Porbandar Samachar

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21/04/2025
30/09/2024

*HDFC SCHOLARSHIP PROGRAM FOR POST GRADUATE STUDENTS*

કોલેજમાં માસ્ટર ડીગ્રી કરતા વિદ્યાર્થીઓને મળશે એમકોમ, એમબીએ, એમસીએ, તેમજ અન્ય માસ્ટર એન્જીન્યુરીંગ કોર્ષમાં અભ્યાસ કરતા વિધાર્થી અરજી કરી શકશે.

*૩૫૦૦૦ થી ૭૫૦૦૦ સુધી સ્કોલરશીપ મળવા પાત્ર*

*જનરલ કેટેગરી અને તમામ જ્ઞાતિના વિદ્યાર્થીઓ અરજી કરી શકશે*

અભ્યાસના છેલ્લા વર્ષમાં ૫૫% હોવા જોઈએ

આવક મર્યાદા 3 લાખ વાર્ષિક

*અરજી કરવાની છેલ્લી તારીખ* : ૩૦/૧૦/૨૦૨૪

*ઓમ કોમ્પ્યુટર*
કમલા બાગ એમ જી રોડ પોરબંદર
૯૦૩૩૮૦૩૩૬૭
૯૮૨૫૩૬૦૫૭૫

30/09/2024

*HDFC SCHOLARSHIP PROGRAM FOR UNDERGRADUATE STUDENTS*

કોલેજમાં બીએ, બીકોમ, બીબીએ, બીસીએ તેમજ અન્ય બેચલર એન્જીન્યુરીંગ કોર્ષમાં અભ્યાસ કરતા વિધાર્થી અરજી કરી શકશે.

*જનરલ કેટેગરી અને તમામ જ્ઞાતિના વિદ્યાર્થીઓ અરજી કરી શકશે*

*૩૦૦૦૦ થી ૫૦૦૦૦ સુધી સ્કોલરશીપ મળવા પાત્ર*

અભ્યાસના છેલ્લા વર્ષમાં ૫૫% હોવા જોઈએ
આવક મર્યાદા : ૩ લાખ

*અરજી કરવાની છેલ્લી તારીખ* : ૩૦/૧૦/૨૦૨૪
*ઓમ કોમ્પ્યુટર*
કમલા બાગ એમ જી રોડ પોરબંદર
9033803367
9825360575

30/09/2024

*HDFC Bank SCHOLARSHIP PROGRAM FOR SCHOOL STUDENTS*

ધો ૧ થી ૧૨ તેમજ આઈટીઆઈ, પોલીટેકનીકમાં અભ્યાસ કરતા વિધાર્થીઓ અરજી કરી શકશે.

*જનરલ કેટેગરી અને તમામ જ્ઞાતિના વિદ્યાર્થીઓ અરજી કરી શકશે*

• For Class 1 to 6 - INR 15,000 સ્કોલરશીપ

• For Class 7 to 12, Diploma, ITI, & Polytechnic students - INR 18,000 સ્કોલરશીપ મળવા પાત્ર

ધો ૧ થી ૧૨માં તેમજ પોલીટેકનીકમાં, અભ્યાસ કરતા વિદ્યાર્થીઓ માટે મેરીટ બેઝ સ્કોલરશીપ યોજના

