17/11/2025
❄️ *हेमंत ऋतुचर्या (नवम्बर–जनवरी): बलवर्धन और वातशमन का समय*
🔥 पाचन अग्नि प्रबल होती है
- इस ऋतु में शरीर की जठराग्नि तीव्र होती है, जिससे पौष्टिक आहार का पाचन बेहतर होता है।
- यह वात दोष को शांत करने और बलवर्धन के लिए श्रेष्ठ समय है।
🍲 आहार निर्देश
- स्निग्ध, ऊष्ण और पौष्टिक भोजन लें: तिल, घी, दूध, गुड़, शहद, बाजरा, गेहूं, सूखे मेवे।
- मसाले: अदरक, लहसुन, दालचीनी, काली मिर्च – अग्नि को प्रज्वलित करते हैं।
- भोजन समय पर और भरपूर लें – उपवास या अल्पाहार से बचें।
🧘♂️ विहार (Lifestyle)
- तिल तेल से अभ्यंग (मालिश): वातशमन, त्वचा पोषण और स्फूर्ति के लिए।
- स्नान के बाद सूर्यस्नान: शरीर को ऊष्मा और मानसिक प्रसन्नता मिलती है।
- नियमित व्यायाम: योग, दौड़, खेल – शरीर में बल और उत्साह बढ़ाते हैं।
- गर्म ऊनी वस्त्रों का प्रयोग: ठंडी हवा से बचाव के लिए।
🌞 दिनचर्या और निद्रा
- ब्रह्ममुहूर्त में जागरण और रात को जल्दी सोना।
- धूप सेवन: विटामिन D और मानसिक संतुलन के लिए।
🚫 वर्ज्य बातें
- ठंडी, बासी, रूखी चीज़ें जैसे फ्रिज का खाना, आइसक्रीम, ठंडा पानी।
- अत्यधिक निद्रा, आलस्य और दिन में सोना – कफ दोष को बढ़ाते हैं।
🪔 भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य
- यह समय साधना, अध्ययन, सृजनात्मकता और आत्मबल बढ़ाने के लिए उत्तम है।
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🍲 आहार और बलवर्धन
🧘♂️अभ्यंग और सूर्यस्नान
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