28/05/2024
کُلُّ نَفۡسٍ ذَآئِقَۃُ الۡمَوۡتِ ؕ وَ نَبۡلُوۡکُمۡ بِالشَّرِّ وَ الۡخَیۡرِ فِتۡنَۃً ؕ وَ اِلَیۡنَا تُرۡجَعُوۡنَ ﴿۳۵﴾
(हर जानदार को मौत का मज़ा चखना है, और हम अच्छे और बुरे हालात में डालकर तुम सबकी आज़माइश कर रहे हैं। आख़िरकार तुम्हें हमारी ही तरफ़ पलटना है।)
एक इंसान की क़ामयाबी की जब बात आती है तो हमारी जेहन में जो सबसे पहला तसव्वुर होता है वह दुनियावी तरक्की से होता है..,, हम उनकी क़ामयाबी का आंकलन यहां कमाए गए माल व दौलत, नाम व शोहरत, बेतहाशा अर्जित की गई प्रॉपर्टी और उनके ऐशो-आराम से करते हैं..,, बहुत कम लोग होते हैं जिनके जेहन में इससे हट कर आख़िरत की क़ामयाबी का तसव्वुर होता है..,, पर असल क़ामयाबी तो वही है..,, पर वो इतना आसान भी तो नहीं है..,, आप इक्कीसवीं सदी के इस समाज में ये सोंच भी कैसे सकते हैं..? अगर इस तसव्वुर के साथ आपने इस समाज में जीना चाहा तो आपको हज़ारों कठिनाईयों और रुसवाईयों का सामना करना पड़ेगा और ये समाज आपको जीने नहीं देगी..,, आप तसव्वुर कीजिए कि एक आदमी इस दौर में दुनियावी क़ामयाबी से बेफ़िक्र ज़िंदगी गुज़ार कर चला गया हो और कभी कोई रंज ना रहा हो सोचिए वो कितना मज़बूत आदमी होगा..,,
हां बेहद मजबुत, दिलेर, अंतिम साँस तक सच्चाई और ईमानदारी का दामन मज़बूती से पकड़े रहने वाले.. हक़ बात पर अडिग रहने वाले, सामने वाले की परवाह किए बगैर हक़ बात कह देने वाले, दुनियावी ज़िंदगी से बेफ़िक्र, हालात से कभी न घबराने वाले, दुनियावी छल कपट से दूर, कठिनाइयों का डट कर मुक़ाबला करने वाले, हमेशा सच्चाई और ईमानदारी पर रहने, बुराई के रास्तों से कड़ाई से रोके रखने वाले एक ऐसे इंसान को पिता के रूप में पाना खुशकिस्मती की बात है..,, आप 24 मई 2024, बरोज़ जुमा (शुक्रवार), दिन के 02:30 बजे इस फानी दुनिया से कूच कर गए..,,
انا للہ وانا الیہ راجعون,
اللہ آپکی بال بال مغفرت فرمائے اور جنت الفردوس میں اعلی مقام عطا فرمائے آمین