*અરજી કરવાની છેલ્લી તારીખ* : ૩૦/૧૦/૨૦૨૪
આવક મર્યાદા : ૩ લાખ

*ઓમ કોમ્પ્યુટર*
કમલા બાગ એમ જી રોડ પોરબંદર

9033803367
9825360575

30/09/2024

*SBI BANK SCHOLARSHIP PROGRAM FOR SCHOOL STUDENTS*

*15000 સ્કોલરશીપ મેળવો*

*જનરલ કેટેગરી અને તમામ જ્ઞાતિના વિદ્યાર્થીઓ અરજી કરી શકશે*

ધો ૬ થી ૧૨માં અભ્યાસ કરતા વિદ્યાર્થીઓ માટે મેરીટ બેઝ સ્કોલરશીપ યોજના

છેલ્લા વર્ષમાં ૭૫ ટકાથી વધુ માર્ક મેળવેલ વિધાર્થીઓ અરજી કરી શકશે

*અરજી કરવાની છેલ્લી તારીખ* :
૨૦/૧૦/૨૦૨૪

*ઓમ કોમ્પ્યુટર*
કમલા બાગ એમ જી રોડ પોરબંદર
9033803367
9825360575

🏺कभी भी गिलास में पानी ना पियें,जानिए लोटे और गिलास के पानी में अंतर⚱भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो...
30/04/2024

🏺कभी भी गिलास में पानी ना पियें,

जानिए लोटे और गिलास के पानी में अंतर

⚱भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है,

ये गिलास जो है विदेशी है. गिलास भारत का नही है.

गिलास यूरोप से आया. और यूरोप में पुर्तगाल से आया था.

ये पुर्तगाली जबसे भारत देश में घुसे थे तब से गिलास में हम फंस गये. गिलास अपना (भारत का) नहीं हैं।

अपना लोटा है. और लोटा कभी भी एकरेखीय नही होता.

वागभट्ट जी कहते हैं कि जो बर्तन एकरेखीय हैं उनका त्याग कीजिये. वो काम के नही हैं.
इसलिए गिलास का पानी पीना अच्छा नही माना जाता.

लोटे का पानी पीना अच्छा माना जाता है.

इस पोस्ट में हम गिलास और लोटे के पानी पर चर्चा करेंगे और दोनों में अंतर बताएँगे.

फर्क सीधा सा ये है कि आपको तो सबको पता ही है कि पानी को जहाँ धारण किया जाए, उसमे वैसे ही गुण उसमें आते है.

पानी के अपने कोई गुण नहीं हैं. जिसमें डाल दो उसी के गुण आ जाते हैं.

दही में मिला दो तो छाछ बन गया, तो वो दही के गुण ले लेगा. दूध में मिलाया तो दूध का गुण.

लोटे में पानी अगर रखा तो बर्तन का गुण आयेगा. अब लौटा गोल है तो वो उसी का गुण धारण कर लेगा.

और अगर थोडा भी गणित आप समझते हैं तो हर गोल चीज का सरफेस टेंशन कम रहता है.

क्योंकि सरफेस एरिया कम होता है तो सरफेस टेंशन कम होगा. तो सरफेस टेंशन कम हैं तो हर उस चीज का सरफेस टेंशन कम होगा.

और स्वास्थ्य की दष्टि से कम सरफेस टेंशन वाली चीज ही आपके लिए लाभदायक है.

अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाली चीज आप पियेंगे तो बहुत तकलीफ देने वाला है. क्योंकि उसमें शरीर को तकलीफ देने वाला एक्स्ट्रा प्रेशर आता है.

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गिलास और लोटे के पानी में अंतर
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गिलास के पानी और लोटे के पानी में जमीं आसमान का अंतर है. इसी तरह कुंए का पानी, कुंआ गोल है इसलिए सबसे अच्छा है.

आपने थोड़े समय पहले देखा होगा कि सभी साधू संत कुए का ही पानी पीते है. न मिले तो प्यास सहन कर जाते हैं,

जहाँ मिलेगा वहीं पीयेंगे. वो कुंए का पानी इसीलिए पीते है क्यूंकि कुआ गोल है, और उसका सरफेस एरिया कम है.

सरफेस टेंशन कम है. और साधू संत अपने साथ जो केतली की तरह पानी पीने के लिए रखते है वो भी लोटे की तरह ही आकार वाली होती है.
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सरफेस टेंशन कम होने से पानी का एक गुण लम्बे समय तक जीवित रहता है.

"पानी का सबसे बड़ा गुण है सफाई करना".

