30/03/2025
. नववर्ष क्यों !!!
प्रश्न :-- युगाब्द, कलियुगाब्द, विक्रम संवत, शक संवत क्या होता है??? उपरोक्त विशेषण आज के प्रतिपदा के लिए क्यों लगाया जाता है???
उत्तर :--सबसे पहले चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन का महत्व जानें.......
भगवान श्रीमन्नारायण की प्रेरणा से ब्रह्मा जी ने आज ही के दिन सृष्टि का निर्माण प्रारंभ किया था अतः चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को सृष्टि का पहला दिन माना जाता है इसीलिए कहीं-कहीं इसे सृष्टि संवत भी कहते हैं। चूँकि सारे युगों की शुरुआत इसी तिथि से हुई थी इसलिए इसको युगाब्द भी कहते हैं, इस बार युगाब्द 5127 वां शुरु हो रहा है।
कलियुगाब्द :-- चूँकि कलियुग का भी शुभारंभ आज ही के दिन हुआ था, इसीलिए इसको कलियुगाब्द भी कहते हैं। कलियुगाब्द 5127 अर्थात कलियुग को आए आज 5127 वर्ष हो गए ।
मित्रों, चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस पर मंगल का प्रतीक कलश की स्थापना इसीलिए करते हैं कि जब त्रेतायुग चल रहा था और लंका विजय के बाद भगवान राम का राज्याभिषेक हो रहा था वह दिन था चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा। जब द्वापर युग चल रहा था और महाभारत युद्ध की समाप्ति पर धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हो रहा था तिथि आज की ही थी अर्थात चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा। जब कलियुग आया और राजा विक्रमादित्य ने भी शकों, हूणों को पराजित करके भारत को स्वतन्त्र कराया, तत्पश्चात उनका राज्याभिषेक भी आज ही के दिन हुआ था, दिन था चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा। ऐसे में अब बताएं कि तीनों युगों से चली आ रही विशेषतम् और पवित्रतम् दिवस को हम नववर्ष क्यों न कहें!!!! !
कुछ और कारण :-----
पूरी प्रकृति में नई नई हरियाली है, फुल पत्ते एवं वनस्पतियां झूम झूम के नया साल मना रहे हैं , प्रकृत्तिस्थ फुल पत्तों को देखकर हमारे अंदर भी नवीनता का संचार हो रहा है, बासंती बयार से मन प्रसन्न है, नये फसल का आगमन हो रहा है ऐसे में हम नववर्ष क्यों नहीं मनाएं!!!
शास्त्रों में वर्णित है कि जब पृथ्वी की उत्पत्ति हो रही थी उपरोक्त बातें जैसे कोयल की कूक, बसंत ऋतु का बयार, फुल पत्तों का सुगंध तीनों लोकों को सुगंधित कर रहा था भला ऐसे में आज के दिवस को हम नववर्ष क्यों नहीं मनाएं!!!
चूँकि आज के दिन ही पृथ्वी की उत्पति भी हुई थी इस निमित्त पृथ्वी का जन्म दिवस भी है ऐसे में हम नववर्ष क्यों नहीं मनाएं!!!
नया पंचांग आज से ही बदलता है, सभी पर्व-त्योहार,शादी-विवाह, काल गणना, जन्मपत्री, जन्मकुंडली, लग्नपत्री, गृहप्रवेश, यज्ञ, उपनयन, सतइसा, खरमास, मलमास, मुहुर्त, ग्रहण, ग्रह, नक्षत्र,अन्यान्य ज्योतिषीय गणना, खगोलीय गणना जैसे मास, शुक्ल पक्ष, कृष्ण पक्ष, की गणना आदि भी इन्हीं पंचागों से की जाती है। जो आज से ही बदलता है ऐसे में आज हम नववर्ष क्यों नहीं मनाएं!!!!
अतः इस पुनीत अवसर पर हम आप सभी सनातन धर्मी मित्रों को व आपके परिवारिजनों को नववर्ष के पावन पर्व पर हृदय की गहराई से बहुत बहुत बधाईयाँ व ढेर सारी शुभकामनाएं देते हैं।