Kakkajee डॉटकाम

Kakkajee डॉटकाम अपने फेसबुक पर छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की खास खबरें पाने के लिये पेज को लाइक करें

20/10/2025

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष आदरणीय श्री पुष्पेंद्र प्रताप सिंह जी ने, भावुक हो, कई बार अपने आंसुओं को पोंछते हुए,
अपने मन की वह बात कही, जिसे सतना का हर भाजपा कार्यकर्ता और स्वर्गीय शंकरलाल जी से वास्ता रखने वाला हर इंसान कहना चाहता है, पर सत्ता के भय से कह नहीं पाया।

मंच पर ही बकायदे मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, जिला प्रशाशन को जम कर खरी खोटी सुनाई।

जस का तस

👇🏾

अटल बिहारी वाजपेयी के दौर की एक वह भाजपा और एक आजकी, भाजपा का वो कार्यकर्ता जिसने आपातकाल में 18 महीने जेल में बिताए
जिसने अपने जीवन के पांच दशक 50 वर्ष दिए, अबकी भाजपा को अपने ही कार्यकर्ता की कीमत नहीं महसूस होती है,

मुख्यमंत्री जी को हवाई जहाज मिल गया, पर शंकरलाल जी को 7 दिन पहले हेलीकॉप्टर मिल जाता तो शायद हम लोग श्रद्धांजलि सभा से बच जाते

पर अब भाजपा को अपने ही कार्यकर्ता की कोई कीमत नहीं, इस बीजेपी को बड़ी महंगी पड़ेगी ये लापरवाही

शंकर लाल कोई एक दिन में तैयार नहीं होता, शंकर लाल बनने के लिए जो 50 वर्ष देगा वही बन पाएगा।

हम उस घर से आते हैं, जहां खाना पानी का आभाव नहीं था, पर शंकरलाल जी ने अपने घर, परिवार, भाई, मां, बहन, पत्नी, बच्चों को जिस तरीके से कष्ट में डालकर खुद भारतीय जनता पार्टी का काम किया, वह अविस्मरणीय है, कोई नहीं कर सकता

दो दो रोटी के लिए परिवार तरसता था, आपातकाल के समय, उस समय बहुत सारे कार्यकर्ता थे जो उनके लिए राशन की व्यवस्था करते थे पर तब भी वह भारतीय जनता पार्टी का काम करते थे

आज तो हम उस चमक दमक वाली भाजपा में है, जहां हजार मीटर का कुर्ता, हजार मीटर का पैजामा, बढ़िया दुपट्टा और एक बढ़िया गाड़ी ना हो तो हम भाजपा के कार्यकर्ता ही नहीं कहलायेंगे

1980 में पार्टी का जन्म हुआ, तब यही सतना के मेरे साथी, उस समय कभी वैमनस्यता नहीं हुई, पार्टी की परंपरा रही कि अपने व्यक्तिगत संबंध कभी खराब नहीं हुए

शंकर लाल तिवारी जी को जो लोग आज श्रद्धांजलि देने आ रहे हैं मैं उनका मुंह तक नहीं देखना चाहता

इतना बड़ा कार्यकर्ता की एम्स में लावारिस लाश की तरह पड़ा रहा 10 20 दिन, तब मुख्यमंत्री क्या कर रहा था ?
तब खंडेलवाल क्या कर रहे थे, तब शिवराज सिंह क्या कर रहे थे, तब प्रदेश का नेतृत्व क्या कर रहा था ?

आज यहां श्रद्धांजलि देने आए हुए यह लोग काश ! विजिट कर लेते तो शंकरलाल जी हमारे बीच होते।
बड़ा अचरज होता है, एम्स भारत का सर्वोच्च संस्थान है स्वास्थ्य के मामले में,
उसे ही नहीं पता चल पाया कि उनको रोग क्या है, जब भी फोन करो तो पता चला बुखार आ गई है, कमजोरी है, ठीक नहीं हो रही

सच्ची श्रद्धांजलि यह होगी, की इसमें SIT का गठन होना चाहिए, की उनकी मृत्यु का कारण क्या है
और एम्स के उन डॉक्टरों और स्टाफ से इंक्वारी होनी चाहिए कि तुम बताओ की तिवारी जी को हुआ क्या था ?
बुखार तो हर घर में आ रही है सतना में, यहीं ठीक होते हैं