अब वो गुण कैसे काम करता है वो आपको बताते है. आपकी बड़ी आंत है और छोटी आंत है,
आप जानते हैं कि उसमें मेम्ब्रेन है और कचरा उसी में जाके फंसता है. पेट की सफाई के लिए इसको बाहर लाना पड़ता है.

ये तभी संभव है जब कम सरफेस टेंशन वाला पानी आप पी रहे हो. अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाला पानी है तो ये कचरा बाहर नही आएगा, मेम्ब्रेन में ही फंसा रह जाता है.

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दुसरे तरीके से समझें, आप एक एक्सपेरिमेंट कीजिये. थोडा सा दूध ले और उसे चेहरे पे लगाइए, 5 मिनट बाद रुई से पोंछिये. तो वो रुई काली हो जाएगी.

स्किन के अन्दर का कचरा और गन्दगी बाहर आ जाएगी. इसे दूध बाहर लेकर आया.

अब आप पूछेंगे कि दूध कैसे बाहर लाया तो आप को बता दें कि दूध का सरफेस टेंशन सभी वस्तुओं से कम है.
तो जैसे ही दूध चेहरे पर लगाया,
दूध ने चेहरे के सरफेस टेंशन को कम कर दिया .

क्योंकि जब किसी वस्तु को दूसरी वस्तु के सम्पर्क में लाते है तो वो दूसरी वस्तु के गुण ले लेता है.
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इस एक्सपेरिमेंट में दूध ने स्किन का सरफेस टेंशन कम किया और त्वचा थोड़ी सी खुल गयी.

और त्वचा खुली तो अंदर का कचरा बाहर निकल गया. यही क्रिया लोटे का पानी पेट में करता है.

आपने पेट में पानी डाला तो बड़ी आंत और छोटी आंत का सरफेस टेंशन कम हुआ और वो खुल गयी और खुली तो सारा कचरा उसमें से बाहर आ गया.

जिससे आपकी आंत बिल्कुल साफ़ हो गई.

अब इसके विपरीत अगर आप गिलास का हाई सरफेस टेंशन का पानी पीयेंगे तो आंते सिकुडेंगी क्यूंकि तनाव बढेगा.

तनाव बढते समय चीज सिकुड़ती है और तनाव कम होते समय चीज खुलती है.

अब तनाव बढेगा तो सारा कचरा अंदर जमा हो जायेगा और वो ही कचरा , मुल्व्याद जैसी सेंकडो पेट की बीमारियाँ उत्पन्न करेगा.
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इसलिए कम सरफेस टेंशन वाला ही पानी पीना चाहिए.

इसलिए लोटे का पानी पीना सबसे अच्छा माना जाता है, गोल कुए का पानी है तो बहुत अच्छा है.

गोल तालाब का पानी, पोखर अगर खोल हो तो उसका पानी बहुत अच्छा. नदियों के पानी से कुंए का पानी अधिक अच्छा होता है.

क्योंकि नदी में गोल कुछ भी नही है वो सिर्फ लम्बी है, उसमे पानी का फ्लो होता रहता है.

नदी का पानी हाई सरफेस टेंशन वाला होता है और नदी से भी ज्यादा ख़राब पानी समुन्द्र का होता है उसका सरफेस टेंशन सबसे अधिक होता है.
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अगर प्रकृति में देखेंगे तो बारिश का पानी गोल होकर धरती पर आता है.

मतलब सभी बूंदे गोल होती है क्यूंकि उसका सरफेस टेंशन बहुत कम होता है.

तो गिलास की बजाय पानी लोटे में पीयें. लोटे ही घर में लायें. गिलास का प्रयोग बंद कर दें.

तो वागभट्ट जी की बात मानिये और लोटे वापिस लाइए.

