08/07/2025
"जब भक्ति में मन लगने लगे, तो समझ लेना कि आपने भगवान को नहीं चुना — भगवान ने आपको चुन लिया है।"
यह वाक्य बहुत सुंदर और प्रेरणादायक है, लेकिन श्रीमद्भगवद्गीता में यह वाक्य शब्दशः नहीं कहा गया है। यह भाव गीता के उपदेशों से प्रेरित है।
भाव का आधार:
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7, श्लोक 16-17 में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं:
> "चतुर्विधा भजन्ते मां जनाः सुकृतिनोऽर्जुन।
आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ॥"
"तेषां ज्ञानी नित्ययुक्त एकभक्तिर्विशिष्यते।
प्रियो हि ज्ञानिनोऽत्यर्थमहं स च मम प्रियः॥"
भावार्थ:
भगवान कहते हैं कि ज्ञानी भक्त, जो एकनिष्ठ होकर निरंतर भक्ति करता है, वह मुझे अत्यंत प्रिय है और मैं भी उसे प्रिय हूँ।
इससे यह बात निकलती है कि जब किसी का मन सच्चे भाव से भक्ति में रमने लगे, तो वह भगवान की कृपा और चयन का फल है।
---
🌸 जय श्री कृष्णा 🌸
अगर आपके मन में यह भाव जगे — तो निस्संदेह यह भगवान की कृपा है।
"जय श्री कृष्णा" जरूर लिखें — इससे हृदय शुद्ध होता है और मन आनंदित।
#जयश्रीकृष्णा 🙏
#𝕤𝕒𝕟𝕒𝕥𝕒𝕟𝕚𝕣𝕖𝕖𝕝𝕤 #𝕧𝕚𝕕𝕖𝕠𝕧𝕚𝕣𝕒𝕝𝕜𝕒𝕣𝕠 #𝕤𝕒𝕟𝕒𝕥𝕒𝕟𝕚𝕠 #𝕧𝕚𝕣𝕒𝕝𝕧𝕚𝕕𝕖𝕠シ #𝕗𝕓𝕣𝕖𝕖𝕝𝕤𝕗𝕪𝕡シ゚𝕧𝕚𝕣𝕒𝕝𝕗𝕓𝕣𝕖𝕖𝕝𝕤𝕗𝕪𝕡シ゚𝕧𝕚𝕣𝕒𝕝