आयुर्वेदोऽमृतानाम्

आयुर्वेदोऽमृतानाम् आयुर्वेदमय जीवन...

16/06/2025

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With विश्व अमृतम् आयुर्वेद क्लिनिक Vishwa Amritam Ayurved Clinic – I'm on a streak! I've been a top fan for 3 months in ...
23/10/2024

With विश्व अमृतम् आयुर्वेद क्लिनिक Vishwa Amritam Ayurved Clinic – I'm on a streak! I've been a top fan for 3 months in a row. 🎉

महागुरु का सानिध्य #स्वर्णिम_क्षणशब्द ही नहीं हैं मेरे पास इस अलौकिक क्षण एवं इस चित्र के लिए....अंततोगत्वा मेरे जीवन मे...
20/09/2024

महागुरु का सानिध्य
#स्वर्णिम_क्षण

शब्द ही नहीं हैं मेरे पास इस अलौकिक क्षण एवं इस चित्र के लिए....अंततोगत्वा मेरे जीवन में वह अद्भूत पल आ ही गया जिसकी प्रतीक्षा मैं कई वर्षों से कर रहा था।आंखों में आंसू थे, कुछ क्षणों का मौन था क्योंकि मेरे समक्ष साक्षात खड़े थे, मेरे देव तुल्य गुरुवर्य परम आदरणीय राजवैद्य समीर जमदग्नि सर।

इस भेंट के दौरान गुरुवर्य का आशीर्वचन प्राप्त हुआ, जिसके उपरांत मेरे जीवन की दशा एवं दिशा का कायाकल्प होना तय है।

साष्टांग दंडवत प्रणाम गुरुवर्य🙏🏻🙏🏻
आपका कोटि कोटि धन्यवाद 🌹🌷🪷💐

With विश्व अमृतम् आयुर्वेद क्लिनिक Vishwa Amritam Ayurved Clinic – I just got recognised as one of their top fans! 🎉
19/06/2024

With विश्व अमृतम् आयुर्वेद क्लिनिक Vishwa Amritam Ayurved Clinic – I just got recognised as one of their top fans! 🎉

01/05/2024
जय श्रीराम 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩सीताराम हनुमान 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩श्री राम जय राम जय जय राम🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🏵️🌸🌷🏵️🌷🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🌸🌸🌸🌸🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔“रामो विग्...
22/01/2024

जय श्रीराम 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
सीताराम हनुमान 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
श्री राम जय राम जय जय राम🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
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“रामो विग्रहवान् धर्मस्साधुस्सत्यपराक्रमः।
राजा सर्वस्य लोकस्य देवानां मघवानिव।।”

“नमामि दूतं रामस्य सुखदं च सुरद्रुमम्
पीनवृत्त महाबाहुं सर्वशत्रुनिवारणम् ।।”

“नीलांबुजश्यामलकोमलांगं सीतासमारोपितवामभागम्।
पाणौ महासायकचारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम्॥”

22 जनवरी 2024 दिन सोमवार
पौष शुक्ल पक्ष द्वादशी,विक्रम संवत 2080

श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में अखिल ब्रम्हांड नायक राजाधिराज प्रभु"श्री रामलला सरकार" के विग्रह की प्राणप्रतिष्ठा के पावन और अद्वितीय अवसर पर समग्र ब्रह्मांडवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।

19/11/2023

Better luck next time team India 🇮🇳


30/04/2023

शोध कहता है:-

विदेशों में जिन न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट्स को चिकित्सकों और शोधकर्ताओं के द्वारा धूत्कार दिया जाता है,उन्हीं सप्लीमेंट्स को हमारे देश के अपने ही लोग बड़े ही चाव से और अंधाधुन तरीके से सेल्फी लगा लगाकर उपयोग में लाते हैं, और तो और दूसरों को भी अपनी इस श्रृंखला में जोड़ने का पूर्ण प्रयत्न करते हुए अपने आप को हेल्थ इंस्ट्रक्टर/हेल्थ कोच/वेलनेस कोच/फिटनेस फ्रीक समझने लग जाते हैं। व्यायाम इनसे होता नहीं, चटोरी जीभ पे लगाम लगती नहीं है; और तो और इन्हें वजन घटाने के लिए भी कुछ न कुछ खाना ही होता है।🤦🏻‍♂️
ऐसे सप्लीमेंट्स से लीवर में विषाक्तता उत्पन्न हो जाती है, जो अंततोगत्वा मृत्यु में कारण बनती है। भेड़ चाल चलना बंद करिए, आयुर्वेद शास्त्र में वर्णित जीवन शैली का पालन करिए और नियमित रूप से योगाभ्यास कर अपना जीवन सुखी बनाइए।अपने मासिक वेतन का 7000 से 10000 ₹ इन व्यर्थ के हानिकारक सप्लीमेंट्स को पी पी कर अपना कलेजा मत जलाइए। अन्यथा आगे चल कर आपको अपने जिंदगी की सारी जमा पूंजी अस्पतालों के चक्कर काटते हुए गंवानी पड़ जाएगी। बचे हुए रूपयो का उपयोग अपने बच्चो की परवरिश और परिवार की देखभाल में कीजिए।

घृत प्रकरण पुराना घृत त्रिदोष का शमन करता है, विशेष रूप से शुद्ध/पवित्र प्रकृति का होने के कारण अप्राकृत मानस वेगों का न...
05/04/2023