*आपने पूरी पोस्ट पढ़ी , आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!*

ઐતિહાસિક અડાલજની વાવ ખાતે વર્લ્ડકપ ટ્રોફીની અલૌકિક તસવીર...Photo Courtesy : ICC - International Cricket Council         ...
19/11/2023

ઐતિહાસિક અડાલજની વાવ ખાતે વર્લ્ડકપ ટ્રોફીની અલૌકિક તસવીર...

Photo Courtesy : ICC - International Cricket Council
Rohit Sharma Pat Cummins

ऋषि महत्व और उनके योगदान----------------------महत्वपूर्ण जानकारी----------------- #अंगिरा_ऋषि 👉 ऋग्वेद के प्रसिद्ध ऋषि अ...
16/11/2023

ऋषि महत्व और उनके योगदान
----------------------महत्वपूर्ण जानकारी-----------------
#अंगिरा_ऋषि 👉 ऋग्वेद के प्रसिद्ध ऋषि अंगिरा ब्रह्मा के पुत्र थे। उनके पुत्र बृहस्पति देवताओं के गुरु थे। ऋग्वेद के अनुसार, ऋषि अंगिरा ने सर्वप्रथम अग्नि उत्पन्न की थी।

#विश्वामित्र_ऋषि 👉 गायत्री मंत्र का ज्ञान देने वाले विश्वामित्र वेदमंत्रों के सर्वप्रथम द्रष्टा माने जाते हैं। आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत इनके पुत्र थे। विश्वामित्र की परंपरा पर चलने वाले ऋषियों ने उनके नाम को धारण किया। यह परंपरा अन्य ऋषियों के साथ भी चलती रही।

#वशिष्ठ_ऋषि 👉 ऋग्वेद के मंत्रद्रष्टा और गायत्री मंत्र के महान साधक वशिष्ठ सप्तऋषियों में से एक थे। उनकी पत्नी अरुंधती वैदिक कर्मो में उनकी सहभागी थीं।

#कश्यप_ऋषि 👉 मारीच ऋषि के पुत्र और आर्य नरेश दक्ष की १३ कन्याओं के पुत्र थे। स्कंद पुराण के केदारखंड के अनुसार, इनसे देव, असुर और नागों की उत्पत्ति हुई।

#जमदग्नि_ऋषि 👉 भृगुपुत्र यमदग्नि ने गोवंश की रक्षा पर ऋग्वेद के १६ मंत्रों की रचना की है। केदारखंड के अनुसार, वे आयुर्वेद और चिकित्साशास्त्र के भी विद्वान थे।

#अत्रि_ऋषि 👉 सप्तर्षियों में एक ऋषि अत्रि ऋग्वेद के पांचवें मंडल के अधिकांश सूत्रों के ऋषि थे। वे चंद्रवंश के प्रवर्तक थे। महर्षि अत्रि आयुर्वेद के आचार्य भी थे।

#अपाला_ऋषि 👉 अत्रि एवं अनुसुइया के द्वारा अपाला एवं पुनर्वसु का जन्म हुआ। अपाला द्वारा ऋग्वेद के सूक्त की रचना की गई। पुनर्वसु भी आयुर्वेद के प्रसिद्ध आचार्य हुए।

ारायण_ऋषि 👉 ऋग्वेद के मंत्र द्रष्टा ये ऋषि धर्म और मातामूर्ति देवी के पुत्र थे। नर और नारायण दोनों भागवत धर्म तथा नारायण धर्म के मूल प्रवर्तक थे।

#पराशर_ऋषि 👉 ऋषि वशिष्ठ के पुत्र पराशर कहलाए, जो पिता के साथ हिमालय में वेदमंत्रों के द्रष्टा बने। ये महर्षि व्यास के पिता थे।

#भारद्वाज_ऋषि 👉 बृहस्पति के पुत्र भारद्वाज ने 'यंत्र सर्वस्व' नामक ग्रंथ की रचना की थी, जिसमें विमानों के निर्माण, प्रयोग एवं संचालन के संबंध में विस्तारपूर्वक वर्णन है। ये आयुर्वेद के ऋषि थे तथा धन्वंतरि इनके शिष्य थे।

