
15/10/2025
बेगूसराय। राजकीय अयोध्या शिवकुमारी आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. श्रीनिवास त्रिपाठी ने बेगूसराय की आम जनता से अपील की है कि वे अपने बच्चों को महाविद्यालय लाकर स्वर्ण प्राशन की खुराक अवश्य पिलवाएं, जिससे बच्चों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से और अधिक सबल बनाया जा सके।
आज इस अवसर पर 240 बच्चों को स्वर्ण प्राशन की दवा की खुराक पिलाई गई।
आयुर्वेद महाविद्यालय में आज स्वर्ण प्राशन अभियान का शुभारंभ समारोहपूर्वक किया गया। इस दौरान प्राचार्य डॉ. श्रीनिवास त्रिपाठी ने कहा कि बेगूसराय की जनता हर माह चलने वाले इस अभियान के दौरान अपने बच्चों को लाकर सोने के भस्म से बनी इस आयुर्वेदिक दवा की दो बूंदें अवश्य पिलवाएं।
उन्होंने बताया कि आयुर्वेद शास्त्रों में स्वर्ण प्राशन को बच्चों को बाहरी वायरल बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने और मानसिक क्षमता को बढ़ाने वाला बताया गया है। डॉ. त्रिपाठी ने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को कम से कम 6 बार स्वर्ण प्राशन की खुराक अवश्य दिलवाएं। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों को यह दवा छह बार दी जाती है, वे “श्रुतधर” कहलाते हैं।
उन्होंने “श्रुतधर” का अर्थ समझाते हुए बताया कि पुराने समय में जब कागज़ और कलम का आविष्कार नहीं हुआ था, तब आयुर्वेद के मनीषी अपने गुरुजनों से श्लोकों के माध्यम से विद्या ग्रहण करते थे और उन्हें जीवनभर याद रखते थे। उनका मानसिक स्वरूप इतना प्रबल होता था कि वे सुनी हुई बातों को कभी नहीं भूलते थे।
डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि आज का वातावरण और खान-पान विभिन्न कारणों से अस्वच्छ होता जा रहा है, जिसका सीधा प्रभाव बच्चों के शरीर पर पड़ता है। उन्होंने आयुर्वेद को जीवन का विज्ञान बताते हुए कहा कि आयुर्वेद मनीषियों ने मानव कल्याण के लिए अनेक औषधियों की खोज की, जिनमें स्वर्ण प्राशन भी एक महत्वपूर्ण औषधीय व्यवस्था है।
महाविद्यालय के उपाधीक्षक सह स्वर्ण प्राशन अभियान के प्रभारी डॉ. दिलीप कुमार वर्मा ने बच्चों के लिए इस औषधि को अत्यंत लाभदायक बताया। वहीं, चिकित्सक डॉ. उर्वशी सिन्हा ने सभी बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की।
अभियान के संचालन में डॉ. बिजेंद्र कुमार, डॉ. प्रदीप कुमार वर्मा, डॉ. मुकेश कुमार, डॉ. आनंद मिश्रा, मोहम्मद जहीर आलम, पंकज कुमार सिंह, मुकेश कुमार सिन्हा, अनिशा कुमारी, संगीता कुमारी, रंजना कुमारी, संजू कुमारी, कंचन कुमारी, डॉली सिन्हा और प्रियंका कुमारी समेत अन्य लोगों का सराहनीय योगदान रहा।