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24 अक्टूबर की शाम जनमंच और जनधारा के नाम
23/10/2025

24 अक्टूबर की शाम जनमंच और जनधारा के नाम

मतदाता सूची पुनरीक्षण: लोकतंत्र की सफ़ाई या विश्वास की परीक्षा - Aaj Ki Jandhara https://share.google/2H6EMqpaTHhb2MlQ0
23/10/2025

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तो आईए ,जनमंच में बातें करते हैं ,गिरते राजनीतिक मूल्यों की ,गोदी मीडिया की और बदलते भारतीय समाज की संदर्भ हैं अटल बिहार...
21/10/2025

तो आईए ,जनमंच में बातें करते हैं ,गिरते राजनीतिक मूल्यों की ,गोदी मीडिया की और बदलते भारतीय समाज की
संदर्भ हैं अटल बिहारी वाजपेयी ।
और इस अवसर पर देखिए नाटक मां मुझे टैगोर बना दें”

दीपावली  🪔  शुभ हो दीपावली : रोशनी के बीच अंधेरे का अहसासभारत में दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृ...
20/10/2025

दीपावली 🪔 शुभ हो

दीपावली : रोशनी के बीच अंधेरे का अहसास

भारत में दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक ऊर्जा का उत्सव है — अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य और निराशा पर उम्मीद की विजय का प्रतीक। लेकिन आज जब हम अपने घरों में दीप जलाते हैं, तो यह सवाल भी जल उठता है कि क्या वास्तव में हमारे समाज में अंधेरा मिट रहा है या बस सजावट की रोशनी के नीचे वह और गहराई से छिप गया है?

इस साल की दीपावली ऐसे समय में आई है, जब देश और समाज दोनों ही असमंजस के दौर से गुजर रहे हैं। महंगाई अपनी चरम सीमा पर है, रोज़मर्रा की चीज़ें जैसे तेल, दाल, सब्ज़ियां और मिठाइयाँ आम उपभोक्ता की पहुँच से दूर होती जा रही हैं। बाज़ारों में रौनक है, लेकिन संपन्न और समृद्ध लोगों के कारण । आम आदमी की जेबों में हलचल नहीं है। निम्न वर्ग और निम्न मध्य वर्ग के ज्यादातर घरों में उत्सव का बजट सिमट गया है, और चमक-दमक का अभिमान अब क्रेडिट कार्डों ने सँभाल लिया है। यह दीपावली दिखावे की विकसित अर्थव्यवस्था और वर्ग - असमानता की हकीकत का आइना बन चुकी है।

सामाजिक दृष्टि से देखें तो इस बार त्योहार के साथ तनाव की लकीरें भी उभर आई हैं। सोशल मीडिया पर “हमारा त्योहार, तुम्हारा त्योहार” जैसी बहसें दीपावली के मूल उद्देश्य और आधार सूत्र -आपसी भाईचारा और सहिष्णुता के दीपों की लौ को मंद कर रही हैं। त्योहार, जो मिलन और साझा संस्कृति के प्रतीक थे, अब पहचान और मतभेद के आईने बनते जा रहे हैं। दीपावली का असली अर्थ तभी पूरा होगा जब घर-आंगन के साथ मन भी प्रकाशित हों — जब दीये केवल घरों में नहीं, विचारों में जलें। दीपावली पर घर की सफाई के साथ-साथ मन में जमा असहिष्णुता का कचरा भी साफ होना चाहिए । संकीर्ण विचारों से मन के कोने अंधेरे में डूबे हैं । एक दीपक वहां साफ - स्वच्छ और प्रगतिशील विचारों का जलाना चाहिए । साझा संस्कृति की मुंडेर पर जलने वाला दिया मन के अंधेरे को उजास से भर देगा ।

पर्यावरण के संदर्भ में भी दीपावली एक चुनौती बन चुकी है। प्रदूषण का स्तर हर साल नई ऊँचाइयों को छूता है। पटाखों की जहरीले धुएँ और तेज आवाज़ में न सिर्फ हवा दम तोड़ती है, बल्कि पक्षियों की उड़ान और बच्चों की साँसें भी । इन बातों पर भी विचार करना होगा कि क्या कारण है कि दीपावली का त्यौहार पटाखों के शोर और अमीरी के प्रदर्शन का पर्याय होता जा रहा है । बाजार में ऐसे पटाखे आ रहे हैं जो प्रतिबंधित हैं । तीखे और कर्कश शोर और जहरीले धुएं से भरे पटाखे बाजार में बेधड़क बिक रहे हैं । खरीदने वाले बहुत उत्साह से उसे खरीदते हैं बगैर इस बात की परवाह किए कि इससे पर्यावरण बेहद दूषित होता है। हवा में जहर फैलता है। शायद हमें यह स्वीकारना होगा कि आधुनिक युग में रोशनी का मतलब अब सिर्फ दीपक नहीं, बल्कि ज़िम्मेदारी भी है — पर्यावरण के प्रति, समाज के प्रति और आने वाली पीढ़ियों के प्रति।