मगर दिल में यह कसक है, इतनी बड़ी सरकार होते हुए भी, 20 साल से सत्ता में होते हुए भी,
50 साल, पांच दशक देने वाला कार्यकर्ता, जो आपातकाल में तिल तिल कर के मरा 18 महीने,
उसको हम एयर लिफ्ट करके दिल्ली नहीं भेज पाए
आज हवाई जहाज से cm आ रहे हैं, पूरा प्रशासन लगा हुआ है
तब ना यहां के कलेक्टर ने चिंता की ?
ना यहां के एसपी ने चिंता की ?
ना मुख्यमंत्री ने चिंता की
ना प्रदेश अध्यक्ष ने की,
ये डूब कर मर जाने वाली बात है जिला प्रशासन को भी
तिरंगे में लिपेट कर सलामी दे रहे हो कि यह मीसाबंदी है
जब वह मर रहे थे तब जिला प्रशासन को याद नहीं आई ? की कोई दिक्कत तो नहीं है ?
उनकी व्यवस्था नहीं की गई तो इस बात का कष्ट हम लोगों को रहेगा, एक-एक कार्यकर्ता को रहेगा Part 21

20/10/2025

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष आदरणीय श्री पुष्पेंद्र प्रताप सिंह जी ने, भावुक हो, कई बार अपने आंसुओं को पोंछते हुए,
अपने मन की वह बात कही, जिसे सतना का हर भाजपा कार्यकर्ता और स्वर्गीय शंकरलाल जी से वास्ता रखने वाला हर इंसान कहना चाहता है, पर सत्ता के भय से कह नहीं पाया।

मंच पर ही बकायदे मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, जिला प्रशाशन को जम कर खरी खोटी सुनाई।

जस का तस

👇🏾

अटल बिहारी वाजपेयी के दौर की एक वह भाजपा और एक आजकी, भाजपा का वो कार्यकर्ता जिसने आपातकाल में 18 महीने जेल में बिताए
जिसने अपने जीवन के पांच दशक 50 वर्ष दिए, अबकी भाजपा को अपने ही कार्यकर्ता की कीमत नहीं महसूस होती है,

मुख्यमंत्री जी को हवाई जहाज मिल गया, पर शंकरलाल जी को 7 दिन पहले हेलीकॉप्टर मिल जाता तो शायद हम लोग श्रद्धांजलि सभा से बच जाते

पर अब भाजपा को अपने ही कार्यकर्ता की कोई कीमत नहीं, इस बीजेपी को बड़ी महंगी पड़ेगी ये लापरवाही

शंकर लाल कोई एक दिन में तैयार नहीं होता, शंकर लाल बनने के लिए जो 50 वर्ष देगा वही बन पाएगा।

हम उस घर से आते हैं, जहां खाना पानी का आभाव नहीं था, पर शंकरलाल जी ने अपने घर, परिवार, भाई, मां, बहन, पत्नी, बच्चों को जिस तरीके से कष्ट में डालकर खुद भारतीय जनता पार्टी का काम किया, वह अविस्मरणीय है, कोई नहीं कर सकता

दो दो रोटी के लिए परिवार तरसता था, आपातकाल के समय, उस समय बहुत सारे कार्यकर्ता थे जो उनके लिए राशन की व्यवस्था करते थे पर तब भी वह भारतीय जनता पार्टी का काम करते थे

आज तो हम उस चमक दमक वाली भाजपा में है, जहां हजार मीटर का कुर्ता, हजार मीटर का पैजामा, बढ़िया दुपट्टा और एक बढ़िया गाड़ी ना हो तो हम भाजपा के कार्यकर्ता ही नहीं कहलायेंगे

1980 में पार्टी का जन्म हुआ, तब यही सतना के मेरे साथी, उस समय कभी वैमनस्यता नहीं हुई, पार्टी की परंपरा रही कि अपने व्यक्तिगत संबंध कभी खराब नहीं हुए

शंकर लाल तिवारी जी को जो लोग आज श्रद्धांजलि देने आ रहे हैं मैं उनका मुंह तक नहीं देखना चाहता

इतना बड़ा कार्यकर्ता की एम्स में लावारिस लाश की तरह पड़ा रहा 10 20 दिन, तब मुख्यमंत्री क्या कर रहा था ?
तब खंडेलवाल क्या कर रहे थे, तब शिवराज सिंह क्या कर रहे थे, तब प्रदेश का नेतृत्व क्या कर रहा था ?

