
21/03/2024
#आधुनिक #परिदृश्य में #महापुरुषों के #विचारों से #शोषित #वंचित #दमित समाज को #सामाजिक #चेतना से अवगत कराने वाले #सेवा #निष्कासित प्रो DrLaxman Yadav की #प्रोफेसर की #डायरी जिसे अब तक सुना हूं सच में पढ़ने के बाद उतना ही उसे #सार्थक व #प्रेरित महसूस हो रहा है..
Dr. Laxman Yadav
कलम और किताबें इंसान की नायाब उपलब्धि है | मेहनतकश हाथों ने दुनिया को गढ़ा तो कलम वाले हाथों ने इसमें रंग भरे| हम जिसे भारत कहते हैं उस बहुरंगी संस्कृति को किसान -कामगार शिल्पकार, और बुद्धिजीवियों ने हजारों साल में रचा है| बुद्धिजीवी किसान- कामगार तबको से आते हैं और अंततः उन्हीं के लिए बोलते हैं | भारत को विश्व गुरु की जिस छवि में देखने की कोशिश की जाती है उसे किसने रचा था? इतिहास ने इसे जितना भी नजरअंदाज करें मगर यह संस्कृति बहुत संख्यक किसान -कामगार ने रची है | विशाल लोक साहित्य के रचयिता कौन थे? कौन थे खूबसूरत मूर्तियों को गढ़ने वाले लोग? कौन थे जिन्होंने मिट्टी और लकड़ी से अनूठी नक्काशियां की? महलों से लेकर राज सिंहासनों को बनाने वाले राजगीर कौन थे? आकर्षक आभूषण किसने बनाये? सड़कों से लेकर संसद के खम्बो तक को किसने गढ़ा?
इस प्रकार के तमाम प्रश्न हमारे सामने खड़े हो जाते हैं जिनका उत्तर इस पुस्तक के माध्यम से आंशिक रूप से, प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से मिलता है| भारत को महान बनाने में बहुसंख्यक समाज की जो भूमिका रही है वह इतिहास में नजरअंदाज दिखाई पड़ती है|
इस किताब में विश्वविद्यालय से लेकर स्कूलों तक में काम कर रहे हैं अनगिनत अस्थायी शिक्षकों के रोजमर्रा के एहसास हैं | एडहॉक प्रोफेसर, गेस्ट टीचर, शिक्षामित्र,नियोजित शिक्षक,संविदा शिक्षक जैसे जाने कितने नामो से जाना जाता है | यह किताब इन अलग-अलग नामों की साझा कहानी है जिसका काम एक ही है पढ़ना और पढ़ाना | एक ऐसा पेशा जिसमें शिक्षक को छोड़ सब कुछ परमानेंट होता है| सिलेबस, स्टूडेंट,पढ़ाई -लिखाई, नोट्स,चॉक,डस्टर, मार्कर,बिल्डिंग,एग्जाम,इवेंट्स,ड्यूटीज सब कुछ परमानेंट ; मगर इनकी बुनियाद में खड़ा एक शिक्षक खुद परमानेंट नहीं होता |
बहिष्कृत प्रोफेसर Dr. Laxman Yadav की किताब "प्रोफेसर की डायरी" भारत में पुस्तक बिक्री का पिछले 20 साल का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है..!!
इससे पहले 75 दिन में 12,800 किताबें बिकने का नेशनल रिकॉर्ड पीयूष मिश्रा के नाम था. प्रोफेसर की डायरी 20 दिन में 16,000 बिक चुकी है. जबकि अभी तो सिर्फ ऑनलाइन बिक्री हुई है. बुक स्टोर में तो अभी इसे आना है
बधाई हो . Laxman Yadav