आकाश में सात तारों का एक मंडल नजर आता है उन्हें सप्तर्षियों का मंडल कहा जाता है। उक्त मंडल के तारों के नाम भारत के महान सात संतों के आधार पर ही रखे गए हैं। वेदों में उक्त मंडल की स्थिति, गति, दूरी और विस्तार की विस्तृत चर्चा मिलती है। प्रत्येक मनवंतर में सात सात ऋषि हुए हैं। यहां प्रस्तुत है वैवस्तवत मनु के काल में जन्में सात महान ‍ऋषियों का संक्षिप्त परिचय।

#वेदों_के_रचयिता_ऋषि 👉 ऋग्वेद में लगभग एक हजार सूक्त हैं, लगभग दस हजार मन्त्र हैं। चारों वेदों में करीब बीस हजार हैं और इन मन्त्रों के रचयिता कवियों को हम ऋषि कहते हैं। बाकी तीन वेदों के मन्त्रों की तरह ऋग्वेद के मन्त्रों की रचना में भी अनेकानेक ऋषियों का योगदान रहा है। पर इनमें भी सात ऋषि ऐसे हैं जिनके कुलों में मन्त्र रचयिता ऋषियों की एक लम्बी परम्परा रही। ये कुल परंपरा ऋग्वेद के सूक्त दस मंडलों में संग्रहित हैं और इनमें दो से सात यानी छह मंडल ऐसे हैं जिन्हें हम परम्परा से वंशमंडल कहते हैं क्योंकि इनमें छह ऋषिकुलों के ऋषियों के मन्त्र इकट्ठा कर दिए गए हैं।

वेदों का अध्ययन करने पर जिन सात ऋषियों या ऋषि कुल के नामों का पता चलता है वे नाम क्रमश: इस प्रकार है:- १.वशिष्ठ, २.विश्वामित्र, ३.कण्व, ४.भारद्वाज, ५.अत्रि, ६.वामदेव और ७.शौनक।

पुराणों में सप्त ऋषि के नाम पर भिन्न-भिन्न नामावली मिलती है। विष्णु पुराण अनुसार इस मन्वन्तर के सप्तऋषि इस प्रकार है :-

वशिष्ठकाश्यपो यात्रिर्जमदग्निस्सगौत।
विश्वामित्रभारद्वजौ सप्त सप्तर्षयोभवन्।।

अर्थात् सातवें मन्वन्तर में सप्तऋषि इस प्रकार हैं:- वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज।

इसके अलावा पुराणों की अन्य नामावली इस प्रकार है:- ये क्रमशः केतु, पुलह, पुलस्त्य, अत्रि, अंगिरा, वशिष्ट तथा मारीचि है।

महाभारत में सप्तर्षियों की दो नामावलियां मिलती हैं। एक नामावली में कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ के नाम आते हैं तो दूसरी नामावली में पांच नाम बदल जाते हैं। कश्यप और वशिष्ठ वहीं रहते हैं पर बाकी के बदले मरीचि, अंगिरस, पुलस्त्य, पुलह और क्रतु नाम आ जाते हैं। कुछ पुराणों में कश्यप और मरीचि को एक माना गया है तो कहीं कश्यप और कण्व को पर्यायवाची माना गया है। यहां प्रस्तुत है वैदिक नामावली अनुसार सप्तऋषियों का परिचय।

१. #वशिष्ठ 👉 राजा दशरथ के कुलगुरु ऋषि वशिष्ठ को कौन नहीं जानता। ये दशरथ के चारों पुत्रों के गुरु थे। वशिष्ठ के कहने पर दशरथ ने अपने चारों पुत्रों को ऋषि विश्वामित्र के साथ आश्रम में राक्षसों का वध करने के लिए भेज दिया था। कामधेनु गाय के लिए वशिष्ठ और विश्वामित्र में युद्ध भी हुआ था। वशिष्ठ ने राजसत्ता पर अंकुश का विचार दिया तो उन्हीं के कुल के मैत्रावरूण वशिष्ठ ने सरस्वती नदी के किनारे सौ सूक्त एक साथ रचकर नया इतिहास बनाया।

