20/09/2025
देशभक्ति केवल एक भावना नहीं...
देशभक्ति केवल एक भावना नहीं, बल्कि एक ऐसा जज़्बा है जो इंसान को अपने प्राणों से भी प्यारे देश के लिए बलिदान देने को प्रेरित करता है। ऐसे ही एक वीर सपूत थे राजस्थान के सौरभ कटारा, जिन्होंने अपने कर्तव्य को अपनी निजी खुशी से ऊपर रखा। उन्होंने शादी के मात्र 10 दिन बाद देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी और अमर हो गए।
एक नई शुरुआत... और एक अंत
सौरभ कटारा की शादी हाल ही में हुई थी। घर में खुशी का माहौल था। दूल्हा बना बेटा जब बारात लेकर चला था, तो मां-बाप की आंखें गर्व और खुशी से चमक रही थीं। पत्नी के चेहरे पर भविष्य के सुनहरे सपनों की चमक थी। मगर किसे पता था कि यह सुख सिर्फ चंद दिनों का मेहमान है।
शादी के 10 दिन बाद ही सौरभ को अपनी ड्यूटी पर लौटना पड़ा। देश की रक्षा का जिम्मा उनके कंधों पर था और एक सैनिक के लिए देश हमेशा पहले होता है। उन्होंने विदाई ली, मुस्कराते हुए वादा किया — "जल्दी लौटूंगा।" लेकिन वह वादा निभ नहीं पाया, बलिदान बन गया।
ड्यूटी पर वीरगति
जवान सौरभ कटारा सीमा पर तैनात थे। एक ऑपरेशन के दौरान आतंकियों से मुठभेड़ हुई, जिसमें उन्होंने साहस और पराक्रम की मिसाल कायम करते हुए दुश्मनों से लोहा लिया। वे आखिरी सांस तक लड़े, लेकिन दुर्भाग्यवश शहीद हो गए। उनके इस बलिदान ने पूरे देश की आंखें नम कर दीं।
परिवार के लिए ग़म, देश के लिए गर्व
सौरभ के माता-पिता और नवविवाहित पत्नी के लिए यह खबर किसी तूफान से कम नहीं थी। एक हंसता-खेलता घर पल भर में सन्नाटे में बदल गया। पर इसी के साथ गर्व का वो भाव भी था, जो हर सैनिक के परिवार के दिल में होता है — कि उनका बेटा देश के लिए मरा है, वो शहीद कहलाया है।
समाज को संदेश
सौरभ की कहानी आज हर युवा के लिए एक प्रेरणा है। वो सिर्फ 10 दिन की शादीशुदा जिंदगी छोड़कर चला गया, लेकिन पीछे एक महान उदाहरण छोड़ गया — कि देश सर्वोपरि है। निजी सुख-दुख, रिश्ते-नाते सब बाद में आते हैं, पहले आता है तिरंगे का सम्मान।
एक सेकंड का वक्त... जय हिंद के लिए
हम अक्सर सोशल मीडिया पर बहुत कुछ पोस्ट करते हैं, लेकिन क्या हम शहीदों के लिए एक सेकंड भी निकाल पाते हैं? सौरभ जैसे वीरों ने अपने पूरे जीवन का बलिदान दिया, क्या हम एक ‘जय हिंद’ भी नहीं कह सकते?
निष्कर्ष
सौरभ कटारा जैसे वीरों की वजह से ही हम चैन से सांस लेते हैं, हंसते हैं, आगे बढ़ते हैं। वो चला गया, पर उसकी कहानी अमर हो गई। वो एक बेटा था, एक पति था, और सबसे पहले — भारत मां का वीर सपूत था।
सौरभ कटारा अमर रहें।