
24/05/2025
बिल्कुल सही विश्लेषण है...
भारत नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र Raxaul के लक्ष्मीपुर स्थित गुरूवार को भक्तिमय आयोजन और आध्यात्मिक संत #श्री_अनिरूद्धाचार्य_जी_महाराज के एक दिवसीय सत्संग और प्रवचन कार्यक्रम के लिए खूब चर्चे में हैं। वहीं इस आयोजन में जहां श्रद्धालुओं का अपार जनसैलाब उमड़ा, वहीं कुछ व्यवस्थागत खामियों ने आयोजन की गरिमा को प्रभावित किया। कार्यक्रम में श्रद्धालुओं के बीच VVIP बैठने की व्यवस्था (सोफ़ा की ख़ास व्यवस्था) ने भक्ति भाव में खलल डाल दिया।
संत श्री अनिरूद्धाचार्य जी के प्रवचन के दौरान मंच के बिल्कुल सामने कुछ विशेष अतिथियों (वीआईपी) के लिए सोफे की व्यवस्था की गई थी। जबकि इन्हीं सोफों के पीछे दरी बिछाकर आम श्रद्धालुओं, जिनमें महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल थे उनके बैठने के लिए कहा गया। इससे न सिर्फ उन्हें संत का दर्शन करने में बाधा आई, बल्कि कई श्रद्धालु तो बार-बार खड़े होकर दर्शन करने की कोशिश भी करते रहे।
यह दृश्य कई श्रद्धालुओं के दिल को खटका। एक ओर प्रवचन में "मानव सेवा और समानता" का संदेश दिया जा रहा था, वहीं दूसरी ओर बैठने की व्यवस्था में भेदभाव झलक रहा था। कुछ श्रद्धालुओं ने तो यहाँ तक कहा कि यदि आयोजक सभी को समान मानते, तो सोफों की व्यवस्था या तो पीछे होनी चाहिए थी या फिर हाल के दोनों किनारों पर, ताकि किसी का दर्शन और श्रद्धा आहत न हो।
आयोजन और व्यवस्था से जुड़े कई लोग दबी जुबमान भी ये कहते नज़र आयें कि स्वयं अनिरूद्धाचार्य जी महाराज भी इस व्यवस्था को लेकर असहज महसूस कर रहे थे। उनका ध्यान कई बार उन श्रद्धालुओं की ओर गया, जो दर्शन के लिए उठते-बैठते रहे।
इस अव्यवस्था को लेकर लोगों ने कार्यक्रम की प्रशंसा तो की, पर आयोजकों की ओर से वीआईपी संस्कृति को प्राथमिकता देने पर नाराजगी भी जाहिर की। श्रद्धालुओं का मानना है कि भविष्य में इस प्रकार की आसन व्यवस्था से बचते हुए सभी को समान भाव से बैठने का अवसर दिया जाना चाहिए।
#रक्सौल