05/06/2025
*इख़्तियारे मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम*
*अहादीसे तैय्यिबा की रौशनी में*
*पोस्ट नंबर 24*
*हुज़ूर के हुक्म में बरकत ही बरकत है*
*हदीस नंबर 13*
*तर्जमा*
हज़रत अबू राफ़ेअ रजियल्लाहु
तआला अन्हु से मरवी है उनका बयान है कि हमें तोहफ़े में एक बकरी दी गई तो उसे पकाने के लिये हांडी में चढ़ा दिया. फिर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तशरीफ़ लाए और फ़रमाया ऐ अबू राफ़ेअ यह क्या है? मैंने अर्जू किया या रसूलल्लाह यह बकरी है जो हमें तोहफ़तन दी गई थी मैं इसे हांडी में पका रहा हूँ। सरकारे अक़दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ऐ अबू राफ़ेअ एक दस्त (बाज़ू) मुझे दो। मैंने हुजूर की ख़िदमत में दस्त पेश कर दिया। फिर आपने फ़रमाया कि दूसरा दस्त भी दो, मैंने दूसरा दस्त भी आपकी ख़िदमत में पेश कर दिया। आपने फिर फ़रमाया ऐ अबू राफ़ेअ और दस्त लाओ, तो मैंने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह बकरी के दो ही दस्त होते हैं। तो मुख़्तारे कायनात सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अगर तुम ख़ामोश रहते तो हमको दस्त पेश करते रहते जब तक तुम मनाअ न करते।
(मुस्नद इमाम अहमद बिन हंबल, स. 11/6, सुनने दारमी, जि.......)
इससे मालूम हुआ कि रसूले पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इख़्तियार था कि जब तक आप तलब फ़रमाते रहते पेश करने वाला पेश करता रहता तो अगरचेह बकरी में सिर्फ़ दो ही दस्त होते हैं लेकिन आपके इख़्तियार से हजारों दस्त ज़ाहिर होते रहते।
*ان شاءاللہ* *जारी रहेगा*
*(इख़्तियारे मुस्तफ़ा हिंदी पेज 32/33)*
*पेश करदा*
*मोहम्मद सदरे आलम निज़ामी मिस्बाही*
*ख़तीब व इमाम गुर्जी अली बेग मस्जिद*
*नया पुरवा फैज़ाबाद अयोध्या*