02/08/2025
भारतीय संविधान हमारे देश का आधार है, जिसमें नागरिकों के अधिकार, कर्तव्य और शासन के नियम स्पष्ट रूप से बताए गए हैं। लेकिन आज कई बार इन्हीं नियमों का दुरुपयोग किया जा रहा है, जिससे लोकतंत्र की नींव कमजोर होती जा रही है।
उदाहरण 1: धारा 144 का दुरुपयोग
धारा 144 का उपयोग किसी इलाके में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया जाता है, लेकिन कई बार इसे सरकारें लोकतांत्रिक विरोध को दबाने के लिए इस्तेमाल करती हैं। जैसे कि किसान आंदोलन या सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली और उत्तर प्रदेश में धारा 144 लगाकर हजारों लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन से रोका गया।
उदाहरण 2: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश
संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) नागरिकों को बोलने और अपनी बात रखने की आज़ादी देता है। लेकिन हाल के वर्षों में सोशल मीडिया पर सरकार या नीतियों की आलोचना करने वाले कई लोगों पर आईटी एक्ट या देशद्रोह की धाराएं लगाई गईं। जैसे पत्रकार सिद्धीक़ कप्पन को सिर्फ एक खबर कवर करने के लिए जेल में डाल दिया गया।
उदाहरण 3: आरक्षण नीति का राजनैतिक दुरुपयोग
आरक्षण एक सामाजिक सुधार था, लेकिन अब कई बार यह जातिगत ध्रुवीकरण और वोट बैंक की राजनीति का साधन बन गया है। वास्तविक हकदारों को पीछे छोड़कर राजनीतिक दबाव वाले समूह लाभ उठा रहे हैं।
निष्कर्ष:
जब संविधान के नियमों को जनता के हित की जगह सत्ता बचाने या विरोध दबाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, तो लोकतंत्र की आत्मा को चोट पहुंचती है। हमें संविधान की भावना को समझना और उसका सम्मान करना चाहिए – तभी भारत एक सशक्त और न्यायपूर्ण राष्ट्र बन पाएगा।
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