02/07/2025
समय का पहिया
"ये देख ना अनु ,फोन से पैसे कैसे भेजते हैं ,बता ना फिर से,मै भूल गयी " परेशान मा मेरे घर आते ही अपना फोन दिखा कर पुछने लगी .
मै थोडा थकी हुई थी इसलिये झूँझुलाकर बोली "तुम रहने दो मा ,ये सब तुम्हारे बस का नही है. इतनी बार बताया मैंने पर तुम हमेशा भूल जाती हो. लाओ मै ही ये काम कर दू ."मै मा से फोन लेने लगी.
"बस एक बार और बता दे , अब मै सीख लूँगी " .मा ने फोन जोर से पकड़ते हुये कहा .
मैने मा की ओर देखा और सहसा मुझे वो समय याद आ गया जब मा मुझे कुछ पढाती थी और मै बार बार गलती कर देती थी .तो मा गुस्से मे कहती की अब नही बताऊंगी और मै एक बार और बताने का मनुहार करती जैसे आज मा कर रही है.
मै भावुक हो गयी की जो मा कल तक मुझे गणित के मुश्किल प्रश्नो का हल बताती थी आज वो खुद नई तकनीको के मुश्किल मे है और मुझे से मदद मांग रही है .
आज जैसे मा ने मेरी जगह ले ली है और मैने मा की .मतलब अब समय बदल रहा है ...समय का पहिया घुम चुका है , अब मुझे मा का किरदार निभाना है वो सब बताना है जो उनके लिये जारूरी है ताकि वो खुद भी सब आधुनिक काम कर सके .
ये सब सोचते हुये मेरे आँखो से आंसू बहने लगे और मा मुझे हाथ पर मार कर बोली "रो क्यों रही है ?एक बार बाता दे फिर तंग नही करूँगी ."
मैने हसते हुये मा के हाथसे फोन लिया और कहा "आईये बताती हूँ और आप जब चाहे मुझे तंग कर सकती हैं ".