२. #विश्वामित्र 👉 ऋषि होने के पूर्व विश्वामित्र राजा थे और ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को हड़पने के लिए उन्होंने युद्ध किया था, लेकिन वे हार गए। इस हार ने ही उन्हें घोर तपस्या के लिए प्रेरित किया। विश्वामित्र की तपस्या और मेनका द्वारा उनकी तपस्या भंग करने की कथा जगत प्रसिद्ध है। विश्वामित्र ने अपनी तपस्या के बल पर त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग भेज दिया था। इस तरह ऋषि विश्वामित्र के असंख्य किस्से हैं।

माना जाता है कि हरिद्वार में आज जहां शांतिकुंज हैं उसी स्थान पर विश्वामित्र ने घोर तपस्या करके इंद्र से रुष्ठ होकर एक अलग ही स्वर्ग लोक की रचना कर दी थी। विश्वामित्र ने इस देश को ऋचा बनाने की विद्या दी और गायत्री मन्त्र की रचना की जो भारत के हृदय में और जिह्ना पर हजारों सालों से आज तक अनवरत निवास कर रहा है।

३. #कण्व 👉 माना जाता है इस देश के सबसे महत्वपूर्ण यज्ञ सोमयज्ञ को कण्वों ने व्यवस्थित किया। कण्व वैदिक काल के ऋषि थे। इन्हीं के आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला एवं उनके पुत्र भरत का पालन-पोषण हुआ था।

४. #भारद्वाज 👉 वैदिक ऋषियों में भारद्वाज-ऋषि का उच्च स्थान है। भारद्वाज के पिता बृहस्पति और माता ममता थीं। भारद्वाज ऋषि राम के पूर्व हुए थे, लेकिन एक उल्लेख अनुसार उनकी लंबी आयु का पता चलता है कि वनवास के समय श्रीराम इनके आश्रम में गए थे, जो ऐतिहासिक दृष्टि से त्रेता-द्वापर का सन्धिकाल था। माना जाता है कि भरद्वाजों में से एक भारद्वाज विदथ ने दुष्यन्त पुत्र भरत का उत्तराधिकारी बन राजकाज करते हुए मन्त्र रचना जारी रखी।

ऋषि भारद्वाज के पुत्रों में १० ऋषि ऋग्वेद के मन्त्रदृष्टा हैं और एक पुत्री जिसका नाम 'रात्रि' था, वह भी रात्रि सूक्त की मन्त्रदृष्टा मानी गई हैं। ॠग्वेद के छठे मण्डल के द्रष्टा भारद्वाज ऋषि हैं। इस मण्डल में भारद्वाज के ७६५ मन्त्र हैं। अथर्ववेद में भी भारद्वाज के २३ मन्त्र मिलते हैं। 'भारद्वाज-स्मृति' एवं 'भारद्वाज-संहिता' के रचनाकार भी ऋषि भारद्वाज ही थे। ऋषि भारद्वाज ने 'यन्त्र-सर्वस्व' नामक बृहद् ग्रन्थ की रचना की थी। इस ग्रन्थ का कुछ भाग स्वामी ब्रह्ममुनि ने 'विमान-शास्त्र' के नाम से प्रकाशित कराया है। इस ग्रन्थ में उच्च और निम्न स्तर पर विचरने वाले विमानों के लिए विविध धातुओं के निर्माण का वर्णन मिलता है।

