18/10/2025
21 अक्टूबर को क्यों नहीं है दिवाली, क्या है प्रदोष काल? जानिए लक्ष्मी पूजा के जरूरी संयोग || 18-10-2025
दिवाली और महालक्ष्मी पूजा को लेकर कन्फ्यूजन के बीच पंडितों और ज्योतिषियों ने स्पष्ट किया है कि दीपोत्सव 20 अक्टूबर को ही मनाना शुभ है शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि का प्रदोष काल पार करना आवश्यक है जो 20 अक्टूबर को पूरा होता है जबकि 21 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष काल को पार नहीं करती.
दिवाली कब मनाई जाए, इसे लेकर कन्फ्यूजन है. हालांकि पंडितों-ज्योतिषियों और काशी विद्वत परिषद ने भी स्पष्ट कर दिया है कि दिवाली का दीपोत्सव और महालक्ष्म पूजा 20 अक्टूबर को ही होगी फिर भी कुछ शहर-गांव और इलाके ऐसे हैं जो 21 अक्टूबर को दीपोत्सव मना रहे हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कासगंज में भी कुछ जगहों पर दिवाली उत्सव 21 अक्टूबर को मनाया जाने वाला है.
लेकिन, 21 अक्टूबर को दीपोत्सव और लक्ष्मी पूजा के लिए सही समय क्यों नहीं है, इसके लिए शास्त्रों पर नजर डालें तो सटीक कारण निकल कर सामने आते हैं इस बारे में पांडित्य और ज्योतिष के जानकार आचार्य हिमांशु उपमन्यु कहते हैं कि निर्णय सिन्धु, धर्म सिन्धु व्रतराज आदि के आधार पर व्रत-त्योहार आदि का विचार किया जाता है.
इसके अनुसार अगर दो दिन अमावस्या हो तो लक्ष्मी पूजन व दीपावली उस दिन मनानी चाहिए जिस दिन अमावस्या प्रदोष काल को पार कर रात के एक घटी तक पहुंचती हो. जिस दिन अमावस्या प्रदोष काल को पार करती है उसी दिन दीपावली का त्योहार मनाया जाना चाहिए. अब प्रश्न उठता प्रदोषकाल किस समय को कहते हैं? सूर्य अस्त के बाद तीन मुहूर्त के समय को प्रदोष काल कहा गया है, जो मोटे तौर पर 2 घंटे 24 मिनट के आस पास का समय होगा और 20 अक्टूबर को अमवस्या तिथि की शुरुआत दोपहर 2 बज कर 32 मिनट पर हो रही है, जिसके कारण इस दिन अमावस्या तिथि को काल और रात का समय दोनों ही मिल रहा है.
21 अक्टूबर को नहीं है अमावस्या और प्रदोष काल का संयोग
वहीं, 21 अक्टूबर को अमावस्या शाम बाद 4:26 मिनट तक ही है. पंचांग के आधार पर प्रमाणित है कि 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल को पार करना तो दूर उसे छू भी नहीं पा रही है. इसलिए 20 अक्टूबर को ही खुशियों और समृद्धि का उत्सव दीपावली मनानी चाहिए.