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जनजातीय समाज, जिसने सहस्राब्दियों से भारत की सांस्कृतिक विरासत को पोषित किया, परंपराओं को जीवित रखा। यह लेख उस सत्य को उ...
07/11/2025

जनजातीय समाज, जिसने सहस्राब्दियों से भारत की सांस्कृतिक विरासत को पोषित किया, परंपराओं को जीवित रखा। यह लेख उस सत्य को उद्धृत करता है कि जिसे ‘पिछड़ा’ कहा गया, वही वास्तव में भारत की सांस्कृतिक निरंतरता का आधार रहा है।

जानिए, जनजातीय समाज राजसी वैभव...

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लक्ष्मी पुराण: उत्कल (ओड़िआ) साहित्य का एक प्रमुख ग्रंथलक्ष्मी पुराण, मध्यकालीन उत्कल साहित्य का एक प्रमुख ग्रंथ है। यह ब...
06/11/2025

लक्ष्मी पुराण: उत्कल (ओड़िआ) साहित्य का एक प्रमुख ग्रंथ

लक्ष्मी पुराण, मध्यकालीन उत्कल साहित्य का एक प्रमुख ग्रंथ है। यह बलराम दास की अनुपम कृति है, जिन्होंने सदियों पहले महान विचारों को अपनी रचना में पिरोया था। यह ग्रन्थ, अपनी समृद्ध कथा और गहरे संदेशों के साथ हमेशा से प्रासंगिक रहा है। जानिए कैसे बलराम दास की यह अमर कृति आज भी समाज को दिशा देती है।

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भारतीय सभ्यता की यात्रा वनों से शुरू हुई, जहां हमारे पूर्वजों ने जीवनमूल्यों की नींव रखी। वन-आधारित जीवनशैली से कृषि का ...
05/11/2025

भारतीय सभ्यता की यात्रा वनों से शुरू हुई, जहां हमारे पूर्वजों ने जीवनमूल्यों की नींव रखी। वन-आधारित जीवनशैली से कृषि का जन्म हुआ, फिर व्यापार केंद्र और महानगर बने। लेकिन वे मूल मूल्य—प्रकृति के साथ सामंजस्य, सतत जीवन, और आध्यात्मिक संबंध—आज भी वनांचलों में जीवित हैं ।​

आदिवासी समुदाय सिर्फ वन निवासी नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षक हैं । शहरीकरण ने हमें आगे बढ़ाया, पर हमारी पहचान अभी भी उन्हीं जंगलों में छिपी है जहां से सब कुछ शुरू हुआ ।​

जनजातीय समाज द्वारा इस्लामी आक्रमण का प्रतिकारभारत में 9वीं से 18वीं सदी तक इस्लामी आक्रमणकारियों के विरुद्ध लगातार संघर...
04/11/2025

जनजातीय समाज द्वारा इस्लामी आक्रमण का प्रतिकार

भारत में 9वीं से 18वीं सदी तक इस्लामी आक्रमणकारियों के विरुद्ध लगातार संघर्ष होता रहा। जिसमें जनजातीय समाज ने वीरतापूर्वक मुगलों का प्रतिकार किया था। जानिए कैसे पुंजा भील ने महाराणा प्रताप के साथ हल्दीघाटी में मुगलों को रोका और कैसे रानी दुर्गावती ने अकबर की शर्तें ठुकराकर अपनी मातृभूमि के सम्मान के लिए लड़ाई लड़ी।

यह लेख उन भूले हुए जनजातीय योद्धाओं की गाथा है, जिन्होंने सदियों तक भारत की रक्षा के लिए संघर्ष किया।

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जनजातीय समाज के प्रति मिथ्या धारणाएँ एवं उनका कारणअंग्रेजों ने जनजातीय समाज को ‘अन-सिविलाइज्ड और पिछड़ा’ कहकर दुनिया की ...
03/11/2025

जनजातीय समाज के प्रति मिथ्या धारणाएँ एवं उनका कारण

अंग्रेजों ने जनजातीय समाज को ‘अन-सिविलाइज्ड और पिछड़ा’ कहकर दुनिया की दृष्टि ही बदल दी। परिणामस्वरूप आज भी हम अपने ही समाज को अंग्रेजी चश्मे से देखते हैं। जबकि जनजातीय समाज को वेदों में “नमः वन्याय” कहा गया है। यह लेख बताता है कि कैसे जनजातीय समाज केवल अध्ययन की वस्तु नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है, जो तर्कगम्य अथवा पुस्तकगम्य नहीं, अनुभवगम्य है।

जानिए अंग्रेजो ने कैसे अपनी मानसिकता जनजातीय समाज पर थोप दी, पूरा आलेख पढ़े - https://shorturl.at/n13qF

आंवला नवमी: भारतीय समाज में प्रकृति पूजन का पर्वआंवला नवमी, जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है, भारतीय समाज में प्रकृति पूजन...
30/10/2025

आंवला नवमी: भारतीय समाज में प्रकृति पूजन का पर्व

आंवला नवमी, जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है, भारतीय समाज में प्रकृति पूजन की परंपरा का प्रतीक है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है, जो वैदिक काल से जीवन, आरोग्य और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। ब्राह्मणों समाज से लेकर गोंड, उरांव, साहू, बैगा समाज तक, वृक्ष उपासना के कई पर्व हमारे सांस्कृतिक एकता और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता की भावना को दर्शाते है।