घृत प्रकरण

पुराना घृत त्रिदोष का शमन करता है, विशेष रूप से शुद्ध/पवित्र प्रकृति का होने के कारण अप्राकृत मानस वेगों का नाश करता है। यह पान करने से गुणों और कर्मों में अधिक गुणकारी एवं प्रभावकारी होता है, और स्वाद में तिक्त- कटु रस युक्त होता है। दस वर्षों तक रखा हुआ घी पुराना (पुराण घृत) कहा जाता है। यह उग्र गंध वाला होता है। रंग में यह दिखने में लाख के घोल जैसा होता है, ठंडा होता है और सभी ग्रह रोगों को नष्ट कर देता है। यह बुद्धि का विकास करने वाला होता है, और एक उत्कृष्ट विरेचक है।

दस वर्ष से अधिक पुराना घृत; प्रपुराण (अत्यंत पुराना) घृत कहलाता है। जो घृत 100 वर्ष पुराना हो जाता है, उसके प्रयोग से कोई भी रोग लाइलाज नहीं रह जाता। यह देखने, छूने, सांस लेने से सभी ग्रह विकारों को नष्ट कर देता है और विशेष रूप से अपस्मार, ग्रह रोग और उन्माद से पीड़ित लोगों के लिए इसकी अनुशंसा की जाती है।

विशेषतः पुराणं च घृतं तं पाययेद्भिषक्।
त्रिदोषघ्नं पवित्रत्वाद्विशेषाद्ग्रहनाशनम्।।59।।
गुणकर्माधिकं पानादास्वादात् कटुतिक्तकम्।
उग्रगन्धं पुराणं स्याद्दशवर्षस्थितं घृतम्।।60।।
लाक्षारसनिभं शीतं तद्धि सर्वग्रहापहम्।
मेध्यं विरेचनेष्वग्र्यं प्रपुराणमतः परम्।।61।।

(चरक संहिता उन्माद चिकित्सा प्रकरण)
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सर्पिः पुराणं सरं कटुविपाकं त्रिदोषापहं मूर्च्छामदोन्मादोदरज्वरगरशोषापस्मारयोनिश्रोत्राक्षिशिर शूलघ्नं दीपनं बस्तिनस्यपूरणेषूपदिश्यते।।107।।

भवति चात्र-
पुराणं तिमिरश्वासपीनसज्वरकासनुत् |
मूर्च्छाकुष्ठविषोन्मादग्रहापस्मारनाशनम्।।108।।
(एकादशशतं चैव वत्सरानुषितं घृतम् |
रक्षोघ्नं कुम्भसर्पिः स्यात् परतस्तु महाघृतम्।।109।।
पेयं महाघृतं भूतैः कफघ्नं पवनाधिकैः
बल्यं पवित्रं मेध्यं च विशेषात्तिमिरापहम्।।110।।
सर्वभूतहरं चैव घृतमेतत् प्रशस्यते)।।111।।

(सुश्रुत संहिता सूत्रस्थान 45)
_________________________________________

वर्षादूर्ध्वं भवेदाज्यं पुराणं तत् त्रिदोषनुत्।
मूर्च्छाकुष्ठविषोन्मादापस्मारतिमिरापहम्।।16।।
यथा यथाऽखिलं सर्पिः पुराणमधिकं भवेत्।
तथा तथा गुणैः स्वैः स्वैरधिकं तदुदाहृतम्।।17।।

(भावप्रकाश निघंटु घृत वर्ग)

#घृतप्रकरण #पुराणघृत #प्रपुराणघृत #ग्रहरोग #उन्माद #अपस्मार #मानसरोग

DrSaket Dash

🙏🏻🙏🏻💐💐

सात्विक आहार परिचर्चा-_________________________________________आयुः सत्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धनाः।रस्याः स्निग्धाः स्थि...
13/02/2023

सात्विक आहार परिचर्चा-
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आयुः सत्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धनाः।
रस्याः स्निग्धाः स्थिरा हृद्या आहाराः सत्विकप्रियाः।।
(श्रीमद्भगवतगीता 17/8)

आयु, बुद्धि, बल, आरोग्य, सुख और प्रीति को बढ़ाने वाले, रसयुक्त, चिकने और स्थिर रहने वाले तथा स्वभाव से ही मन को प्रिय लगने वाले आहार या भोज्य पदार्थ सात्विक पुरुषों को प्रिय होते हैं या इन गुणों से युक्त आहार सात्विक आहार कहलाते हैं।

आयु: जीवन की कलावधि को बढ़ाने वाले।

सत्व: बुद्धि का निर्मलीकरण कर उसे तीक्ष्ण एवं सूक्ष्मदर्शिनी बनाने वाले।

बल: सत्कार्य में सफल बनाने वाली बाह्य एवं अभ्यांतर शारीरिक एवं मानसिक शक्ति का वर्धन करने वाले।

आरोग्य: दैहिक एवं मानस विकारों का नाश करने वाले।

हृद्य: पवित्र आहार जो हृदय में संतोष, प्रसन्नता, पुष्टि के भावों को उत्पन्न कर शरीर में शुद्ध भवजनित आनंद के चिन्हों को प्रकट करने वाले।

रस्याः - दुग्ध, शर्करा जैसे भोज्य पदार्थ

स्निग्धाः - मक्खन, घृत जैसे भोज्य पदार्थ

स्थिराः - ऐसे भोज्य पदार्थ जिनका सार लंबी समयावधि तक शरीर में रह कर ओज की पुष्टि/ ओज की उत्पत्ति करते हों।

इन सब गुणों से युक्त आहार ही सात्विक आहार कहलाता है जो आयु, प्राण का संवर्धन और मन एवं बुद्धि का निर्मलीकरण करने वाले होते हैं।

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