umar Faruk Kelawa

umar Faruk Kelawa umar Faruk Kelawa ❤️

18/11/2024
12/09/2024

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12/09/2024

अंतिम यात्रा
था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था, बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था।
ना जाने था वो कौन सा अजब खेल मेरे घर में, बच्चो की तरह मुझे कंधे पर उठाया जा रहा था।था पास मेरा हर अपना उस वक़्त, फिर भी मैं हर किसी के मन से भुलाया जा रहा था।जो कभी देखते भी न थे मोहब्बत की निगाहों से, उनके दिल से भी प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था।
मालूम नहीं क्यों हैरान था हर कोई मुझे सोते देख कर, जोर जोर से रोकर मुझे जगाया जा रहा था।काँप उठी मेरी रूह वो मंज़र क देख कर, जहाँ मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था।मोहब्बत की इन्तहा थी जिन दिलों में मेरे लिए, उन्हीं दिलों के हाथों आज मैं जलाया जा रहा था।इस दुनिया मे कोई किसी का हम दर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछते हैं, और कितना वक़्त लगेगा। umar Faruk Kelawa

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04/09/2024

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28/07/2024

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28/07/2024

1
नेकियां गिनने की नौबत ही नहीं आएगी
मैंने जो मां पर लिक्खा है, वही काफी होगा

2
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना

3
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती

4
मुसीबत के दिनों में मां हमेशा साथ रहती है
पयम्बर क्या परेशानी में उम्मत छोड़ सकता है

5
जब तक रहा हूँ धूप में चादर बना रहा
मैं अपनी माँ का आखिरी ज़ेवर बना रहा

6
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई

7
ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया

8
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है

9
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ

10
हादसों की गर्द से ख़ुद को बचाने के लिए
माँ ! हम अपने साथ बस तेरी दुआ ले जायेंगे

11
ख़ुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे
माँ तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे

12
जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई
देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई

13
यहीं रहूँगा कहीं उम्र भर न जाउँगा
ज़मीन माँ है इसे छोड़ कर न जाऊँगा

14
अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कु्छ भी नहीं होगा
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है

15
कुछ नहीं होगा तो आँचल में छुपा लेगी मुझे
माँ कभी सर पे खुली छत नहीं रहने देगी

16
दुआएँ माँ की पहुँचाने को मीलों मील जाती हैं
कि जब परदेस जाने के लिए बेटा निकलता है

17
दिया है माँ ने मुझे दूध भी वज़ू करके
महाज़े-जंग से मैं लौट कर न जाऊँगा

18
बहन का प्यार माँ की ममता दो चीखती आँखें
यही तोहफ़े थे वो जिनको मैं अक्सर याद करता था

19
बरबाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
माँ सबसे कह रही है कि बेटा मज़े में है

20
खाने की चीज़ें माँ ने जो भेजी हैं गाँव से
बासी भी हो गई हैं तो लज़्ज़त वही रही

21
मुक़द्दस मुस्कुराहट माँ के होंठों पर लरज़ती है
किसी बच्चे का जब पहला सिपारा ख़त्म होता है

22
मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दीं
सिर्फ़ इक काग़ज़ पे लिक्खा लफ़्ज़—ए—माँ रहने दिया

23
मुनव्वर माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती

24
मुझे कढ़े हुए तकिये की क्या ज़रूरत है
किसी का हाथ अभी मेरे सर के नीचे है

25
बुज़ुर्गों का मेरे दिल से अभी तक डर नहीं जाता
कि जब तक जागती रहती है माँ मैं घर नहीं जाता

26
मेरे चेहरे पे ममता की फ़रावानी चमकती है
मैं बूढ़ा हो रहा हूँ फिर भी पेशानी चमकती है

27
आँखों से माँगने लगे पानी वज़ू का हम
काग़ज़ पे जब भी देख लिया माँ लिखा हुआ

28
ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता
मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है

29
चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है

30
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
मां दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है

❤🌹❣️
10/06/2024

❤🌹❣️

🌹❤🥀
20/05/2024

🌹❤🥀

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