
10/10/2024
1868: भारत की असली क्रांति - टाटा समूह की नींव
1857 की क्रांति के बारे में तो सभी ने पढ़ा है, लेकिन क्या आपने 1868 की क्रांति के बारे में सुना है? जी हां, 1868 में भारत की आर्थिक क्रांति की नींव रखी गई, जिसने आने वाले वर्षों में लाखों भारतीय परिवारों को रोज़गार दिया और एक मज़बूत भारत की नींव डाली। मैं बात कर रहा हूँ टाटा समूह की, जिसकी शुरुआत जमशेतजी टाटा ने 1868 में की थी।
उस समय हम अंग्रेजों से आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे, और साथ ही भारत के उद्योग जगत का उदय हो रहा था। उद्योग किसी भी देश की मज़बूती का अहम हिस्सा होते हैं, जो बेरोज़गारी को खत्म कर देश को सशक्त बनाते हैं। इसी सोच के साथ जमशेतजी ने टाटा समूह की शुरुआत की, जो आज लाखों भारतीयों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।
1907 में जमशेदपुर में टाटा स्टील की स्थापना हुई, जिसे आज टाटानगर के नाम से जाना जाता है। जब देश बिजली के अभाव में अंधकार में डूबा रहता था, तब टाटा ने 1910 में बिजली उत्पादन शुरू किया। 1917 में टाटा नमक और साबुन से लेकर घर-घर में पहचान बना ली।
1932 में जब भारत में हवाई जहाज की कल्पना भी नहीं की जा रही थी, टाटा ने टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की, जो बाद में एयर इंडिया बनी। 1939 में टाटा ने केमिकल उद्योग में कदम रखा और 1945 में टाटा मोटर्स की स्थापना की।
टाटा समूह ने हर क्षेत्र में कदम रखा, चाहे वो चाय-कॉफी हो, फैशन हो या फिर सॉफ़्टवेयर। आज आपकी किचन में टाटा नमक से लेकर आसमान में टाटा के विमान तक, हर जगह टाटा का योगदान है।
रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह ने लक्ज़री कारों के व्यवसाय में कदम रखा। शुरुआत में नुकसान हुआ, लेकिन रतन टाटा ने हार नहीं मानी। 2012 में उन्हीं लैंड रोवर और जैगुआर जैसी कंपनियों को ख़रीदकर इतिहास रच दिया, जिनसे कभी उन्हें ताने मिले थे।
रतन टाटा आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका योगदान और उनका नेतृत्व हमेशा हमें प्रेरित करता रहेगा। लोग भले ही अंबानी, अडानी या एलन मस्क बनने का सपना देखें, लेकिन रतन टाटा जैसा कोई दूसरा नहीं हो सकता। उनका नाम और काम हमेशा एक सूरज की तरह रहेगा, जो पूरी दुनिया को रोशन करता रहेगा। ❤️
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