आज यहां श्रद्धांजलि देने आए हुए यह लोग काश ! विजिट कर लेते तो शंकरलाल जी हमारे बीच होते।
बड़ा अचरज होता है, एम्स भारत का सर्वोच्च संस्थान है स्वास्थ्य के मामले में,
उसे ही नहीं पता चल पाया कि उनको रोग क्या है, जब भी फोन करो तो पता चला बुखार आ गई है, कमजोरी है, ठीक नहीं हो रही

सच्ची श्रद्धांजलि यह होगी, की इसमें SIT का गठन होना चाहिए, की उनकी मृत्यु का कारण क्या है
और एम्स के उन डॉक्टरों और स्टाफ से इंक्वारी होनी चाहिए कि तुम बताओ की तिवारी जी को हुआ क्या था ?
बुखार तो हर घर में आ रही है सतना में, यहीं ठीक होते हैं

मगर दिल में यह कसक है, इतनी बड़ी सरकार होते हुए भी, 20 साल से सत्ता में होते हुए भी,
50 साल, पांच दशक देने वाला कार्यकर्ता, जो आपातकाल में तिल तिल कर के मरा 18 महीने,
उसको हम एयर लिफ्ट करके दिल्ली नहीं भेज पाए
आज हवाई जहाज से cm आ रहे हैं, पूरा प्रशासन लगा हुआ है
तब ना यहां के कलेक्टर ने चिंता की ?
ना यहां के एसपी ने चिंता की ?
ना मुख्यमंत्री ने चिंता की
ना प्रदेश अध्यक्ष ने की,
ये डूब कर मर जाने वाली बात है जिला प्रशासन को भी
तिरंगे में लिपेट कर सलामी दे रहे हो कि यह मीसाबंदी है
जब वह मर रहे थे तब जिला प्रशासन को याद नहीं आई ? की कोई दिक्कत तो नहीं है ?
उनकी व्यवस्था नहीं की गई तो इस बात का कष्ट हम लोगों को रहेगा, एक-एक कार्यकर्ता को रहेगा

20/10/2025

साध्वी प्रज्ञा के फिर बिगड़े बोल, कहा “बेटी बात न माने तो टांगें तोड़ दो”

20/10/2025
20/10/2025

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर एफआईआर के लिए शिकायत हुई है। उन पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने जंगल में आदिवासियों को अतिक्रमण के लिए उकसाया है। इसके बाद वन विभाग के सीनियर अधिकारियों तक मामला पहुंचा है। शिकायत के आधार पर शिकायत की जांच शुरू हो गई है।

80 साल लगे हैं छत्तीसगढ़ को राज्य बनने में....--------------------------------------------------------------साभार Atah T...
20/10/2025

80 साल लगे हैं छत्तीसगढ़ को राज्य बनने में....
--------------------------------------------------------------
साभार Atah Tapas

