
26/07/2025
तीन उपदेश – एक शिक्षाप्रद मर्मस्पर्शी कहानी✍️
एक गरीब आदमी अपनी पत्नी के साथ एक पहाड़ी गाँव में रहता था। जीवन इतना कठिन था कि कई बार खाने को भी कुछ नहीं होता। एक दिन वह आदमी रोज़गार की तलाश में गाँव छोड़ने का निश्चय करता है। जाने से पहले वह अपनी पत्नी से कहता है,
"मैं लंबी यात्रा पर जा रहा हूँ। मैं हमेशा तुम्हारे प्रति वफ़ादार रहा हूँ, क्या तुम भी मेरी अनुपस्थिति में मेरे प्रति वफ़ादार रह सकोगी?"
पत्नी ने सिर हिलाकर सहमति जताई।
वह आदमी बहुत दूर जाकर एक व्यापारी के यहाँ नौकरी करने लगा, लेकिन एक शर्त पर — उसकी पूरी कमाई मालिक के पास जमा रहेगी और जब वह नौकरी छोड़ेगा, तब उसे सारा पैसा एक साथ मिलेगा।
बीस साल बीत गए। फिर वह आदमी अपने मालिक से कहता है,
"अब मैं काम छोड़कर अपने घर जाना चाहता हूँ। कृपया मेरी पूरी जमा रकम मुझे लौटा दीजिए।"
मालिक कहता है,
"तुम चाहो तो अपने पैसे ले सकते हो, या फिर मेरी दी हुई तीन महत्वपूर्ण उपदेश ले सकते हो। लेकिन दोनों में से एक ही मिलेगा।"
आदमी ने दो दिन सोचकर कहा,
"मैं आपके तीन उपदेश चाहता हूँ। मुझे पैसे नहीं चाहिए।"
मालिक मुस्कराकर कहता है,
"तो ध्यान से सुनो—
पहला उपदेश:
कभी भी शॉर्टकट (छोटा रास्ता) मत चुनो, चाहे वह जितना भी आसान लगे। लंबे रास्ते अक्सर ज्यादा सुरक्षित और फलदायी होते हैं।
दूसरा उपदेश:
कभी भी किसी चीज़ में जल्दबाज़ी मत करो। पहले पूरी बात समझो, फिर निर्णय लो।
तीसरा उपदेश:
किसी को लेकर धारणा बनाने से पहले पूरे तथ्यों को जानो।"
इसके साथ ही मालिक ने उसे तीन रोटियाँ दीं— दो यात्रा के दौरान खाने के लिए और एक बड़ी रोटी अपने घर पहुँचने पर पत्नी के साथ बाँटकर खाने के लिए।
अब वह व्यक्ति लंबी यात्रा पर निकल पड़ा।
रास्ते में उसे किसी ने बताया कि एक छोटा रास्ता है, जिससे वह जल्दी घर पहुँच सकता है। उसे याद आया पहला उपदेश — उसने लंबा रास्ता ही चुना। बाद में पता चला कि छोटे रास्ते में एक खतरनाक जंगली जानवर था जो उसे मार सकता था।
रात में एक अजनबी ने उसे अपने घर में शरण दी। आधी रात को घर के अंदर कुछ आवाज़ें आईं। वह उठकर देखने को तैयार था, तभी उसे दूसरा उपदेश याद आया — "जल्दबाज़ी मत करो"। वह रुका। सुबह पता चला कि रात को घर में एक बाघ घुस आया था, लेकिन उसके न देखने से उसकी जान बच गई।
आख़िरकार, वह अपने गाँव पहुँचा। घर के पास खिड़की से झाँका तो देखा कि उसकी पत्नी एक पुरुष को गले लगाकर उसके गाल पर चुम्बन कर रही है।
क्रोधित, दुखी और थका हुआ वह आदमी बिना दरवाज़ा खटखटाए वहाँ से लौटने लगा। तभी उसे तीसरा उपदेश याद आया — "किसी के बारे में राय बनाने से पहले पूरी सच्चाई जान लो।"
वह वापस गया और दरवाज़ा खटखटाया। उसकी पत्नी उसे देखकर प्रसन्नता से दौड़कर गले लगाना चाहती थी, लेकिन वह रुक गया और पूछा,
"तुमने मेरी अनुपस्थिति में किसी और पुरुष को क्यों चूमा? क्या तुमने वादा नहीं किया था?"
पत्नी मुस्कराकर बोली,
"पहले घर आओ, सब बताती हूँ।"
"नहीं, मुझे अभी बताओ!" – आदमी ने ज़ोर देकर कहा।
पत्नी बोली,
"जब तुम गए थे, मैं गर्भवती थी। अब हमारा बीस साल का बेटा है। अभी तुम जिसे देख रहे थे, वह तुम्हारा ही बेटा है। मैं उसे काम पर भेजने से पहले उसके गालों पर चुम्बन कर रही थी, ठीक वैसे ही जैसे तुमने मुझे छोड़ते समय किया था।"
उस आदमी की आँखों से आँसू बह निकले। वे दोनों भीतर आए और साथ में वह तीसरी बड़ी रोटी खाने बैठे। जैसे ही रोटी को तोड़ा, उसके भीतर से उसकी बीस वर्षों की पूरी जमा पूंजी निकली — जो मालिक ने छिपाकर दी थी।
सीख:
ज़िंदगी में हर आसान रास्ता सही नहीं होता।
जल्दबाज़ी में किया गया निर्णय अक्सर नुकसानदेह होता है।
हर दृश्य वैसा नहीं होता जैसा दिखता है। सच जानने से पहले निर्णय मत लो।
साभार 🙏