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आइए जानते है, कैसे पूरा भारतीय समाज में प्रकृति की उपासना की परंपरा हजारों सालों से विद्यमान है।

दक्षिण-पूर्व एशिया का क्षेत्र लाओस, कंबोडिया और वियतनाम में ऐसे कई साक्ष्य मौजूद है जो भारतीय संस्कृति के जीवंत प्रमाण ह...
29/10/2025

दक्षिण-पूर्व एशिया का क्षेत्र लाओस, कंबोडिया और वियतनाम में ऐसे कई साक्ष्य मौजूद है जो भारतीय संस्कृति के जीवंत प्रमाण है। अंकोरवाट के मंदिरों से लेकर बौद्ध भिक्षुओं के मंत्रों तक, हर कोने में भारतीय संस्कृति के पद चिन्ह मौजूद है। यह आलेख एक राजदूत की दृष्टि से उस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक यात्रा को उजागर करता है जिसने भारत और कंबोडिया को दो हजार वर्षों से जोड़े रखा है।

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भारतीय संस्कृति में सूर्य उपासना केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि जीवन, प्रकृति और संस्कृति के प्रति सम्मान भी है। छत्तीसग...
28/10/2025

भारतीय संस्कृति में सूर्य उपासना केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि जीवन, प्रकृति और संस्कृति के प्रति सम्मान भी है। छत्तीसगढ़ के शैलचित्रों, अभिलेखों और मंदिरों में सूर्य पूजा के ऐसे प्राचीन साक्ष्य मिलते हैं जो इसकी 10,000 वर्ष पुरानी परंपरा को प्रमाणित करते हैं। सरगुजा से लेकर बस्तर तक सूर्य की आराधना लोकजीवन के मन में गहराई तक बसा हुआ है।
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यह लेख भारतीय लोकगाथा और आध्यात्मिक परंपरा के अद्भुत संगम “राजा भरथरी” की कथा को प्रस्तुत करता है। इसमें एक वीर राजा के ...
26/10/2025

यह लेख भारतीय लोकगाथा और आध्यात्मिक परंपरा के अद्भुत संगम “राजा भरथरी” की कथा को प्रस्तुत करता है। इसमें एक वीर राजा के योगी बनने की यात्रा, प्रेम, विरक्ति, पुनर्जन्म और अध्यात्म की गहराई तक उतरने वाली घटनाएँ वर्णित हैं। यह कथा न केवल भक्ति और लोकविश्वास का प्रतीक है, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक चेतना की अतल गहराइयों को भी उजागर करती है।

कृष्ण की द्वारिका और पुरातात्विक तथ्य यह लेख भगवान श्री कृष्ण की द्वारिका नगरी के ऐतिहासिक प्रमाणों से जुड़े पुरातात्विक...
25/10/2025

कृष्ण की द्वारिका और पुरातात्विक तथ्य

यह लेख भगवान श्री कृष्ण की द्वारिका नगरी के ऐतिहासिक प्रमाणों से जुड़े पुरातात्विक साक्ष्यों को उजागर करता है। इसमें बताया गया है कि कैसे द्वारिका का उल्लेख पुराणों में मिलता है, परंतु खुदाइयों और समुद्री अन्वेषणों ने इसके वास्तविक काल और अस्तित्व पर नई रोशनी डाली है।

क्या वास्तव में समुद्र में डूबी द्वारिका वही थी जिसे कृष्ण ने बसाया था? जानिए इस रोमांचक खोज की पूरी कहानी।

आलेख लिंक - https://tinyurl.com/4msx6hvf

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यह लेख मानव और जीवों के आत्मीय संबंधों पर प्रकाश डालता है। इसमें बताया गया है कि सृष्टि केवल मनुष्यों के लिए नहीं, बल्कि...
24/10/2025

यह लेख मानव और जीवों के आत्मीय संबंधों पर प्रकाश डालता है। इसमें बताया गया है कि सृष्टि केवल मनुष्यों के लिए नहीं, बल्कि सभी जीवों के साथ हमारा सह-अस्तित्व ही प्रकृति का सही संतुलन है। जीवों के साथ जुड़ाव हमारे जीवन में आनंद, संवेदनशीलता और मानसिक संतुलन लाता है।

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भाई दूज और चित्रगुप्त जयंती के इस विशेष अवसर पर जानिए कैसे यह पर्व हमारे संस्कारों, रिश्तों और आस्था को जोड़ता है। जानिए...
23/10/2025

भाई दूज और चित्रगुप्त जयंती के इस विशेष अवसर पर जानिए कैसे यह पर्व हमारे संस्कारों, रिश्तों और आस्था को जोड़ता है। जानिए इस दिन भगवान चित्रगुप्त की अद्भुत कथा और कायस्थ समाज द्वारा की जाने वाली चित्रगुप्त की पूजा का परंपरा एवं आध्यात्मिक महत्व।

पूरा आलेख पढ़े - https://shorturl.at/SrpfQ

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