छत्तीसगढ़ एक राज्य के रूप में अस्तित्व देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी ने क्या मांग रखी थी? पता तो होगा ही?
आज दीपावली से ठीक 11 दिन बाद छत्तीसगढ़ का स्थापना दिवस है, यह रजत जयंती वर्ष है लेकिन मेरा अध्ययन कहता है छत्तीसगढ़ मात्र 25 साल पुराना नहीं है।
अगर आज की त्योहारी व्यस्तता के बीच आप यह पोस्ट पढ़ रहे हैं, तो आगे मेरे लिखे पर चिंतन-मनन जरूर कीजिएगा। यह पोस्ट आपकी बहुत मदद करने वाली है।
छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से पृथक क्यों किया गया था? देश तो एक है, जमीन पर लकीरें नहीं होतीं, फिर क्या जरूरत थी मध्यप्रदेश के एक बहुत अहम भूभाग जिसके पास खनिज-संपदा की भरमार है/थी, उसे अलग राज्य का दर्जा देने की?
भारत एक संघीय ढांचे का देश है। इसे अंग्रेजी में फेडरल स्ट्रक्चर कहते हैं। लोकतंत्र में लोक के शासन की यही व्यवस्था होती है। संघीय ढांचा वास्तव में एक केंद्रीय प्रणाली है, जिसे राज्यों के माध्यम से संचालित किया जाता है। मोहल्ला एक है, लेकिन घर अलग-अलग हैं। जैसे जल का वितरण केंद्र के पास है लेकिन जल पर अधिकार राज्यों का विषय है।
यह भी सोचा जा सकता है कि देश को एक ही केंद्रीकृत सिस्टम से क्यों नहीं चलाया जाता, क्या जरूरत है अलग-अलग राज्य बनाने की?
भारत विविधताओं का देश है। अपनी भौगोलिक विशालता से अधिक यह सांस्कृतिक बहुलता रखता है। भारत के संघीय ढांचे में स्थानीय संस्कृति की महत्ता है।
देश का संघीय ढांचा/फेडरल स्ट्रक्चर संस्कृति के आधार पर खड़ा है। सांस्कृतिक बहुलता या कह लें वैरायटी को भी आप इस तरह समझिए कि आज भारत का सबसे बड़ा त्योहार है और दीपावली भी स्थानीय संस्कृति के मुताबिक हर राज्य में अपने-अपने तरीके से मनाई जाती है।
छत्तीसगढ़ में दीपावली का उल्लास अपनी समग्रता में गोवर्धन पूजा के दिन दिखाई देता है। बहुत पहले मेरा इस पर लेख आ चुका है। तो ऐसा नहीं है कि छत्तीसगढ़ दीवाली नहीं मनाता, बस छत्तीसगढ़ अपनी देवारी को गोवर्धन पूजा और मातर से अधिक सेलिब्रेट करता है। छत्तीसगढ़ का यादव समाज देवारी की सूचना अपने दोहों से लेकर आता और दोहों से ही बताता है कि पर्व का समापन होने जा रहा है। राऊत नाचा के आरंभ से सूचना प्रसारित होती है कि देवारी आगे हे...सकलाना हे...और राउत नाचा का स्वर गलियों में जब नहीं सुनाई में आ रहा, समझ आ जाता है कि पर्व के लगभग एक पखवाड़े को अब विदाई देनी है।
अटल जी ने जब रायपुर के सप्रे शाला मैदान से अपील की थी कि मुझे आप 11 सीट दे दो, मैं आपको छत्तीसगढ़ दे दूंगा। तो जाहिर है वो सिर्फ वोट नहीं मांग रहे थे। उन्हें पता था छत्तीसगढ़ के अपने अलग सांस्कृतिक अस्तित्व की अदम्य ईच्छा आजादी के बहुत पहले की है। वो काल जब गांधी जी भारत के सभी प्रकार के परिदृश्यों पर छाए हुए थे और अंग्रेजों के शासन में जितने भी भारतीय दल, संगठन और संस्थान आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, उन्हें पता था छत्तीसगढ़ की अपनी एक पृथक संस्कृति है। शायद गांधी जी भी यह जानते रहे हों।
साल 1920 के आसपास ही छत्तीसगढ़ के अस्तिव को रेखांकित कर दिया गया था। तो ऐसा नहीं है कि राज्य हमको गिफ्ट में मिल गया। इस भूमि को अपने सांस्कृतिक अस्तित्व, अपनी अलग पहचान के लिए 80 साल तक संघर्ष करना पड़ा। एक सदी में 20 साल कम। और अगर इसे और व्यापकता में देखें तो शहीद वीर नारायण सिंह तक जा सकते हैं, साल 1857 का समय।
पंडित सुंदरलाल शर्मा, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, बैरिस्टर छेदीलाल और छत्तीसगढ़ को राज्य की दृष्टि देनेवाले डॉ. खूबचंद बघेल से लेकर पत्रकार रहे चंदूलाल चंद्राकर तक... सब के सब महात्मा गांधी के अनुयायी थे। इसलिए मैंने लिखा है कि गांधी जी भी छत्तीसगढ़ को उसकी सांस्कृतिक पहचान के आधार पर आकार देने के विचार से सहमत रहे होंगे।
लेकिन सोचिए फिर भी 80 साल लग गए।
डॉ. खूबचंद बघेल को छत्तीसगढ़ का स्वप्नदृष्टा कहा जाता है। बहुत ध्यान से अगली पंक्ति पढ़िएगा कि वे छत्तीसगढ़ के अपने 'साहित्य सृजन, लोकमंचीय प्रस्तुति और विशेष रूप से बोलचाल में छत्तीसगढ़ी' के पक्षधर थे। साल 1967 में उन्होंने छत्तीसगढ़ भातृ संघ बनाया था। उनके पास राज्य का पूरा एक सांस्कृतिक कांसेप्ट था।
और आज देखिए, क्या स्वतंत्रता के लिए सरकारी नौकरी छोड़कर जेल गए डॉ. बघेल के सपनों का छत्तीसगढ़ है यह? छत्तीसगढ़ी में साहित्य सृजन की क्या दशा है? लोकमंचीय प्रस्तुतियों के बारे में बताने की जरूरत नहीं, हमारे यहां तो हमारे ही कवियों को मंच नहीं मिलता, लोक कलाकारों की अनदेखी फिर क्या बताई जाए? हां ये जरूर है कि छत्तीसगढ़ी को अहमियत मिल रही है, शहरी बोलचाल में छत्तीसगढ़ी स्थापित होने लगी है।
राज्य के साहित्य और लोकमंच की अनदेखी का सबसे एक ही, और सिर्फ एक ही मुख्य कारण है कि पॉलिसी मेकर्स छत्तीसगढ़ की संस्कृति का किताबी ज्ञान रखते हैं, इस दबाव में कि छत्तीसगढ़ में रहना है अन्यथा उन्हें यहां की संस्कृति से कोई लगाव नहीं है।
उन्हें मतलब है राजनीति से कि किसी तरह राज्य के नीति निर्माताओं में नाम या उनसे सीधा संपर्क हो जाए, फिर चांदी काटी जाएगी। अंग्रेजों के राज की तरह हमारे बीच गद्दार भी हैं, जिन्हें लोकभावना क्या अपने समाज से तक तिनके का सरोकार नहीं है।
और इसके लिए वे आपको भी जेल भिजवा सकते हैं जैसे डॉ. खूबचंद बघेल को जेल जाना पड़ा था। आपकी अपनी धरती पर यदि आप गुलामी महसूस कर रहे हैं तो अपने ही बीच सक्रिय उन लोगों को पहचानिए जो अपनी राजनीति, अपने धंधे और अपने रसूख के लिए फूट डाल रहे हैं। अंग्रेजों ने क्या किया था? भारतीयों में फूट डालकर राजपाट बहुत आसानी से हासिल कर लिया था। अंग्रेजों ने हमारे बीच ही गद्दार खोज लिए थे और उन्हें अपना पैरोकार बना आमजन के बीच सीखा-पढ़ा कर भेज दिया था। अंग्रेजों ने इन गद्दारों के बूते शारीरिक रूप से बाद में पहले मानिसक तौर पर हमें गुलाम बनाया।
अपने बीच पैसे, पद और प्रतिष्ठा के प्यासे ऐसे गद्दारों को पहचानिए, इससे पहले कि देर हो जाए और हम आपस में ही लड़ने लगें।

