16/03/2023
ठीक है मनीष कश्यप ने गलत किया उसपे FIR हुआ, वो जेल जायेगा। कहा जा रहा है टोटल 84 पोर्टल वालों को चिन्हित कर के बिहार पुलिस ने नोटिस भेजा है। बढ़िया बात है यह सब होना चाहिए... लेकिन अब जो हो रहा है वो क्या है। जरा ध्यान से समझिये गा...
जब से तमिलनाडु मामला चला है मीडिया दो नहीं तीन धरा मे बंट गयी है। आप और हम अमूमन 2 धरा को जानते है लेकिन असली खेल तो ये बीच वाला खेलता है।
उदाहरण के लिए समझिये तमिलनाडु मामला मे वीडियो वायरल हुआ मनीष ने उसको प्रोमोट किया। तमिलनाडु के चेन्नई पहुंचा लेकिन मुद्दा से भटक गया, नेतागिरी करना चाहा भाषण बाजी करना चाहा। समाज का एक धरा इसके साथ हो चला कि मनीष भईया ने जो किया वो सही किया।
... फिर the activist के ved prakash और उनके सहयोगी md kaif तमिलनाडु के चेन्नई पहुंचे हक़ीक़त जानने और लोगो को दिखाने। उसी दिन expose media का vikash raj तमिलनाडु के तिरिप्पूर पहुंचा। लोगो तक सच्चाई पहुंचाया। यहाँ सभी ने अपना काम किया... बस फर्क इतना था कि किसी ने ईमानदारी से किया किसी ने बेईमानी से... पर किया सभी ने। तो दूसरा धरा the activist और expose मीडिया के साथ हो चला।
अब आइए मुख्य रूप से सक्रिय तीसरे धरा के मीडिया कि ओर... यह वही धरा है जो किसी भी बुझते हुए चिंगारी को शोला मे बदल दे। ये वो धरा है मीडिया का जिसका काम दूसरे का नाम ले कर किसी के भी सामने माइक लगवा के कुछ भी बोलवा देना है। असल मे इनको पत्रकारिता से नहीं व्यूज से मतलब होता है... जिसका बोला हुआ ट्रेंड कर रहा है उसको तब तक ट्रेंड करवाते रहेंगे जब तक 2 मिलियन व्यू लाने वाला इंसान 200 व्यू पर न अटक जाये। मतलब ये तीसरा धरा सबसे ख़तरनाक है आप के साथ कभी भी खेल करवा सकते है..और इल्जाम भी अपने ऊपर नहीं आने देते.. दूसरे के ऊपर डलवा देते है। तभी तो इनका टाइटल पढ़ के देखिये गा लिखे रहेंगे... फलाना ने फलाना को रगड़ दिया... फलांना ने चिलाना को ये क्या बोल दिया..... फलना सिंह ने चिलना सिंह को ले कर किया खुलासा।.. और जब अंदर देखिये गा तो फुस्स रहेगा... और गलती से एक दो लाइन कुछ बोला गया तो उसको काट के सबसे आगे लगा देंगे और बोलेंगे चंक्स ख़तरनाक मिला है आज।
और जानते है ये सब क्यों लिख रहे है क्यों कि इन सब के निचे दब जाता है असली पत्रकारिता बिलकुल वैसे ही जैसे बिहार से चल कर live long कि khusboo भी अपने एक दोस्त के साथ तमिलनाडु के गयी थी.. भले वो vikash और ved prakash को देख कर दो दिन बाद गयी लेकिन गयी। पर बिहार को इससे क्या... असली पत्रकारिता अब भी बिहार मे जिन्दा है.. लोग करना चाहते है... लेकिन इन चिल्लाने वालों के आगे उनकी आवाज दब जाती है... क्यों कि अब बिहार मे बिना चिल्लाने वाले पत्रकारों के लिए कोई जगह नहीं है।
लेकिन बनाने का मौका है.. अभी सरकार और प्रशासन सक्रिय है उन गैर जिम्मेदार पत्रकारों के प्रति। तो जिम्मेदार पत्रकारों के लिए यह अवसर बढ़िया है। बिहार को सभ्य और निष्पक्ष पत्रकारिता कर के दिखा दीजिए.. यही मौका है सभी के आँखों से चस्मा हटाने का... सभी को ऐसा पत्रकारिता कर के दिखा दीजिये कि बिहार मे कोई अंधा और गूंगा भी पत्रकार बनना चाहे तो बन सके।. क्यों आप को दिखाना होगा कि चिल्लाने से झूठ सच नहीं हो जाता..
वरना करते रहिये फलाना ने क्या बोला चिलाना ने क्या बोला... वो उस जाति का है वो उस जाति का है... और धरा मे बैठ कर बिहार को धरा मे बाटते रहिये...!!
धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