22/06/2025
"फिर उगना" — जब एक आदिवासी बेटी की कलम ने झारखंड की मिट्टी से लिखा इतिहास, डॉ. पार्वती तिर्की को मिला साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2025
झारखंड की पहाड़ियों, जंगलों और लोकगीतों से जन्मी एक सशक्त आवाज़ — डॉ. पार्वती तिर्की — आज देशभर में साहित्य प्रेमियों के बीच चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं। उनके पहले ही कविता-संग्रह ‘फिर उगना’ को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2025 से नवाज़ा गया है। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि हजारों लोकधुनों, संघर्षों और सांस्कृतिक स्मृतियों का सम्मान है।
एक आवाज़, जो जंगल से निकल कर साहित्य के शिखर तक पहुंची
गुमला जैसे सुदूर आदिवासी क्षेत्र से निकल कर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय तक की यात्रा, और फिर हिन्दी साहित्य में पीएचडी तक की उपलब्धि — पार्वती की यात्रा खुद एक कविता की तरह है।
आज वे रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत राम लखन सिंह यादव कॉलेज में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं, पर उनकी असली पहचान है — "शब्दों की साधक"।
उनकी कविताओं में लोकजीवन धड़कता है। वे न कविता गढ़ती हैं, न छंद — वे संवेदनाओं की मिट्टी को शब्दों में ढालती हैं।
‘फिर उगना’ — सिर्फ किताब नहीं, सांस्कृतिक पुनर्जन्म है
2023 में राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित ‘फिर उगना’ को हिन्दी साहित्य की कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं ने "नई लोकधर्मी संवेदना" का प्रवेश कहा है। इस संग्रह में जंगल हैं, झरने हैं, परंपराएं हैं, विस्थापन की टीस है, और हर पंक्ति में — फिर उगने की जिद है।
> "मैंने अपनी कविताओं में संवाद की एक कोशिश की है।
लोक और शहरी, आदिवासी और मुख्यधारा — सबके बीच समझ और सम्मान का पुल बने — यही मेरा प्रयास है।"
— डॉ. पार्वती तिर्की
आदिवासी चेतना की नई प्रतिनिधि
राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी का कहना है:
> “पार्वती का लेखन हमें यह भरोसा दिलाता है कि परंपरा और आधुनिकता टकराते नहीं, साथ चल सकते हैं। हिन्दी कविता अब महानगरों की नहीं रही, वह गांवों की गलियों, पहाड़ों की छांव और आदिवासी अनुभवों में खिल रही है।”
झारखंड की माटी से उपजी राष्ट्रीय पहचान
यह पुरस्कार एक संकेत है — कि झारखंड की माटी में सिर्फ खनिज ही नहीं, कविता, चेतना और संस्कृति भी पलती है।
यह उन युवाओं का भी सम्मान है, जो सीमित संसाधनों, कठिन परिस्थितियों और सांस्कृतिक हाशिए से निकलकर अपनी मिट्टी की गंध के साथ साहित्य की दुनिया को गहराई दे रहे हैं।