राजनीतिक परिदृश्य में भी दीपावली की यह रोशनी कई छायाओं के बीच जल रही है। हर दल “अच्छे दिन” की मशाल लेकर चलता है, पर आम आदमी की गली में अंधेरा जस का तस है। बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और असमानता की दीवारें बढ़ती जा रही हैं। दीपावली हमें यह याद दिलाती है कि असली अंधकार बाहर नहीं, व्यवस्था के भीतर है — और जब तक ईमानदारी और आम आदमी के प्रति प्रतिबद्धता की लौ नहीं जलती, तब तक कोई रोशनी स्थायी नहीं हो पाएगी।

फिर भी दीपावली उम्मीद का पर्व है। यह बताती है कि हर लंका में एक दीप जल सकता है। हर घर में एक सच्ची मुस्कान लौट सकती है, बशर्ते हम इस रोशनी को भीतर तक उतरने दें। हमें दीपावली को केवल रोशनी का उत्सव नहीं, बल्कि चेतना का पर्व बनाना होगा — जहाँ हम खुद से सवाल करें कि क्या हम वास्तव में रोशनी फैला रहे हैं या केवल अंधेरे को सजाकर रख रहे हैं।

इस बार जब हम दीप जलाएँ, तो यह संकल्प लें कि रोशनी हमारे भीतर भी जले — विचारों में, व्यवहार में और समाज में। तभी दीपावली सचमुच ‘दीपों का त्योहार’ कहलाएगी, न कि केवल रोशनी की एक रात।

19/10/2025

"Manoj बाजपेयी की आवाज़ में ‘रश्मिरथी’ – दिनकर जी के शब्दों की अग्नि फिर से प्रज्वलित!"

शुभ दीपावली 🪔 जनधारा के साथियों के साथ साझा की समूह की उपलब्धियों की गतिविधियाँ , थोड़ी मिठास , थोड़े गिफ़्ट , थोड़ी नगद...
19/10/2025

शुभ दीपावली 🪔 जनधारा के साथियों के साथ साझा की समूह की उपलब्धियों की गतिविधियाँ , थोड़ी मिठास , थोड़े गिफ़्ट , थोड़ी नगदी और बहुत सारा प्यार , स्नेह और आत्मविश्वास ।
सब नहीं बोलकर भी मेरे प्रिय कवि विनोद कुमार शुक्ल की ही तरह बोल रहे थे

सब कुछ होना बचा रहेगा

पेड़ अपनी पत्तियों में हवा की आवाज़ भर रहा है,
और अपनी छाया में विश्राम।
पत्ते एक-दूसरे को छूते हुए
एक-दूसरे को जान रहे हैं।

पक्षी उड़ते हुए
अपने पीछे हवा में राह बनाते हैं,
पर हवा अपनी राह मिटा देती है।

घास की पत्तियाँ
ओस से भीग रही हैं,
ओस की बूँदों में
आकाश अपनी छोटी-सी आकृति में झाँकता है।

एक बीज
अपने भीतर धरती को रखे हुए है,
और समय को भी।

सब कुछ
किसी न किसी रूप में
होना बचा रहेगा।

18/10/2025

🚨 रायपुर में थार गाड़ी के अंदर अर्धनग्न युवक की लाश बरामद, इलाके में सनसनी
रायपुर के टाटीबंध स्थित रालास महिंद्रा शोरूम के सामने शुक्रवार शाम एक ब्लैक थार गाड़ी में 2-3 दिन पुरानी सड़ी-गली अर्धनग्न लाश मिली। बताया गया कि गाड़ी पिछले 15 दिनों से वहीं खड़ी थी। राहगीर को तेज़ बदबू आने पर उसने अंदर झांककर शव देखा।

पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची, वाहन को सील कर जांच शुरू की गई। मृतक की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। प्रारंभिक जांच में यह वही गाड़ी सामने आई है, जिसका कुछ दिन पहले भिलाई-3 के पास एक्सीडेंट हुआ था। पुलिस आसपास के थानों में गुमशुदगी रिपोर्ट खंगाल रही है और फोरेंसिक सैंपल्स लैब भेजे गए हैं।

मौके पर भीड़ जुटने के कारण इलाके में सनसनी फैल गई है।

https://youtube.com/shorts/b2ZAQmOYMJ8?si=OmSzledRCscbEpMs
18/10/2025

https://youtube.com/shorts/b2ZAQmOYMJ8?si=OmSzledRCscbEpMs

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17/10/2025

आखिर किसने रखी सड़क पर कटी मुंडी... रायगढ़ में दहशत..
#रायगढ़

16/10/2025

राजनीति में गाय, सड़क पर मौत – गौ माता के लिए सुरक्षित आश्रय बनाओ!

16/10/2025

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492014

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