27/07/2025
"पुराना आईना"
रीमा एक कॉलेज की छात्रा थी, जो हाल ही में शहर में एक पुराने किराए के मकान में रहने आई थी। घर में सब ठीक था, लेकिन एक चीज़ थी जो अजीब लगती थी — ड्रॉइंग रूम में रखा एक पुराना, धूल से भरा आईना।
आईने का फ्रेम लकड़ी का था, लेकिन उस पर अजीब-अजीब निशान थे — जैसे नाखूनों से खरोंचा गया हो।
रीमा ने कई बार सोचा कि आईने को हटवा दे, लेकिन मकान मालिक ने कहा, “ये आईना बहुत पुराना है, इसे मत हटाना।”
पहली रात रीमा ने देखा कि आईने में उसका चेहरा थोड़ा अजीब दिख रहा है — जैसे होंठ हिल रहे हों, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा था।
उसने समझा, थकान के कारण वह भ्रम देख रही है।
दूसरी रात, जब वह बाल बना रही थी, उसने देखा कि आईने में उसके पीछे कोई काला साया खड़ा है!
वो घबराकर पीछे पलटी — लेकिन वहां कोई नहीं था।
अब रीमा को डर लगने लगा।
तीसरी रात उसे एक अजीब सपना आया —
एक लड़की सफेद कपड़ों में आईने के अंदर फँसी हुई थी और चिल्ला रही थी:
“मुझे निकालो! वो मुझे खा गया… मैं ज़िंदा दफ्न हूँ इस आईने में…”
रीमा की आँखें खुल गईं। पसीने-पसीने हो गई थी।
अब वह समझ चुकी थी — इस आईने में कुछ है।
अगले दिन वह पास की एक बूढ़ी महिला के पास गई, जो बहुत सालों से उस मोहल्ले में रह रही थी।
बूढ़ी औरत बोली,
“बेटी, वो आईना जिस कमरे में है, वहाँ पहले एक लड़की रहती थी — शिवानी। कहते हैं, उसकी मौत आईने के सामने हुई थी। तब से उसकी आत्मा उसी आईने में कैद है। कई लोगों ने उसे हटाने की कोशिश की, लेकिन… जो भी हटाने गया, गायब हो गया।”
रीमा ने डरते हुए कहा, “अब क्या करूँ?”
बूढ़ी औरत बोली, “उस आईने को नमक और गंगाजल से ढक दो, और 7 दिन तक हनुमान चालीसा पढ़ो। वो आत्मा मुक्त हो जाएगी।”
रीमा ने वैसा ही किया।
सातवें दिन रात को, जब वह मंत्र पढ़ रही थी, आईने में तेज़ हवा चलने लगी। कमरे की लाइट बार-बार झपकने लगी।
आईने के अंदर से वो सफेद कपड़ों वाली लड़की फिर दिखी — लेकिन अब उसका चेहरा शांत था।
उसने कहा,
“तुमने मुझे आज़ाद किया… धन्यवाद… अब मैं जा रही हूँ…”
अचानक आईना चटक गया, और फिर टूटकर ज़मीन पर गिर गया।
अब वहां कुछ नहीं था — ना साया, ना आवाज़।
रीमा ने फिर कभी उस आईने की जगह कुछ नहीं रखा। लेकिन जब भी कोई पूछता कि वहाँ खाली दीवार क्यों है, वो बस मुस्करा कर कहती —
"कभी-कभी खाली जगहें, सबसे भरी होती हैं..."