
25/09/2025
हर किसी को अपने जीवन के कर्तव्य को पूरा करना चाहिए और लापरवाह नहीं होना चाहिए। — भगवान बुद्ध
यह शिक्षा हमें यह याद दिलाती है कि प्रत्येक व्यक्ति के पास अपनी भूमिका, क्षमताओं और परिस्थितियों के अनुसार जिम्मेदारियां होती हैं। अपने कर्तव्यों की उपेक्षा करने से कठिनाई, पछतावा या दुख होता है। चाहे हम छात्र, माता-पिता, कार्यकर्ता, नेता या भिक्षु हों, अपने कर्तव्यों को मेहनत से पूरा करने से हमारे अपने जीवन में और हमारे आसपास के लोगों में भी व्यवस्था, स्थिरता और विकास आता है। अपने कर्तव्यों में सावधानी से शामिल होना धम्म का एक अभ्यास है। अपने कर्तव्यों को सही ढंग से पूरा करने से:
- जागरूकता: यह जानना कि क्या करना है और इसे सही तरीके से कैसे करना है
- अनुशासन: बिना देरी के जिम्मेदारियों को निभाना
- नैतिकता: ईमानदारी और नैतिक रूप से कार्य करना
- करुणा: यह विचार करना कि हमारे कार्य दूसरों पर कैसे प्रभाव डालते हैं
अपने कर्तव्यों को सावधानी से पूरा करके, हम पछतावा से बचते हैं, पुण्य जमा करते हैं और अपने मन को मजबूत बनाते हैं। यह अभ्यास हमें आंतरिक शांति की ओर ले जाता है और दुख को कम करता है, क्योंकि कर्तव्यों को सही ढंग से पूरा करने से समस्याएं और गलतफहमी कम हो जाती हैं। बुद्ध की शिक्षा हमें यह याद दिलाती है: जीवन बहुत मूल्यवान है, और प्रत्येक क्षण में मूल्य है। अपने कर्तव्यों का ध्यान से पालन करके, हम जीवन का सम्मान करते हैं, समाज को लाभ पहुंचाते हैं और धम्म के मार्ग पर स्थिर रूप से आगे बढ़ते हैं।