24/05/2024
टाइटल > महात्मा गांधी क्या सच में राष्ट्रपिता थे या राजनीति ने जबरदस्ती थोपा 🙂
देश का बंटवारा होगा तो मेरी लाश पर होगा
गांधी जी थे क्या जो उन्होंने ये बात कही ?
अगर कही तो फिर उस पर अमल क्यों नही किया ? ये ही बात उन की छवि पर प्रश्न चिन्ह लगाती है,
महात्मा गांधी जी ने कहा देश का बंटवारा मेरी लाश पर होगा, देश का बंटवारा तो हुआ पर लाखो हिंदुओ की लाश पर हुआ 🙄
गांधी जी के जीते जी हुआ 🤘
भाई आप राजनीति में हरीश चंद्र क्यूं ढूंढ रहे
राजनीति में खाने के दांत और दिखाने के दांत अलग अलग होते 😑
गांधी जी तो वो उस्ताद थे आपकी गर्दन भी काट दी और आपको खबर भी ना हुई कानो कान ।। उन्होंने ये जरूर कहा बंटवारा मेरी लाश पर होगा पर इसका मतलब ये नही वो अपनी गर्दन आगे कर देते और सुल्ही पर चढ़ जाते ।
मगर ऐसा कहकर हिंदुओ को मुगलाते में जरूर रखा 🤘 और इसी आड़ में अपने लक्ष्य पूरे कर लिए । पाकिस्तान भी बनवा दिया बनवा दिया। लाखो लोगो के कत्लेआम के बाद भी हिंदूओ के भले भी बने रहे 😂
भारत 1947 से पहले ही आजाद हो जाता सुभाष चंद्र बॉस की आजाद हिंद फौज की सेना ने अंग्रेजो को भगाना सुरु कर दिया था
उस आंदोलन को ही गांधी ने ही कुचला, भगत सिंह, राजगुरु,मंगल पांडे, जेसे वीर जो अंग्रेजो को भगाने का ठान लिया था,
जब वो पकड़े गए तो उनकी फांसी पर रोक लग सकती थी पर उनको फांसी देने के लिए हस्ताक्षर मोहन चंद गांधी ने किया 😑
क्योंकि गांधी चाहते ही नही थे देश आजाद हो, वो तो दबाव पड़ने लगा तब जाके अंग्रेजो से सौदा करना पड़ा 🙄
गांधी और नेहरू ने भी हिंदुओं का विरोध किया है
हमेशा से हिंदू विरोधी है कांग्रेस,
1. वंदेमातरम से थी दिक्कत: आजादी के बाद यह तय था कि वंदे मातरम राष्ट्रगान होगा। लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने इसका विरोध किया और कहा कि वंदे मातरम से मुसलमानों के दिल को ठेस पहुंचेगी। जबकि इससे पहले तक तमाम मुस्लिम नेता वंदे मातरम गाते थे। नेहरू ने ये रुख लेकर मुस्लिम कट्टरपंथियों को शह दे दी। जिसका नतीजा देश आज भी भुगत रहा है। आज तो स्थिति यह है कि वंदेमातरम को जगह-जगह अपमानित करने की कोशिश होती है। जहां भी इसका गायन होता है कट्टरपंथी मुसलमान बड़ी शान से बायकॉट करते हैं।
2. सोमनाथ मंदिर का विरोध: गांधी और नेहरू ने हिंदुओं के सबसे अहम मंदिरों में से एक सोमनाथ मंदिर को दोबारा बनाने का विरोध किया था। गांधी ने तो बाकायदा एतराज जताते हुए कहा था कि सरकारी खजाने का पैसा मंदिर निर्माण में नहीं लगना चाहिए, जबकि इस समय तक हिंदू मंदिरों में दान की बड़ी रकम सरकारी खजाने में जमा होनी शुरू हो चुकी थी। जबकि सोमनाथ मंदिर के वक्त ही अगर बाबरी, काशी विश्वनाथ और मथुरा कृष्ण जन्मभूमि के विवादों को भी हल किया जा सकता था। लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं होने दिया।
3. बीएचयू में हिंदू शब्द से एतराज: नेहरू और गांधी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदू शब्द पर आपत्ति थी। दोनों चाहते थे कि इसे हटा दिया जाए। इसके लिए उन्होंने महामना मदनमोहन मालवीय पर दबाव भी बनाया था। जबकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नाम से दोनों को ही कोई एतराज नहीं था।
नाथूराम गोडसे का मानना था कि भारत विभाजन के समय गाँधी ने भारत और पाकिस्तान के मुसलमानों के पक्ष का समर्थन किया था। जबकि हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर अपनी आंखें मूंद ली थी।
पूज्य मातृभूमि के विभाजन का अधिकार किसी बड़े से बड़े महात्मा को भी नहीं है. गाँधी जी ने देश को छल कर देश के टुकड़े किए. क्योंकि ऐसा न्यायालय और कानून नहीं था जिसके आधार पर ऐसे अपराधी को दंड दिया जा सकता, इसीलिए मैंने गाँधी को गोली मारी."
अगर गोडसे गाँधी को ना मारता तो आज 'हर हिन्दू पढ़ता नमाज मक्का और मदीने में
नाथूराम गोडसे
ने गांधी को मारा तो कौन सा अपराध किया