५. #अत्रि 👉 ऋग्वेद के पंचम मण्डल के द्रष्टा महर्षि अत्रि ब्रह्मा के पुत्र, सोम के पिता और कर्दम प्रजापति व देवहूति की पुत्री अनुसूया के पति थे। अत्रि जब बाहर गए थे तब त्रिदेव अनसूया के घर ब्राह्मण के भेष में भिक्षा मांगने लगे और अनुसूया से कहा कि जब आप अपने संपूर्ण वस्त्र उतार देंगी तभी हम भिक्षा स्वीकार करेंगे, तब अनुसूया ने अपने सतित्व के बल पर उक्त तीनों देवों को अबोध बालक बनाकर उन्हें भिक्षा दी। माता अनुसूया ने देवी सीता को पतिव्रत का उपदेश दिया था।

अत्रि ऋषि ने इस देश में कृषि के विकास में पृथु और ऋषभ की तरह योगदान दिया था। अत्रि लोग ही सिन्धु पार करके पारस (आज का ईरान) चले गए थे, जहां उन्होंने यज्ञ का प्रचार किया। अत्रियों के कारण ही अग्निपूजकों के धर्म पारसी धर्म का सूत्रपात हुआ। अत्रि ऋषि का आश्रम चित्रकूट में था। मान्यता है कि अत्रि-दम्पति की तपस्या और त्रिदेवों की प्रसन्नता के फलस्वरूप विष्णु के अंश से महायोगी दत्तात्रेय, ब्रह्मा के अंश से चन्द्रमा तथा शंकर के अंश से महामुनि दुर्वासा महर्षि अत्रि एवं देवी अनुसूया के पुत्र रूप में जन्मे। ऋषि अत्रि पर अश्विनीकुमारों की भी कृपा थी।

६. #वामदेव 👉 वामदेव ने इस देश को सामगान (अर्थात् संगीत) दिया। वामदेव ऋग्वेद के चतुर्थ मंडल के सूत्तद्रष्टा, गौतम ऋषि के पुत्र तथा जन्मत्रयी के तत्ववेत्ता माने जाते हैं।

७. #शौनक 👉 शौनक ने दस हजार विद्यार्थियों के गुरुकुल को चलाकर कुलपति का विलक्षण सम्मान हासिल किया और किसी भी ऋषि ने ऐसा सम्मान पहली बार हासिल किया। वैदिक आचार्य और ऋषि जो शुनक ऋषि के पुत्र थे।

फिर से बताएं तो वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भरद्वाज, अत्रि, वामदेव और शौनक- ये हैं वे सात ऋषि जिन्होंने इस देश को इतना कुछ दे डाला कि कृतज्ञ देश ने इन्हें आकाश के तारामंडल में बिठाकर एक ऐसा अमरत्व दे दिया कि सप्तर्षि शब्द सुनते ही हमारी कल्पना आकाश के तारामंडलों पर टिक जाती है।

इसके अलावा मान्यता हैं कि #अगस्त्य, #कष्यप, #अष्टावक्र, #याज्ञवल्क्य, #कात्यायन, #ऐतरेय, #कपिल, #जेमिनी, #गौतम आदि सभी ऋषि उक्त सात ऋषियों के कुल के होने के कारण इन्हें भी वही दर्जा प्राप्त है।

*लब्ध्वा शुभं नववर्षेऽस्मिन् कुर्यात्सर्वस्य मंगलम्॥*जैसे सूर्य प्रकाश देता है, संवेदना करुणा को जन्म देती है, फूल हमेशा...
14/11/2023

*लब्ध्वा शुभं नववर्षेऽस्मिन् कुर्यात्सर्वस्य मंगलम्॥*

जैसे सूर्य प्रकाश देता है, संवेदना करुणा को जन्म देती है, फूल हमेशा महकता रहता है। इसी तरह, नया साल आपके लिए हर दिन, हर पल मंगलमय हो।

केयूर बी जोशी एवं परिवार

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01/10/2023

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05/08/2023

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▪️ફોર્મ ભરવાની તા. : 06-09-2023

*▪️ઓમ કોમ્પ્યુટર*
કમલા બાગ પ્રકાશ પાન સામેની લાઈનમાં
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