बने सुग्घर रहय देवारी! शुभकामनाएं!

20/10/2025
*भारत सरकार रेल मंत्रालय रेलवे भर्ती बोर्ड*रेलवे में नौकरीया _स्टेशन मास्टर_ सहीत (5800+3050) =8850 पदों पर भर्ती हेतु व...
20/10/2025

*भारत सरकार रेल मंत्रालय रेलवे भर्ती बोर्ड*

रेलवे में नौकरीया _स्टेशन मास्टर_ सहीत (5800+3050) =8850 पदों पर भर्ती हेतु विज्ञापन जारी

20/10/2025

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने लिए दिए खरीदे

20/10/2025

24 अक्टूबर को शहनाज अख्तर पहली बार आ रही हैं सीधी 💫
देखना कौन-कौन पहुँच रहा है स्वागत में ❤️
रीवा ,सीधी , सिंगरौली सबकी नज़रें बस इस पल पर 👀
ये दिन यादगार बनेगा 💐✨”

📅 Date: 24 October 2025
📍 Location: Sidhi, Madhya Pradesh

20/10/2025

दिल्ली में छाती पिटता बुजुर्ग कुम्हार, दशकों से मिट्टी के बर्तन व दिए बनाता था, घर और बर्तनों में रेखा गुप्ता जी का बुलडोजर चल गया।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहते Shivraj Singh Chouhan शिवराज सिंह चौहान इन लोगों के लिए अधिकारियों से भिड़ जाते थे

Address

Near Pachpedi Naka
Raipur
492001

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Kakkajee डॉटकाम posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Kakkajee डॉटकाम:

Share

Category

kakkajee.com

This is the most popular Hindi news portal of CG In addition to political, criminal, regional and social news, this news portal is the most trusted forum for citizen journalism. It is a great folk among CG citizens living around the world