26/08/2025
बंडा पुलिस का विवादित कृत्य : तीन नाबालिगों को हथकड़ी लगाकर पेश किया गया SDM कोर्ट में, कानून की धज्जियां उड़ाई | SvasJsNews
📌 #शाहजहांपुर, 25 अगस्त 2025
थाना बंडा, जनपद शाहजहांपुर की पुलिस पर किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 और सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का खुला उल्लंघन करने का गंभीर आरोप सामने आया है।
जानकारी के अनुसार, पुलिस ने तीन नाबालिग किशोरों को चार घंटे तक थाने में हिरासत में रखा, मारपीट की और हथकड़ी पहनाकर एसडीएम कोर्ट में पेश कर दिया। यह कार्रवाई सीधे-सीधे JJ Act, 2015 की धारा 10 और धारा 94 का उल्लंघन है, जिनके तहत नाबालिग को पुलिस लॉकअप में रखने या हथकड़ी लगाने की अनुमति नहीं है और उसकी उम्र का निर्धारण केवल दस्तावेजी साक्ष्यों से ही किया जा सकता है।
इतना ही नहीं, जब पीड़ित नाबालिगों के पिता अपने बच्चों की मार्कशीट और आयु प्रमाण पत्र लेकर थाने पहुंचे, तो पुलिस ने उनका भी चालान कर दिया। यह कृत्य न केवल मानवाधिकार का हनन है, बल्कि नागरिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
मामला तूल पकड़ने पर विद्वान अधिवक्ता राज शुक्ला ने JJ Act की धारा 94 के तहत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। इसके बाद माननीय न्यायालय ने तीनो नाबालिगों को मुचलके पर रिहा किया और वर्दीधारी पुलिस को इस प्रकरण में स्पष्ट आख्या प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
अधिवक्ता राज शुक्ला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि – नाबालिग को हथकड़ी लगाकर या हथियारबंद पुलिसकर्मी की मौजूदगी में गिरफ्तार कर पेश नहीं किया जा सकता।
नाबालिगों को केवल Juvenile Justice Board (JJB) के समक्ष ही प्रस्तुत किया जाना अनिवार्य है, न कि एसडीएम या किसी अन्य कोर्ट में।
बंडा पुलिस द्वारा यह कृत्य न केवल कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है, बल्कि नाबालिगों के मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन भी है। सवाल यह भी उठता है कि एसडीएम कोर्ट ने विधिक अधिकार क्षेत्र न होने के बावजूद नाबालिगों को क्यों स्वीकार किया? यह कार्यवाही स्वयं एसडीएम कोर्ट की न्यायिक जवाबदेही को कटघरे में खड़ा करती है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में संबंधित पुलिसकर्मियों और एसडीएम कोर्ट की भूमिका की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए तथा दोषी अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय एवं दंडात्मक कार्यवाही अनिवार्य है।