
05/04/2025
धार्मिक आयोजनों पर मुस्लिमों से भेदभाव को लेकर सर्वोच्च न्यायालय से निष्पक्ष न्याय की माँग
रिपोर्ट: सलमान सिद्दीकी
पिहानी हरदोई: कस्बे निवासी अफ़ज़ाल अहमद ने सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक आयोजनों को लेकर कथित भेदभाव के विरुद्ध भारत के सर्वोच्च न्यायालय को पत्र लिखकर न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि विभिन्न राज्य सरकारें मुस्लिम समुदाय के धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगा रही हैं, जबकि अन्य धर्मों के आयोजनों को न केवल अनुमति दी जा रही है, बल्कि सरकारी सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है।
अफ़ज़ाल अहमद ने अपने पत्र में काँवड़ यात्रा, दुर्गा पूजा, गणेश उत्सव, रामनवमी जुलूस, होली, जागरण और दधि कांडव जैसे आयोजनों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन्हें प्रशासनिक समर्थन के साथ संपन्न कराया जाता है, जबकि ईद या जुमा नमाज़ जैसी गतिविधियों पर पाबंदी लगाई जाती है। उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 का स्पष्ट उल्लंघन बताया है, जो नागरिकों को समानता, धार्मिक स्वतंत्रता और भेदभाव से मुक्ति का अधिकार प्रदान करते हैं।
उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि वह इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दे कि या तो सभी धर्मों के आयोजनों को समान रूप से अनुमति दी जाए या फिर सभी पर निष्पक्ष रूप से प्रतिबंध लगाया जाए।
यह मुद्दा संवेदनशील होने के साथ-साथ संविधानिक अधिकारों से जुड़ा है, जिस पर न्यायालय का रुख आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।