक सब्सिडी ₹19,370 करोड़ तक पहुंच सकती है ।
● साथ ही, सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देते हुए 10,000 मेगावॉट सौर उत्पादन का लक्ष्य भी रखा गया है, जो दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा की ओर बढ़ता कदम है ।
● यह विकास संभावित रूप से योजना की स्थिरता सुनिश्चित कर सकता है, लेकिन सब्सिडी‑मालिकता बनी रहेगी।
4. चुनावी प्रभाव का आकलन
● कारक सकारात्मक प्रभाव जोखिम/चुनौतियाँ 👇
● जनभावना बिजली बिल में तुरंत राहत से साठ से अधिक वोटर आबादी उन्मुख हो सकते हैं। आलोचना कि यह 'गुणवत्ता वाले vs मात्रा वाले' वादों का मुकाबला नहीं कर सकता।
● राजनीतिक मुकाबला तेजस्वी की 200‑यूनिट योजना से पहले 125‑यूनिट देने से नीतीश को “फर्स्ट मूव” का फायदा। विपक्ष इसे केवल "नक़ल" बताकर मुद्दा पलट सकता है।
● लॉजिस्टिक/आपूर्ति सच्ची बिजली कनेक्टिविटी और सोलर का समर्थन योजना की विश्वसनीयता बढ़ा सकता है। यूपी की तरह “बिजली नहीं है” जैसे आरोप योजना की साख बिगाड़ सकते हैं।
✅ निष्कर्ष 👇
● 125‑यूनिट फ्री बिजली योजना एक तत्काल सुखद चुनावी तोहफा है, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के वोटर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह “फ्रीबीज़ पॉलिटिक्स” के तहत बड़े पैमाने पर रिलीफ देती है, लेकिन आलोचना, वित्तीय बोझ, और परियोजना की व्यवहारिक सच्चाई इस योजना की सफलता पर निर्भर करेगी।
👉 यदि बिलिंग में देरी नहीं हुई और सप्लाई स्थिर रही, तो यह एनडीए को चुनाव में एक बड़ा बढ़त दे सकता है। लेकिन अगर विपक्ष इसे चुनावी "गम्प" बता कर सफलतापूर्वक खारिज कर दे, तो इसकी आह भी फीकी पड़ सकती है।
🔔 समग्र रूप में असर
👉शॉर्ट-टर्म: वोटरों में खुशी, NDए संक्रमण में इज़ाफा।
👉मिड-टर्म: वित्तीय दबाव, सोलर इंफ्रास्ट्रक्चर फोकस।
👉लॉन्ग-टर्म: चुनावी प्रतिज्ञाओं की विश्वसनीयता, बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता निर्णायक।
■ नीतीश कुमार की इस योजना का वास्तविक चुनावी प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि रीटेलिंग (बिल कटौती) और रिलायबिलिटी कैसे बनी रहे। इसके साथ विपक्षी नरेटिव और जनभावना भी सशक्त रूप से निर्धारण करेंगे कि यह एक चुंबकीय ‘जनता का उत्सव’ बनेगा या सिर्फ एक चुनावी खिलौना साबित होगा।